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Monday, August 17, 2015

मैथिली-भोजपुरी अकादमी कवि सम्मलेन

रविदिन, 16 अगस्त, संध्या ५ बजे स’ स्वतन्त्रता दिवसक उपलक्ष्य मे कला,संस्कृति एवं भाषा विभाग, दिल्ली सरकारक तत्त्वाधान मे मैथिली-भोजपुरी साहित्य अकादमी, दिल्ली द्वारा आइ.टी.ओ. स्थित आइ.सी.सी.आर. आज़ाद भवन केर सभागार मे कवि सम्मलेनक आयोजन कएल गेल. कार्यक्रम मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय ओ कला एवं संस्कृति विभाग दिल्ली सरकारक मंत्री कपिल मिश्राक करकमल स’ दीप प्रज्ज्वलनक संग राष्ट्रगान स’ प्रारम्भ भेल.

राष्ट्रगानक पश्चात भोजपुरी मे देशभक्ति गीतक सामूहिक प्रस्तुति सेहो कएल गेल आ चटपट मे कार्यक्रम कें आगाँ बढ़ेबाक घोषणा क’ देल गेल मुदा दर्शक दीर्घा मे बैसल मोंटामोंटी २० प्रतिशत मैथिल श्रोताक एक आवाज जे हमरा लोकनिक गोसाओंनिक गीत “जय जय भैरवि” केर सेहो प्रस्तुति हेबाक चाही आ एहि बात कें अकादमीक सचिव राजेश सचदेवा ई कहि टारबाक चेष्टा केलनि जे बाद मे प्रस्तुत कएल जाएत मुदा खाँटी मैथिल दर्शक आ मिथिला अभियानी लोकनिक हस्तक्षेप स’ ई प्रस्तुति संभव भेल अन्यथा अन्ठेबाक प्रयास छल.

अकादमीक पदाधिकारी लोकनिक दूनेती केर कतेको साक्ष्य समय समय पर देखार भ’ चुकल अछि आ तकरे पुनरावृति आजुक दिन सेहो सार्वजनिक रूपे सोझा आएल आ एहि बेर ई जिम्मा लेलनि अकादमीक नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष कुमार संजॉय सिंह. हुनका मैथिली प्रस्तुति केर वास्ते उठल सामूहिक स्वर कने बेसी अखैर गेलनि आ भावुकतावश बजाइओ गेलनि जे हमरा ई अप्रिय लागल. भाषाई विस्तार के चौहद्दी सेहो गनौलनि मुदा मैथिलीक अस्मिता के संगे अंगिका, बज्जिका आ मगही केर कौआ-मैना बला कूड़ी मे बाँटिक’........ खैर हमरा लोकनिक भाषा प्रतिनिधि सेहो नगण्ये जेंकां छथि, ज’ गोट-आध हेबो करता त’ ओ अपन खानापूर्ति क’ क’ निमहि रहलाह अछि आ कहुना भोजपुरिये बहन्ने मैथिलियो घुसकल जा रहल अछि आ ज’ से नैं त’ “जय जय भैरवि”क महत्त्व अकादमीक एक-एक पदाधिकारीकें बुझल रहितनि आ मंच संचालन मे भोजपुरी के संग-संग मैथिलीक सहभागिता सेहो रहबाक चाही.

ओना मंच संचालक भोजपुरीक प्रसिद्ध कवि गुरचरण सिंह अपन प्रस्तुति मे कोनो कोताही नैं केलनि मुदा पाइन-बुन्नी में भागैत-भीजैत एकत्रित भेल भाखाप्रेमी के रसास्वादन मे कने कोताही त’ जरूरे भेलै.

रोष-आक्रोश-भाषण-वक्तव्यादिक पश्चात कवि सम्मलेनक सत्र प्रारम्भ भेल आ एक भोजपुरी के बाद एक मैथिलीक क्रम मे अपन कविता पाठ केलनि चन्द्रशेखर मिश्र (भोजपुरी), रमण कुमार (मैथिली), गोरख प्रसाद “मस्ताना” (भोजपुरी), योगानन्द हीरा (मैथिली), डॉ. जौहर शाफ़ियावादी (भोजपुरी), रविन्द्र नाथ ठाकुर (मैथिली), अलख अनाड़ी (भोजपुरी), गुरचरण सिंह (भोजपुरी) आ अंत में गंगेश गुंजन (मैथिली). तीन गोट आमंत्रित कवि केर अनुपस्थिति रहल जेना कि : जंग बहादुर सिंह (मैथिली), सुष्मिता पाठक (मैथिली) आ सुभद्रा वीरेन (भोजपुरी). एहि तीन गोट अदृश्य कवि केर बात ज’ छोड़ि देल जाए त’ मंचस्थ नौ गोट कवि लोकनिक उमेर ४०-४५ बर्ख स’ ल’ क’ अस्सी बर्ख धरि छल मने एहि विधा के पारंगत लोकनिक समागम छल. भोजपुरी कवि सभ त’ वास्तव में पारंगत बुझना गेला कारण कविताक पाँति के प्रस्तुति गेय रूप मे सोझा राखि बेर बेर थोपड़ी बजेबा लेल बाध्य करैत छला मुदा मैथिली कवि लोकनिक रचना मार्मिक, साहित्यिक आ लौकिक विषय स’ सम्बंधित रहितो मुक्त छन्दक बाट धेने कने निरस प्रभाव बनौने जा रहल छल जकरा सोझ बाट पर अनलनि मैथिलीक चर्चित कवि/गीतकार रविन्द्र नाथ ठाकुर.

गंगेश गुंजन कविता पाठ स’ पूर्व “जय जय भैरवि”क महत्त्व स’ पदाधिकारी आ श्रोता के अवगत करौलनि आ संगहि अकादमी स’ आग्रह केलनि जे नव-नव कविकें सेहो मंच स’ जोड़ल जाय जाहि स’ एके व्यक्ति के बेर-बेर अवसर देला स’ बाँकी प्रतिभा वंचित नैं रहि जाए आ संगहि अकादमीक संगठन मे सुधारात्मक प्रयास सेहो कएल जाए जाहि स’ भविष्य में मैथिली आ भोजपुरी भाषा-भाषी केर मध्य सौहार्दता बनल रहए. सचिवक धन्यवाद ज्ञापनक संग कार्यक्रम संपन्न भेल.

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