०९
सितम्बर,२०१८ क’ राष्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र दिल्लीक पंजीकृत संस्था ‘मैथिली साहित्य
महासभा’ द्वारा विद्यापति स्मृति व्याख्यानमालाक चारिम एकल
व्याख्यान आ मैसाम युवा सम्मान २०१८ कॉन्स्टिट्यूशन क्लब,दिल्लीमे
संपन्न भेल । कार्यक्रमक शुभारम्भ उपस्थित गणमान्य अतिथि लोकनि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन
आ गोसाओंनिक गीत ‘जय-जय भैरवि’क संग
प्रारम्भ भेल । स्वागत भाषणक क्रममे संस्थाक अध्यक्ष अमरनाथ झा मैसामक उद्देश्य आ
स्थापना सँ ल’ क’ एखन धरिक क्रियाकलाप
सँ अवगत करौलनि । ज्ञात हो कि मैथिली साहित्य संरक्षण आ संवर्धन हेतु दृढ़संकल्पित
संस्था मैसाम द्वारा एक वर्ष मे तीन गोट मुख्य कार्यक्रम जाहिमे प्रतिवर्ष २१
फरवरी क’ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (मैसामक स्थापना दिवस
सेहो), १४ फरवरी (प्रेमोत्सव/बसंतोत्सव) क’ मैथिली कवि सम्मेलन आ अगस्त वा सितम्बर मासमे विद्यापति स्मृति
व्याख्यानमालाक आयोजन कएल जाइत रहल अछि । मैथिली साहित्य संवर्धन हेतु अमूल्य
योगदान देमय बला कोनो प्रसिद्ध व्यक्तित्त्व द्वारा कोनो खास विषय पर केन्द्रित
एकल व्याख्यानक क्रममे २०१४ मे स्थापित एहि संस्थाक व्याख्यानमाला २०१५ सँ
प्रारम्भ भेल आ क्रमशः डॉ. उषाकिरण खान, श्री महेन्द्र
मलंगिया, डॉ.उदय नारायण सिंह नचिकेता केर बाद एहि बेरुक मने
चारिम विद्यापति स्मृति एकल व्याख्यानकर्ताक रूपमे आमंत्रित छलाह प्रसिद्ध
साहित्यकार डॉ.महेन्द्र नारायण राम ।
युवा
लेखनकें प्रोत्साहन हेतु ४० बर्ख सँ कम उमेरक युवाकें हुनक प्रकाशित कृति (विभिन्न
विधा) हेतु आमंत्रित कएल जाइत छनि आ निर्णायक मंडल द्वारा ओकर अन्तिम मूल्यांकन
केला उत्तर संस्था द्वारा चयनित लेखकक नाम केर सार्वजनिक घोषणा कएल जाइत अछि आ एहि
आयोजन मे पुरस्कृत कएल जाइत अछि । पुरस्कार चयनमे निष्पक्षता आ पारदर्शिताक
उद्देश्य सँ संस्था द्वारा निर्धारित तीन गोट ज्यूरी मेम्बर मे एक दोसर कें ज्ञात
नै रहैत छनि जे बाँकी दू गोट ज्यूरी के छथि आ तीनू निर्णायक द्वारा प्राप्त पोथिक
गुणवत्ता आ औसत रेटिंगक आधार पर सर्वाधिक अंक बला पोथीक चयन होइत अछि आ ओहि
लेखककें ई पुरस्कार एहि आयोजनमे प्रदान कएल जाइत अछि । एहि बेर कुल १० गोट पोथी
क्रमशः नीर भरल नयन (कथा संग्रह,अखिलेश कुमार
झा), ककबा करैए प्रेम (कविता संग्रह,निशाकर),
विसर्ग होइत स्वर (कविता संग्रह,प्रणव
नार्मदेय), सुखल मन तरसल आँखि (कविता संग्रह, मुन्नी कामत), पह (कथा संग्रह,अभिलाषा),
समयक धाह पर (कविता संग्रह,मैथिल प्रशान्त),
परती परहक फूल (कविता संग्रह,कामिनी), पूर्वागमन (कविता संग्रह,स्वाती शाकम्भरी), ओकरो कहियो पाँखि हेतै (कथा संग्रह,शुभेन्दु शेखर) आ
गस्सा (कथा संग्रह,सोनू कुमार झा) संस्थाकें प्राप्त भेल छल
।
वर्ष
२०१६ सँ नियमित आ क्रमशः ई पुरस्कार प्राप्त केलनि अछि २०१६ मे मधुबनीक चन्दन
कुमार झा (गामक सिमान पर,कविता संग्रह), २०१७
मे दरभंगाक कामिनी चौधरी (खण्ड-खण्ड मे बँटैत स्त्री) आ एहि बेरुक मने २०१८ मे
मैसाम युवा पुरस्कार सँ पुरस्कृत भेलीह अछि सहरसाक स्वाती शाकम्भरी (पूर्वागमन,कविता संग्रह) । पुरस्कारक रूपमे संस्था द्वारा २५०००/- टाकाक चेक आ
प्रशस्ति-पत्र प्रदान कएल जाइत अछि । एहि बेरुक निर्णायक समिति मे डॉ. शेफालिका
वर्मा, कुमकुम झा आ निवेदिता मिश्रा झा छलीह । डॉ. शेफालिका
वर्मा अन्यत्र व्यस्तताक कारणे आयोजन स्थल पर अनुपस्थित रहथि मुदा कुमकुम झा आ
निवेदिता मिश्रा एहि पोथिक चयन मे स्त्री विमर्शक सबल पक्ष कें आधार मानि चयन हेतु
अंतिम निर्णय लेलनि ।
संस्था
द्वारा अतिथि सम्मान मे पर्यावरण संरक्षणक विशेष ध्यान रखैत तुलसीक गाछ लगाओल गमला
आ अपन मूर्धन्य साहित्यकारक प्रति कृतज्ञ भाव रखैत एहि बेर ब्रजकिशोर वर्मा ‘मणिपद्म’ केर फ्रेमिंग फोटो स्मृति-चिन्ह
सँ सम्मानित कएल गेल । एहि अवसर पर विनीत उत्पल द्वारा संपादित विगत वर्ष उदय
नारायण सिंह नचिकेता द्वारा देल गेल व्याख्यानक विस्तृत आलेख सम्बन्धी एक गोट
पुस्तिकाक विमोचन आ वितरण सेहो कएल गेल । डॉ. विभा कुमारी आ कंत शरण संयुक्त रूप सँ
मंच सञ्चालन केलनि । आयोजन सहयोगी केर रूपमे दीपक फाउन्डेशन केर संस्थापक दीपक झा
द्वारा समाज मे सक्रिय लेखक साहित्यकार आ समाजसेवी लोकनिक अभूतपूर्व जोगदानक बल पर
भाषा आ संस्कृति सरंक्षणक प्रति उद्गारपूर्ण वक्तव्य देल गेल ।
उक्त
आयोजनक मुख्य सहयोगी मैथिली-भोजपुरी अकादमी,दिल्ली
केर प्रतिनिधि डॉ. चन्दन कुमार झा अपन वक्तव्यक क्रममे ई बात स्पष्ट केलनि जे २१म
सदी केर साहित्य लेखनमे जे सभसँ पैघ विमर्श अछि ओ थिक स्त्री आ दलित । मैथिली
साहित्यमे दलित विमर्शक पर कहियो खुलिक’ बात नै भेल अछि तकर
कारण जे जाहि जाति विशेष लोकनिक समाज पर वर्चस्व रहल अछि ओ दलित विमर्शकें शिष्ट
साहित्यमे राखब उपयुक्त नहि बुझलनि । ‘मैथिली लोक साहित्य आ
दलित विमर्श’ नामक केन्द्रित विषय पर मुख्य व्याख्यानकर्ता
डॉ. महेन्द्र नारायण राम अपन वक्तव्यक प्रारम्भहि मे चन्दन कुमार झाक बात सँ सहमति
रखैत ई स्पष्ट क’ देलनि जे साहित्य मे राजनीति आ जातिक कोनो
गुँजाइश नहि । हिनक व्याख्यान तीन भागमे विभक्त छल १. दलित, २.
लोक साहित्य आ ३. विमर्श । तीनू बिन्दु पर विस्तृत उल्लेख केलनि । ‘दलित’ शब्दक उत्पत्ति कें आठ दशक पूर्वक देन मानैत
छथि जेकि वर्ग विशेष द्वारा उपेक्षित आ शोषित समुदाय केर वास्ते प्रयोग कएल जाइत
रहल अछि, जकरा प्रति समाजमे असमानता कें भावना रहल छैक । सगर
विश्वमे भारत एहेन पहिल देश अछि जतय एहि प्रकारक वर्गीय भेदभाव अछि । दलित कें सभ
दिन सँ अस्पृश्य मानल जाइत रहल अछि । समाजक किछु आवश्यक काज आ ताहि सँ अपन पेशा
चलेनिहार वर्ग कें हिन्दू धर्म व्यवस्था मे सभसँ नीचा पायदान पर राखल गेल ।
संविधान मे दलित शब्द अंकित नहियो रहैत राजनीति वर्गक लोक द्वारा घोषणा पत्रमे एकर
चर्च कएल जाइत रहल अछि । मैथिली साहित्यमे प्रचलित लोककथा, लोकनृत्य,लोकगायन आदिक माध्यमे दलित संदर्भ सोझा अबैत रहल । किछु जाति विशेष द्वारा
वीरपुरुष लोकनिक गाथा गायनक श्रुतीय परम्परा जेना पीढ़ी-दर-पीढ़ी बढ़ैत गेल तेना-तेना
साहित्यमे सेहो समावेश होइत गेल । सभ जातिक अपन-अपन इष्ट आ आराध्य देवी-देवता होइ
छथि जे कोनो कार्य प्रारम्भ हेबा सँ पूर्व हुनक आह्वान करै छथि । वर्तमान समाजमे ई
पूजा-पाठ सौहार्द्रपूर्ण सम्बन्ध बनेबामे उत्तम भूमिका निमाहि रहल अछि आ एकर सभसँ
उत्तम प्रमाण अछि सभ जातिक देवी-देवताक पूजा-पाठमे सभ वर्गकक लोकक सहभागिता । एहि
अवसर पर उपस्थित सुधीजनक मध्य व्याख्यानक विषय विस्तृत शोध आ संकलनक आधार पर हिनक
लिखित सद्यः प्रकाशित पोथी ‘मैथिली लोक साहित्य आ दलित
विमर्श’ सेहो वितरित कएल गेल जाहि ठाम सँ विभिन्न तथ्यक
जानकारी भेटैत अछि आ बहुतो एहेन तथ्य सोझा अबैत अछि जकरा प्रति समाज एखनो अनभिज्ञ
अछि । डॉ. महेन्द्र नारायण राम केर भाषा शैली, संबोधन,
संप्रेषणक संग-संग प्रेरक आ सकारात्मक विचार आयोजनकें सफल बनेबामे
बेस महत्त्वपूर्ण भूमिकाक निर्वहन कएल ।
एहि
कार्यक्रमक अध्यक्षता केलनि भारतीय प्रशासनिक सेवा सँ सेवानिवृत सह प्रसिद्ध लेखक
मन्त्रेश्वर झा । दलित समाजक उत्थान नै हेबाक एकटा कारण ओहि समाजमे पहिल त’ शिक्षाक अभाव मानै छथि जेकि आब वर्तमान मे संतोषजनक स्थिति मे
अछि । दलित शब्दक सम्बन्ध मे कहलनि जे भीमराव अम्बदेकर सेहो एकरा उपेक्षित आ शोषित
वर्गक समाज मानै छलाह नै कि दलित आ एहि शब्दक संविधान मे सेहो कतहु उल्लेख नहि कएल
गेल छल । ई शब्द राजनीतिज्ञ लोकनिक देन थिकनि जे विस्तार लैत गेल । मैथिली
साहित्यमे दलित विमर्श नगण्य सन कहल जा सकैत अछि आ तकर मूल कारण रचनाकार लोकनि ओहि
यथार्थ सँ वंचित रहलाह आ जे किछु लिखल गेल से अनुभूतिक आधार पर ताहि क्रममे
कांचीनाथ झा किरणक अवदान आ मणिपद्मक लोरिकायन केर संदर्भक चर्च केलनि । महेन्द्र
नारायण रामक विलक्षण शोध आ हुनक सूक्ष्म दृष्टिकोणक सेहो भूरि-भूरि प्रसंशा केलनि
।
संस्थाक
उपाध्यक्ष श्रीचंद कामत द्वारा आंतरिक समूहक एकहक सदस्यक सहयोग आ सामंजस्यक प्रति
सकारात्मक विश्लेषण करैत उपस्थित जनसमूह कें एहि प्रकारक समर्थन आ उत्साहवर्धन
हेतु कार्यक्रमक अंतमे धन्यवाद ज्ञापित कएल गेल ।
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