साहित्यमे
अन्यान्य विधा जेंका गीत-संगीतक सेहो अपन वैशिष्ट्यता अछि. विदेह संपादन समूह
द्वारा मैथिली गीत-संगीत केन्द्रित विषय पर आलेख हेतु विशेषांक निर्धारित करब एहि
विधाक प्रति गंभीरताक द्योतक अछि. उक्त विषय पर विस्तृत आलेख शोधक विषय-वस्तु थिक, तैं एहि सभस’ फराक
अपन व्यक्तिगत अनुभव स’ किछु लिखबाक
चेष्टा मात्र क’
रहल छी.
वर्तमान
समयमे पारम्परिक गीतक अपेक्षा आधुनिक लोकगीत बेस प्रचलनमे अछि. कारण स्पष्ट अछि
व्यावसायिक दृष्टिकोण. नव तूरक लोककें लटक झटक बेस रुचै छन्हि आ तदनुरूप गवैया ओ
गीतकार सेहो ओहिमे रमबाक प्रयासमे वा कही जे फरमाइशकें यथासंभव पूर करबाक चेष्टा
करैत छथि. पारम्परिक गीतक श्रोता वा कही जे खाँटी संस्कृति प्रेमी छथि त’ मुदा सीमित संख्यामे. आधुनिकतामे रमल नव पीढ़ीक नहि त’ गवैया लोकगीत कें गंभीरता स’ लैत छथि आ नें श्रोता. मैथिली गीत-संगीतक क्षेत्र वर्तमानमे कत्तेको कलाकारकें
जीविकोपार्जन केर साधन बनल अछि. संगीत चाहे पारंपरिक होउ वा शास्त्रीय होउ वा
आधुनिक होउ मैथिलीक सेवा क’
अर्थोपार्जन क’ जीवनयापन करब जतबे आह्लादक विषय अछि ततबे साहसिक डेग सेहो. साहसिक डेग स’ अभिप्राय ई जे वर्तमान जुगक अवधारणा अछि जे अहाँकें जाहि
कोनो प्रतिभामे आत्मविश्वास अछि ओकरा आगाँ ल’ व्यावसायिक बनाउ आ अपन अभिरुचिक अनुसारे ओहिमे समर्पण भाव स’ योगदान देल जाउ, मुदा मैथिली गीत-संगीतक प्रति एकर विपरीत अवधारणा अछि जकर मुख्य कारण अछि
अर्थोपार्जनमे अनिश्चितता. पूर्वक पीढ़ीमे अपवादस्वरूप किछुए लोक मुदा वर्तमान समयक
बेसी-स-बेसी युवा एहि मिथककें तोड़बाक प्रयास केलनि अछि आ अपन जीविकोपार्जन केर
साधन बनौलनि अछि.
आलेख
हेतु देल गेल विषयमे किछु महत्त्वपूर्ण बिन्दु सभ पर अनुभव साझा करबाक प्रयास
मात्र क’
रहल छी. गीत-संगीतक भाव पक्ष केर संदर्भमे एतबा जरूर देखल
जाइछ जे,
गीतकार जे कोनो गीत लिखैत छथि ओ सर्वबोधगम्य हेबाक चाही, जिनक शब्द लेखन आम जनक बोलचाल वा दैनिकीय भाषा मे नियमित
प्रयोग मे अबैत होइक आ जकरा संगीतकार लोकनि कर्णप्रिय बना सुन्दर गवैयाक माध्यम स’ जन-जन धरि पहुँचेबाक प्रयास करथि. गीतमे क्लिष्ठता ओ
साहित्यिक शब्दक चयन एक वर्ग विशेष धरि सीमित रहैत अछि जे अमूमन एक सामान्य श्रोता
द्वारा स्वीकार्य नहि होइत अछि. मूलतः देखल जाए त’ संगीतक प्रारंभिक रूप गीतक शब्द होइछ तैं गीतकारकें शब्द चयन हेतु विभिन्न
अभिरुचिक श्रोताकें ध्यान मे राखि मर्यादित गीत लिखक चाहियनि.
वर्तमान
मे मैथिली गीत संगीत मे देखौंसक प्रक्रिया बेस हाबी भ’ रहल स्थिति मे विकृतता आएब स्वाभाविक अछि. संगीत जहिना
मनोरंजन हेतु आवश्यक विधा अछि तहिना भाषा-संस्कृति केर रूपमे वाहकक श्रेणीमे सेहो
अबैछ तैं गीतकार-संगीतकार आ गायक लोकनिकें एहि बातक समुचित धेआन रखबाक चाही.
तकनीकी पक्षक जत’
तक प्रश्न अछि गीतक शब्दक अनुरूपे संगीत वा संगीतक अनुरूपे
गीतक शब्दक तालमेल परम आवश्यक होइछ, कोन गायकक कंठ मे कोन गीत बेसी रोचक लगैछ एहि सभ विषय पर सेहो ध्यान देल जाए त’ गीत आर बेसी अपन सुन्नर रूपमे निखरि क’ सोझा आबि सकैत अछि. प्रस्तुतिक दू गोट रूप वा त’ मंच वा स्टूडियो रेकॉर्डिंग जाहिमे वाद्य-वादन सेहो गीतकें
तकनीकी रूप स’
मजगूती प्रदान करैत अछि.
आइ-काल्हि
स्टूडियो रेकॉर्डिंग के नवका चलन आएल अछि डी-टोन केर. डी-टोन कोनो आवाजक टोन कें
अपना स्तर स’
बदलि देइत अछि जकर प्रभाव मे गायकक मौलिक स्वर केर अंदाज
करब सेहो मोसकिल अछि. सुर स’ भटकैत गवइया
लोकनि एखन एकर प्रयोग बेसी स’ बेसी करैत देखल
जाइ छथि आ ई प्रथा हरियाणवी आ भोजपुरी संगीत स’ बेस प्रभावित अछि. यत्र-तत्र कम स’ कम लागत मे दिनानुदिन पसरि रहल स्टूडियो,कैसेट कंपनी आदि स’
मैथिली संगीतक कमजोर गुणवत्ता त’ देखबामे अबैत अछि मुदा नव-नव कम्पनी के खुजला स’ नव प्रतिभावान कलाकार लोकनिक वास्ते एकटा नीक माध्यम बनि
सोझा अबैत अछि. मार्केटिंग पक्षक दृष्टिकोण ज’ देखल जाए त’
मैथिली गीत-संगीतकें व्यावसायिक रूप प्रदान करबा लेल
मार्केट एखनो धरि व्यापक स्तर पर सक्रिय नहि भेल अछि.
आन-आन
भाषा के तुलना मे मैथिली गीत-संगीतक बाजार एखनो बड्ड छोट आ सीमित अछि. कीनिक’ सुन’
बला मनोवृति एखनो धरि नहि जागल अछि. एकर दुन्नू कारण भ’ सकैइयै, पहिल जे लोककें
मनमोताबिक संगीतक उपलब्धता नहि होइ छनि वा दोसर जे विधा स’ जूड़ल लोक द्वारा फ़ोकट मे बंटबा बला प्रवृति जकर स्थिति
कमोवेश साहित्ये बला अछि. हालांकि डिजिटल व्यवस्था भेला स’ उपलब्धता सहूलियत स’ भ’
रहल अछि आ कलाकार लोकनिकें मंच, एलबम,सिनेमा आदिमे
लिखबाक,गेबाक ओ धुन बनेबाक अवसर भेटैत छनि जेकि कएक टा मायनेमे
महत्त्व रखैत अछि. एहि डिजिटल जुगमे दर्शक/श्रोताक पसीनकें धेआनमे रखैत प्रायः
अधिकाधिक कम्पनी वीडियो बना बजार मे वितरण करै छथि वा सोशल नेटवर्कक विभिन्न श्रोत
स’
जन-जन धरि पहुँचेबाक प्रयास करै छथि. अधिकाधिक संख्या मे
देखल जाए त’
विडियो शूटिंगमे गीतक केन्द्रित विषय स’ आंशिको रूप स’ तालमेल नैं खाइत अछि,
मने गीतक विषय किछु आर मुदा अभिनय द्वारा किछु आर दर्शाओल
जाइत अछि.एहि पक्ष पर गंभीरता लाएब सेहो ओतबे आवश्यक अछि.
मैथिली
गीत-संगीत मे नैं गीतकारक अभाव छै आ नैं गौनिहार कें अभाव छैक मुदा सभस’ बेसी अभाव संगीतकारक देखबामे अबैछ. बनल-बनाएल धुन (ओ चाहे
हिन्दी फिल्म संगीतक तर्ज पर होए वा आन-आन क्षेत्रीय भाषा केर तर्ज पर होए) आखर
फिट क’
गीतकार द्वारा लिखब आ तदनुरूप गायक द्वारा ओकरा गाएल जेबाक
प्रथा बेस जोर पकड़ने अछि. ओना संगीत विधा स’ जूड़ल प्रत्येक व्यक्ति के चाहियनि जे अपन-अपन अभिरुचिक क्षेत्रमे प्रशिक्षित
होथु मुदा ताहूमे सभस’
बेसी खगता धुन बनेनिहारक अछि जेकि वर्तमान समयमे गीतकार ओ
गायकक संख्याक तुलनामे बड्ड कम वा कहल जाए जे मात्र गिनल-चुनल लोक छथि. ओना एहि
विधामे सभ दिने स’
गीतकार-संगीतकारक तुलनामे गायकक प्रसिद्धि बेसी रहल अछि, कारण गायक लोकनि अपन एक विशेष प्रकारक स्वरक बले समाजमे
चिन्हल जाइ छथि संगहि मंचक सोझा स’ श्रोता/दर्शक स’
प्रत्यक्ष संवाद हेतु समय-समय पर उपलब्ध होइत रहैत छथि, एहेन सन स्थितिमे गायक लोकनिक एक इमानदार प्रयास अपेक्षित
रहैत अछि जे ओ मंच पर वा कोनो साक्षात्कार मे गीत प्रस्तुति स’ पूर्व संगीतकार ओ गीतकारक नाओं केर उल्लेख करथि, कारण हुनकर प्रसिद्धिक पाँछा हिनका लोकनिक जोगदानकें नकारल
नैं जा सकैत अछि. मैथिली गीत-संगीतमे कतबो विकृति आबि गेल छैक मुदा आलोचनात्मक
दृष्टिकोण रखबा लेल संख्या मे बढ़ोत्तरी अपेक्षित अछि. आलोचना वा तुलना ओत’ प्रभावी होइत अछि जत’ संख्या केर उपलब्धता अधिकाधिक होइछ. मैथिली गीत-संगीतकें अपन कर्मक्षेत्र बना
गुजर-बसर केनिहार एक-एक कलाकारकें साधुवाद जे चाहे जाहि कोनो तरहें मुदा अपन
मातृभाषाकें सेवैत अर्थोपार्जन क’ रहल छथि, बहुत हिम्मत के काज छैक. निवेदन जे भाषा संरक्षणक संग-संग
संस्कृति संरक्षण पर सेहो ध्यान केन्द्रित करैत एहि क्षेत्रमे आगाँ बढैत छथि त’ से आर बेसी आह्लादक गप्प हएत.
प्रकाशित
: विदेहक २१७म अंक ०१ जनवरी २०१७
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