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Sunday, January 30, 2022

ज्योति झा, मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश (राग-रंग)

दरभंगा जिलाक कायस्थ कबइ निवासी ज्योति झा कठिन संघर्ष आ नियमित लगन सँ मैथिली रंगमंचक अभिनेत्रीक रूप मे अपन परिचय स्थापित कएनिहारि महिला मे सँ एक महत्त्वपूर्ण नाम छथि ।  नान्हिटा मे गाम घरमे मिमिक्री सँ लोकक मनोरंजन कएनिहारि मैथिल ललना दिल्लीक एक नीजी विद्यालय मे बतौर शिक्षिका कार्यरत रहथि मुदा अभिनयक प्रति हिनक लगाव दिल्लीक प्रसिद्ध रंगमंडल मैलोरंग सँ वर्ष २०१० मे जोड़लकनि जतय जुड़लाक बाद अभिनयक प्रशिक्षण सँ मंचन धरि प्रेक्षकक मनमस्तिष्क मे एक विशेष एवं फराक छवि निर्माणक संगहि मैथिली रंगमंच पर महिला उपस्थिति वा ताहि सँ सम्बंधित अनेको मिथककें तोड़बामे सेहो सफल रहलीह ।  हिनक लगन आ प्रतिभाकें देखैत मैलोरंग द्वारा प्रतिवर्ष देल जाय बला महिला रंगकर्मी सम्मान ‘प्रमिला झा नाट्यवृत्ति सम्मान-२०११’ सँ सम्मानित छथि । 

रंगमंच हेतु प्रतिबद्ध रहबाक पाँछा अपन आदर्श वरिष्ठ रंगकर्मी प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’ कें मानैत छथि ।  वर्ष २०१० मे पटनामे मंचित भेल नाटक ‘जल डमरू बाजे’ मे हिनक अभिनय सँ प्रभावित भ’ प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’ द्वारा भेटल सिनेह आ प्रोत्साहनकें गाँठ बना अभिनय यात्राकें निरंतरता दैत आगाँ बढ़ैत रहलीह ।  मंच पर नियमित उपस्थितिक क्रममे करीब तीन दर्जन सँ बेसी नाटकक मंचन केलनि जेकि भारतक विभिन्न क्षेत्र जेनाकि दिल्ली, कुल्लूमनाली, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, बेगूसराय, पटना आदिमे आ काठमाण्डू, नेपालक मंच पर सेहो उपस्थिति दर्ज केने छथि । 

विद्यापति, जीवन झा, राजकमल चौधरी, वैद्यनाथ मिश्र यात्री, महेन्द्र मलंगिया, गोविन्द झा, रमेश रंजन, प्रदीप बिहारी, रामेश्वर प्रेम आदि चर्चित लेखकक ऐतिहासिक नाटक, कथा आदिमे अभिनय आ किछु महत्त्वपूर्ण नाटकक निर्देशन करबाक अवसर कें स्मरण क’ रोमांचित होइत ज्योति झाकें रंगमंच सँ जुड़ल रहबाक गौरवबोध होइत छनि । 

नाट्ययात्राक क्रममे मैथिली सहित हिन्दी एवं भोजपुरीक नाटक, कथा, कवितादिमे अभिनय जेनाकि ‘मणिमंजरी’, ‘ओरिजनल काम’, ‘मुक्ति पर्व’, ‘सुन्दर संयोग’, ‘धूर्तसमागम’, ‘विलाप’, ‘सामाक पौती’, ‘ललका पाग’, ‘ननदि-भौजाइ’, ‘डोमकछ’, ‘पैघ नटकिया के’, ‘आब मानि जाउ’, ‘चान-चकोर’, ‘देह पर कोठी खसा दिय’, ‘मैथिली नारी चारि रंग’, ‘घाट पर जाति’, ‘जट-जटिन’, ‘कथा संकीर्तन’, ‘गोरक्षविजय’, ‘सदाचार के ताबीज’, ‘बड़ा नटकिया कौन’, ‘अमली’, ‘काल कोठरी’, ‘इस उम्र में’, ‘चम्पारण’, ‘चैनपुर की दास्तान’, ‘ऊँच-नीच के बाद’, ‘बुधनी’, ‘बेटी बेचबा’, ‘विदेशिया’ आदिमे प्रसिद्ध निर्देशक दिनेश खन्ना, देवेन्द्र राज अंकुर, पूनम जी, प्रकाश झा, मुकेश झा आदि लोकनिक निर्देशन मे काज करबाक अवसर प्राप्त छनि । 

अभिनय विधा मे सशक्तताक संग-संग करीब एक दर्जन सँ बेसी नाटकक निर्देशन , नाट्य रूपांतरित कविताक मंचन, कथा मंचन, एकल मंचन आदिमे हस्तक्षेप रखैत समय-समय पर साहित्य लेखन मे सेहो रूचि रखैत छथि । सामाजिक सौहार्द्रता एवं जनजागरूकता सम्बन्धी कएक टा प्रेरक वीडियोमे सेहो देखल गेलीह अछि । दूरदर्शन पर प्रसारित मैथिली धारावाहिक ‘आब कहू मन केहेन करैए’ आ ‘पाहुन’मे सेहो महत्त्वपूर्ण भूमिकाक निर्वहन केने छथि ।  कतेको रास मैथिली सिनेमा, सरकारी संस्थान आ नीजी कम्पनीक टीवी विज्ञापन मे वॉयस ओवर आर्टिस्टक रूपमे काज केलनि अछि ।

विगत किछु बर्ख सँ कला-साहित्यक संग-संग राजनीति मे सेहो सक्रिय छथि आ वर्तमान मे आम आदमी पार्टी, दिल्लीक पूर्वांचल प्रकोष्ठ पटपड़गंज विधानसभाक सचिव पद पर आसीन छथि ।  तीन भाइ-बहिन मे सभसँ छोट ज्योति पर कला आ राजनितिक परिवेशक प्रभाव हुनक पिता भोगेन्द्र झाक रहलनि जेकि ग्रामीण रंगमंच पर अभिनयक संग-संग राजनितिक दलक सक्रिय सदस्य सेहो रहथि ।

गर्मी छुट्टी मे छोट-छोट बच्चा सभकें अभिनय मे प्रशिक्षण हेतु दिल्ली सरकार दिससँ ठाम-ठाम आयोजित वर्कशॉप मे प्रशिक्षणक संग-संग स्कूल ऑफ एक्सेलेंस सन प्रतिष्ठित संस्थान संग बाल रंगमंचक निर्देशन सेहो केलनि अछि ।  वर्तमान मे साहित्य कला परिषद, दिल्ली सरकार दिससँ नुक्कड़ नाटक हेतु स्ट्रीट आर्ट्स फेलोशिपक लाभार्थी छथि ।  सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थामे क्रमशः मैथिली-भोजपुरी अकादमी दिल्ली सरकारक सदस्य, मैथिली साहित्य महासभाक सदस्य, अखिल भारतीय मिथिला संघक सदस्यक रूपमे सेहो योगदान दैत रहलीह अछि ।

स्त्री सशक्तिकरण पर हिनक मानब अछि जे सामाजिक स्तर पर स्त्रीक संघर्ष बनले अछि हँ तखन स्त्री आत्मबलक आधार पर एतबा जरुर परिवर्तन भेल अछि जे एहि सभ कर्म मे स्त्री सहभागिताक स्वीकार्यता बढ़ल अछि ।  रंगमंच मे महिला उपस्थिति कम देखैत बहुतो कलाकार कें रंगमंच स’ जोड़बाक सेहो प्रयास करैत रहलीह अछि आ जिनका परिवारक उचित सहयोग वा जिनक आत्मविश्वास संग दैत छन्हि से आगाँ बढ़ियो रहल छथि आ बहुतो गोटे सामाजिक कटाक्ष सँ प्रभावित भ’ पैर पाँछा कय लेलनि ।  ज्योति एहि सभ सँ बिना प्रभावित भेने  रंगमंच पर नियमित बनल रहबा मे पति आनन्द कुमार झाक (आब स्वर्गीय) सहयोगक प्रति आजीवन कृतज्ञ रहि लगनपूर्वक लागल रहय चाहै छथि ।  पतिक देहावसानक बाद दू गोट पुत्रीक संग अपन आजीविका एवं लालन-पालन हेतु अर्थोपार्जन मे व्यस्त रहैत सामाजिक दायित्त्वक निर्वहन करैत राजनीति ओ रंगमंच मे अपन योगदान देबा लेल सक्रियता संग सदति तत्पर देखल जा सकैत छथि । 


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