मलंगिया
आर्ट्स प्रा. लि. द्वारा प्रकाशित कला, साहित्य,
संस्कृति एवं विचारक त्रैमासिक पत्रिका "मैथिली
लोकमंच"क सम्पादक ऋषि कुमार झा”मलंगिया”
जी सँ’ टटका अंक
(अक्टूबर-दिसम्बर,२०१४) हस्तगत प्राप्त भेल । जिज्ञासावश हब्बर-हब्बर समूचा
पत्रिका अइ पार सँ’
ओइ पार धरि उन्टा क’ पढ़ब प्रारम्भ केलौं । मधुबनी पेंटिंग सँ’ सजाओल आवरण सज्जा उत्कृष्ट । सम्पादकीय “सुकरातसँ’
मोदी धरि” स्वच्छ भारतक
सपना पर प्रासंगिक लागल ।
महेन्द्र
मलंगिया लिखित आठ पन्नाक “
डाक,घाघ आ भड्डरीक दर्पणमे” कृषि,
लोक रहस्य, लोक धारणा, लोक व्यवहार, स्वास्थ्य,
मौसम, तंत्र-मंत्र, ज्योतिष आदि सँ’ सम्बंधित आलेख ज्ञानवर्धक लागल जेकि कोनो शोधार्थी वास्ते सेहो संग्रहणीय अछि
। रमेश रंजन लिखित “गाथा आ नाचक आलोकमे सलहेश”, कमल मोहन चुन्नू लिखित “पत्र-परम्पराक
पटाक्षेप”
, डॉ. महेन्द्र नारायण राम लिखित “मेहतर जातिक इतिहास आ जन जीवन”, भीमनाथ झा लिखित “ लोकवृत्त आ लिखित साहित्य”, पंचानन मिश्र
लिखित “
पियाजीकें मैया बड़ कठोर दरद नहि बूझय रे”, डॉ. अयूब राइन लिखित “कोसी क्षेत्रक किसानक समस्या : एक अध्ययन”, डॉ. शेफालिका वर्मा लिखित “हमर भाषा मैथिली”, अरुणाभ सौरभ लिखित “लोक देवता कारु खिरहरिक व्यक्तित्वक अध्ययन” किसलय कृष्ण लिखित “
सांस्कृतिक अतिक्रमणक शिकार होइत मिथिला” ललित नारायण झा लिखित “मिथिला विकासक लेल लकवाग्रस्त सोचक त्यजन जरूरी”, गोपेश कुमार चौधरी लिखित “हमरा झाँखी नहि
चाही”
विभाकर झा लिखित “नारीक अनंत पीड़ा”,
ऋषि मलंगिया संकलित हास्यकथा “गोनू झा आ बसुआ”, लोककथा “खिच्चड़ि”, कवि रमेश रचित
कविता द्वय “उत्थान-पतन-नियमक प्रक्रिया” आ “स्वतंत्रता”, एस. के. विद्रोही रचित दहेज़ प्रथा पर कसगर चोट “बाप नहि,
बरदबेच्चा छी” आदि एक स’
एक अद्भुत संकलनकें एक गोट पत्रिकामे पाबि आह्लादित भेलौं ।
एहि
पत्रिकामे मूर्धन्य कवि/कथाकार/रचनाकार/साहित्यकार लोकनिक मध्य हमर स्वरचित एक गोट
कविता “आबो चेत” हमरा अहाँ समाजक
मध्यकें किछु हराशंख मनुक्खक (जेकि कन्या भ्रूण हत्या आ नारी संग व्यभिचार सनक)
किरदानीक कारणें सम्पूर्ण पुरुख जातिकें शर्मसार केने अछि पर आधारित अछि, कें यथोचित स्थान पाबि कृतार्थ भेलौं । ई पत्रिका अपन
गुणात्मक स्तरकें निमाहि राख’मे सक्षम रहए आ
अपन उद्देश्यपूर्तिमे सफल होए ताहि शुभकामनाक संग...........
शुभेच्छुक
: मनीष झा “बौआभाइ”
No comments:
Post a Comment