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Sunday, September 09, 2018

अछिञ्जल आ मैथिली-भोजपुरी अकादमी केर संयुक्त तत्त्वावधान मे संपन्न धरोहर श्रृंखला-२


०२ सितम्बर,२०१८ कहिन्दी भवन दिल्लीमे अछिञ्जलमैथिली-भोजपुरी अकादमीकेर संयुक्त तत्त्वावधान मे धरोहर श्रृंखला-२ केर आयोजन कएल गेल. एक दिवसीय उक्त कार्यक्रम कुल तीन सत्र मे विभाजित छल. पहिल सत्रक विषय छल मिथिलाक अमूर्त संस्कृति : पञ्जि प्रबन्ध (उतेढ़ पोथी)जाहिमे मुख्य वक्ताक रूपमे पंजीकार विश्वमोहन चन्द्र मिश्र, भैरव लाल दास, महेन्द्र मलंगिया, महेन्द्र नारायण राम, संजीव झा, ऋषि वशिष्ठ आ अभिषेक देव नारायण छलाह . दू गोट आर वक्ता आमंत्रित रहथि सविता झा खान आ गजेन्द्र ठाकुर मुदा किछु कार्यवश ई लोकनि सेमिनार मे भाग लेबा सवंचित रहलाह. एहि सत्रक सञ्चालन करैत प्रसिद्ध रंगकर्मी कश्यप कमल जनौलनि जे प्रारम्भ सआइ धरि कला एवं संस्कृति राज्याश्रित रहल छैक आ सएह काज वर्तमान मे विभिन्न सरकारक संस्कृति विभाग द्वारा कएल जा रहल अछि. सरकारी तंत्रक दुरूपयोग करैत किछु लोक द्वारा एकरा अपसांस्कृतिक मद मे लगाओल अछि तैं एहेन प्रकारक जनचेतना बला कार्यक्रम आयोजित कध्यानाकर्षण करब सेहो आवश्यक सन बुझना जाइछ.

पहिल वक्ता संजीव झा पंजी व्यवस्थाक विभिन्न महत्त्वपूर्ण पक्ष सअवगत करेबाक क्रममे राजा हरिसिंह देवक काल मे १३२६ ई. सपंजी व्यवस्था, आधुनिक वैवाहिक मेट्रीमोनियल्स केर परिकल्पनाक सूत्रधार मिथिला कें मानैत एकर वैज्ञानिक पक्ष पर सेहो प्रकाश देलनि. एकर सामाजिक आ पारम्परिक इतिहासक विस्तृत जानकारी दैत पंजी व्यवस्था कें मैथिलक मूल पहचानक रूपमे इंगित केलनि .

दोसर वक्ता ऋषि वशिष्ठ द्वारा अपन विवाहक समय मे भेल सिद्धांतक आधार पर मोन मे उपजल जिज्ञासा केर आधार पर शोध आ प्राप्त जानकारीक अनुभव साझा केलनि. हिनक मानब छनि जे भलेही ई हरिसिंह देव केर समय अर्थात चौदहम शताब्दी सपंजीबद्ध भेल होय मुदा एकर प्रादुर्भाव सातम शताब्दी मे कुमारिल भट्टक समय मे भगेल छल जे हुनक तंत्रवार्तिक नामक ग्रन्थ सप्राप्त होइत अछि. पंजी व्यवस्था प्रारम्भक सम्बन्ध मे एक विस्तृत घटना सुनौलनि जे शतघारा गामक भिखना चांड़ द्वारा पंडिताइन संग अनाचारक सम्बन्ध मे मिथ्या प्रचार कदेल गेल आ ताहि सप्रभावित स्थानीय समाज द्वार हुनक अग्निपरीक्षा लेल गेल. अग्निपरीक्षा (पीपड़क पात स’) मे असफल भेला पर समाजक संदेह सत्य साबित भेल मुदा पंडिताइन एहि मिथ्या प्रचारक बात विद्यापतिक पितामही जे कि परमविदुषी छलीह लग रखलनि ओ पुनः एक बेर ओही प्रक्रिया समंत्र बदलि अग्निपरीक्षा करौलिह आ ओहि आधार पर परिचेता लोकनि सपुछला उत्तर निष्कर्ष ई निकलल जे हुनक विवाह छठम ठामक स्वजन मे भेल छनि तें ओ ताहि आधार पर चांडालगामिनी भेलीह. समाज द्वारा हुनक स्वामी बहिष्कृत कदेल गेलाह आ भविष्य मे स्वजन संग विवाह सनक घटना रोकबा लेल राजा हरिसिंह देव द्वारा पंजी व्यवस्था प्रारम्भ कएल गेल. ई व्यवस्था प्रायः सर्वजातीय छल मुदा कालान्तर अबैत ब्राह्मण आ कायस्थ छोड़ि आन वर्ग सपंजी व्यवस्था विलुप्त होइत चल गेल.

तेसर वक्ता अभिषेक देवनारायण पंजी व्यवस्था पर मिथिला सअंतर्राष्ट्रीय स्तरक विभिन्न तथ्यगत आधार पर वृहत् शोध प्रस्तुत केलनि जाहिमे मे वैज्ञानिक पक्ष, चिकित्सकीय पक्ष, दर्शन पक्ष आदिक जानकारी प्रस्तुत केलनि. प्रायः अन्यान्य देश मे लिपिबद्ध दस्तावेजक रूप मे अमेरिका आ भारतक राष्ट्रीय अभिलेखागार मे एकर संग्रह सम्बन्ध जानकारी सेहो देलनि. चीन द्वारा कंफ्यूसियस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन मे ओतुक्का २५०० वर्षक जीनोग्राम संरक्षित हेबाक जानकारी सहित वर्तमान पीढ़ीमे पलायन आ ओतुक्का स्थानीय समाजमे विवाह करबा सन प्रवृतिक प्रति एकर वैज्ञानिक पक्षक आधार पर जागरूक करबाक बात सेहो केलनि जाहि सएकर दुष्प्रभाव सबाँचल जा सकैछ.

चारिम वक्ता डॉ. महेन्द्र नारायण राम द्वारा ऋषि वशिष्ठक भिखना बला प्रसंग मे किछु संशोधन करैत स्वजन मे विवाह सम्बन्धक दुष्प्रभाव कें जनबैत कहलनि समान जीन सउत्पन्न सन्तान मानसिक वा शारीरिक रूप सअस्वस्थ होइछ आ पंजी प्रथाक आधार पर एकर निराकरण होइत अछि तैं ई बेसी आवश्यक अछि. ब्राह्मण आ कायस्थ समाज सहित ब्राह्मणेत्तर समाजक पंजी व्यवस्था पर सेहो वृहत शोधक साक्ष्य प्रस्तुत केलनि जाहिमे ओकर वर्गीकरण, विचार आदिक सोल्लेख व्याख्या केलनि आ ई स्पष्ट केलनि जे भलेही कालान्तर मे ब्राह्मणेत्तर समाज मे लिखित पंजी व्यवस्था विलुप्त भगेल तथापि एखनहु सात पुस्तक ध्यान राखल जाइत आ ओकर मर्यादा पूर्वक पालन कएल जाइत अछि. ई एकटा आर रोचक जानकारी देलनि जे मधुबनीक वर्तमान जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक एहेन प्रत्येक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज आ मिथिलाक पारम्परिक वस्तुक संरक्षण हेतु सौराठसभाक नजदीक एक गोट संग्राहलय निर्माण केर जिम्मा लेलनि अछि.

पाँचम वक्ता डॉ. भैरव लाल दास पंजी व्यवस्थाकें रक्त सम्बन्ध मे शुचिता मूल उद्देश्य मानै छथि आ पंजी व्यवस्थाक अनुपालन सअनाधिकार विवाह सबाँचल जा सकैछ जेकि नै मात्र सामाजिक स्तर पर अपितु वैज्ञानिक तर्क आ चिकित्सकीय आधार पर सेहो निषेध अछि. मिथिला सबौद्ध धर्मक प्रभाव समाप्त होइत पुनः सनातन धर्मक स्थापना सएहि मे शुचिता आएब प्रारम्भ भेल. १८२२ मे मेंडल साहब अनुवांशिकीय सिद्धान्तक प्रतिपादन कचुकल छलाह. युवा पिढ़ीमे एकरा प्रति उदासीनताक एक मूल कारण पारदर्शिताक अभाव सेहो अछि. पहिने पंजीकार लोकनि लोकजात्रा करैत छलाह आ अवसर विशेष पर ओहि गामक पंजी अद्यतन करैत छलाह आब सेहो व्यवस्था विलुप्त सन भगेल छैक. ब्राह्मण समाजमे पंजीक आधार पर वर्गीकरण आ श्रेणी वितरण व्यवस्थाकें राजनीति सप्रेरित मानै छथि आ हिनक विस्तृत शोध एक बात स्पष्ट करैत अछि जे समाजमे अपन प्रभुत्त्व स्थापित करबाक राजनीतिक कारणे विभेदीकरण कएल गेल आ एहने सन  खिस्सा बंगाल मे सेहो प्रचलित अछि. पंजीबद्ध सूचिक आधार पर मूल-गोत्र केर व्यवस्था मात्र एकटा सत्य अछि जकरा आधार मानि स्वजन आ अस्वजन केर निर्धारण करैत तदनुसार वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित होए. भैरव लाल दास मात्र पंजीक वर्तमान आ संभावित समस्ये टा नहि पर अपितु एकर निराकरण पर सेहो जोर देलनि. पलायनक कारणे कतेक लोक अज्ञानतावश पंजी व्यवस्था कें प्राथमिकता सेहो नै दै छथिन जखनकि वैवाहिक सम्बन्ध हेतु ई अत्यावश्यक अछि. युवा पीढ़ी एकरा डिजिटाइजेशन कसुरक्षित राखि सकै छथि आ जिनका जत्तहि सअपन कुल-मूलक जानकारी छनि ओत्तहि सई संकलन शुरु करथि आ सभ जातिक लोक करथि जाहि सएकटा समय अबैत-अबैत पुनः चिंताजनक स्थिति सहमरा लोकनि छुटकारा पाबि सकै छी. सरकारक विभिन्न योजना मे बहुतो एहेन दस्तावेज संग्रह कएल जाइत अछि यथा आधार कार्ड आदि जकरा माध्यम सप्राप्त आंकड़ाक आधार पर सेहो किछु काज कएल जा सकैछ.

छठम वक्ता पंजीकार विश्वमोहन चन्द्र मिश्र पंजी व्यवस्थाक महत्त्व पर प्रकाश दैत कहलनि जे पंजी बचेबाक अधिकार समस्त मिथिलावासिक अछि. विवाहक समय सिद्धांत लिखेबा काल मातृक आ पैतृक पक्ष मिला ३२ कुलक विचार होइछ. वर्तमान पीढ़ीक तएहेन चिंताजनक स्थिति छैक जे सिद्धांत लिखेबा काल जपितामह वा मातामहक नाओं पूछल जाइछ तओकरा फरिछा कबाबा आ नाना कहय पड़ैत छैक एहना सन स्थितिमे पंजी प्रबन्ध सन विषय लेल जागरूक करब आवश्यक अछि. धर्मशास्त्र जेंका पंजीक पढ़ाइ सेहो १० बर्खक पाठ्यक्रम सहोइत छल. आब तजिनका किनको पुस्तैनी गुण आ ज्ञान छनि ओएह टा एकर संरक्षण मे लागल छथि. पंजीकार एहि बात पर विशेष बल दैत कहलखिन जे पंजी विषयक पढ़ाइ विभिन्न विश्वविद्यालय मे होए आ संगहि मिथिलाक्षरक सेहो.

अंतिम वक्ता आ एहि सत्रक अध्यक्ष महेन्द्र मलंगिया भिखना चाँड़ बला प्रसंगकें मनगढ़ंत मानैत १३म शताब्दी मे हरिसिंह देवक समयक पंजी प्रथाक शुरुआतक खंडन करैत ओ एकरा १७म शताब्दी मे नेहरा मे भेल विश्वचक्र कें एकर आधार स्तम्भ मानैत छथि आ कहै छथि जे ओहिमे १४०० मीमांसक लोकनिक सहभागिता भेल रहनि जाहिमे किछु गोटे पूर्ण मंत्रोच्चारण करथि आ किछु गोटे मात्र स्वाहा कहि काज चलबथि आ ताहि सप्रभावित भनिर्णय लेल गेल जे बीजी पुरुषक नामक संग्रह होए आ पंजी प्रथा बीजी पुरुष संग्रह केर रूपमे प्रारम्भ भेल. ब्राह्मण मध्य जातीय स्तरक विभेद कें ओ तिरस्कार करैत एकरा राजनीतिक मनसाक रूपमे देखैत छथि. पंजीकार लोकनिक भूमिकाकें प्रसंशा करैत हुनका लोकनि सआग्रह करै छथि जे ई श्रेष्ठ, मध्य, निम्न आदिक वर्गीकरण हटाय पंजीकरण कें सुव्यवस्थित ढ़ंग सएकरा आगाँ बढबैत रहथि जाहि ससामाजिक समरसता बनल रहैक. पंजी व्यवस्थाक आधार पर विवाह आ ओहि सउत्पन्न संतान मे आधा मातृक पक्षक आ आधा पितृ पक्षक गुण अबैछ आ विकसित समाजक वास्ते ई एक आवश्यक तत्त्व अछि. पहिल सत्रक वक्तव्य समापनोपरांत नवारम्भ सप्रकाशित धीरेन्द्र कुमार झा धीरेन्द्र लिखित मैथिली कविता संग्रहक पोथी काल-ध्वनिकेर सेहो विमोचन कएल गेल.

दोसर सत्र मे पत्रकारिता आ संस्कृतिविषय पर केन्द्रित गपसप कार्यक्रमक आयोजन छल जाहिमे भारतक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री,लेखक आ पत्रकार प्रेमशंकर झा संग मानवशास्त्री डॉ. कैलाश कुमार मिश्र सोझासोझी बहुत रास प्रश्न रखलनि. प्रेमशंकर झाक व्यक्तिगत आ पारिवारिक जीवन सपरिचय करबैत कैलाश कुमार मिश्र द्वारा मिथिला सरहल अप्रत्याशित पलायन आ रोजगारक दुर्दशा पर एक पत्रकारक आ एक सफल अर्थशास्त्रीक दृष्टिकोण सउपस्थित जनसमूहकें अवगत करौलनि. चीनी आ जूट मिल सन महत्त्वाकांक्षी परियोजना पर ध्यानाकृष्ट केलनि जतय सलाखो लोककें रोजगार भेटि सकैछ,जकरा आधार पर नव पलायन पर रोक लागि सकैछ आ मैथिल समाज स्थिर भकिछु विकल्प ताकि सकैछ. प्रेमशंकर झा द्वारा राजनैतिक उदासीनता पर चिंता व्यक्त करैत एकरा गैर-राजनीतिक माध्यम सपुनर्प्रयास हेतु किछु शिष्टमंडल कें तैयार कएकर क्रियान्वन हेतु सलाह देलनि आ समुचित सहयोग भेटबाक आश्वासन पर एकर प्रतिनिधित्व हेतु सहर्ष स्वीकारलनि. उद्यम-रोजगार स्थापित करबाक संगे कला-संस्कृति हेतु सेहो आश्वस्त देखना गेला आ रंगकर्म कें बढ़ाबा देबा लेल साल मे कम सकम बारह गोट आयोजन हेतु अपन योगदान देबा लेल सेहो सार्वजनिक मंच सगछ्लनि. गपसप कार्यक्रम मे मंचस्थ महेन्द्र मलंगिया जी गामक जातीय समस्या कें एकटा बाधक सेहो बतौलनि. मैथिली भोजपुरी,अकादमीक उपाध्यक्ष नीरज पाठक अकादमीक विभिन्न आगामी कार्ययोजना केर सन्दर्भ मे जानकारी देलनि.

तेसर आ अंतिम सत्र मे तीन गोट विभिन्न कलाक प्रस्तुति भेल जाहिमे पहिल प्रस्तुति छल सुबहाआ एहिमे एकल अभिनय केलीह प्रभाती कमलिनी. प्रसिद्ध युवा कथाकार ऋषि वशिष्ठ लिखित एहि कथाक केन्द्र मे एक मुसलमान पात्र फूलहसन अछि जे रोजी-रोटी चलेबा लेल अपन आ लगीचक गाममे पटिया बेचि गुजर करैत अछि. गामक बेटी-पुतोहु सछोट-छोट बच्चा सभक प्रिय अछि फूलहसन मुदा अज्ञात चोर द्वारा मंदिर मे भेल चोरि बला घटना सअनावश्यक रूपे इमानदार फूलहसन पर संदेह कजे समाज द्वारा दण्डित कएल गेल अछि से हृदय द्रवित करै बला स्थिति उत्पन्न करैछ. जहल सवापसी एला बाद पुनः गाँव सगुजरैत फूलहसन कें जखन एक बचिया नारायणी जकरा ओ बड्ड मानैत रहै कोरा चढ़ि गेलै, फूलहसन कें भरोस भगेलै आ ओकर भोक्कासी पारि कानब आ कहब भगवती हमरा निरपराध कबूल कर लेलकैकेहनो व्यक्तिकें हृदय द्रवित कदैछ. दस सपन्द्रह मिनटक मंचनक एहि अवधि मे प्रभातीक भाव-भंगिमा,उच्चारण,परिधान,मंचक उपयोग आ आत्मविश्वास देखबा जोगर छल. एकर निर्देशन सेहो केने छलाह स्वयं लेखक ऋषि वशिष्ठ आ प्रस्तुति सहयोग छल अछिञ्जलकेर.

दोसर प्रस्तुति छल मलंगिया फाउंडेशन केर मैथिली नाटक नसबंदी’. नाट्य लेखन छल महेन्द्र मलंगिया जीक. निर्देशन केलनि अमर जी राय. अभिनय छल संतोष कुमार, प्रज्ञा झा आ मनीष राज केर. नसबंदी कथा आधारित अछि एक एहेन युवा पर जे अपन परिवारक रक्षा वास्ते सरकारी योजना के तहत नसबंदी करा किछु धन अर्जित करैत अछि. दू गोट संतानक मृत्युक पश्चात अपन पत्नीक जान बचेबा लेल एहि योजनाक लाभ लैत अछि मुदा पत्नी आब नैहर जा दोसर घर बसेबाक तैयारी मे लागि गेल अछि. बहुत बुझेलाक बादो जहन एकरा संग रहबा लेल तैयार नै होइछ ई रेल मे कटिकआत्महत्या कलैत अछि. नाट्य मंचन मे अमर जी राय केर मजबूत निर्देशकीय पक्ष सोझा आएल. मैथिली मंचक चर्चित अभिनेता संतोष कुमार संग प्रज्ञा झा आ मनीष राज सेहो चरित्र संग न्याय केलनि. मंच व्यवस्था,प्रकाश परिकल्पना,साज-सज्जा,मेकअप आदि सेहो उपयुक्त आ नाटकक मंचन सफल रहल.

आजुक कार्यक्रमक तेसर आ अंतिम प्रस्तुति छल वीर कुँवर सिंह पर आधारित कुँवर गाथा’. सांगीतिक नाटक कुँवर गाथा, वीर कुँवर सिंहक शौर्य गाथा थिक जे भोजपुरी क्षेत्र मे प्रचलित अछि. भाषा सहोदरी भोजपुरीक मान रखैत एकरा मैथिली मे अनुवाद केलनि अजित झा आ प्रस्तुति सहयोग छल मर्यादा केर. संगीत आ गायन अजित झा. वाद्य-वादन मे विजय मिश्र,अजय आदिक सहयोग. निर्देशन संतोष झा केलनि.

अछिञ्जलमैथिली-भोजपुरी अकादमीकेर संयुक्त तत्त्वावधान मे विभिन्न विषय पर विभिन्न सत्रक एहि एकदिवसीय आयोजनक सहभागी संस्था केर रूपमे मैथिल यूथ परिषद,रंगरेज मिथिला आदिक सहयोग सआयोजन सफलतापूर्वक संपन्न भेल.

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