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Sunday, June 10, 2018

स्वरचित कविता संग्रहक पोथी 'नीक-बेजाए' पर भेटल प्रतिक्रया

 फेसबुकक माध्यम स’ हमर प्रकाशित पोथी “नीक-बेजाए” के संदर्भमे जे समीक्षा आ प्रतिक्रिया भेटल से समेटक’ एत’ एक्के ठाम प्रस्तुत क’ रहल छी. अपनेंक प्रतिक्रिया आ समीक्षा हमर बलबुद्धिकें पुष्ट रखबामे सहयोग करैइयै.एहि उपकृत नेह हेतु अपनें लोकनिक सहृदय आभार.  

(पाठकक सहूलियतकें धेआनमे रखैत अंग्रेजी बला अंशकें लिप्यांतर क’ देवनागरीमे क’ देल गेल अछि)
 
27 जनवरी, 2015/हम स्वयं पोस्ट केने रही:
प्रकाशक "विद्यापति मैथिल युवा मंच" केर आभार व्यक्त करबा लेल हम निःशब्द छी संगहि आह्लादित छी ई सम्मान पाबि.
५६ पन्नामे प्रकाशित २५ गोट कविता संग्रहक ई पोथी "नीक-बेजाए" बसंत पंचमी आ संस्था द्वारा आयोजित सरस्वती पूजा महोत्सव (२५ जनवरी २०१५) केर शुभ पावन अवसर पर माननीय श्री एस. एन. झा (रिटायर्ड आइ.ए.एस.,रजिस्ट्रार,आइ.जी.डी.टी.यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन)डॉ. सतीश चन्द्र झा (प्रोफ़ेसर,सनातन धर्म कॉलेज)डॉ. नारायण जी झा (बाबूजीहमर मार्गदर्शक/पथप्रदर्शक)श्री एस.एन.मिश्रा (हमर पहिल रचना के स्थान दिऔनिहार) ,श्री मणिन्द्र कुमार झा (सी.ए.रचनाकर्म वास्ते सदिखन प्रोत्साहित केनिहार)श्री संजय कुमार झा (गायकरचनाकर्ममे निरंतरता हेतु प्रेरित केनिहार),पंडित हृदय नारायण झा (सदति दीर्घायु आ स्नेह सिंचित शुभकामना देनिहार) आदि द्वारा विमोचित ई पोथी अबिलम्ब अहाँ लोकनिक हाथमे सेहो उपलब्ध हएत. छिटपुट प्रकाशित रचनाक संग्रह हमर पहिल प्रकाशित पोथी अपनें लोकनि सहर्ष स्वीकारब ताहि आशाक संग............अपनेक सिनेह आ आशिर्वचनक आकांक्षी :
मनीष झा बौआभाइ
प्रतिक्रिया :
मणिन्द्र कुमार झा : माँ सरस्वती अपन कृपा सदिखन अहिना बनौने रहथि अपना सब पर
मोहनपुर दुर्गा पूजा : जय माँ सरस्वती
मणिन्द्र कुमार झा : नीक शुरुआत अछि
सुनील पवन अशेष शुभकमाना !!
संजय कुमार झा ढेरों शुभकामना
गोपी झा : बहुत सुन्दर बुक अछि
विभय कुमार झा : बहुत सुन्दर
कुन्दन पाण्डेय : जय मिथिला जय मैथिली
मनीष झा : बहुत खु:शी के बात भाई
रंजीत झा : मेनी कॉन्ग्रेचुलेशंस टू यू मनीष भाइ एंड आइ डू बिलीव दैट वी विल सी लॉट मोर लाइक दिस फ्रॉम यू इन फ्यूचर.......जय मिथिला
मनोज पाण्डेय : बहुत बहुत बधाई.....
संदीप शांडिल्य : अद्भुत आ गौरान्वित करय बला क्षण। जय मिथिला जय मैथिल
आर.के.मिश्रा : कवि मनीष झा “बौआभाइ” जी के ऐ कविता संग्रह प्रकाश मे लाब’ लेल नमन
अजय कुमार : ग्रेट..कीप इट गोइंग..
मुकेश झा : वाह देख क’ मोन खुश भ’ गेल,एकटा प्रति के अपेक्षा अछि .............बधाई मनीष बाबू
दयाकान्त मिश्र : बहुत बहुत बधाई मनीष जी
अमृता झा : बहुत बधाई मनीष जी
राजीव कुमार झा : बौआभाइ अहाँके धन्यवाद, आशा अछि अहिना हमरा सभ के मनोरंजन करबैत रहब January 28 at 9:30pm ·
संजीव झा : बहुत नीक अछि अहाँके किताब. संजीव कुमार झा,बाबूबरही
मणिन्द्र कुमार झा : कॉन्ग्रेचुलेशन मनीष जी
मणिन्द्र कुमार झा : वीएमवाइएम केर मेम्बर आ सभ मित्रगण स’आग्रह अछि ई बुक नीक-बेजाए अवश्य पढू आ एहि बुक के अपन बुक शेल्फी मे जगह प्रदान करू शोभा बढ़ायत
बद्रीनाथ मिश्र : कॉन्ग्रेचुलेशन मनीष जी अपनेंक लिखल पुस्तक के अध्ययन केलौं मोन गदगद भ’ गेल
22 फरवरी, 2015/संजय झा”नागदह”कें फेसबुक देबालस : · 
चिरंजिवी मनीष झा "बौआ भाई " के द्वारा लिखल "नीक - बजाय " (मैथिली कविता संग्रह) पुस्तक काल्हि मैथिली साहित्य महासभा स्थापना समारोह में भेंट स्वरुप भेटल . संगहि एकटा स्मारिका (सरस्वती पूजा महोत्सव -२०१५) विद्यापति मैथिल युवा मंच (पंजी) सेहओ भेटल जाहि में हमरो द्वारा लिखल "मिथिला में पोखरिक इतिहास " के स्थान भेटल अछि. चिरंचिवी "बौआ भाई " के सस्नेह आशीर्वाद जे हुनक कृति सेहो चिरंजीव होइन्ह एहि हेतु अनेकानेक शुभकामना. संगहि आगामी स्मारिका लेल सेहो आग्रह केलाह . हमर पूर्ण प्रयास रहत जे हम किछु लिख जरूर पठाबी एहि लेल हमहुँ अपन अग्रज आ बुजुर्ग साहित्यकार लोकनि सँ आशीर्वादक आकांछी छी -सहर्ष धन्यवाद
प्रतिक्रिया :
विभय कुमार झा : बौआभाई बहुमुखी प्रतिभाके धनी छैथ
विभय कुमार झा :  आशीर्वाद
February 22 at 2:51pm
विमल जी मिश्र : बौउवा भाए ! अपनो नीक छथिकिताबो नीक अछि ! बेजाय किछु नहि । जय हो
February 22 at 3:56pm
संजय झा : ओना बेजाए हटा देबाक चाहियनि  
February 22  at 3:56pm
शेफालिका वर्मा : बहुत नीक पोथी..मनीष झा “बौआभाइ....कौआ कुचरय अँगना मे आ पाहुन ठाढ़ दलान पर...सब कविता अपन अलग रंग रूप नेने..
February 25  at 1:27pm
शेफालिका वर्मा : माँ मैथिलीक भंडार सतत श्रृंगारमय रहत..आब ई विश्वास भ’ गेल....
February 25  at 1:45pm
11 मार्च, 2015/किशुन भारद्वाजक फेसबुक देबालस’ : · 
हमर अजीज मित्र मनीष झा “बौआभाइ” केर लिखल बहुतो गीत सुनलौं जे बजार में उपलब्ध अछि मुदा १ बेर फेर स’ बौआभाइ मैथिली कविता संग्रह “नीक-बेजाए” ल’ उपस्थित छथि.एहि पुस्तिका में बौआभाइ केर जीवनी स’ ल’ क’ अनेको प्रकारक पद्य साहित्य संलग्न अछि हम चित्र के माध्यम स’ हुनक लिखल “नीक-बेजाए” के संक्षिप्त सारांश प्रस्तुत क’ रहल छी, पुस्तिका “नीक-बेजाए” पढ़ला के बाद मोन हरखित भ’ जाएत. सब मैथिल प्रेमी भाइ बन्धु स’ आग्रह जे १ बेर अवस्से पढ़ी.
जय मिथिला.जय मैथिली.
प्रतिक्रिया :
रंजीत झा : मैथिली साहित्य के प्रोत्साहन जरुर भेटक चाही
पवन नारायण : बौआभाइ हमर लाजवाब छथि किछु करबामे बिलकुल सही और बड्ड नीक छथि
मनोरंजन मिश्र : कॉन्ग्रेचुलेशन
27 मार्च, 2015/आदित्य भूषण मिश्रक फेसबुक देबालस’ : 
मनीष झा बौआ भाई अपनहि हमर डेरा पर आबि हमरा अपन पोथी भेंट कयलनि. ई हिनक पहिल प्रकाशित पोथी थीक. एहिठाम इहो कहब आवश्यक जे कहलो उत्तर प्रेमवश एकर मूल्य सेहो स्वीकार नहि केलनि। ई कहब आवश्यक एही लेल लागल जे मैथिली साहित्यकार के निशुल्क पोथी बटबाक आदति जेकाँ भ जाइत छन्हि से उचित नही. खैरपचीस गोट कविता छैक. भिन्न-भिन्न विषय पर लिखल कविता में विभिन्न रस भेटत.
ओना त मैथिली गीत सुननिहार आब हिनकर नाम सं अपरिचित नहि होयताह मुदा ई कहब आवश्यक जे मृदुभाषी बौआ भाई बहुत मिलनसार व्यक्तित्वक धनी छथि. ई एहिना लिखति रहथु से कामना.
प्रतिक्रिया :
राहुल झा : हमरो शुभकामना 
मनीष झा बौआभाइ मित्रडेरा पर जा पोथी भेंट करब अहाँक प्रेम छल.....मोल नञि स्वीकारबाक कारण अपनें स्पष्ट क'ए देल आ रहल बात व्यक्तित्वक तअपनें सन मृदुभाषी आ सृजनकारी व्यक्तित्वक ई प्रभाव अछि जे हुनका मिलनसार बनै परतनि । हृदयसँआभार व्यक्त करै छी ।
30 मइ2015/गुँजन श्रीक फेसबुक देबालस’ :
'पाहून ठाढ़ दलान पर'
आई जखन की बेसी कवि छंद आ लय सइतर अपन कविता मे गढ़ैत छथि ओहि समय मे बौआभाई के 'नीक-बेजाएमें संकलित कविता सब अपन गेयधर्मिता के गुण के कारण बेस प्रभावित करैत अछि। पढ़वा काल बेस मनलग्गू लगैत अछि संग्रह। 25 गोट कविता पढ़वा मे समय चाहे जे लगय मुदा ई संग्रह विवश करैत छैक एक्कहि बेर में आद्योपांत पढ़वा हेतु। लेल।
'सरगमबोहनि करैत संग्रह 'बसंत'क बाद आचरण पर अबैत अछि। आचरण शीर्षक में बौआभाई जीवन के सारगर्भित आ सम्यक बनेबाक लुतुक लगबैत छथि जे ठीके अनुकरणीय लगैत अछि। ठीक तुरत बाद मिथिलाक पताका फहरबैत मिथिलाक मान-मर्यादाक गुणगान बेस सहज आ ह्रदयस्पर्शी शब्दक माध्यम सकरैत छथि। एही कविताक अंत में शुभेक्षा प्रेषित करैत सब के संगोर करैत आगू बढ़वाक कामना नीक लगैत छैक। समाजक प्रेरणामायमाय-बाप के बखराआबो चेतशीर्षक कविता में सूक्ष्म मानवीय संवेदना छलकैत अछि जे 'भाईके सह्रदय हेबाक सहजे प्रमाण देत अछि। अंग्रेजीक एकटा नमहर कवि एलिन गिन्सबर्ग कहैत छथिन जे कविता ओकरे नीक भसकैत अछि जे की अपने नीक व्यक्तित्वक मालिक हो। ई बात सहजहिं बौआभाई पर लागु होइत अछि। कुमार भैंसुरअफरल पेट,चाही हमरा ढौआ,मधुरगर टोनक्रमशः निजी जीवनक अनुभव आ दहेज सझमारल स्थितिक गप्प चोटगर रुपे सोझाँ अनैत अछि। संग्रह में जे हमरा सब सबेसी नीक लगैत अछि कविता ओ थिक "पाहून ठाढ़ दलान पर"। बेजोड़ लगैत अछि ई आ बेर-बेर पढ़वा लेल बाध्य करैत अछि। भेल एहन अवतार छलदुन्नु बापुत,नीक-बेजाए,अप्पन-आन,नेताजीकें हाल,केदैन पुछैयै,सत्ताकें शिकारकविताक सब में व्यंगात्मक शैली में कुव्यवस्था पर सोझेसोझ प्रहार करैत छथि। हम ऋणी छि आ पढ़खातिर में अप्पन ककहरा गुरुजन आ पिताक प्रति आभार व्यक्त करब कविक आभारी ह्रदय के परिचायक लगैत अछि। आई जखन की नेन्ना सब एक्को साल नहीं मोन रखैत छथि अप्पना गुरुजन के ताहि समय में अप्पन आदिगुरु सबहक प्रति आभारी रहब बेस नीक लगैत छैक। छी मानव अलबत्ते हमसमयक अश्रुपातश्रधांजलिक बाटे कखन संग्रह शेष भजाइत अछि बुझेबे नहीं करैत अछि। एकटा नीक आ सत्यानुभव आधारित संग्रह लिखिबाक लेल 'बौआभाईके बहुत बहुत धन्यवाद् आ शुभकामना।
एकटा बात जे हमरा बुझमें नहीं अबैत अछि जे कवि अप्पन परिचय में विवाहक कुंडली कियैक ददैत छथिन आ एही कुंडली-सम्प्रेषण के शिकार बौआभाई के संग्रह सेहो भेल छनि।
औखन ऐतबहि।
प्रतिक्रिया :
रुपेश त्योंथ : मनीष झा “बौआभाइ” केर नीक-बेजाए...गुंजनश्रीकें नीक आ बेजाए दुनू एक्के संग लगलनि. समीक्षा पढू आ फेर मोन भजाए तपोथी मंगाकपढू.
चंचल मिश्र :  पाहून अयला लेला मिठाईविदाई मैं लय गेला ढ़ेर पाई। 
मनीष झा “बौआभाइ : प्रिय गुंजन भाइजाहि उद्गारक संग हमर ई अदना आ हल्लुक सन-सन रचनाक संग्रहीत पोथी नीक-बेजाए” केर अपनें सहृदय स्वीकारल ओ समीक्षात्मक तथ्य आ तर्क स’ स्पष्ट भ’ रहल अछि कारण व्यस्ततम समयमे स’ एतबा समय निकालि एक-एक टा कविताक शीर्षकक नाओं केर उल्लेख करैत तदनुरूप अपन भावनात्मक मोइस स’ एहि मुखपोथी पर सार्वजनिक रूपे सोझा राखब अपनेक गूढ़ अध्ययन आ विशेष प्रतिभाक द्योतक अछि आह्लादित त’ छीहे आ आभारीओ ताहि स’ कम नैं !
अहाँके कवि-परिचयक जे अंश अखरल तकर अन्देशा हमरा अपनों छल मुदा ई गप्प अहाँ छोड़ि आइ धरि केओ नैं कहला वा नैं लिखला तैं अपनेकें पुनः साधुवाद ! देखाओंसक त्रुटि कही वा हमर अप्पन तर्क कही वा एकरा सार्वजनिक रूपे हमर अपरिपक्वता मानल जाए......खैरजे ! से ! आगाँ स’ एहिमे सुधारात्मक प्रयास सेहो हएत ततबा आश्वस्त करै छी.
एक नीक मित्र आ शुभचिंतकक दृष्टिकोणे अपनेंक लिखल एक-एक आखर हमरा नीक लागल मने बेजाए अंश सेहो नीक लागल कारण एहि सभस’ ज्ञानबोध होइ छै जेकि ककरो स’ ’ सकै छै ताहिमे अहाँ हमर हृदय जीतल. एक बेर पुनः धन्यवाद ! साधुवाद ! आभार ! मंगलकामना !

कल्पना झा :
★★★ अनुभूति ★★★

किछु पाँति नीक बेजाय सँ ....

चंचल मन छी समटि कें रखने
तँञ बुझा रहल छी अति गम्भीर
मूँह अछैते बौक बनल छी
बिनु गुज्जी कें कान बहीर
हमर व्यथा के आबि क पूछत
जे हम कियेक भेलहुँ निःशब्द.........

अद्भुत !!!!!
आभार मनीष झा " बौआभाई "
सरिपों बड्ड विशेषक रचल ,
मैथिली कविता संग्रह
" नीक -बेजाय
कखन हमर नैना भुटका सभ सियान भए गेलाह आ माँ मैथिली के
अलंकृत करय लगलाह सरिपों भाने नहि भेल ।


दिलीप कुमार झा 'नीक -बजायकवि छथि मनीष झा 'बौआ भाई25 गोट कविता एहि पोथी मे संग्रहित अछि।मानिषजी पहिलेससँ गीत लिख रहलाह अछि।हिनक ई पहिल संग्रह अछि।ई कहि सकैत छी ,हिनक मैथिली कविता मे प्रवेश भेल अछि।मैथिली केँ हिनका सँ बहुत उम्मीद छैक,साहित्य मे आ भाषा आंदोलन मे सेहो।कविता मे अनावश्यक तुकबंदी सँ बचथि से आग्रह।पहिल संग्रह मे खाँटी शब्दक प्रयोग प्रभावित केलक अछि। लिखैत रहु मानिषजी ।
October 21, 2017


अक्षय आनन्द सन्नी : नीकक यात्रामे बेजाए कतए
आश बहुत अछि बाँचल एखनहु
मैथिल मिथिला पूत सॅऽ
गरिमा नहि धूमिल होयत कहियो
एहि शांति किरण केर दूत सॅऽ
ठीकेजाधरि अहां सन सुच्चा मैथिल नीक-बेजाएक बहन्ने अपन मनोभाव मातृभाषामे परसति रहताह ताधरि अपन संस्कार-संस्कृतिक गरिमा मटियामेट नै हेतैक से आसे नै पूर्ण विश्वास अछि.
एहि बेरूक दिल्ली यात्राक पहिने दिन मैथिल कवि आ आत्मीय भाइ मनीष झा बौआभाइ सपरिवार सभेंटघांटक सुखदगर संयोग भेटल छल. ताहि क्रममे हुनक कविता संग्रह "नीक-बेजाए" सहित मोटरी भरि साहित्यिक सनेश सेहो भेटल छल. गाम अबितहिं सभ सपहिने नीक-बेजाए सअवगत भेलौ. नीकक एहि यात्रामे बेजाए तकतौ नै भेटल. मुदाएकटा रूचिगर कविता संग्रह अद्योपांत पढ़ि जरूर गेलौ. आब कहैमे कनियो असोकर्य नै जे सभ सुआदक लयबद्ध कविताक ई संग्रह मोन-मोहि लेलक. हमरा जनैत एहि पोथीमे जतबहि सहजता सबौआभाइ हास्य परोसने छथि ओतबहि नीक सओ गंभीर बात सभ राखैमे सेहो सफल भेला अछि. एकठ्ठे कही तएकदम कम दामक एहि पोथीकें एकबेर अवश्य धांगल जा सकैए.

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