मैथिली रंगमंच मे नव-नव संधान हेतु चर्चित रंगमंडल ‘मैलोरंग’
द्वारा उर्दू एवं हिंदीक प्रसिद्ध लेखक ‘आगा हश्र कश्मीरी’ रचित पारसी नाटक 'सीता बनबास'क
मंचन लक्ष्मीनगर,दिल्ली मे ‘ब्लैक पर्ल आर्ट्स रूफ थियेटर’ मे भेल. आगा हश्र रचित
‘सीता बनबास’ नाटक अपना समयक सभसँ बेसी लोकप्रिय पारसी नाटक मे सँ एक महत्त्वपूर्ण
नाटक रहल अछि. नाटकक प्रसंग बाल्मीकि रामायण सँ लेल गेल अछि जकरा लेखक नाट्य शैली अंदाज
मे प्रस्तुत केलनि अछि. नाट्य प्रस्तुति हिंदी मे छल आ एकर निर्देशन केलनि अछि श्याम
कुमार सहनी.
नाटक मे राम और सीताक एक दोसराक प्रति कर्त्तव्य, प्रेम,
मर्यादा, विश्वास आ श्रद्धाक जाहि स्वरूपकेँ दर्शाओल गेल अछि से नहि मात्र भारतीय संस्कृतिक
आत्मा अछि अपितु पीढ़ी-दर-पीढ़ी एकरा शिक्षा ओ प्रेरणाक रूपमे आत्मसात कएल जा सकैत अछि.
राम जाहि तरहे राजधर्म पालन हेतु अपन समस्त सांसारिक सुखक परित्याग करैत चल गेला एतावता
सीता सन धर्मपारायण स्त्री धरिक परित्याग कय देलनि ताहि सीताक स्त्रीत्व हुनक मर्यादा
निर्वहन मे सहगामिनी बनि अपन करुणा आ आदर्शक परिचय देलनि.
मुक्ताकाश मंच पर कोनो नाटकक प्रस्तुति सँ पूर्व मंच,
प्रकाश, ध्वनि आदि परिकल्पना हेतु बेस तामझामक आवश्यकता होइछ मुदा मैलोरंग अपन कलाकार
केँ नहि मात्र अभिनय प्रशिक्षण धरि सीमित रखने अछि एते धरि जे मंचक पार्श्व मे विभिन्न
तरहक प्रक्रिया नियंत्रण हेतु सेहो सक्षम बनबैत अछि आ ओएह सक्षमता एहि ठाम प्रत्यक्षतः
देखल गेल.
मैलोरंगक एहि प्रस्तुति मे अधिकाधिक नव प्रशिक्षु कलाकार
देखल गेलाह जाहिमे मंच पर उपस्थित पात्र राम (हर्ष मनु), सीता (साक्षी झा), पृथ्वी/उर्मिला
(अनुराधा झा), लव (सुरभि झा), कुश (कनुप्रिया झा), रजकी (स्वेता आर्या), दुर्मुख (पिंटू
झा प्रेम), बाल्मीकि (आयुष्मान झा), वशिष्ठ (अविनाश कुमार), मांडवी (रितु राज), लक्ष्मण
(उत्कर्ष रंजन), भरत (भुवनेश चौहान), शत्रुघ्न (आर्यन पंत), हनुमान (हर्ष सागर), रजक
(प्रदीप कुमार), विभीषण (लवीश जिंदल), अंगद (उज्जवल वत्स), सुग्रीव (उत्सव वत्स) आदि
प्रत्येक कलाकार अपन श्रेष्ठ प्रदर्शन देबाक प्रयत्न करैत दर्शक दिसिसँ प्रोत्साहनक
थोपड़ी बजबेबामे सफल रहलाह.
पार्श्व मंच पर संजीव बिट्टू (प्रकाश परिकल्पना), विकास
जय (संगीत), पिंटू झा प्रेम (मंच प्रबंधन), आयुष्मान झा (ध्वनि व्यवस्था) आदि कलाकार
लोकनिक सहयोग सँ डॉ. प्रकाश झाक समुचित मार्गदर्शन मे उक्त नाटक सफलतापूर्वक संपन्न
भेल.
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