भारतक
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मैथिली कला आ संस्कृति के झंडा गाड़बा' में मैथिली लोक रंग (मैलोरंग) केर योगदान सतत अविस्मरणीय
रहत। ज्ञात हो कि मैथिलीक महान नाटककार
श्री महेंद्र मलंगिया लिखित पाँच गोट नाटकक प्रस्तुति पाँच भिन्न-भिन्न रंगकर्मी
संस्था द्वारा करेबाक वास्ते मैलोरंग दृढसंकल्पित छल एहि आयोजन के नाम राखल गेल
मलंगिया नाट्य महोत्सव आ एहि में स्थानीय रंगमंडल मैलोरंग आ मिथिलांगन समेत सहरसा
स'
पंचकोसी, जनकपुर (नेपाल)
स'
मिथिला नाट्य कला परिषद (मिनाप) आ कोलकाता स' मिथिला विकास परिषद के सहभागिता निश्चितरूपे एहि विशाल
महोत्सव के सफल बनेबा में अभूतपूर्व योगदान देलक। अर्थोपार्जन में व्यस्त रहैत
दिल्ली सन व्यस्त शहर में जहिना रंगकर्मी लोकनि समय समय पर एहेन आयोजन करैत छथि त' ई बुझू जे भाषा आ नाटक प्रेमी दर्शकक सिनेह के सेहो
नजरअंदाज़ नहि कैल जा सकैत अछि। किछु एहने सन अनुभव एहि महोत्सव में सेहो देखबा
में आयल।
26 दिसम्बर क'
एहि महोत्सवक शुभारम्भ विशिष्ठ अतिथि पद्म विभूषण निरंजन
गोस्वामी जीक करकमल स'
मलंगिया जी कें प्रदान कैल गेल "ज्योतिरीश्वर सम्मान" स' प्रारंभ भेल। एहि
महोत्सवक शुरुआत महेंद्र मलंगिया, देवशंकर नवीन,
विद्यानंद ठाकुर, मोहन भारद्वाज आ पंचानन मिश्र दीप प्रज्वलन क' केलथि। एहि अवसर पर महेंद्र मलंगिया लिखित नाटकक संग्रह "महेंद्र मलंगियाक सात नाटक" किताबक
लोकार्पण सेहो भेल। एहि किताब के 'मैलोरंग प्रकाशन'
प्रकाशित केलक अछि जकरा सम्पादित केलनि अछि मैलोरंगक निदेशक
प्रकाश झा। ई पुस्तक छात्रोपयोगी हेबाक कारणे विभिन्न विश्विद्यालय मे पठेबाक
विचार सेहो कयल गेल। उपर्युक्त सम्मान के बाद प्रारंभ भेल महोत्सवक पहिल नाटक
पंचकोसी कोसी,सहरसाक प्रस्तुति।
पहिल दिन-अलख जगओलक 'गाम नै सुतैइयै'
मलंगिया
नाट्य महोत्सवक सफल आयोजन हेतु आयोजन समिति (मैलोरंगक) कार्यकर्ता लोकनि सुचारू
रूप सं कार्यक्रमक संचालन हेतु अपस्यांत देखबा मे अयलाह. दिल्लीक शीतलहरीक बिनु
कोनो परवाह केने आ यत्र-तत्र बाट जाम कें फनैत मैथिली भाषा आ संस्कृति प्रेमी
अर्थात दिल्ली मे रहनिहार नाटक प्रेमीक महीनो पूर्वक नियार आइ सार्थक होइत देखबा
मे आयल। प्रेक्षकक उपस्थिति सं प्रेक्षागृह मे बजैत थोपड़ी भाषानुरागी मैथिलक
पहिचान करब'
मे कतहु नहि चूकल। विधिवत उदघाटन समारोहक पश्चात आजुक नाटक 'गाम नै सुतैइयै' केर संग श्री गणेश भेल।
एहि
नाटकक मंचन केर जिम्मा लेने छलाह 'पंचकोसी (सहरसा)'
रंगमंडल केर रंगकर्मी लोकनि जकर निर्देशन केने छलाह युवा
निर्देशक उत्पल झा। मात्र जिम्मेटा नहि अपितु एकरा समस्त कलाकार लोकनि अपन-अपन
चरित्र कें बेस इमानदारीपूर्वक निर्वाह करैत जे प्रस्तुति देलनि ओ कहबा जोग नहि
बल्कि देखबा जोग छल। एहि नाटकक कथा गामक किछु असामाजिक तत्त्व के धेआन में रखैत
लिखल गेल अछि जाहि मे ई प्रतीत होइत छल जे राजनीतिज्ञ व्यक्ति लोकनि कोन रूपे गामक
बेरोजगार युवकक प्रयोग अपन नीजी स्वार्थ सिद्धि के वास्ते करैत छथि। चोरी-डकैती,हत्या, बलात्कार में
लिप्त युवकक संग एहि मे पुलिस आ बाहुबलीक सेहो भूमिका होइत अछि। नाटक "गाम
नहि सुतैइए" शब्द के सार्थकता त' तखन देखबा में अबैत अछि जखन कि सगरो गामक लोक युवक लोकनिक एहि क्रियाकलाप सब स' अशान्त रहैत अछि आ एहि कुकृत्य सभक विचार-विमर्श के अड्डा
गामक चाहक दोकान अछि। निर्देशक उत्पल झा प्रायः बहुतो भाषा मे माने करीब तीसटा
बेसी नाटकक निर्देशन क'
चुकल छथि आ जखन हुनक अनुभव केर सम्बन्ध मे पूछल गेल त' कहलनि जे हम प्रायः अंग्रेजी, हिन्दी,
असमिया आदि भाषा मे निर्देशन केलहुं अछि मुदा जे आनंद अप्पन
मैथिली मे भेटैत अछि ओ आन भाषा मे कत' पाबी।
एहि नाटक
कें सफल बनेबा मे जाहि कलाकार लोकनिक अमूल्य योगदान अछि हुनक नाम अछि—अमित कुमार, मो.शहंशाह,
मिथुन कुमार, श्याम किशोर कामत,
नितिन कुमार पोद्दार, विकास भारती,
मनीष कुमार पाठक, सोनू कुमार,
अभय कुमार मनोज, संतोष कुमार मिश्र,
श्वेता कुमारी, ऋषभ कुमार,
सुबोध कुमार पोद्दार, आदित्य आनंद,
अजय कुमार, राम कुमार, रूपम श्री आ खुशबू कुमारी। मंच संचालनक जिम्मा सम्हारने
छलाह स्वयं मैलोरंगक निदेशक प्रकाश झा। देवशंकर 'नवीन'
जी आजुक नाटकक निर्देशक उत्पल झा कें मैलोरंगक प्रतीक चिन्ह
आ पुष्पगुच्छ दए सम्मानित केलनि आ सहयोगी कलाकार लोकनि के प्रशस्ति प्रमाण पत्र
देल गेल। प्रथम दिनक आयोजन निश्चित रूपे
सफल रहल। पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक दोसर दिन माने 27 दिसंबर 2012 केर सांझ 6 बजे सं श्रीराम सेंटर, मण्डी हाउस,
नव दिल्ली मे स्थानीय संस्था मिथिलांगन द्वारा संजय चौधरी
केर निर्देशन मे महेंद्र मलंगिया लिखित
नाटक 'छुतहा घैल' केर मंचन केर
घोषणा।
दोसर दिन-धोलक मोनक मैल 'छुतहा घैल'
मलंगिया
नाट्य महोत्सवक दोसर दिन माने 27 दिसंबर 2012 केर सांझ 6:30 बजे सं श्रीराम सेंटर,
मण्डी हाउस, नव दिल्ली मे नाटक 'छुतहा घैल' केर मंचन
सफलतापूर्वक संपन्न भेल। स्त्री विमर्श पर आधारित एहि नाटकक माध्यमें ई जनाओल गेल
अछि जे समाज मे स्त्रीक अहम भूमिका रहितो ओ मात्र भोगक वस्तु बनल अछि। नाटकक मुख्य
पात्र मे मिथिलाक लोककथा मे अतुल्य बुद्धिक बखारी कहबै बला गोनू झा कें राखि हुनक
बुद्धिमताक प्रमाण देइत महेन्द्र मलंगिया ई साबित केलनि अछि जे स्त्री अपन अधिकार
लेबा सं'
सेहो वंचित छथि, तैं गोनू झा हुनका सोझ बाट सं भुतला क' ओहि बाट पर ल'
गेलनि जत' स्त्रीक अपन
वास्तविक अधिकारक आभास भेलनि आ संगहि ई मूल मंत्र सेहो देलथिन जे नारी अपन
मर्यादाक निर्वाह करैत अड़ब, लड़ब आ मरब सन
बाट पर जं चलय त'
ओकरो स्वतंत्र श्वास लेबाक अधिकार छैक। अभिनेता लोकनिक बीचक
सटीक वार्तालाप एहि बात कें प्रमाणित करैत छल जे कलाकार लोकनि कतेक समर्पित भ' पूर्वाभ्यास केने छलाह आ संजय चौधरीक निर्देशन कतेक प्रभावी
छल। उक्त विषय पर आधारित एहि नाटकक मंचीय प्रस्तुति करैत जे कार्य मिथिलांगन केलक
अछि ताहि लेल समस्त मिथिलांगनक रंगकर्मी लोकनि सराहना, प्रशंसा आ बधाइ केर पात्र छथि। प्रेक्षागृह अंत धरि खचाखच
भरल रहल।
नाटकक
एक-एक दृश्य,
एक-एक समाद ततेक रोचक छल जे उपस्थित दर्शक लोकनि कें
बेर-बेर थोपड़ी बजब'
लेल बाध्य करैत छल। नाटकक बीच -बीच मे नट (भास्कर झा) आ नटी
(कल्पना मिश्रा) द्वारा हास्य, व्यंग्य आ करुण
वाद-संवाद नाटकक रोचकता मे आओर बेसी तालमेल बनौलक. नाटक बहुत नीक लिखल छल जाहि मे
किछु आधुनिक तकनीकक समावेश यथा-मोबाइल, लैपटॉप आदिक प्रयोग नाटकक मौलिक उपकरण प्रतीत होइत छल आ संवाद में दिल्ली में
दामिनीक संग भेल सामूहिक बलात्कार पर घटित घटना के सेहो जोड़ैत जेना कि-नारी भोगी
के लेल मौसक लोथड़ा,जोगीक लेल पापक खान,कवि के लेल फूलक पंखुड़ी आ स्वामिक लेल वन्शवृद्धिक मशीन आ ताहू स' मोन नै भरै त'................बस में ल' जा क' सामूहिक बलात्कार क' लिय'.........
नटी द्वारा प्रस्तुत ई संवाद त' जेना दर्शक के एक क्षण के लेल सन्न क' देलक।
एहि नाटक
कें सफल बनेबा मे अपन अभूतपूर्व योगदान देलनि अछि मैथिली मंच आ फिल्मक जानल-मानल
वरिष्ठ अभिनेता शुभ नारायण झा, भास्कर झा, कल्पना मिश्रा, राजेश कर्ण,
मुकेश दत्त, आशुतोष प्रतिहस्त,
अनिल दास, विजय कर्ण, सुबोध साहा, रोहित झा,
सायरा अली, संजीव बिट्टू, गोविन्द राय, पूजा श्री,
अंजली झा, केशव झा, मास्टर अनुज कर्ण, भव्य दास,
चैतन्य मल्लिक, आयुष,
मृत्युंजय, अखिल विनय आदि।
पार्श्व संगीत-सुन्दरम आ स्वर-सुन्दरम एवं रूपम मिश्रक छलनि।
पंचदिवसीय
मलंगिया नाट्य महोत्सवक तेसर दिन माने 28 दिसंबर 2012 केर सांझ 6:30 बजे सं श्रीराम सेंटर,
मण्डी हाउस, नव दिल्ली मे संस्था मिथिला नाट्यकला परिषद, जनकपुर द्वारा रमेश रंजन केर निर्देशन मे महेंद्र मलंगिया लिखित नाटक 'ओकरा अंगनाक बारहमासा ' केर मंचन केर घोषणा आ एहि अवसर पर विशिष्ट अतिथिक रूप मे नेपालक वर्तमान
राष्ट्रपति महामहिम डॉ. राम वरण यादवक
उपस्थितिक सूचना।
तेसर दिन-नाटक हिट, हिट मैथिली भाषा, 'ओकरा आंगनक बारहमासा'
मैलोरंग
द्वारा आयोजित पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक तेसर दिन माने 28 दिसंबर 2012 केर सांझ 6:30 बजे सं श्रीराम सेंटर, मण्डी हाउस,
नव दिल्ली मे संस्था मिथिला नाट्यकला परिषद, जनकपुर (नेपाल) द्वारा रमेश रंजन केर निर्देशन मे महेंद्र
मलंगिया लिखित नाटक 'ओकरा आँगनक बारहमासा' केर सफलतापूर्वक मंचन कयल गेल आ एहि अवसर पर विशिष्ट अतिथिक रूप मे नेपालक
वर्तमान राष्ट्रपति महामहिम डॉ. राम वरण यादव अपन उपस्थिती द' कलाकार लोकनिक उत्साहवर्धन केलनि। मैथिलीक सुपरिचित
साहित्यकार देव शंकर 'नवीन' मंच संचालित
करैत राष्ट्रपति जीक स्वागत केलनि आ हुनक मंच पर पदार्पण केर उपरान्त सर्वप्रथम
गोसाओनिक गीत 'जय-जय भैरवि' मैथिलीक सुप्रसिद्ध गीतगाइन रश्मी रानीक स्वर मे कर्णप्रिय वातावरण बनौलक।
राष्ट्रपति अपन अभिभाषण कें ठेंठ मैथिली मे निरंतरता देइत मिथिलाक संस्कृति आ कलाक
बखान कर'
मे कतहु कोनो कोताही नहि केलाह संगहि ओहि दिनक स्मरण सेहो
केलनि जाहि दिन मे अपने जनकपुर मे एक चिकित्सक छलाह आ मलंगिया शिक्षकक संग-संग एक
प्रख्यात नाटककार सेहो। राष्ट्रपतिक यथोचित सम्मान केर उपरान्त नाटक अपन नियत समय
स'
प्रारंभ भेल।
नाटकक
नामहि सं कथा स्पष्ट अछि 'ओकरा आँगनक बारहमासा', ककरा आँगनक बारहमासा?
ओहि दलितक आँगनक बारहमासा जकरा बारहो मास (अगहन स' ल'
क'
कातिक धरि) आर्थिक विपन्नता अपन कुचक्र मे ओझरा के नहि त' जीब'
देमय चाहय छै आ ने मरबा लेल बाट छोड़ै छै। ताहि पर सं गामक
धनाढ्य मालिक सभक कर्जा आ सुइद, असाध्य बीमारी, बेरोजगारी आदि तिल-तिल क' मरबा लेल बाध्य क'
देइत छैक। नाटकक मुख्य पात्र मल्लर (राम नारायण ठाकुर) जे
घरक मुखिया आ अपने दम्मा सन गंभीर बीमारीक शिकार सेहो रहैत अछि, अर्थाभाव आ इलाज़क अभाव मे अपन प्राण तजि देइत अछि, मरबा कालक अंतिम इच्छा जतौने छल एक मुट्ठी भात आ कने छौंकल
दालि खेबाक जे खेना कतेको मास भ' गेल रहैक, नै पूरा भेलैक। मरलाक उपरान्तो जमीन,लकड़ी आ कफ़नक अभाव मे ओकरा मुंह मे आगि मात्रक बाती लगा क' नहरि में भंसिया देल गेलैक। नाटककार मलंगिया कें एहि लेखन
मे सामाजिक असमानता स्पष्ट रूप स' देखल जा सकैत
अछि जे केयो खाइत-खाइत अपस्यांत रहइए आ ककरो मरला उपरान्त कफ़नो नसीब नहि होइत
छैक। नाटकक एक-एक क्षण एतेक मार्मिक आ सत्य प्रतीत होइत छल जे समस्त प्रेक्षक
लोकनिक आँखि नोरायल सन लगैत छल।
मैथिली
भाषाक कला आ संस्कृतिक अस्मिता कें बरक़रार रखबा मे मिथिला नाट्य कला परिषद, जनकपुरक योगदान सतत अविस्मरणीय रहत आ एहि सुन्दर सन
प्रस्तुति मे रमेश रंजन केर निर्देशन मे जे कलाकार लोकनि अपन समर्पित मंचोपस्थिती
देलनि अछि हुनक नाम अछि- राम नारायण ठाकुर, रवीन्द्र झा,
प्रियंका झा, अनिल चन्द्र झा,
मदन ठाकुर, विष्णु कान्त
मिश्र,
परमेश झा, आलोक मिश्रा, धीरज ठाकुर, स्वप्ना श्रेष्ठ,
मुकेश ठाकुर, संदीप साह,
अनीता रानी मंडल, मुकेश झा,
सोनू कर्ण आदि. पार्श्व संगीत-सुनील मल्लिक, रमेश मल्लिक, प्रवेश मल्लिक आ सुमधुर स्वर-सुनील मल्लिक आ नेहा प्रियदर्शनीक छल जे मैथिली
लोकगीत मे चर्चित बारहमासाक सस्वर नाटकक दृश्यक संग तालमेल बैसओबैत बेस प्रभावी
रहल। रंगकर्म के क्षेत्र में महिला रंगकर्मीक सक्रियताक लेल वर्ष 2012 में मिथिला नाट्यकला परिषद् क सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री अनिता
रानी मंडल कें हुनक अभूतपूर्व योगदान के लेल मैलोरंग द्वारा रंगकर्मी प्रमिला झा
सम्मान स'
सम्मानित कैल गेल। एहि सम्मानक प्रायोजक छल हिपसेड ( एच आई
पी सी इ डी) ।महोत्सवक चारिम दिन माने 29 दिसंबर 2012 केर संध्या 6:30 बजे संस्था मिथिला विकास परिषद, कोलकाता द्वारा अशोक झा केर निर्देशन मे नाटक 'जुआयल कनकनी'
केर मंचन केर घोषणा।
चारिम दिन-मंचित आ प्रशंसित भेल 'जुआयल कनकनी'
मैलोरंग
द्वारा आयोजित पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक चारिम दिन माने 29 दिसंबर 2012 केर संध्या 6:30 बजे संस्था मिथिला विकास परिषद, कोलकाता द्वारा अशोक झा केर निर्देशन मे नाटक 'जुआएल कनकनी' केर मंचन सफलतापूर्वक संपन्न भेल। नाटक प्रारंभ हेबा स' पूर्व मंच संचालित करैत मैलोरंग केर निदेशक प्रकाश झा
दिल्ली मे भेल सामूहिक बलात्कार मे संलग्न आरोपी राक्षस लोकनिक कुकृत्य कें घोर
भर्त्सना केलनि आ एहि विकृतताक शिकार दामिनीक प्रति शोक संवेदना व्यक्त करैत
उपस्थित प्रेक्षक आ रंगकर्मी लोकनि दू मिनटक मौन रखलनि। दिल्लीक एहि घटनाक कारणे
यातायात मे बाधा स्वाभाविक छल तदुपरान्तो भाषा प्रेमी लोकनिक उपस्थित संतोषपूर्ण
रहल।
मिथिला
विकास परिषद,
कोलकाता केर भाषा प्रेम आ समर्पणताक अंदाज़ अही बात स' लगाओल जा सकैत अछि जे एहेन जुआएल कनकनी बला शीतलहर मे अपन
करीब डेढ़ दर्ज़न कलाकारक संग एहि महोत्सव कें सफल बनेबा आ सहभागिता देबा लेल
कोलकाता स'
दिल्ली धरिक यात्रा तय केलनि। नाटक अपन पूर्ण तैयारीक संग
निर्धारित समय स'
प्रारंभ भेल आ समाप्त होमय काल धरि दर्शक कें अपना मे समेटि
क'
राख'
मे सक्षम रहल। मलंगिया जीक कलम समाजक ओहि केंद्र बिंदु धरि
पहुंचल अछि जाहि ठाम धनक लालच मे कोनो व्यक्ति कोन हद धरि नीच भ' सकैत अछि ताहि ह्रासित नैतिकता कें संवादक माध्यमें जाहि
रूप मे नाटक मे रखलनि अछि ओ निश्चित रूपे सराहनीय आ अदम्य साहसक द्योतक अछि।
नाटकक
कथाक मुख्य सार ई जे नैतिक रूप सं भ्रष्ट एक परिवार जाहि मे एक भाइ अपन जेठ भाइ
कें जहर खुआ क'
सर्पदंशक अफवाह पसारि ओकरा मृत्युक मुंह मे धकेलि देइत छैक
आ ओकर विधवा संग कुकृत्य क'
ओकरा समाजक नज़रि मे नीच बना देइत छै। विधवा कतेको बेर
आत्महत्या करबाक प्रयास करैत अछि मुदा फूल सन बेटाक मुंह ताकि विचार त्यागि देइत
अछि आ ओहि दिनक प्रतीक्षा मे लागि जाइत अछि जखन बेटा नमहर भ' क'
एहि अत्याचारक प्रतिशोध लेतैक। बेटा जखन वयस्क होइ छै त' समाज ओकरा आंगां माइयक एहि कुकृत्यक चर्चा करैत छै जाहि स' मर्माहत भ' क' ओ माय स' घृणा कर' लगैत छै, मुदा जखन बेटा
एहि सबस'
आक्रोशित भ' क'
कनियाँ आ छोट भाइअक संग घर छोड़ि देबाक निर्णय लैत अछि त' माय दुखी भ' क'
जाहि बात कें बरखो सं मोन मे दबौने छल आइ उजागर नै करैत त' शायद बेटो हाथ स' च'ल जइतै। बेटा विचलित मोन स' सब बात कें सुनैत तत्क्षण ओहि पित्तीक ह्त्या करैत अछि जे नहि कि मात्र ओहि
घरक वास्ते अपितु सम्पूर्ण मानव समाजक लेल कलंक छल। नाटकक कथाक आधार पर जुआएल कनकनी
स'
अभिप्राय एक विधवाक संचित वेदना अछि जे अंत-अंत धरि असह्य भ' जाइत अछि।
मिथिला
विकास परिषदक एहि नाटक कें सफल करबा मे जे कलाकार बीड़ा उठओने छलाह ताहि मे अग्रणी
छलाह एहि नाटकक निर्देशक अशोक झा (मुख्य नायक जीबू केर भूमिका मे), नारायण ठाकुर, राघवेन्द्र झा,
वन्दना झा, बेला झा, अशोक झा 'भोली', कुमारी अंजना
इस्सर आदि. पार्श्व संगीत-शान्ति सरकार, गायन-अपराजिता,
अशोक झा 'भोली' आ गोपीकांत झा 'मुन्ना',
प्रकाश-समर बनर्जी आ सह-निर्देशन-शैल झा।मैलोरंग दिस सं
आजुक अतिथि अखिल भारतीय मिथिला संघ केर महासचिव विजय चन्द्र झा निर्देशक अशोक झा
कें पुष्पगुच्छ,
प्रशस्ति पत्र आ प्रतीक चिन्ह द' सम्मानित केलनि। अशोक झा दू शब्दक संबोधन मे मैलोरंग आ
मलंगिया जीक प्रशंसा करैत कहलनि जे मैलोरंग मैथिली भाषा आ संस्कृति कें बचा राख' मे पूरजोर मेहनति क' रहल अछि आ मलंगिया हमरा लोकनिक जुगक मीलक पाथर (Milestone) छथि। एहि सुअवसर पर मैथिली साहित्यकार, रंगकर्मी आ आलोचक कमल मोहन चुन्नू सेहो उपस्थित छलाह जे कि
मलंगिया जीक रचनात्मक शैली आ तकर उद्देश्य स' उपस्थित दर्शक कें अवगत करौलनि।एहि
महोत्सवक पाँचम आ अंतिम नाटक ओरिजनल काम केर मंचन 30 दिसंबर 2012 क'
पूर्वनियोजित स्थान पर 6:30 बजे संध्या स'
करबाक जिम्मा स्वयं मैलोरंगक रंगकर्मी लेने छलाह जे कि
प्रकाश झाक निर्देशन मे हेबाकक घोषणा।
पाँचम (अंतिम) दिन-महोत्सव मे 'मैलोरंग'क 'ओरिजनल काम'
मैलोरंग
द्वारा आयोजित पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक चारिम दिन माने 30 दिसंबर 2012 केर संध्या 6:30 बजे संस्था मैथिली लोक रंग (मैलोरंग ) द्वारा आयोजित
पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक पाँचम आ अंतिम नाटक 'ओरिजनल काम' केर सफलतापूर्वक संपादन भेल। मंच संचालक ऋषि कुमार झा नाटक प्रारंभ हेबा सं
पूर्व आजुक पाहुन जे पी सिंह कें मंच पर आमंत्रित क' हुनका मैलोरंगक वरिष्ठ रंगकर्मी पवन कान्त झाक हाथे पुष्पगुच्छ आ प्रतीक चिन्ह
सं सम्मानित करौलनि आ तत्पश्चात पाहुनक करकमल सं मैथिली रंगमंच, टीवी सीरियल आ फिल्म मे स्थापित अभिनेता आ युवा रंगकर्मी
नीलेश दीपक कें 'रंगकर्मी श्रीकान्त मंडल सम्मान-2012' सं सम्मानित करौलनि। सम्मान प्राप्तिक क्रम मे नीलेश दीपक
अपन अभिनय शुरुआत करबाक श्रेय मलंगियाजी कें देइत कहलनि जे धन्य छी हमरा लोकनि जे
मलंगियाजी सन नाटककार कें लिखल नाटक मे अभिनय करबाक अवसर प्राप्त होइत अछि।
मैलोरंग
द्वारा पूर्व नियोजित नाटक अपन पूर्वनिर्धारित समय सं प्रारंभ भेल। दर्शकक
उपस्थिति सं प्रेक्षागृह खचाखच भरल छल आ नाटक संपन्न हेबा काल धरि चुँइ शब्द नै
कियो बाजल,
बाजल त' मात्र थोपड़ी पर
थोपड़ी आ लागल त'
मात्र ठहक्का पर ठहक्का। ठेंठ देहाती टोन मे मैथिली, हिन्दी आ अंग्रेजी संवादक समावेश बेस रोचक रहल जे कखनो
हँसबा पर आ छनहि मे कनबा पर सेहो विवश करैत छल। ई नाटक गामक ओहि परिवारक समस्या पर
आधारित छैक जत'
ज्ञानक अभाव मे घरक मुखिया छोड़ि कियो ई निर्धारित नहि क' पबैत अछि जे कोन काज केर प्राथमिकता कखन देल जाय वा कोन
काजक नहि अर्थात ओरिजनल काम कोन छैक आ कोन समय पर कोन काज अत्यावश्यक। मलंगिया जीक
नाटकक विशिष्टता ई छनि जे ग्रामीण परिवेशक ओहि विषय वस्तु कें सभक सोझा आनि रखै
छथि जे कतबहु दिनक बाद मंचित होइत देखब तहियो वर्तमाने परिस्थितिक आभास कराओत।
एहने सन किछु आभास ओरिजनल काम केर सन्दर्भ मे सेहो कहल जाय, जुग कतबहु आधुनिक भ' गेल हो मुदा ई गूढ़ गप्प एखनो धरि देखबा मे अबैत अछि से मात्र ग्रामीणे परिवेश
मे नहि अपितु शहरी वातावरण मे सेहो दृष्टिगोचर होइत अछि।
उक्त
विषय पर मंचित एहि नाटकक निर्देशक छलाह प्रकाश झा, मुख्य नायकक भूमिका मे मुकेश झा (कम्पनी), नायिका ज्योति झा (स्त्री), अनिल मिश्रा
(सफीक),
प्रवीण कश्यप (उचितलाल), अमरजी राय (जीवलाल),
अमित अकेला (शिवलाल), राधाकान्त (खूबलाल),
राजीव मिश्रा (चन्द्रकान्त), दीपक ठाकुर (भगता),
सोनिया झा (दारोगा) आ रॉकस्टार झा (गुरु)। भगैत आ रीदम-रमेश
मल्लिक,
ध्वनि संयोजन-राजीव मिश्रा, गायन-रॉकस्टार झा,
अमरजी राय, अमित अकेला।
उपरोक्त सभ कलाकार अपन अपन चरित्र कें पूर्ण इमानदारीक संग प्रस्तुत केलनि जकर सभस' पैघ प्रमाण छल जे दर्शक दीर्घा दिस स' अनवरत थोपड़ीक गड़गड़ाहटि। नाटक संपन्न भेलाक उपरान्त
मैलोरंग दिस सं अभिनेता मुकेश झा आ ऋषि कुमार झा एहि आयोजन कें सफल बनेबा मे महीनो
सं लागल कार्यकर्ता आ दूर-दूर स' आयल संस्था जे
एहि महोत्सव मे भाग नेने छलाह हुनका लोकनिक आभार व्यक्त करैत समस्त दर्शक आ
मीडियाकर्मीक सेहो आभार व्यक्त केलनि।
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