वर्तमान
मे लोककला एवं संस्कृतिक प्रति चिंता ओ चिंतन स’ बेसी एहि पर क्रियान्वयन केर आवश्यकता छैक. ग्रामीण परिवेश जत’ स’ ई बाँचि सकैत अछि ठीक ओत्तहि एकर विपरीत बाहरी
अपसांस्कृतिक बसात स’ परिवेश दिनानुदिन दूषित भ’ रहल अछि. सोशल नेटवर्कक माध्यम स’ विकृत होइत
संस्कृतिकें सहजहि अकानल जा सकैत अछि. मनोरंजन कें रूपमे अधिकाधिक गाममे कोनो पूजा
वा अवसर विशेष पर एखन “ऑर्केस्ट्रा (भोजपुरी,हिन्दी गीत पर अश्लील नाच प्रदर्शन)” साधनकें
प्राथमिकताक संग स्वीकार्यता भेटि रहल छै, जे सांस्कृतिक
कैंसर कें रूपमे तीव्रता स’ अपन विस्तार क’ रहल अछि. ओ समय छल जहिया ऑर्केस्ट्राक मंच स’ बेसी-स’-बेसी गायक द्वारा गीत गाबिक’ सुनाओल जाइत छल,
मुदा एखन जाहि प्रकारक रंग रूपकें ऑर्केस्ट्रा कहिक’ प्रचारित कएल जा रहल अछि ताहि स्थितिकें कहियो थियेटर कें रूप मे जानल
जाइत छल. थियेटरक एहि दुष्प्रभाव स’ वंचित रखबा लेल साकांक्ष
अभिभावक अपन धिया-पुताकें दूर रखबाक प्रयास करैत छलाह. थियेटरक अस्सल परिचय तहिया
भेटल जहिया दिल्लीमे संगीत नाटक अकादमी (एन.एस.डी.) केर विभिन्न कार्यक्रम मे
अबरजात बढ़ल.
लोककला
एवं संस्कृति संरक्षण हेतु बहरबैया लोक किछु बेसिए साकांक्ष देखल जाइ छथि. कला एवं
संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा लोककला संरक्षण हेतु
विभिन्न योजनान्तर्गत एकर बढ़ाबा देल जाइत रहल अछि. सामाजिक-संस्कृतिक संस्था “अछिञ्जल” एवं मधुबनी जिलाक “नीलमणि
सांस्कृतिक परिषद मुक्ताकाश मंच, महादेव मठ, भटसिमरि” केर संयुक्त प्रयास ओ भारत सरकारक संस्कृति
मंत्रालयक सहयोग स’ भटसिमरि,मधुबनी मे तीन दिनक
राष्ट्रीय लोक उत्सवक आयोजन 27-29 मार्च 2017 धरि कएल गेल . एहि उत्सव मे
छ: टा राज्यक 27 टा प्रस्तुति दल, लगभग 360 कलाकार, देश भरिक 52 टा लोककलाक प्रस्तुति भेल. तीन दिनक अहि आयोजन मे लगभग 48
घंटाक प्रस्तुति भेल. एहि ऐतिहासिक आयोजनमे समाजक विभिन्न महत्त्वपूर्ण
व्यक्तित्वक उपस्थिति रहल. प्रथम दिवसीय कार्यक्रमक प्रारम्भ हेबा स’ पूर्व बिहार सरकार मे पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत द्वारा एकर विधिवत
उद्घाटन कएल गेल. मुख्य अतिथिक रूप मे मैथिलीक सुप्रसिद्ध नाटककार एवं लोककला
मर्मज्ञ महेन्द्र मलंगियाक संग विशिष्ट अतिथिक रूपमे बिहार सरकारक पूर्व मंत्री
रामलखन राम रमण केर गरिमामय उपस्थिति रहल.
पहिल दिन
२७ सितम्बर,२०१७ (बुधदिन) कार्यक्रमक विधिवत उद्घाटनक
पश्चात निम्न कार्यक्रमक प्रस्तुति भेल :
o वेद मंत्रोच्चारण
o आवाहन संगीत-रसनचौकी वादन, अछिञ्जल, मधुबनी
o पारम्परिक गीत नाद, गोबिन्द मिश्रा एवं समूह,
मधुबनी
o छऊ नृत्य, झारखंड
o डाक बचन, अजित झा एवं समूह, दिल्ली
o महाबली, लेखक सह निर्देशक -नरेंद्र बहादुर सिंह,
अंगराग, मध्य प्रदेश
o कबीरा गायन, अरुण सागर, सदगुरु
आरोग्य निदान संस्थान, बरहारा,मधुबनी
o मैथिली लोक व विद्यापति संगीत, विजय मिश्रा एवं समूह,
दिल्ली
o सलहेस नाच, जय कुमार यादव एवं समूह, बाबूबरही,मधुबनी
दोसर दिन
२८ सितम्बर,२०१७ (वृहस्पतिदिन) निम्न कार्यक्रमक
प्रस्तुति भेल :
o रसनचौकी वादन, महेन्द्र पासवान एवं समूह,मधुबनी
o कबीरपंथी गायन, पुण्यदेव पासवान एवं समूह, रतिकर, राजनगर,मधुबनी
o सलहेस गाथा गायन, रामनारायण राम, मधुबनी
o विद्यापति संगीत परम्परा, राधा मोहन मिश्रा एवं समूह,
मधुबनी
o जादू का खेल, जादूगर विनोद, हाजीपुर
o ललका पाग मैथिली एकल नाट्य प्रस्तुति, ज्योति झा,
जय जोहार फाउण्डेशन, पश्चिम बंगाल
तेसर आ
अंतिम दिन २९ सितम्बर,२०१७ (शुक्रदिन) निम्न कार्यक्रमक प्रस्तुति
कएल भेल :
o मैथिली एकल अभिनय “भोट”, काश्यप
कमल, भटसिमरि,मधुबनी
o हिन्दी नाटक महाभारत एक्सटेंशन, निर्देशक-इंद्रभूषण
रमण,इप्टा, मधुबनी
o लोक नृत्य जट जटिन, झिझिया, डोमकछ
नृत्य संरचना-प्रभात कुमार,मधुबनी
o लोक नाट्य चन्दनुआ, इंद्रवती नाट्य समिति, सीधी, मध्य प्रदेश
दोसर दिन
२८ सितम्बर,२०१७ (वृहस्पतिदिन) रुद्रपुर,मधुबनी मे सेहो समानांतर उत्सवक रूपमे निम्न कार्यक्रमक प्रस्तुति भेल :
o रसनचौकी वादन, महेन्द्र पासवान एवं समूह,मधुबनी
o कबीरपंथी गायन, पुण्यदेव पासवान एवं समूह, रतिकर, राजनगर,मधुबनी
o सलहेस गाथा गायन, रामनारायण राम, मधुबनी
o विद्यापति संगीत परम्परा, राधा मोहन मिश्रा एवं समूह,
मधुबनी
o जादू का खेल, जादूगर विनोद, हाजीपुर
o ललका पाग मैथिली एकल नाट्य प्रस्तुति, ज्योति झा,
जय जोहार फाउण्डेशन, पश्चिम बंगाल
o मैथिली एकल अभिनय “भोट”, काश्यप
कमल, भटसिमरि,मधुबनी
o हिन्दी नाटक महाभारत एक्सटेंशन, निर्देशक-इंद्रभूषण
रमण,इप्टा, मधुबनी
o लोक नृत्य जट जटिन, झिझिया, डोमकछ
नृत्य संरचना-प्रभात कुमार,मधुबनी
o लोक नाट्य चन्दनुआ, इंद्रवती नाट्य समिति, सीधी, मध्य प्रदेश
उपरोक्त
त्रिदिवसीय उत्सवक सफलताक सभस’ पहिल श्रेय
जाइत अछि ओहि स्थानीय समाजकें जे वर्तमानमे गाम-गाम प्रदूषित होइत वातावरणक मध्य
एहि प्रकारक आयोजनकें स्वीकार्यता प्रदान केलनि. इतिहास साक्ष्य रहल अछि जे समाजक
किछु छद्म तत्त्व द्वारा राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाक सिद्धि हेतु समाजमे वैमनस्यता
ओ फूटक जड़िमे हिन्दू-मुस्लिम, बाभन-सोल्हकन, दलित-सवर्ण आदिक बीया बौग क’ समय-समय पर ओकरा
विभिन्न साम्प्रदायिक ओ प्रान्तीय रंग दैत पटौनीकें काज करैत अछि. कार्यक्रमक रूप
रेखा पर ज’ ध्यान देल जाए त’ देखल जा
सकैत अछि जे सभ वर्गक अभिरुचिक ध्यान रखैत विभिन्न प्रस्तुति आयोजित कएल गेल छल.
o कारुख महाराय, ललित दास एवं समूह, खजौली,मधुबनी
o महाराय/ओढनी गायन, बौकू मलिक,मधुबनी
o मिथिरंग तरंग, मैथिल नारीक उमंग, निर्देशन-अभिषेक देवनारायण, नीलमणि सांस्कृतिक परिषद,
भटसिमरि,मधुबनी
o लोक नृत्य झिझिया, लोक कला कुम्भ, मधुबनी
o लोक नृत्य डांडिया, विक्रांत कुमार, मधुबनी
o कबीरा गायन, कबीर सेवा संस्थान, भटसिमरि, मधुबनी
o आल्हा गाथा गायन, राम नारायण यादव,मधुबनी
o मैथिली लोक गीत, सोनी झा एवं समूह, दिल्ली
o नाटक एकलव्य, निर्देशक-नीरज कुन्देर, इंद्रवती नाट्य समिति, सीधी, मध्य
प्रदेश
o आधुनिक मैथिली लोक गीत, लाल मिश्रा, दरभंगा
o बिदेसिया लोक नाट्य, प्रस्तुति –भिखारी ठाकुर रंगमण्डल प्रशिक्षण एवं शोध
केन्द्र, आरा
समाजक
एकहक व्यक्तिकें जहिया ई आत्मबोध भ’ जेतैक जे हमर की कर्तव्य आ अधिकार अछि, विकृतता त’
समूल नष्ट हेब्बे करतै संगहि भाषा ओ संस्कृति सेहो यथोचित
उर्ध्वमुखी होइत रहतैक.
एहि
कार्यक्रमक रूप रेखा आ क्रियान्वयन मे उक्त दुहू संस्था एवं समूहक जे योगदान अछि ओ
निश्चितरूप स’ स्तुत्य अछि आ ई कहबामे कनेको असोकर्ज नहि
होइछ जे ज’ लोककला प्रस्तुतिक जे विभिन्न रूप (वेरायटी) अछि
ताहि पर लोक अभिरुचिक अनुसारे ज’ संस्कृतिकर्मी लोकनि गंभीर
भ’ काज करथि त’ एक अंतिम उमेद एखनौं
बाँचल अछि अन्यथा निकट भविष्यमे अन्यान्य भाषा जेंका विलुप्त हेबा स’ केओ रोकि नहि सकत. समाजक जे वर्तमान मानसिक स्थिति अछि ओहिमे कोनो
संस्कृतिकर्मी हेतु ई बड्ड पैघ चुनौती अछि आ एहने सन चुनौतीकें स्वीकारैत एहि तरहक
कार्यक्रमक परिकल्पना हेतु रंगकर्मी काश्यप कमल, अभिषेक
देवनारायण,बजरंग मंडल,डॉ. भारती मेहता,नबोनाथ झा,यदुवीर यादव,अजीत झा
एवं हिनक समूहक एकहक सदस्य साधुवादक पात्र छथि.
प्रकाशित
मिथिला मिरर/अंक- दिसम्बर-२०१७
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