सौभाग्य
मिथिलाक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति मे गेलाक बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मे मैथिलीक नामो
निशान मेटेबाक खड्यंत्र केँ नकारैत देश-विदेश मे प्रवास केनिहार किछु समर्पित
मैथिल युवा लोकनि न्यूज पोर्टल आ ब्लॉग आदिकें संचालन मे नियमितता रखैत एकरा बखूबी
निमाहैत आबि रहला अछि।
दोसर
सत्र मे डी डी बिहार मैथिली धारावाहिकक प्रसारण वास्ते अपन तत्परता देखौलक आ
जाहिमे सभस'
पहिने अगुएला निर्माता-निर्देशक भवेश नंदन झा हास्य व्यंग्य
धारावाहिक"एस. एन. झाकेँ गजबे दुनियाँ"केर मार्फ़ते (हालांकि हिनकर
सीरियलक निर्माण बजट त'
नञि मुदा प्रसारण डी डी बिहारक सौजन्य स' जरूर अछि) तकरा बाद डी डी बिहार द्वारा भाखा विकास लेल एकटा
बजट सुनिश्चित सेहो कएल गेल जकरा उपयोग मे अनबाक वास्ते मैथिली फ़िल्म ओ सीरियल
निर्माणक अनेक टीम एकर रूपरेखा पर काज करब शुरू केलनि आ तकरे फलस्वरूप एक संग तीन
गोट सीरियल क्रमशः "पाहुन","मास्टर साहेब"आ "आब कहू मोन केना करैत अछि" केर प्रसारण भाखा ओ
संस्कृति प्रेमी के जेना नबका आस जगौलक।
समयाभाव
(सामाजिक,पारिवारिक ओ नोकरीहा व्यस्तता) रहलाक बाबजूदो समय निकालि
चारू सीरियल देखैत रहलौं मुदा "मास्टर साहेब" आ " आब कहू मन केना
करैत अछि" देखब दुइये-चारि एपिसोडक पश्चात बन्न केलौं कारण ई दुन्नू सीरियल
नहि त'
रोचक लागल आ नें एकर कोनो ख़ास उद्देश्य बुझबा मे आएल जे
सम्भवतः हमर अनियमितताक कारण सेहो भ' सकैत अछि तैँ ई दोख हम अपनें माँथ मढै छी कारण हम लिखबा लेल स्वतंत्र रूप स' कखनो किछु लीखि देइत छी मुदा मेहनैत केनिहार के एकर
वास्तविक दर्दक बोध होइछ तैँ हुनका लोकनिक जोगदान सेहो सराहनीय ओ प्रशंसनीय अछि।
किछु दिन
धरि जे जोड़िक'
रखलक से अछि सीरियल "पाहुन" तकर कारण जे कलाकारक
चयन,संवाद,कथा,पटकथा,निर्देशन,अभिनय आ तकनीकी रूप स' मजगूत पक्ष यथा कैमरा,
साउंड,एडिटिंग,मेकअप, वस्त्र विन्यास
आ शूटिंग में प्रयोग कएल जा रहल सेट आदि। सीरियलक प्रचार प्रसार के क्रममे लेखक रौशन
जीक लेखन कौशलक परिचय पहिल बेर सोझा एला स' अचंभित भेल रही कारण सभ दृष्टिकोण स' रौशन जी परिपक्व लेखक छथि जे एखन धरि देखबामे अबैत रहल अछि आ एहि बातक पूर्वमे
जानकारी नञि छल। हुनका स'
अपेक्षा बढ़ल छल मुदा विगत किछु एपिसोड मे प्रयोग कएल गेल
शब्दक चयन हमरा कने अरुचिगर लागल, उदाहरणार्थ :
विजय द्वारा दारू पीक'
संगी केँ ई कहब जे "तोँ हमर की उखाड़ि लेबें", टुकटुक बाबू द्वारा कुजरनी के ई कहब जे "तोरा लग जैह
रहतौ सएह नें देबें" जकर उतारा देइत कुजरनी कहैत अछि "धिया पुता वियाह
जोगर भ'
गेल आ लाज शरम नञि होइए" फेर टुकटुक बाबू "बूढ़
नें भ'
गेलौं मुदा मधुर त' हम एखनो छी" जे कि संवादक माध्यम स' आर बेसी बिक्षाक'
दूअर्थी शब्द दिस इशारा करैछ। पूर्वहि के एक एपिसोडक दृश्य
जाहिमे कि डॉक्टर साहेबक बालकक विवाह हेतु हथधरी सभ हुनका घर एलखिन आ बिना भोजन
करौने पूछै छथिन जे भोजन ठीक ठाक छलै नें! ज' भोजनक सचार लागल दृश्य आ संगहि गप्प-सरक्का चलितै तखन नें संस्कृति ओ परम्परा
दिस लोकक ध्यानाकर्षण होइतै मुदा मैथिली मे सभदिने स' पतिया छोड़ेबा बला प्रवृतिक अमर्यादित प्रयास होइत रहल अछि।
खर्च स'
बचबाक बहुते ब्योंत छै मुदा निर्माता लोकनि द्वारा संस्कृति
संग समझौता क'
ओकरे दोहन होइत आबि रहल अछि जेकि हुनका लोकनिक एकमात्र
टकोपार्जन सन नकारात्मकताकेँ दर्शाबैत अछि। धोती पहिरबा स' घटक लोकनि सेहो मना क' देलथिन जेकि मिथिला परम्परा अनुरूपे ओ लोकनि लाल-पीयर धोती पहिरलाक बादे ब'रकेँ हथधरी करै छथि। आर बहुतो एहेन गप्प आ दृश्य अछि जे एखन
मोन नञि अछि तैं विशेष दृष्टिकोण राखब उचित नहि।
कहबाक
अभिप्राय जे लौकिक विषय वस्तु, संस्कृति, परम्परा, भाखा, संस्कार, समाज मे घटित भ' रहल वर्तमान परिदृश्य आदिकेँ मिश्रित क' समाजक सोझा प्रस्तुत करबाक बड्ड नीक साधन अछि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया
आ टेलीविजन चैनल द्वारा प्रसारित फिल्म वा धारावाहिक। एहि संसाधन केर सदुपयोग करथु
मैथिल लोकनि आ अपन सुसंस्कृतिकेँ पसारबाक यथोचित प्रयास करथु नञि कि अपना संग आगू
बढ़ि रहल पीढी के भसिएबाक कुचेष्टा।
उमेद करै
छी जे मित्र रौशन जी वा निर्माण टीमक कोनो सदस्य हमर उपरोक्त गपसप के अन्यथा नञि
लेताह आ आगामी एपिसोड लेखन ओ प्रसारणमे एहि सभ गप्पक अखियास करता कारण अभिनेता ओएह
संवाद बजता/बजती जे लेखक लीखिक' देथिन, तैँ अभिनेता, निर्माता वा निर्देशक एहेन स्थिति मे कखनो दोखी नञि हेता, मुदा निर्माता सेहो तखन दोखी हेता ज' वास्तविक खर्च के सेहो अंटसंट बूझि बैसथिन, निर्देशक सेहो दोखी हेता ज' कथा आ संवाद केर वास्तविक रूप स' छेड़छाड़ करथिन,
अभिनेता सेहो दोखी हेता ज' निर्देशकक भाव आ आ हुनक अनुभव के नकारैत उप्पर उठि ऑवरएक्ट सन अनुशासनहीनता
केँ पालन करता। जे हो अहाँ लोकनिक नीक ओ अधलाह कृत्य स' समाजे प्रभावित होइत अछि।
आगामी
एपिसोड मे नीक आ स्वस्थ संवादक आस आ दिन प्रतिदिन निखार एबाक संग निरंतरता बनल रहए
से शुभेच्छा।
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