भाषा सेवा लेल आंशिक योगदान, अपने लोकनिक अवलोकनार्थ। क्लिक कय पढ़ल/देखल/सुनल जा सकैत अछि :

रिपोर्ट (63) अखबारक पन्ना (33) ऑडियो/वीडियो (21) मैथिली नाटक (19) कथा मैथिली (18) मैलोरंग (16) मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश (14) दैनिक जागरण (12) मैसाम (10) मैथिली फिल्म (8) साक्षात्कार (8) मैथिली-भोजपुरी अकादमी (6) आलेख (5) ऑफिसक अवसर विशेष पर (3) झलक मिथिला (3) नवभारत टाइम्स (3) पाठकीय प्रतिक्रिया (3) बारहमासा (3) मैथिली पोथी (3) अखिल भारतीय मिथिला संघ (2) अछिञ्जल (2) अपराजिता (2) कथा मंचन (2) दीपक फाउंडेशन (2) मिथिला स्टूडेंट यूनियन (2) मिथिलांगन (2) मैथिली पत्र-पत्रिका (2) मैथिली लघु फिल्म (2) यात्रा संस्मरण (2) विश्व मैथिल संघ (2) सम्मानक सम्मानमे (2) हिन्दुस्तान टाइम्स (2) अस्मिता आर्ट्स (1) एकेडमी ऑफ़ लिटरेचर आर्ट एंड कल्चर (1) डी डी बिहार (1) देसिल बयना हैदराबाद (1) धूमकेतु आर्ट्स (1) भारती मंडन (1) मिथिला मिरर (1) मिनाप (1) मैथिली एलबम (1) मैथिली कथा (1) मैथिली जिन्दाबाद (1) मैथिली धारावाहिक (1) मैथिली पत्रकार (1) मैथिली लोकमंच (1) मैथिली संबोधन (1) विदेह (1) साझी धुआँ (1) साहित्य अकादेमी (1) साहित्यिक चौपाड़ि (1) स्वरचित (1) हिन्दी नाटक (1)

मुख्य पृष्ठ

Tuesday, October 23, 2018

ग्रामीण रंगमंच पर कथा ‘सुबहा’ आ 'मुक्ति प्रसंग' केर मंचन एकल अभिनय

मधुबनी जिलाक रामनगर (परजुआरि) गाम मे चारिदिवसीय नाट्य मंचनक पहिल राति १५ अक्टूबर,२०१८ क' दू गोट मंचन क्रमशः 'सुबहा' जे कि ऋषि वशिष्ठ द्वारा लिखित-निर्देशित एवं प्रभाती कमलिनी द्वारा अभिनीत कथा मंचन छल आ दोसर सुप्रसिद्ध लेखक राजकमल चौधरी लिखित कविता 'मुक्ति प्रसंग' आधारित काव्य मंचन छल जाहि मे निर्देशन आ अभिनेताक रूप मे प्रस्तुत भेलाह किसलय कृष्ण।


'सुबहा' एक गोट मुसलमान पात्रकेँ केन्द्र मे राखि लिखल गेल कथा अछि। अज्ञात चोर द्वारा गामक मन्दिर सँ मूर्ति चोरि कएल गेल मुदा ग्रामीण द्वारा अनावश्यक तर्कक आधार पर ताहि अपराधक सजा पटिया बेचि गुजर केनिहार फूलहसन नामक एक निर्दोष व्यक्ति केँ आरोपित कय ओकरा जेल पठबा देल गेल। जेल सँ बहरेलाक बाद समाज द्वारा उपेक्षित फूलहसन केँ एकमात्र विश्वास छल ओहि अबोध बालिका नरेनी पर जकरा ओ अपन निर्दोष हेबाक सबूत देमय चाहैत छल से नरेनी जखन ओकरा गला मे लिपटि जाइत छै, फूलहसन केँ विश्वास भ' जाइत छैक जे जगदम्बा स्वरुप नरेनी ओकरा माफ़ क' देलकै। फूलहसन केर आस्था मे लेखक जाहि तरहे अल्लाह आ ईश्वरक प्रति समानता देखै छथि से निश्चित रूप सँ जाति-धर्म सँ ऊपर उठि मानवता केँ चिन्हित करैत अछि।

कथा जहिना अपन विशिष्टता संग छाप छोड़बा मे सफल भेल अछि तहिना प्रभाती कमलिनी केर अभिनय। एकल अभिनय मे एकटा पैघ चुनौती होइत अछि जे मंच आ प्रॉपर्टीक पूर्ण उपयोग केना करी कारण एक्कहि अभिनेता केँ विभिन्न चरित्र आ चरित्रक अनुरूप कॉस्ट्यूम संग क्षणहि मे सोझा आएब बड्ड दुष्कर काज अछि आ ताहिमे प्रभाती केर आत्मविश्वास देखबा जोग छल। लेखक,निर्देशक ऋषि वशिष्ठ संग अभिनयक माध्यम सँ प्रभाती निस्सन उपस्थिति दर्ज करौलनि। सभसँ बड़का बात जे ग्रामीण रंगमंच पर जतय महिला उपस्थिति नगण्य अछि तेहेन सन चिन्ताजनक स्थिति मे ऋषि वशिष्ठ सन पिता प्रशंसाक हक़दार छथि जे अपन सुपुत्री केँ रंगमंच हेतु तैयार क' रहलाह अछि।

दोसर मंचन छल राजकमल चौधरी लिखित 'मुक्ति प्रसंग'क आ एहि बेर फ़िल्म समीक्षक/निर्देशक/उद्घोषक किसलय कृष्ण देखल गेलाह एक अभिनेताक रूप मे। राजकमल चौधरी द्वारा अन्तिम समय मे लिखल गेल पटनाक राजेन्द्र सर्जिकल वार्ड सँ मृत्यु आधारित एहि कविताक मंचन करब अपनाआप मे एक चुनौती अछि जकरा स्वीकारब सहज नहि मुदा से साहस केलनि किसलय कृष्ण। जँ अभिनय मे नियमितताक संग उपस्थित होथि त' नीक संभावना देखना जाइछ। शहरी मंच जतय समुचित संसाधन उपलब्ध रहैछ तेहेन ठाम एकर मंचन एक बेर देखलाक बाद अभिनय सम्बन्धी किछु कहब उचित हएत।

ग्रामीण रंगमंच पर प्रकाश,ध्वनि आदिक समुचित व्यवस्था करब एखनो कठिनाह काज अछि। तमाम मार्गदर्शन केर बावजूदो साउंड आ लाइट ऑपरेटर अपन अज्ञानता देखा गेल जकर नोकसान सोझे कलाकारक मनोबल पर पड़ैछ। दुन्नू मंचन मे एकल अभिनय छल आ दुन्नू कलाकार अपना भरि सीमित संसाधनक संग तालमेल बैसेबाक चेष्टा करैत उम्दा प्रस्तुति देलनि।

No comments: