मैथिली साहित्य एवं संगीत में विगत डेढ़ दशक से सक्रिय
युवा मनीष झा बौआभाइ इन दिनों मैथिली कथा को एक अलग रूप देने में जुटे हुए हैं ।
मनीष का मानना है कि आए दिन सहित्य सृजन में युवाओं की सहभगिता में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है । समाज को हमेशा से उचित मार्गदर्शन के लिए साहित्य एक अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण विधा है । साहित्य में नई सृजन के साथ-साथ यह आवश्यक है कि हमारे पूर्वज सहित्यकार के योगदान से समाज को समय दर समय रू-ब-रू करवाना पड़ेगा और उनके प्रति कृतज्ञ भाव को सहेज कर रखना होगा । इन्हीं उद्देश्य के साथ इन्होंने 'कथा मैथिली : उत्कृष्ट कथाक वाचन श्रृंखला' नाम से यू-ट्यूब, फेसबुक एवं साउंडवेव्ज एफएम जैसे सोशल मीडिया से इसकी शुरुआत की है ।
मनीष बताते हैं कि यह उनकी एक दीर्घ
एवं बहुउद्देशीय परिकल्पना है कि मैथिली साहित्यिक संपदा के विस्तार में एक कथाकार
के रूप में जिन रचनाकारों ने योगदान दिया है, उन सभी के कथा को एक सुनिश्चित एवं वृहत
टीम के साथ रेडियो नाटक के रूप में कथानुरूप शैलीगत वाचन कर इंटरनेट आर्काइव के रूप
में सुरक्षित रखा जाए । मैथिली को संवैधानिक मान्यता मिलने के बाद इसकी महत्ता और भी
बढ़ गई है । मैथिली भाषा को लेकर अकादमिक तौर पर यूपीएससी, बीपीएससी, यूजीसी नेट और
पीएचडी करनेवालों को लाभ मिलेगा ।
इनकी परिकल्पनाओं को साकार करने में मित्र राजीव मिश्र
भरपूर सहयोग कर रहे हैं । सहयोगी वाचक के रूप में सोनी नीलू, रूपा मिश्रा एवं अमरजी
राय भी योगदान कर रहे हैं । उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस-2020 को कथा मैथिली
की शुरुआत की और अब तक एक दर्जन से अधिक रचनाकारों के कथा वाचन प्रसारित कर चुके हैं
। कथा मैथिली की तरह अन्य विधाओं पर भी युवा को इस तरह आगे आने के लिए आह्वान करते
हैं ।
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