मैथिली साहित्य महासभा द्वारा विगत रवि'क साँस नव दिल्ली स्थित संस्कार भारती सभागार मे मैथिली कथा
गोष्ठीक आयोजन संपन्न भेल,जे मूलतः कथा पाठक आयोजन छल आ एहि मे नव प्रवेशीक अधिकांश सहभागिता
रहल,
जे मैसाम द्वारा पहिनहिं सँ सुनिश्चित छल । राष्ट्रीय
राजधानी मे एक दशक बाद कोनहूँ गैर-सरकारी संस्था द्वारा आयोजित एहि गोष्ठी मे
कुल सत्रह कथाकार कथा पाठ कयलनि । एहि गोष्ठी अध्यक्षता कयलनि सुपरिचित साहित्यकार
डॉ. आभा झा आ विशिष्ट अतिथिक रूप मे मैसामक पूर्व सचिव संतोष राठौड़ उपस्थित छलाह ।
गोष्ठीक कुशल संचालन युवा कवि मनीष झा “बौआभाइ' कयलनि ।
एहि मैथिली कथा गोष्ठी मे शैलेन्द्र झा 'आत्मसम्मान', मनोज कर्ण मुन्नाजी 'बॉस' आ 'ठेकनगर', हेमन्त झा 'अपन-अपन सोच' आ 'महत्वाकांक्षा', भावना मिश्रा “ककर दोख', मुन्नी कामत 'तरसैत आँखि' आ 'भ्रष्टाचार', रेणु दास “बुद्धो पीसी', निशा झा 'विडम्बना', कुन्दन कर्ण 'रेबाज' आ “गरूड़-पुराण' शीर्षक, चित्रलेखा अंशु “बूझब', अमरेश चौधरी '"प्रेमक स्मृति आ आस', अमन आकाश “प्रेमक सिंगरहार', जगदानन्द झा मनु 'हारि' आ 'एसगर' शीर्षक, मुकेश दत्त 'सुग्गा सन बोल', कुमार मनोज कश्यप 'वेदना' आ “आकाश कुसुम', नीरज कर्ण “रिटायर्ड” आ “छुच्छे', शिव कुमार सिंह 'दहेजक दानव' आ सुभाष कामत “मातृभाषा' आ 'मैथिली' शीर्षक कथा , लघुकथा, बिहनि कथा आदिक पाठ कयलन्हि ।
कार्यक्रमक अध्यक्षता करैत साहित्यकार डॉ. आभा झा कहलनि जे मैथिली साहित्य महासभा द्वारा एहि कथा-गोष्ठीक आयोजन सँ हम अभिभूत छी । अत्यंत अनुशासित आ व्यवस्थित गोष्ठी संपन्न भेल । कथाकारक सभक कथा सुंदर आ विचारशील छल । एहि कथा गोष्ठीमे स्त्रीमन, दिव्यांग संग अपेक्षित मानवीय व्यवहार, गाम-शहर पर केन्द्रित, आत्मविश्वास आ मातृभाषाकें प्रतिष्ठित करए बला कथा सभक पाठ प्रस्तुत भेल । गोष्ठी मे स्त्री-पुरुष कथाकारक सहभागिता उल्लेखनीय रहल ।
सोशल मिडियाक फेसबुक पर हम सभ मैथिल छी समूह पर उक्त कथागोष्ठी'क लाइव प्रसारण देखि साहित्यकार शैलेन्द्र शैली कहलन्हि जे मैसाम द्वारा उठाओल ई डेग सकारात्मक अछि, मुदा पठित कथा सभ पर समुचित समीक्षाक व्यवस्था रहने गोष्ठी मे सम्मिलित कथाकार सभ लेल मार्गदर्शनक काज क' सकितैक । शैली कहलन्हि जे गोष्ठी मे पठित अधिकांश कथा कथ्य, शिल्प आ भाषाक स्तर पर झुझुआन सन लागल । मैथिली कथा जाहि उचास धरिक यात्रा तय क' चुकल अछि, से नवागंतुक रचनाकार के बुझल रहबाक चाही आओर एहि लेल बेसी पढ़बाक बेगरता अछि । ओ कहलन्हि जे मैसाम के भविष्य मे एहेन आर आयोजन करैत एखटा कार्यशालाक रूप देबाक चाही ।
विशिष्ट अतिथि संतोष राठौड़ अपन वक्तव्यमे मैसाम द्वारा कथा-गोष्ठी आयोजन के महत्वपूर्ण बतौलनि । ओ कहलनि जे मैसामक नियमित गतिविधि मे एकटा आओर नव कार्यक्रमक बढोतरी मैथिली साहित्य कें प्रगतिशील बनाएत ।
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