विश्व
मातृभाषा दिवस २१ फरवरी २०१७ क’ समूचा विश्वक
भाषाभाषी लोकनि द्वारा अपन-अपन मातृभाषाकें ल’ क’
ठाम-ठाम आयोजन कएल गेल. एहि सुअवसर पर मैथिली भाषानुरागी
द्वारा सेहो कएक ठाम बढि-चढ़ि क’ आयोजन कएल गेल.
राजेन्द्र भवन,दिल्लीमे मैथिली साहित्य महासभा द्वारा एहि आयोजनमे वरिष्ठ
साहित्यकार लोकनिक उपस्थिति बेस ज्ञानवर्धक रहल. एहि बेर संस्था द्वारा वक्तव्य
हेतु राखल गेल निर्धारित विषय छल-“मिथिलाक सांस्कृतिक परम्परामे लोक देवी-देवता”. कार्यक्रमक मध्यमे कवि गोष्ठी एवं मैथिली संगीतकें सेहो प्रमुखता स’ राखल गेल छल.
नवोदित
गायिका स्नेहा झा (१२ वर्ष) द्वारा गाओल गेल गोसओनिक गीत “जय-जय भैरवि” स’
प्रारम्भ भेल एहि कार्यक्रममे उक्त विषय पर उपस्थित
साहित्यकारमे रामचन्द्र मिश्र “मधुकर”, डॉ. उदय नारायण सिंह “नचिकेता”,
मृदुला प्रधान आ डॉ. चन्द्रशेखर पासवान आदि मिथिलाक विभिन्न
लोक देवी ओ देवता पर अपन-अपन फरिछाएल दृष्टिकोण रखलनि. स्वागताध्यक्ष छलाह मंथन
आइ.ए.एस. कोचिंग केर संरक्षक संस्थापक डॉ. पूर्णेंदु शेखर झा आ एहि कार्यक्रमक
अध्यक्षता केलनि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उमाकान्त झा. मंच पर अखिल भारतीय मिथिला
संघ केर अध्यक्ष विजय चन्द्र झा सेहो अपन वक्तव्य रखलनि.
एहि अवसर
पर मैथिली भोजपुरी अकादमीक उपाध्यक्ष संजॉय सिंह से उपस्थित छलाह।कार्यक्रममे
संस्था द्वारा प्रकाशित स्मारिकाक विमोचन, ऑफिशियल वेबसाइट केर लोकार्पण एवं चिकना गामक इतिहास ओ वंशावली नामक पोथिक
सेहो लोकार्पण भेल. साहित्यकार लोकनिक वक्तव्य मध्य मंच सञ्चालन केलनि संजय झा
नागदह,
काव्य प्रस्तुति मध्य कवियित्री कुमारी शुभांगिनी चौधरी आ
सांस्कृतिक कार्यक्रमक सञ्चालन केलनि प्रसिद्ध उद्घोषक राधे भाई.
एहि
सुन्नर सन आयोजनमे नितीश कर्ण,महेश डखरामी,विमलेन्दु सागर,मृदुला प्रधान,रामचन्द्र मिश्र मधुकर,कुमारी शुभांगिनी चौधरी,विजया भारती आदि
स्वरचित काव्य पाठ केलनि.
मैथिली
गीत-संगीतमे कुञ्ज बिहारी मिश्रक गाओल जय-जय भैरवि पर कत्थक नृत्य केलनि हृदेव राय, अंजना आर्या द्वारा हम नहि शिव संग धिया वियाहब/हम छी
मिथिलाक वासी हमरा गुमान भ’
गेलै, विकाश झा द्वारा
हम छी मैथिली हमर शान मिथिला/हम नैं जेबै ओ गली बदनाम छै (सियाराम झा सरस रचित),विजया भारती द्वारा पिया मोरा बालक/गाम नगर बस्ती बजार
फागुनमे/तोरा स’
प्यार छै /हे सैंया तोरे बैंया पडै छी/छरारारारा रंग डारे
गुललबा छरारारारा रंग डारे/समदाउन-पीपरक बाट स’ हो बाबा,स्नेहा झा द्वारा-गे माई चन्द्रमुखी सन गौरी हमर छथि आ
अंतमे पंडित रामकृपाल त्रिपाठी रचित संजय झा नागदह एवं आनन्द मोहन झाक जुगलबंदीमे
गाओल गेल संस्कृत गानक संग कार्यक्रमक समापन भेल.
कार्यक्रम
प्रारम्भ स’
समापन धरि दर्शक दीर्घाकें आनंदित करैत रहल आ उपस्थित
साहित्य आ संस्कृति प्रेमी लोकनिकें थाम्हि रखबामे सक्षम भेल.