३०अगस्त
२०१७ (बुधदिन) श्रीराम सेन्टर,मंडी हाउस,दिल्लीमे “धूमकेतु” नामक रंगमंचीय संस्था केर प्रस्तुति एवं मैथिलीक सुपरिचित
कथाकार धूमकेतु रचित कथा संग्रह “उदयास्त” केर एक गोट चर्चित कथा “अगुरवान”क सफलतापूर्वक नाट्य मंचन कएल गेल. एहि कथाक नाट्य रूपांतरण
केलनि अछि रंगकर्मी जितेन्द्र कुमार झा ओ निर्देशन केलनि अछि राजीव कुमार मिश्र. राजीव कुमार मिश्र पेशा सं
साउंड इंजीनियरक संग-संग एक रंगकर्मी छथि, मिथिला पेंटिंगक नीक जानकार ओ शोधार्थी छथि (स्कोलरशिप प्राप्त) आ एहि सं
पूर्व मैथिली फिल्म “छूटत नहि प्रेमक रंग” केर सह-निर्माता एवं डीडी बिहार पर पूर्व-प्रसारित चर्चित मैथिली धारावाहिक “पाहुन” मे सह-निर्देशक
सेहो रहि चुकल छथि.
अगुरवान
कथा एक एहेन युवक (बंगट मिश्र-अमरजी राय) पर आधारित अछि जे आत्मसम्मानक संग जीवन
जीबाक अभिलाषी अछि,
स्वभाव सं निःश्छल मुदा अपन कुलक मर्यादा आ प्रतिष्ठा हेतु
सदिखन साकांक्ष रहैत अछि. माइअक मृत्यु उपरान्त अध-वयसू पिता कल्लर मिश्र (रमानाथ
झा) द्वारा एक एहेन नवयौवना कें सतमाय (श्रृष्टि आनंद) बना आनल जाइछ जे लगभग बंगटक
सम-वयसू रहैछ. द्वितीय विवाहक एक्कहि-डेढ़ मासक भीतर बंगटक पिता शरीर स’ लोथ भ’ असमर्थ भ’ जाइत छैक. पैरुख नहि रहलाक कारणें कोनो प्रकारे अर्थोपार्जन
हेतु विवशताक जिनगी जीबैत अछि. बंगट बेरोजगार भेल घुमैत-फिरैत आ लुच्चा-लफंगा सभक
संगतिमे रहि चोरि तक करैत अछि. चोरि क’ क’
अपन आ अपन परिवारक निमेरा करब ओकरा ओत्तेक आत्म-ग्लानि नहि
करबैछ जत्तेक कि ओकर सतमायकें जमींदार पाठक (राजीव रंजन)क हवेली पर जाएब अखरैत
छैक. हालांकि पाठकक कुकर्मी प्रवृतिक अनुचर दू गोट ग्रामीण (अजीत झा आ संजीव
कुमार) द्वारा गाम भरिमे सतमाय आ बंगटक बीच अनैतिक संबंध सनक मनगढ़ंत अफवाह
पसारबामे कोनो कोताही नहि कएल गेल छैक मुदा माए-बेटाक संबंध दुन्नू दिस स’ पवित्र छैक. बंगट अपन सभटा सुख-दुःखक बात साझा क’ मोन हल्लुक करबाक माध्यम गामक मास्टर साहेब (संतोष
कुमार)कें बनौने अछि. बंगटक परिवार दीनताक अंतिम पराकाष्ठा पर पहुँच गेल अछि आ
एहेन स्थितिमे घरमे पिता-पुत्र, पति-पत्नी ओ
माए-बेटा मध्य बेर-बेर कलह हएब स्वाभाविक सन भ’ गेल अछि. मास्टर साहेबक आज्ञानुसार बंगट शहर जाय किछु रोजगार मे संलग्न हेबाक
चेष्टा करैत अछि मुदा मोन नहि लगबाक कारणें एक्कहि-डेढ़ मासमे आपिस आबि जाइत अछि.
एम्हर घरक स्थिति अत्यधिक दयनीय हेबाक कारणें अन्न-पानि धरि आफद भ’ जाइत छैक आ से अवसरक लाभ उठबैत जमींदार द्वारा कल्लर
मिश्रकें विभिन्न प्रकारक प्रलोभन देइत ओकर पत्नीकें हवेलीमे आबि दुन्नू साँझक
भानस बनेबा लए आग्रह करैत छैक. बंगटक सतमायकें ओहि जमींदारक बहिकिरनी हेबाक
संग-संग अनैतिक सम्बन्धक सेहो पालन करब अनिवार्य सन भ’ गेल छैक आ परिणामस्वरूप ओकर सतमाय गर्भवती भ’ जाइछ. एक-डेढ़ मास पर घर आपसी भेला उत्तर जखन ओकर सतमाय द्वारा
स्वयं गर्भवती हेबाक बात स्वीकारल जाइछ त’ बंगट आक्रोशित भ’
कोदारि स’ दू-खण्ड करैत
ओकर हत्या क’
दैत अछि . बंगटक मानसिक स्थिति पर शोध करबा लेल मनोविज्ञान
केर प्रोफेसर कमलेश चौधरी (जितेन्द्र कुमार झा) मास्टर साहेब स’ सम्पर्क करै छथि आ उपरोक्त सभ घटना मास्टर साहेब द्वारा
हुनका अक्षरशः सुनाओल जाइत अछि.
एहि
नाटकक माध्यम स’
एक ब्राह्मण परिवारक दीनताकें देखाओल गेल अछि, बेमेल विवाह ओ शोषित नारीक दबल आवाज, छद्म पुरुषार्थक दंभ पर प्रहार, ओ तत्कालीन समाजक बीच एकटा नहि कएकटा राम-रहीमक पाखण्डकें
उजागर करैत लेखकक दूरदर्शिताक अनुमान लगाओल जा सकैत अछि.
नटराज
स्तुतिक संग प्रारम्भ भेल नाटक अंत धरि प्रेक्षककें मंच दिस टकटकी लगौने रहबा लेल
बाध्य करैत रहल. नाटकक विभिन्न पक्ष पर विश्लेषण केर आवश्यकता छैक जेकि रंगमंच ओ
नाटक विशेषज्ञ करथि से उपयुक्त हैत मुदा प्रेक्षकीय दृष्टिए नाटकक प्रस्तुति सफल
रहल. दिल्लीक विभिन्न संस्था मध्य वर्तमानमे युवा रंगकर्मीक रूपमे दर्शकक पहिल
पसीन अमरजी राय फेर स’
हृदय जितबामे सफल रहलाह. रमानाथ झा द्वारा चरित्रकें जीवंत
करैत जे इमानदारी स’
अभिनय कएल गेल अछि से निश्चित रूप स’ मंच पर हुनक सक्रिय उपस्थिति मंगैत अछि. एकमात्र महिला
पात्र सृष्टि आनंदक संवाद सीमित छल मुदा ततबेमे जे दम देखबामे आएल से भविष्यमे
मैथिली रंगमंच वास्ते एक नीक अभिनेत्रीक सम्भावना जगबैत अछि. राजीव रंजन मैथिली
मंच पर विभिन्न चरित्र निमाहबा लै तैयार छथि आ निरंतर प्रगतिक पर छथि. संतोष कुमार
मैथिली मंचक आब वरिष्ठ श्रेणीमे (वर्तमानक युवाक तुलनामे) प्रवेश क’ गेल छथि से स्वीकारबामे कोनो हर्ज नहि. जितेन्द्र झा, संजीव कुमार, अजीत झा आ पाठकक दू गोट सेवकक भूमिकामे अंकित ओ राहुलक उपस्थिति कथाक पूरक
मात्र कहक चाही. पार्श्व संगीत सांकेतिक मात्र छल जाहिमे किसलय कृष्णक लिखल गीतकें
सुमधुर स्वर देने छलाह देवानन्द झा एवं राजीव रंजन जकरा संगीतबद्ध केलनि दीपक
ठाकुर. नाटकक पार्श्व संगीत राजीव रंजनक छल. प्रकाश व्यवस्था छलनि संतोष राणा केर.
प्रकाश व्यवस्थाकें आर बढियाँ करबाक गुँजाइश छल. समूचा नाटकमे रतुके दृश्यक आभास
होइत रहल जखनकि मास्टर साहेब आ प्रोफेसर साहेबक मध्यक वार्तालापक बीच-बीचमे (फ़्लैश
बैकमे चलैत) कहानीक अधिकांश भाग दिनक छल. वस्त्र-सज्जा हेतु उपयुक्त सामग्रीक चयन
अमरजी राय द्वारा कएल गेल छल. रूप-सज्जा दीपक ठाकुरक छल. प्रोडक्शन तरूण झा, एसोसिएट निर्देशन संतोष कुमार, सहायक निर्देशन अजय शर्मा आ बैनर-पोस्टर एवं ब्रोशर डिजाइन
कएल छल संजीव कुमार बिट्टू केर. राजीव कुमार मिश्रक निर्देशन मे मंचित पहिल नाटक
अनेकानेक दृष्टिकोण स’
सफल रहल.
अगुरवान
नाटक मंचन स’
पूर्व नीलम कला केन्द्र द्वारा एक सम्मान समारोहक सेहो
आयोजन कएल गेल छल (पृथक रिपोर्ट) जाहिमे बॉलीवुडक स्थापित अभिनेता ओ मैथिल सपूत
नरेन्द्र झा,
विराटनगर स’ आएल सक्रिय ओ समर्पित मिथिला अभियानी प्रवीण नारायण चौधरी, मधुबनी स’ आएल धूमकेतुक
लेखक सुपुत्र अंशुमान सत्यकेतु, नीलम कैसेट केर
संस्थापक कृष्ण कुमार चौधरी एवं नीलम चौधरी, मुम्बइ फिल्म उद्योग जगतमे एड फिल्म्स फ्रीलान्सर ओ मैथिल सेनानी कुणाल ठाकुर, पटना स’ आएल डीडी बिहारक
निदेशक पी.एन.सिंह आदिक गरिमामय उपस्थिति ओ प्रशंसा सेहो नाटकक सफलताकें चिन्हित
केलक.
कामकाजी
दिवसमे भेल एहि आयोजनक सफलताक अंदाज अही बात स’ लगाओल जा सकैत अछि जे श्रीराम सेंटरक दूतल्ला प्रेक्षागृह प्रेक्षक स’ खचाखच भरल छल. किछु लोककें एखनहु नाटकक प्रेक्षक बनब सीखय
पड़तनि जेनाकि मोबाइलक स्विच ऑफ वा थरथरी मुद्रा (वाइव्रेशन मोड) मे राखथि, घाना पसारै बला छोट बेदराकें संग नहि आनथि वा ज’ आनथि त’ शांत भंग होइत
स्थितिमे हॉल स’
बाहर ल’ घुमा देथुन, थोपड़ी बजबथु (प्रसंग देखि) मुदा पिहकारी (सीटी) स’ परहेज राखथु आदि किछु तथ्य सभ छैक जेकि हॉल ओ नाटकक मर्यादा
छैक आ आनन्दो तखने भेटैत छैक जखन एकर पालन हम सभ मीलि करैत छी.
कला,साहित्य,संस्कृति,भाषा संरक्षण ओ संवर्धनक अनेकानेक गतिविधि मध्य वर्तमानमे
मैथिली नाटक सेहो बेस सराहनीय जोगदान द’ रहल अछि. भारतक राजधानी दिल्लीमे विभिन्न रंगमंचीय संस्था द्वारा समय-समय पर
मैथिली नाटकक मंचन होइत रहला सं मैथिली भाषी लोकनिक निरंतर जागरूकता बनल रहब
स्वाभाविक अछि. दिल्लीमे कला मंडीक रूपमे प्रसिद्ध केन्द्र मंडी हाउस सेहो आब
अन्यान्य भाषा मध्य मैथिलीक विभिन्न नाटकक प्रदर्शन, भारत रंग महोत्सवमे मैथिली नाटकक मंचन सन किछु श्रेयस्कर काज एक ऐतिहासिक
साक्ष्यक रूपमे सोझा ठाढ़ अछि जकर श्रेय निःसंदेह मैलोरंग,प्रकाश झा आ हुनक टीमकें जाइत छनि. बाट बनि गेल छैक आवश्यकता
छैक दृष्टिवान पथिककें.
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