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Wednesday, September 26, 2018

मैथिली गीतक रंग - संजीव कश्यपक संग


दिनांक १६ सितम्बर,२०१८ क' नई दिल्ली स्थित राजेंद्र भवन मे मैथिली भोजपुरी अकादमी,दिल्ली द्वारा आयोजित 'मैथिली गीतक रंग - संजीव कश्यपक संग' आयोजित भेल। उक्त आयोजनमे उपस्थित जनसमूह द्वारा सामूहिक गान 'जय जय भैरवि' आ अतिथि लोकनिक करकमल सँ दीप प्रज्ज्वलन उपरान्त मिथिला-मैथिली मे सक्रिय किछु मंचस्थ अभियानी लोकनि अपन विचार सँ सेहो अवगत करौलनि। वक्तव्य सत्रक सञ्चालन केलनि किसलय कृष्ण। स्पष्टवादी विचारधाराक पालन केनिहार किसलय कृष्ण कला,साहित्य आ संस्कृतिमे पसरैत विकृतता पर साकांक्ष रहि ओकर त्वरित प्रतिक्रिया देबामे परहेज नै रखै छथि आ से एहि मंच सँ सेहो देखल गेल।

मैथिली गीत-संगीत विषय पर परिचर्चाक क्रममे डॉ. शेफालिका वर्मा गाम सँ दूर रहबाक दर्दक संगहि मिथिलाक विभिन्न जिला आ गामक लोककेँ मंच पर एक संग जमाजूटकें सेहो एक उपलब्धि मानै छथि। डॉ. प्रकाश झा 'राग' 'भास' सँ संबंधित आवश्यक जानकारी दैत विद्यापति पर्व समारोहक आयोजनमे संगीत मे 'अमता घराना,दरभंगा' सन अभूतपूर्व योगदान देनिहारकेँ कतौ याद नै कएल जेबाक बात सँ चिन्ता व्यक्त केलनि। किसलय जी एहिमे 'पंचगछिया घराना,सहरसा' केर उल्लेख करैत एकरा सेहो विस्तार देबाक आवश्यकता पर जोर देलनि।

मिथिला सेवा संघ, जैतपुर द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होमय बला विद्यापति पर्व स्मृति समारोहक अध्यक्ष बलराम मिश्र स्पष्ट केलनि जे ई समारोह हमरा लोकनिकेँ एकत्रित हेबाक बहाना अछि जाहिमे हम सभ मीलिक' विद्यापति केँ स्मरण करैत छी। सभसँ निवेदन केलनि जे कार्यक्रम मे किछु ऊँच-नीच होइ छै तकर सार्वजनिक आलोचना नै हेबाक चाही आ प्रयासक सराहना सेहो हेबाक चाही। किसलय जी अपन विचार देलनि जँ १००% नहि त' कमसँ कम ४०% मात्रो मंच विद्यापति केँ समर्पित नहि अछि त' एकत्र हेबाक बहाना कोनो अन्य नाम सँ सेहो आयोजन कय सेहो कएल जा सकैछ नै कि विद्यापतिक नाम सँ। बलराम जी सेहो सहमत भेला आ आगामी आयोजन मे एहि बात पर विशेष ध्यान राखल जेबाक आश्वासन देलनि।

विमलकान्त झा द्वारा संस्कृतमे किछु श्लोकक उदाहरण दैत मिथिलाक भूगोलक चर्च शास्त्रमे कतेको ठाम उद्धृत हेबाक बात कहलनि। दू-तीन टा महत्त्वपूर्ण बिन्दु रखलनि जेना मैथिली भाषा केँ क्षेत्रीय वा जातीय आधार पर संकीर्णता सँ बाहर होमय देल जाय आ मैथिली भाषा सँ प्रसिद्ध भेनिहार कलाकारकेँ अपन भाषाक प्रति विमुख होइत अवस्था सँ असहमति रखैत क्षोभ व्यक्त केलनि।
कवियित्री कल्पना झा मैथिली संगीत मे पसरैत अश्लील परिवेशक प्रति जतबे रोष प्रकट केलनि ततबे वर्तमान मे मैथिलानीक प्रगति पर हर्षक अनुभूतिक गप्प सेहो साझा केलीह।

अंतिम वक्ताक रूप मे संजीव सिन्हा कहलनि जे पैरोडी गीत सँ हमरा लोकनिकेँ बचबाक चाही। मौलिक आ पारंपरिक धुन पर सार्थक काज हेबाक चाही आ एकर उदाहरण केँ रूपमे एलबम 'गीत घर घर के' सन गीतक लोकप्रियता बाजारीकरण पर केर चर्च केलनि। उचित विकासक लेल बच्चा सभकेँ गीत-संगीतक प्रशिक्षण भेटब पर सेहो जोर देलनि। अन्य गणमान्य अतिथिक रूपमे मैथिली भोजपुरी अकादमी केर उपाध्यक्ष नीरज पाठक, माँ शारदा रियलटेक केर एम.डी. पप्पू यादव, भारतीय मिथिला संघ,नोएडा केर राजीव ठाकुर, माँ शारदा रियलटेक केर निदेशक रजनीश शर्मा,विश्व मैथिल संघ बुराड़ी केर संस्थापक अध्यक्ष हेमन्त झा, समाजसेवी इंजीनियर शरत झा आदि। एहि अवसर पर मिथिला मैथिली मे सक्रिय किछु अभियानी लोकनिकेँ सेहो शॉल आ स्मृतिचिन्ह सँ सम्मानित कएल गेल।

संगीत सत्रक संचालन संयुक्त रूप सँ किसलय-जानबी केलनि। मूलतः सहरसा-मधेपुरा जिलाक सीमान्त गाम धबौली कहरा निवासी संजीव कश्यप (वर्तमानमे दिल्ली प्रवास) केर गायन पर केंद्रित कार्यक्रम मे अन्य कलाकारक रूप मे स्नेहा आ मोनी झा सेहो अपन प्रस्तुति देलनि। संजीव कश्यप द्वारा विद्यापति रचित 'तोंहे जुनि जाह विदेश', 'खगेंद्र रचित 'धन्य धन्य हे मिथिला' आ नवल जी रचित 'जतय आरि पर छमछम बाजय पायलिया केर बोल' गीत प्रस्तुतिक बाद मोनी झा द्वारा 'गणेश वन्दना' आ एक गोट 'लोकगीत' गाओल गेल। स्नेहा झा गाओल गीत 'गे माइ चन्द्रमुखी सन गौरी हमर छथि' 'आबि जाउ कटनी मे गाम हे यौ सजना'क प्रस्तुति सभसँ उत्तम रहल। स्नेहा संगीतक विधिवत शिक्षा ल' रहली अछि आ गायनक बारीकी सँ अपनाकेँ नीक जेँका जोड़ैत एहि कार्यक्रममे उपस्थित दर्शकक मध्य सभसँ बेसी प्रसंशित कलाकार रहली। प्रसिद्ध तबलावादक भोला वर्मा केर म्यूजिकल ग्रुप प्रत्येक कलाकारक संग बेहतरीन तालमेल बैसेबामे सफल रहल।

संचालकक विशेष आग्रह पर दर्शक दीर्घा मे उपस्थित गायक सुनील भोला द्वारा रविन्द्र जी रचित गीत 'आइ लगइयै वैदेही केर नैहर बड़ झुझुआन सन' बिना कोनो म्यूजिकल सपोर्ट केँ जे प्रभाव छोड़लक से हुनक दक्ष गायकी केँ प्रत्यक्षतः चिन्हित करैत छल।

मंच संचालनक क्रममे किसलय जी द्वारा बेर-बेर प्रसिद्ध साहित्यकार आ मंच संचालक मायानन्द मिश्रक चर्च सँ ई बात स्पष्ट प्रतीत होइत रहल जे सांस्कृतिक परिवेश बनेबामे मंच सञ्चालनक वर्तमान स्थिति संतोषजनक नहि अछि। रविन्द्र नाथ ठाकुरक गीत,खगेंद्र जीक गीत,धीरेन्द्र प्रेमर्षिक गीत,नवल जीक गीत,सरस जीक गीत जाहिमे मनोरंजनक संग-संग शुचिता सेहो रहैछ आ तकरा प्रति नव लोकमे सेहो किछु कर्त्तव्यबोध हएब आवश्यक।

हमरे अहाँ समाजमे विद्यमान किछु कुपोषित मानसिकताक व्यक्तिक कारणे सम्पूर्ण पुरुष जाति पर प्रश्न उठैत रहल अछि आ से एहि कार्यक्रमक बहन्ने तकर उल्लेख करब सेहो ततबे प्रासंगिक भ' जाइछ। मंच सञ्चालनमे महिला सहभागिता विरले भेटैछ। खासक' पुरुष-महिलाक जोड़ीमे एकटा धीरू-रूपाकेँ छोड़ि देल जाए त' नहिए जेँका। सौभाग्य मिथिला नामक टीवी चैनल द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम 'मिथिला केँ आँगन सँ' मे रश्मि-विकाशक युगल संचालन सेहो एकर भूमिका निर्वहन केलक मुदा सेहो कार्यक्रम विशेष मात्र लेल छल। नियमित सञ्चालन मे बहुत दिनक बाद किसलय-जानबी एहिमे सक्रियता बनौने छथि। प्रस्तुति नीक वा अधलाह फराक विषय भ' सकैछ, मुदा घोघक ओहार आ समाजक कुत्सित मान-मर्यादा सँ बहरा जँ एकटा नारी पुरुखक जोगदान मे समान हस्तक्षेप रखै छथि त' ताहि प्रयासक सराहना हेबाक चाही नै कि दर्शक दीर्घा सँ पिहकारी वा अनावश्यक टिप्पणी। जखन नारीक स्वाभिमान आहत होइत अछि त' ओकर रूप केहेन होइछ से जानबी झा केर त्वरित प्रतिक्रिया सँ ओहेन किछु व्यक्ति लेल आगाँ सावधान हेबाक सूचक छल।

उक्त कार्यक्रमक सह-प्रायोजक माँ शारदा रियलटेक आ रामबाबू सिंह केर संयोजन मे विनय ठाकुर, विमल जी मिश्र,अनुज अलभ्य आदिक मेहनैत सँ कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न भेल।

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