मधुबनी
जिलान्तर्गत हरिपुर गौरीदास टोल के रहनिहार श्री रमानाथ झा छात्र जीवनमे मैथिली आ
हिन्दीकें रंगमंच पर कतेको नाटकमे अपन अभिनय स' चर्चित रहला अछि। अध्ययनकें क्रममे दिल्ली आबि अर्थशास्त्र स' स्नातक केलाक उपरान्त एक्सपोर्ट मैनेजमेंट के कोर्स क' स्वतंत्र व्यवसायमे संलग्न भ' गेला मुदा अभिनय आ भाखाक प्रति प्रेम मैथिली फिल्म निर्माणमे डेग बढ़ेबा लेल
बाध्य कय देलकनि।बहुचर्चित निर्माणाधीन मैथिली फिल्म "हाफ मर्डर" केर
निर्माता-निर्देशक रमानाथ जीक संग दिल्लीमे भेल हमर भेंटवार्ताक किछु अंश :
अपनेंके फिल्म निर्माणक क्षेत्रमे प्रवेशकें संजोग बुझल जाए वा पूर्वे स' नियार-भास केने छलौं ?
अभिनयकें
त'
पहिले स' अनुभव छल आ ३-४
साल धरि पटना में रंगमंच स'
जुडल सेहो छलौं मुदा ओहि समयमे बहुत ज्यादा प्लेटफार्म और
कमाइकें कोनो तेहेन निश्चितता नँइ छलै । हमरा लोकनि चंदा क'क'
नाटक करैत छलौ और सब कलाकार सब अपने स' टिकट बेचैत छलौ ताहि ल'क'
भविष्यकें चिंता स्वाभाविक छल। किछु दिनक पश्चात दिल्ली
एलौं,अर्थशास्त्र स' ऑनर्स केलौं आ तकरा बाद नौकरी करैत कंप्यूटर के कोर्स केलौं। भोरमे कम्प्यूटर
आ सँझुका समयमे एक्सपोर्ट मैनेजमेंट के कोर्स करैत दिनमे नौकरी सेहो करैत छलौं। १३
वर्ष धरि नौकरी केलाक बाद हम अप्पन एक्सपोर्ट के व्यवसाय शुरू केलौ जखन किछु
आर्थिक स्थिति ठीक भेल त'
तकरा बाद फिल्म निर्माण दिस झुकाव भेल कियैक त' मोनक कोनो कोनमे अधूरा सपना घर केने छल लगैत छल जे किछु अपन
समयमे नँइ क'
सकलौ से आब कएल जा सकैत अछि। एहि फिल्म स' पूर्व एक-दूटा प्रोजेक्टकें प्रस्ताव आयल मुदा पसंद नँइ
भेल।पिछला साल २०१२कें सितम्बर में नवीन विषय वस्तु पर आधारित ई प्रोजेक्ट भेटल और
हमरा कथानक और घटनाक्रम नीक लागल और माँ जानकीकें कृपा स' आगू बढ़ैत गेल आ बहुत जल्दी दर्शक के सोझा आबय बला अछि।
अपनेक प्रदर्शित होमय बला मैथिली फिल्म "हाफ मर्डर" बेस चर्चामे अछि, निर्माता के रूपमे अपनेकें केहेन अनुभव रहल अछि ?
एकर किछु
कारण एना अछि-घटना नवीन छैक , कथानक सेहो
समाजिक अछि आ समाजक बीच के अछि , कलाकार सब
मैथिलीभाषी छथि ,
शूटिंग बेसी स' बेसी हमसब मिथिला क्षेत्र में केने छी आदि।
फिल्मक कथा कोन घटना पर आधारित अछि आ मनोरंजन के दृष्टिकोणे एहिमे की सब
फेंटफांट कएल गेल अछि सेसंक्षेपमे जनतब देल जाउ ?
"हाफ मर्डर" के २-३ टा बात मुख्य अछि जाहि विषयवस्तु के ल'क'
हमसब ई फिल्म निर्माण केलौ जेनाकि-
१.
अपरिपक़्व उमेरमे प्रेम आ ओकर दुष्परिणाम
२. समाज
शिक्षित रहितो मिथ्यावादिता के शिकार
३. समाज
के किछु ख़राब मानसिकताक लोक द्वारा अपन स्वार्थ के लेल समाज के सूली पर चढ़ा देनाइ
आदि।
सबटाकें
जोरिक'
एकटा नीक फिल्मकें निर्माण भेल अछि जाहि में एक्शन छै, रोमांस छैक , ट्रेजेडी छैक,
सुन्नर गीत-संगीत छैक जे दर्शककें भरपूर मनोरंजन करेतनि।
फिल्मक सफलतामे परदाक सोझा आ पाँछाक एक-एक पात्रक/कलाकारक महत्त्वपूर्ण योगदान
होइछ एहि सभ बातकें धेआनमे रखैत फिल्म के व्यावसायिक रूपे प्रस्तुत करबा लेल
केहेन-केहेन पात्रक/कलाकारक चयन केने छी आ हुनका लोेकनि स' केहेन उम्मीद रखने छी ?
मिथिलामे
कलाकारकें आ प्रतिभाक कमी नँइ छैक आ हुनका सब पर पूरा विश्वास करैत एहि फिल्मकें
निर्माण भेल अछि। सबगोटे अपन-अपन क्षेत्र आ विधामे पूरा मेहनतस' काज केलनि अछि, चाहे ओ प्री-प्रोडक्शन हो वा पोस्ट प्रोडक्शन सबगोटा अपन अपन १००% देलखिन अछि।
फिल्म के अभिनेता कृष्णा मिश्रा जहिना मासूम आ मेहनती छथि तहिना हीरोइन स्वेता
वर्मा बहुत आकर्षक आ कमाल के अभिनेत्री छथि, खलनायक नवीन चौधरी बहुत नीक कलाकार छथि, सतेंद्र झा बहुत अनुभवी कलाकार छथि, सागर जी सीनियर कलाकार छथि, सावित्री देवी ,गगन चौधरी, शशिमोहन, मंगलानन्द, सुधा झा, फैज़ल , मनीष, किरण शाह , गणेश, निशा, सुरेश, मनोज सब मैथिल कलाकार छथि आ सब गोटे अपन-अपन जिम्मेदारीक
निर्वाह नीक जेंकाँ केने छथि, फिल्म के
डायरेक्टर अरमान हैदर,
सह-निर्माता श्री आदित्यनाथ मिश्रा जीकें सेहो भरपूर सहयोग
भेटल।
एहि फिल्ममे कोनो तेहेन प्रयोगात्मक मसल्ला देलौं अछि जेकि मैथिलीक आन-आन फिल्म
स' भिन्न हो ?
देखियौ
मनीष जी ! मैथिलि समाजकें संस्कार आ संस्कृतिकें ध्यानमे रखैत हमसब सिनेमामे
नवीनता देबाक प्रयास केलौं अछि।फिल्मांकन आ प्रस्तुति बिलकुल न'व अछि।फिल्म के शुरुआत में नयापन अछि , कैमरामैन सब जेनाकि अब्बास जी आ डीके राजू बहुत अनुभवी छथि
बहुत रास प्रयोग केलनि अछि तहिना पंकज जीकें कमालकें एडिटिंग, वी एफ एक्स , ग्राफिक्स ,
डी आई आदि, यसुदास जीकें
बैकग्राउंड म्यूजिक आ ५:१ के मिक्सिंग सब सेहो बेजोड़ अछि आ ई समूचा प्रयोग सिनेमा
देखलाक बाद पता चलत। हँ! हम एतेक विश्वास दैत छी जे दर्शककें भरपूर मनोरंजन हेतैन
आ पूरा फिल्मक नीक आनंद उठेता।
"हाफ-मर्डर"मे निर्माता के अलावा अपने सेहो
कोनो चरित्र निर्वहन के भार लेने छी? जँ' हँ' त' केहेन भूमिका अछि ?
जी हँ!
हमर एकटा सकारात्मक भूमिका अछि जेकि समाजक हितकें धेआनमे रखैत काज करैत अछि।
कलात्मक अभिरुचि पहिने स' छल वा एहि फिल्मक आवश्यकता अनुरूप निर्वाह कएल।
जेनाकि
हम पहिने कहलौँ अछि हम जखन पटनामे ग्रेजुएशन करैत रही ताहि समयमे कलाकें क्षेत्रमे
बहुत नीक-नीक संस्था सभक संग काज केलौ जाहिमे "इप्टा" संगे पूरा बिहारमे
घूमि-घूमि क'
बहुत नुक्कड़ नाटक सब केलौ। कतेको मैथिलि संस्था सबस' जुरलौ आ हमसब अपने एकटा संस्था सेहो बनेलौ "कला
समिति" केर नाम स'
। हमरा लोकनिक संस्था अंतर्राष्ट्रीय मैथिली नाट्य समारोह
में हैट्रिक विजेता रहल मने १२ में स' ७ टा पुरस्कार हमर सभक संस्था के भेटल छल जखन कि नीक-नीक नाट्य संस्था सब स' प्रतिश्पर्धा छल जेनाकि "अरिपन" , "भंगिमा" नेपाल के किछु नाट्य संस्था आ करीब ८-१० टा आर
संस्था छल। फिल्म हाफ मर्डर हम मात्र निर्माता रहए चाहैत छलौं कियैक त' हमर एक छोट-छिन व्यवसाय अछि आ बेसी व्यस्तता सेहो एक कारण
छल। फिल्मक शूटिंगकें दौरान जखन हम कोनो-कोनो दृश्य स' सम्बन्धित राय -विचार आदि दियनि त' टीमक सदस्य लोकनि प्रभावित होमय लगला आ हमर अभिनय सम्बन्धी
अनुभव स'
ज्ञात होइत सब गोटे कहला जे अहूँ एकटा किरदार बनू, जखन एकटा दृश्य शूट केलौं त' सबके बहुत नीक लगलनि आ बहुत तारीफ केलनि आ फेर हमरा ओहि चरित्र निर्वहन वास्ते
स्वीकृति देमय परल आ स्वयं बहुत ख़ुशी भेल जे सबटा पुरनका गप फेर स' न'व भ'
गेल। हम अपना दिसस' पूरा कोशिश केलौ अछि नीक अभिनय करबाक आशा अछि जे दर्शक के पसीन परतनि।
आधुनिक जुगक दर्शक लोकनिक सबस' बेसी झुकाव संगीत दिस होइ छनि मने संगीत हिट त' फेर फिल्मक कथा जँ' कनिको जानदार अछि त' बुझू पूरा फिल्म हिट । संगीत पक्षकें मजगूत बनेबा
लेल की नवप्रयोग केलौं अछि ?
हमर
व्यक्तिगत अनुभव अछि जे गिनल चुनल मैथिली सिनेमा के छोरि बेसी सिनेमा में संगीत पर
ध्यान नँइ देल जाइत अछि एकरा पाँछाँ की कारण छै से त' नँइ कहि सकैत छी मुदा जहाँ तक "हाफ मर्डर"के बात
अछि हम अपनहु संगीतक प्रेमी छी और पूरा प्रयास केलहुँ अछि जे श्रोता सबकें
गीत-संगीत पसीन परनि जाहि के लेल सबटा ट्रैक लाइव बजबेने छी और वाद्य-यंत्र बजब' बला कलाकार सब सेहो बेस अनुभवी छथि, गीत वास्ते प्रसिद्ध गीतकार सब जेनाकि डॉ चंद्रमणि जी , श्री सरस जी सन-सन वरिष्ठ गीतकार लोकनि सब गीत देलनि अछि।
गायनमे अपन सुन्दर स्वर देलनि अछि श्री रविन्द्र जैन, श्री उदित नारायण झा, सुश्री कविता कृष्णामूर्ति , मोहम्द अज़ीज़ , श्री कुमार शानू , श्री शान आ मैथिली के जानल मानल प्रसिद्ध कलाकार जेनाकि- श्री ज्ञानेश्वर दुबे, श्री सुनील पवन, श्री विकास झा ,
सुश्री राधा पाण्डेय, श्री शैलेश आदि। नृत्य निर्देशन ऋतुराज जी के छनि।
मैथिली फिल्म उद्योगमे समर्पित बहुतो एहेन प्रतिभावान कलाकार छथि जे अपन
प्रतिभाकें बल पर मिथिला-मैथिली के उत्तरोत्तर विकासमे सहायक भेलाह अछि, हुनक प्राथमिकता नँइ देइत अमैथिल कलाकारकेँ
प्राथमिकताएक प्रश्नचिन्ह लगबैछ या त' हुनक प्रतिभामे कमी छनि वा "बाड़िक पटुआ तीत"
कहावतकें चरितार्थ करैछ । अहाँ एक सक्षम निर्माता केर रूपमे अपन पक्ष राखल जाउ ।
अहाँक
एहि बात स'
हम सहमत नँइ छी आ जिनकर किनको ई आरोप छनि बिलकुल गलत
छनि।देखियौ! मैथिलि फिल्म उद्योगकें बढ़ाब' के लेल हम ९०% शूटिंग मिथिलांचल में केलौ अछि जेनाकि- दरभंगा, सीतामढ़ी, सकरी, जयनगर इत्यादि जगह सभ पर।सिनेमामे जतेक कलाकार छथि सबगोटे
मैथिल छथि,
हँ'
किछु टेक्नीशियन बाहरी छलाह जेनाकि- निर्देशक, कैमरामैन आदि जकर अपन मिथिलांचल में अभाव अछि। दोसर बात
जहाँ तक संगीतकें छै हमर व्यक्तिगत अनुभव आ सोच अछि जे संगीत कोनो भी सिनेमा के
रीढ़ होइत छैक और पुरान अनुभव के आधार पर देखल जाय त' २-३ टा सिनेमा के छोरि दियौ त' बेसी सिनेमा के गीत सब लोकप्रिय नँइ भेल अछि,आब एकर कारण की छल से त' श्रोता सब कहि
सकैत छथि। आजुक तिथिमे सिनेमा बहुत रास बनल आ कतेको निर्माणाधीन अछि। श्रोता सबके
मनोबल जे टूटल छनि आ दर्शक सबके जे मैथिली सिनेमा स' बहुत ज्यादा लगाव नहीं छनि इहो एकटा कारण छल हमरा प्रसिद्ध आ राष्ट्रीय
ख्यातिप्राप्त गायक सबके चयन करय पड़ल आ ततेबा नँइ संगहि किछु मैथिल गायक सबकें
सेहो मौका देल गेलनि अछि तँए ई मात्र आरोप अछि। फिल्मक संगीत निर्देशक सेहो मैथिले
छथि।एतेक बात हम जरूर कहब जे संगीत के छेत्र में अपना सबके मेहनत करय पड़त किएक त' संगीत एकटा शिक्षा और साधना के विषय छैक और एहिके लेल कठिन
पढाइ और तपस्या के जरुरत छैक ठीक तहिना जेनाकि हम सब विद्या उपार्जन के लेल
विद्यालय में जाइत छी और जे जेहेन मेहनति आ लगन स' पढाइकरैत छथि ओ ओतेक आगू बढ़ैत छथि तहिना संगीत के ज्ञान के लेल जरुरी शिक्षा, लगन और मेहनत के आवश्यकता होइत छैक संगहि कलाकार सबके सेहो
अभिनय केर प्रशिक्षण आ पढाइ के जरुरत छनि तहिना निर्देशन आदि सब छेत्रमे अध्ययन आ
प्रशिक्षण केर आवश्यकता अछि।
मैथिली फिल्मक संग एक बड्ड पैघ बिडंबना रहल अछि जे शुरुआतीमे निर्माता आ
निर्देशक के सम्बन्ध नीक रहैत छनि तत्पश्चात फ़िल्मक अंतिम चरण पहुँचैत पहुँचैत
आपसी मतभेद वा सामंजस नँइ बनबाक कारणे निर्देशकक पूर्व घोषित नाम पर निर्माता के
नाम सोझा अबैत अछि। अपने अपन अनुभव साझा कएल जाउ आ हाफ मर्डर के निर्देशकक रूप में
हमरा लोकनिक सोझा के प्रस्तुत भ' रहल छथि ?
बहुत निक
प्रश्न केलौं अछि। हमर व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर हम कहब जे निर्माता और निर्देशक
कुनु सिनेमा के पेरेंट्स होइत छथिन आ सिनेमा हुनकर बच्चा। निर्माता फाइनेंस के काज
करैत छथि आ निर्देशक ओहि सँ' सिनेमा के
पाइल-पोइस क'
तैयार करैत छथि। मैथिली फिल्म जगत एखन धरि स्थापित नँइ भेल
अछि जाहि कारण स'
प्रायः निर्माता और निर्देशक दुनू न'व रहैत छथि आ दुनूकें बीचक संबंध सेहो न'व रहैत छनि। किछु लोक जे दुनू पक्ष के जनैत छथि ओ सब
जाने-अनजानेमे या त'
ई सोइच जे चलू कहुना एकटा फिल्म त' बनत या फेर अपन निजी स्वार्थके कारणे बहुत किछ वास्तविकता
के नुका दैत छथि आ निर्माताके बहुत रास सपना देखा क' तैयार क'
लै छथि।जेनाकि बजट कम बता क' वा कमाइ ज्यादा बता क'
इत्यादि ढ़ंग स'।
दोसर बात
निर्माताके कतेक अनुभव छनि वा की सब काज केलैन अछि तकरो बारे में गलत सूचना दैके
प्रयास करैत छथि।निर्माता विश्वासके आधार पर काज बढ़बै छथि आ रुपैया खर्च करैत छथि, टीम बनैत अछि आ काज शुरू होइत अछि मने शूटिंग भ' रहल अछि, चूँकि तकनीकी
रूपस'
निर्माताकें ततेक अनुभव नँइ रहैत छनि हुनका बस ई पता रहैत
छनि जे लोकेशन पर शूटिंग भ'
रहल अछि। की भ' रहल अछि,
कथानक के हिसाब स' भ'
रहल अछि की नँइ, सिनेमामे एहि सीन के उपयोगिता छै वा नँइ इत्यादि सब ज्ञात नँइ रहैत छनि, मुदा आब निर्माता लोकनि सेहो शूटिंग देखैत छथि। जतेक बजट पर
बात भेल रहैत छनि ओतेक पाई खर्च भेलाके बाद पता चलैत छनि जे सिनेमा त' एखन आधा तैयार भेल अछि आ आधा शूटिंग बाँकी अछि तखन निर्माता
घबरा क'
वस्तुस्थिति के पता करैत छथि आ सच्चाइ ज्ञात भेलाक बाद
निर्माता आ निर्देशक के बीच मतान्तर हएब स्वाभाविक अछि। वास्तव में कुनु सिनेमा
जखन एडिटिंग पर जाइत छै तखन पता चलैत छै जे सिनेमा की बनबैत छलौं आ की बनल भेटल।
मैथिलि सिनेजगतमे किछु फिल्म के छोरि अधिकांशमे इएह होइत रहल अछि जे कथानक किछु और
रहैत अछि आ शूटिंग किछु आर भेल। एहि सभस' अनुभवमे कमीके साफ़ पता चलैत अछि। हम इहो कहब जे शूटिंग काल में एकटा एडिटर के
जरूर रखबाक चाही जाहि स'
भ'
रहल शूटिंग के नतीजा के अनुमान तत्क्षण लगाओल जा सकैत अछि ।
जखन
निर्माता के निर्देशक के काज स' सन्तुष्टि नँइ
होइत छनि चाहे ओ अनुभव के कमी स' हो वा बजट स' बेसी खर्च भेलाक कारणे हो या फेर अनाप सनाप सीन के शूटिंग स' हो आदि कतेको तरहक कारणे निर्माता निर्देशक के बीच मनमुटाव
भ'
जाइत छनि। जखन निर्माता पाइ लगबैत छथि त' हुनकर जिम्मेदारी होइत छनि जे फिल्म नीक ढंग स' बनि सिनेमा हॉल तक पहुँच जाइ चाहे ओहि के लेल जतेक फेर बदल
करय पड़ै। दोसर दिस निर्देशक सिनेमा के छोइर अपन निजी स्वार्थ दिस अग्रसर भ' जाइत छथि जेनाकि सिनेमा जेहने बनल से बनल , नँइ बनल त' नँइ बनल, बक्सा में बंद करय के अछि त' क'
दियौ आदि मानसिकताक संग निर्देशकके ओहि सबस' माने मतलब खत्म भ' जाइत छनि बस अपन चिंता रहैत छनि जे हमर नाम रहए आ हमरा आरो पाई भेटै। कतेक बेर
त'
निर्माता लोकनि ब्लैकमेलिंग सेहो होइत छथि मुदा जे जेहेन
अनुभव के छथि ओ अपना अपना हिसाब स' मामलाके हैंडल करैत छथि। इएह सब किछु कारण अछि जे अंतमे बाध्यतावश निर्माता के
निर्देशक में अपन नाम देबै पड़ैत छनि किएक त' जखन कुनु निर्देशक फिल्म के आधा रस्ता पर छोड़ि दैत छथिन तखन निर्माता ओकर
ड्राइवर बनि सिनेमा हाल तक पहुँचाबै छथि । तइयो निर्माता लोकनि निर्देशक के पद के
सम्मान करैत छथि आ ओहनो स्थितिमे कुनु एसोसिएट निर्देशक के नाम प्रत्यक्ष
निर्देशकके रूपमे नँइ दैत छथि जखन कि सच्चाइ ई रहैत छै की समस्त एसोसिएट सब मिलके
निर्माता के सहयोग करैत छथि ।
इहो बात
बिल्कुल सत्य छै की अगर कुनु प्रोजेक्ट में अगर किछु व्यक्ति ख़राब आ अनुभवहीन रहैत
छथि त'
संगहि किछु नीक आ अनुभवी व्यक्ति सेहो रहैत छथि आ तखने कुनु
प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक संपन्न होइत अछि मुदा जँ' ईमानदारी स'
देखल जाय त' जे एक-दूटा एसोसिएट डायरेक्टर होइत छथि निर्देशकक पदके असली हक़दार ओएह होइत
छथि। हमर फिल्ममे असली निर्देशक कहल जाय त' ओ छथि श्री अरमान हैदर काज़मी जेकि शुरु स' एखन धरि जी जान स'
एहि सिनेमाके नीक स' नीक बनेबा लेल दिन-राइत एक केने छथि आ बहुत बेसी मेहनैत क' रहल छथि मुदा ओ तकनीकी निर्देशक छथि आ निर्देशक पद के
सम्मान करैत हम अपन नाम द'
रहल छी निर्देशक के लेल।
बहुतो एहेन उद्योगपति छथि जिनका लग ढ़ौआ पुष्ट छनि, मैथिली भाखाक प्रति प्रेम सेहो छनिहुनका लोकनिकेँ
मैथिली फिल्म उद्योगक बढ़ैत डेगमे सहायक हेबा लेल आ निधोख भ' क' एहिमे आगाँ एबा लेल की आवाहन करबैन ?
हम सब
गोटे स'
आग्रह करबनि जे एखन मैथिलि फिल्म के आगू बढ़ाबय के लेल
सुनहरा अवसर अछि तँए व्यावसायिक आ अनुभवी टीमके संग नीक विषयवस्तु पर जँ' सिनेमा बनाओल जाय त' मैथिली फिल्म उद्योग के सुन्दर दिशा भेटबाक बड्ड बेसी संभावना छैक।
फिल्मक निर्माणमे अत्यधिक व्यस्तता रहितो हमरा संग अपन व्यक्तिगत जीवन आ
फ़िल्मक सन्दर्भमे जे किछु गूढ़ गप्प-सप्प साझा कएल ताहि लेल आभार आ आगामी फ़िल्म
"हाफ मर्डर" के सफलता हेतु अपने आ अपनेक समस्त टीमकें हमर अग्रिम
शुभकामना !
मनीष जी
अपनहुकें बहुत बहुत धन्यवाद ! आशा करै छी जे मैथिली दर्शक फ़िल्मक प्रति जे
सकारात्मक उम्मीद रखने छथि तकरा पूर करबाक प्रयास हमर पूरा टीम केलनि अछि।
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