दिल्ली, गोल मार्केट (भाई वीर सिंह मार्ग) स्थित सभागार मुक्तधारा
मे शुक्रदिन मने ०६ सितम्बर २०१३ क' महान विभूति साहित्यकार ब्रजकिशोर वर्मा "मणिपद्म" केर जयंती केर
उपलक्ष्य मे मैथिली रंगमंच केर प्रतिष्ठित संस्था "मिथिलांगन" मैथिली
नाटक "फुटपाथ" केर मंचन केलक. एहि अवसर आमंत्रित अतिथि लोकनि दीप
प्रज्ज्वलित करैत मणिपद्म कें श्रद्धांजलि देइत कार्यक्रमक श्रीगणेश केलनि.
आमंत्रित अतिथि मे अवकाशप्राप्त अंग्रेजीक प्राध्यापक आ साहित्यकार डा जनक किशोर
लाल दास,
साहित्य अकादमी स' सम्मानित परम विदुषी डा शेफालिका वर्मा आ दिल्ली विश्वविद्यालय केर इतिहास
विषयक प्राध्यापक डा प्रो. अरुण कुमार सभागार मे उपस्थित समस्त प्रेक्षक कें
मणिपद्म केर कृतित्व आ व्यक्तित्वक सन्दर्भ अवगत करबैत मैथिली भाषा आ संस्कृति के
प्रति हुनक समर्पणताक जानकारी देलनि. एहि
अवसर पर मिथिलाक तीन प्रभावी व्यक्तित्व साहित्यकार मायानन्द मिश्र, गायिका अंशुमाला झा आ प्रसिद्ध कवयित्री सुधा कर्ण केर निधन
पर किछु क्षणक मौन राखि श्रद्धांजलि सेहो देल गेल.
फुटपाथ
नामक कथा लिखल छल "मणिपद्म" द्वारा जकर नाट्य रूपांतरण केने छलाह प्रदीप
बिहारी. फुटपाथ नामक ई नाटक आधारित छल ओहि समाज पर जे समाज असहाय, दीनहीन आ घृणा मात्र के पात्र बनल फुटपाथ पर अपन जीवन व्यतीत
करबा लेल बाध्य अछि. एकटा एहन समाज जे स्वयं त' सभ भोगविलास के वस्तु स' वंचित अछि मुदा
समृद्ध समाजक हेतु मात्र भोग आ उपयोग केर वस्तु बनल अछि. देश में रहैत देशक नागरिक
हेबा स'
वंचित अछि कारण भोर-साँझ (दू समय) के भोजन वास्ते सम्पूर्ण
जीवन भीख मँगनी में बिता लैत अछि. इएह ओ स्थान अछि जतय स' चोइर, अपराधक बीज
अंकुरित होइत अछि जे कि मनुक्खे (नेता, पुलिस,
व्यवसायी आदि) द्वारा मात्र दू साँझक रोटी लेल एकरा बाध्य
कयल जाइत अछि. कथा मे एक बहुत सुन्दर कल्पना जे मनुक्ख त' वास्तव मे एहन समाज के हेय दृष्टिये देखैत आयल अछि एहन सन
स्थिति मे मानवक रूप मे सदेह एक आत्मा (जे कि बाद मे प्रस्थान क' जाइत अछि) ओहि सभक मध्य स' जागरूक बच्चा कें शिक्षा द' ओकरा प्रबुद्ध
समाज में अपन स्थान बनेबा लेल प्रेरित करैत अछि मुदा जखन ओ बच्चा एहि अधिकार लेल
संघर्ष करबाक चेष्टा करैत अछि त' ओकर आवाज़ कें
दबा देल जाइत अछि. करुण,
हास्य आ व्यंग्य वाद-संवाद के बीच वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक आ आर्थिक वस्तुस्थितिक समावेश प्रेक्षक पर बेस प्रभावी रहल.
मिथिलांगन
द्वारा आयोजित एहि नाटकक निर्देशन केने छलाह प्रसिद्ध युवा निर्देशक संजय चौधरी आ
हिनक एक विशेषता रहलनि अछि जे केहनो पुरान स' पुरान लिखल नाटकक बीच नव सृजनात्मक प्रयोग कय
वर्तमान परिस्थिति के आभास करबैत प्रस्तुत करैत छथि. हिनक निर्देशन में जे
लोकनि अपन मंचोपस्थिति देलनि अछि ताहि मे मुख्य कलाकार छलाह मुकेश दत्त, केशव झा, कल्पना मिश्रा, राजेश कर्ण, सायरा अली,
मास्टर आयुष,संजीव बिट्टू,
आशुतोष, साक्षी, प्रियंका, पूजा, प्रशांत, रोहित, विजय कर्ण, भारत भूषण, पियूष खंडूरी, अखिल विनय आदि. पार्श्व संगीत-सुन्दरम, पार्श्व गायन-सुन्दरम आ रूपम मिश्रा, नृत्य-श्रुति दास आ मेकअप-दुष्यंत जी. मंच सञ्चालन-रविन्द्र चन्द्र लाल दास आ
जयश्री दास.
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