दुर्गापूजा
मे गाम जा सकब वा नै सन द्वन्द मे पड़ल अन्ततः पहुँच जाइ छी गाम आ अपन गाम सँ पहिने
पहुँचै छी रामनगर (परजुआरि)। गामक नाम सुनने मात्र रही से जेना पहिल-पहिल जेबाक
अवसर भेटल ओ कोनो कुटुमैती मे नोत-हकार पूरय नै बल्कि ग्रामीण रंगमंच केँ
पुनर्स्थापित करबाक संकल्प ल' ठाढ़ ग्रामीण, ओहि गामक संस्कृतिकर्मी आ लगातार चारिदिवसीय नाट्य मंचनक
पहिल रातुक मंचनक साक्ष्य बनबा लेल।
निर्धारित
समय सँ प्रारम्भ होइत कार्यक्रमक पहिल सत्र उद्घाटन सत्र सँ होइत अछि। मैथिलीक
सुप्रसिद्ध नाटककार श्री महेन्द्र मलंगिया, ख्यातिप्राप्त लेखक श्री रामलोचन ठाकुर, युवा लेखक/प्रकाशक अजित आजाद मंचस्थ होइ छथि आ सञ्चालनक क्रममे डॉ. कमल मोहन
चुन्नू द्वारा बेर-बेर मंच पर मनीष झा बौआभाइ केँ एबाक उद्घोषणा कएल जा रहल छल।
हिनका लोकनिक संग मंच पर आसीन होयब कठाइन सन लगैत छल आ इशारा सँ मना केलाक बावजूदो
चुन्नू जीक आग्रह आ धाख मंच धरि घीचि अनलक।
अतिथि
सम्मानक क्रममे गामक प्रतिष्ठित व्यक्ति श्री घनश्याम ठाकुर द्वारा मिथिला पेंटिंग
काढ़ल पाग,
खादी केर आकर्षक गमछा आ विद्यापति नाट्य मंच,रामनगर केर स्मृति चिन्ह पाबि अपनाकेँ भाग्यशाली हेबाक
अनुभूति होइत रहल। अतिथि वक्ता लोकनिक मध्य ग्रामीण रंगमंच पर अपन अल्पज्ञतानुरूप
किछु अनुभव साझा करबाक अवसर सेहो हमरा किछु साहस देलक।
गाम-गाम
ऑर्केस्ट्राक दूषित रूप अपन अस्तित्व पसारि लेने अछि। जँ किछु भाषायी अस्तित्व
बाँचल अछि त'
किछु मैथिली गायक लोकनिक प्रयास मात्र सँ अन्यथा मैथिली
कार्यक्रमक कोनो तेहेन विकल्प बँचलो नहि छल। एहेन सन विकराल परिस्थिति मे रामनगर
मे जँ मैथिली नाटकक प्रति समाज जागरूक होइत छथि त' स्वाभाविक रूप सँ दर्शकक प्रति श्रद्धा भाव जगैत अछि। एतेक चित्त-पित्त मारिक' शांतिपूर्वक बिना कोनो हो-हल्ला आ पिहकारी केँ उद्घाटन सत्र
सँ ल'
क'
धन्यवाद ज्ञापन धरिक सहयोग कोनो गामक लोक वास्ते अनुकरणीय भ' सकैछ।
आदरणीय
डॉ. कमल मोहन चुन्नू जी सन अभिभावकक अनुशासनमे गामक युवा तूर द्वारा आतिथ्य सत्कार
आ ताहि क्रममे अनुज अभि आनन्द, रणधीर झा सहित
गामक अन्य युवा लोकनिक जतबा प्रशंसा करी से कम हएत।
अही
आयोजनक बहन्ने आदरणीय श्री महेन्द्र मलंगिया, श्री रामलोचन ठाकुर,
डॉ. कमल मोहन चुन्नू, श्री किसलय कृष्ण,
श्री अजित आजाद, श्री सतीश साजन,
श्री ऋषि वशिष्ठ, श्री प्रणव नार्मदेय आदि केर सान्निध्यता सँ मोन प्रफुल्लित छल मुदा युवा
साहित्यकार मित्र गुँजन श्रीक गाममे हुनकहि सँ भेँट नै हेबा सँ मोन एकरत्ती झूस
सेहो छल। किछु लाचारी हमरो किछु लाचारी हुनकहु।
पाँचदिवसीय
गामक यात्राक क्रममे सभसँ महत्त्वपूर्ण उपलब्धिक रूप मे एहि बेरुक ई कार्यक्रम
रहल।
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