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Monday, October 04, 2021

साहित्यिक चौपाड़ि, नवभारत टाइम्स

मैथिली साहित्य प्रेमी की खुले आसमान के नीचे होने वाली ' साहित्यिक चौपाड़ि’ फिर से शुरू हो गई है। कोरोना के चलते इसे बंद करना पड़ा था लेकिन जैसे-जैसे स्थितियां सामान्य होने लगी है, साहित्य प्रेमियों का जमावड़ा फिर से लगने लगा है । 

दिल्ली में 8 मई 2016 से लेकर 19 सितंवर 2021 तक इसके 48 आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं । इस साहित्यिक चौपाड़ि की सबसे खास बात यह है कि यह सभी औपचारिकताओं से स्वतंत्र है । इसे आर्थिक रूप से भी स्वतंत्र रखा गया है, जिसके लिए इसमें किसी भी गैर-सरकारी या सरकारी संस्थान या समिति की तरह अध्यक्ष, सचिव, महासचिव, कोषाध्यक्ष आदि जैसे औपचारिक पदों से इसे मुक्त रखा गया है । इसकी रूपरेखा में सहित्य के सभी विधाओं का समान रूप से स्वागत होता है जिसका उद्देश्य स्पष्ट है कि साहित्य में हो रहे नए-नए रचनाओं पर वरिष्ठ साहित्यकार अपना सुझाव दें ।

हर महीने किसी एक रविवार को इसका आयोजन किसी सार्वजनिक स्थल पर है । यहां पर सभी को अधिकार है कि अपनी रचनाओं का पाठ करें । जो रचनाकार नहीं हैं वह भी एक सम्मनित श्रोता के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं । इस आयोजन में सहित्यिक एवं गैर-सहित्यिक व्यक्ति का समान रूप से स्वागत होता है । यह आयोजन मैथिल भाषा सहित्य के लिए पूर्ण रूप से समर्पित है । शुरुआत में इस आयोजन में महिलाओं की उपस्थिति 'बहुत कम थी लेकिन पिछले कुछ महीनों से इसमें बदलाव देखने को मिला है ।

दिल्ली की सहित्यिक चौपाड़ि सभी की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए जगह-जगह आयेजित किया जाता है । कोशिश होती है कि इसका आयोजन मेट्रो स्टेशन या फिर बस स्टैंड के आसपास हो तकि आने वाले लोगों को किसी तरह की परेशानी ना हो । अब तक हो चुके 48 आयोजन में जिनकी नियमित उपस्थिति से यह आयोजन संभव हो पा रहा है उनमें डॉ. आभा झा, समता मिश्रा, आभा झा, विभा कुमारी, जयंती कुमारी, सोनी नीलू, आनंद मोहन झा, श्याम झा, महेश डखरामी, संजीत झा सरस, कैलाश कुमार मिश्र, रोहित यादव, कैलाश कुमार झा, शंकर मधुपांश, नीरज झा, मणिकांत झा, मनीष झा बौआभाइ, अमरनाथ मिश्र, अजित झा, रामवाबू सिंह, कैलाश झा, निवेदिता झा, संस्कृति मिश्रा, विमल जी मिश्र, धर्मवीर कुमार प्रमुख हैं ।

पटना से हुई थी शुरुआत : 8 अगस्त 2015 को पटना के गांधी मैदान से साहित्यिक चौपाड़ि का आगाज हुआ । यह पटना में रह रहे कुछ युवा सृजनधर्मियों की एक अद्भुत परिकल्पना थी जो देखते ही देखते बिहार की राजधानी से होते हुए दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, बनारस और देश की राजधानी दिल्ली तक आ पहुंची । देश की राजधानी दिल्ली में इसका पहला आयोजन 8 मई 2016 को हुआ ।