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Sunday, December 21, 2014

"रोमियो-जूलियट" बनाम "चान-चकोर"


दिल्ली आ लगीचक क्षेत्रक प्रेक्षक लोकनिकें समय समय पर नाटकक खोराक परसबा लए तत्पर मैथिली रंग मंचक नामी संस्था मैलोरंगद्वारा १५ दिसम्बर २०१४ (सोमदिन) मैथिली नाटक चान-चकोरकेर सफलतापूर्वक मंचन कएल गेल .

कार्यक्रमक पहिल सत्रमे मैलोरंग द्वारा दू गोट सम्मान ज्योतिरीश्वर सम्मान आ रंगकर्मी श्रीकांत मंडल पुरस्कार जेकि प्रतिवर्ष रंगकर्मक क्षेत्रमे हुनक अद्भुत प्रतिभा लेल देल जाइत रहल अछि केर आयोजन छल जेकि प्रायोजित छल मिथिलानी आ समाजसेवी डा. ममता ठाकुर द्वारा. ज्योतिरीश्वर सम्मान हेतु चयनित छला पटना रेडियो स्टेशन सप्रसारित होमय बला चौपालनामक नियमित कार्यक्रमक प्रस्तोता आ वरिष्ठ अभिनेता छत्रानन्द सिंह झा उर्फ बटुकभाइ आ रंगकर्मी श्रीकांत मंडल पुरस्कार हेतु युवा अभिनेता आशुतोष अभिज्ञ जेकि पटना स्थित भंगिमाक माध्यम ससमूचा देशमे बेस नाओं करहल छथि.

सम्मान समारोहक पश्चात मैलोरंगक ऑफिशियल वेबसाइट मैलोरंग डॉट कॉमआ प्रसिद्ध नाटककार आ मैलोरंग संस्थाक अध्यक्ष महेन्द्र मलंगियाक नाम सप्रकाशित पुस्तक महेन्द्र मलंगिया : जीवन एवं सृजनकेर विमोचन सेहो कएल गेल.

कार्यक्रमक दोसर सत्रमे प्रारम्भ भेल महीनो पूर्व नियारल आ अभ्यासल नाटक चान-चकोर”. ज्ञात होए कि चान-चकोर आंग्ल भाखाक सुप्रसिद्ध नाटककार विलियम शेक्सपीयर रचित जगजियार ऐतिहासिक नाटक रोमियो-जूलियटकेर मैथिली अनुवाद आ परिकल्पना अछि जेकि स्वयं मैलोरंग केर निदेशक प्रकाश झा केने छथि. मूल रचनामे रोमियो-जूलियटप्रेमक एकटा एहेन उपमा अछि जे ऊँच-नीच, जाति-पाति आ गरीब-धनिक सन रुढ़िवादी बन्हन के मिथ्या साबित करैमे सफल रहल अछि. प्रेमक एहि मूल कथाकें आधार पर कत्तेको सिनेमा आ नाटक रचल गेल. रामेन्द्र (रोमियो) एकटा नीच जातिक युवा जकरा एकटा उच्च खानदानक बेटी जूली (जूलियट) सप्रेम भजाइत छैक आ एम्हर जूलीक विवाह वास्ते सुयोग्य वरकें क्रममे राजकुमार प्रताप केर चयन कैल जाइछ मुदा विधिनाकें लिखल एहेन जे रामेन्द्र आ जूलीकें प्रेम शनैः शनैः दुन्नू दिस एतेक प्रभावी होमय लागल जे गुप्त रूप सगामक एक मंदिरमे भगवान आ पंडितकें साक्षी मानि एक-दोसराकें संग जीयब-मरब के गाँठ बान्हि परिणय सूत्रमे बन्हि जाइत अछि मुदा खिस्सा एत्तहि समाप्त नैं होइ छै . ओकरा दुन्नूकें एहि प्रेमक मध्य जाति-पाति एहेन बाधा भजाइत छैक जे रामेन्द्रकें अपन बालसखा मानेन्द्रक हत्या सजेकि जूली केर मसिऔत भाए राजा बाबूक हाथ सआ तत्पश्चात राजा बाबूक हत्या रामेन्द्रक हाथ समने दू टा हत्याक संग चुकबपरैत छैक. हत्याक सजा रामेन्द्रकें जिला-जयवार सनिर्वासित करबाक आदेशक संग होइछ जेकि रामेन्द्र आ जूली दुन्नू गोटे वास्ते असह्य छल आ एक-एक दिन एक-दोसरा बिन काटब मोस्किल. जूलीकें अन्न-पानि त्यागबाक कारणें कमजोर हएब मृत्यु समान छल आ तहिना रामेन्द्रक वास्ते जूलीक संग नैं हएब मृत्यु समान. समसान घाटमे अचेत परल जूलीकें मृत मानि रामेन्द्र बिख खाए अपन प्राण ददैछ मुदा चेतना अबैत जूली अपन रामेन्द्रक मृत शरीर देखि अपनें हाथे धरगर चक्कू सअपन हत्या कलैत अछि आ एहि तरहें ई अमर प्रेम इतिहासमे अंकित भेल आ होइत आबि रहल अछि.

अंगरेजिया संस्कृतिकें रूढ़िवादी परम्परा पर कुठारघात कशेक्सपीयर जाहि विषय-वस्तुकें समेटने छथि ताहि विषय-वस्तुकें मिथिलाक संस्कृतिमे तदनुसार सन्हिया कओकरा आधुनिक रूपमे प्रस्तुत करब बड्ड बेसी साहसक संग सृजनकारी विषय अछि.निश्चितरूपे एहि प्रयोगमे युवा रंग निर्देशक प्रकाश झा सफल रहलाह अछि आ एहि सफल यात्रामे हुनक संग डेगमे-डेग मिलाकचलनिहार रंगकर्मी लोकनिक योगदानकें कथमपि बिसरल नैं जा सकैछ यथा : मुकेश झा (चान/रामेन्द्र/रोमियो) ,अनिल मिश्रा (जूलीक पिता),सत्या मिश्रा (चकोर/जूली/जूलियट),प्रवीण कश्यप (पंडितजी),संतोष कुमार (राजा बाबू/मसिऔत भाए),अमरजीत राय (रामेन्द्रक बालसखा/बालेन्द्र), अमित कुमार (रामेन्द्रक बालसखा/मानेन्द्र),मनोज पाण्डे (राजकुमार प्रताप),रमण कुमार (जग्गा),ज्योति झा (ककना वाली दाई),नीरा झा (जूलियटकें माए),राजीव रंजन झा (पार्श्व स्वर),राजीव मिश्रा (पार्श्व ध्वनि),अजीत मलंगिया (तबला वादन), अखिलेश कुमार (की-बोर्ड),दीपक ठाकुर (पार्श्व संगीत), गोविन्द जी (प्रकाश परिकल्पना) आदिकें योगदान उल्लेखनीय सह प्रशंसनीय रहल.

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