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Thursday, December 27, 2018

मैथिली फिल्म ‘प्रेमक बसात’

प्रेमक बसात फिल्मक सन्दर्भमे कोनो टिप्पणी करबासँ पूर्व फिल्म निर्माणक समूचा टीमक संग जे सभसँ पहिल वाह निकलैत अछि ओ निकलैत अछि फिल्मक निर्देशक सह लेखक रूपक शरर आ निर्माता वेदान्त झा केर प्रति जिनक दृढ़संकल्पता, समर्पणता आ लगनशीलता फिल्मकेँ कतेक हिट करौलक ताहिसँ बेसी महत्त्वपूर्ण अछि जे कतेक लोककेँ जोड़लनि, जगौलनि आ एकटा अभियानक रूपमे एकरा विस्तार देलनि । फिल्म पसीन करब नै करब, दर्शक द्वारा हॉल धरि पहुँचब नै पहुँचब दर्शकक मानसिकता आ समय पर निर्भर करैत छनि मुदा मैथिली फिल्मक प्रचार-प्रसार केर सन्दर्भमे जे कोनो मिथ्याडम्बर पसरल छल तकर ई लोकनि खंडन जरूर केलनि । सामाजिक सञ्जाल होइक वा जमीनी स्तर पर उतरि घरे-घर जाक’ लोककेँ जागरूक करबाक परिणाम थिक जे गामसँ ल’ क’ परदेश धरि आइ मैथिली फिल्म ‘प्रेमक बसात’ सभक ठोर पर चढ़ल अछि आ मैथिली फिल्मक इतिहास मे एक महत्त्वपूर्ण कड़ी जोड़बा लेल तैयार अछि।

२५ दिसम्बर,२०१८ क’ जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू),दिल्ली केर ‘कला एवं सौंदर्यशास्त्र संस्थान सभागारमे 'जे एम के एंटरटेनमेंट'क बैनरमे बनल मैथिलीक बहुचर्चित फिल्म ‘प्रेमक बसात’ केर स्क्रीनिंग कएल गेल । ज्ञात हो कि एहिसँ पूर्व दिल्ली-एनसीआरक विभिन्न क्षेत्रमे एकर प्रदर्शन सेहो कएल गेल आ तहिना दर्शक दिससँ सेहो फिल्मकेँ नीक रिस्पॉन्स भेटल । जेनाकि अन्यान्य भाषा-भाषी क्षेत्रमे फिल्म निर्माण निरंतरताक संग आगाँ बढि रहल अछि तेहेन सन स्थितिमे स्वाभाविक अछि ओहिसँ सम्बद्ध लोकक वास्ते सुनिश्चित रोजगारक रूपमे एक विकल्प फूजल अछि । मैथिली फिल्म निर्माणक प्रति उदासीनता विभिन्न प्रकारक अवधारणाकेँ जन्म दैत अछि आ तैयो पर ज’ कोनो व्यक्ति एहेन सन दुःसाहस करै छथि त’ हमरा लोकनिकेँ चाही कि ओकरा प्रोत्साहित कएल जाय ।

फिल्मक संदर्भमे किछु महत्त्वपूर्ण बात कहब आवश्यक अछि जेनाकि फिल्मक कथा आ ओकर ताना-बाना बेस प्रभावित केलक । कोनो जाति वा समुदाय विशेष मध्य विभेदीकरणक राजनैतिक दुष्प्रभाव चाहे कतबो होइक मुदा कला आ साहित्य सभदिना एकटा सौहार्द्रपूर्ण वातावरणक निर्माण करैत आबि रहल अछि आ तैं कला आ साहित्यकेँ समाजक दर्पण केर रूपमे सांकेतित कएल जाइत रहल अछि । सामाजिक स्तर पर अस्वीकार्य हिन्नू-मुस्लिम प्रेमक केन्द्रमे नायक-नायिकाकेँ उतारब एकटा चुनौती अछि मुदा से सत्योद्घाटन करैत विषय-वस्तुकेँ सोझा रखैत लेखकक बुधियारी स्पष्ट रूपसँ दृष्टिगोचर होइत अछि ।

रूपक शरर पहिने एक सशक्त अभिनेता छथि तखन लेखक वा निर्देशक तैं कोन कलाकारसँ केहेन काज लेल जेबाक चाही से नीक जेंका जनैत छथि आ एकटा निर्देशकक रूपमे सफल भेल छथि । एकटा लेखकक रूपमे मारिते रास त्रुटि सभ सोझा अबैत अछि मुदा नीक गप्प ई जे ताहिसँ फिल्मक प्रस्तुतिमे कतौ बाधा नै अबैत अछि अपितु आगाँ हिनकासँ असीम संभावनाक प्रति आश्वस्त होइत छी । हिनक शालीनता आ कर्मठताक सभसँ पैघ उदाहरण जे ई प्रत्येक बातकेँ स्वीकारबाक क्षमता रखैत छथि आ भविष्य मे कोनो सुधार हेतु साकांक्ष देखल जाइत छथि तैं एहने सकारात्मक व्यक्तिसँ आशा आ अपेक्षा सेहो कएल जा सकैछ ।

फिल्मक लोकेशन, कैमरा, कोरियोग्राफी, गीत, संगीत, गायन, सम्पादन, वस्त्र विन्यास, साज-सज्जा आ अन्य तकनीकी पक्ष पर सेहो खूब काज कएल गेल अछि । मुख्य अभिनेताक रूपमे पीयूष कर्णक अभिनय सराहनीय अछि ख़ासक’ हिनक दोसर बेरुक उपस्थिति डॉक्टर सलीम केर किरदारमे भाव-भंगिमा बेस प्रभावित केलक । अभिनेत्री रैना बनर्जी (माहिरा) शुरूसँ अंत धरि अपन टोन कायम रखबामे सफल भेलीह अछि । महिरा केर शौहर रहमान केर रूपमे जीतू सम्राट समूचा फिल्ममे एक फराक छविक निर्माण करैत छथि । शरत सोनू माहिरा केर भाइ तस्लीमक किरदारमे एकटा सशक्त,अनुभवी आ परिपक्व अभिनेताक रूपमे देखल गेलाह । तस्लीमक पत्नीक किरदारमे मरियम (आरती शंकर मिश्रा) सेहो कतौ ओवरटोन नै भेल छथि । गोविन्द पाठक (भगत जी)क उपस्थिति मात्र फिल्मक रोचकता बना रखबामे सफल भेल अछि । नायकक तीन गोट लंगोटिया संगी सेहो एक-दोसरा संग ट्यून बनेबामे सफल भेल छथि । आशुतोष सागर कम दृश्यमे नीक काज केने छथि । निःसंदेह सहयोगी मुदा महत्त्वपूर्ण कलाकारक रूपमे मोना रे, एस सी मिश्रा,कल्पना मिश्रा, राजेन्द्र कर्ण, प्रज्ञा झा, शैल झा, प्रेम नाथ झा, राकेश त्रिपाठी , राजीव झा, आकाश दीप, अनुराग कपूर, कुणाल ठाकुर, भारतीश झा, मनीष झा, सुशोभित झा आदिक अभिनय सराहनीय अछि ।

 

फिल्मक संगीत पक्ष बेस मजगूत अछि जकर आनन्द डॉल्बी डिजिटल हॉलमे बैसिक’ लेल जा सकैछ । जेनाकि तोची रैना केर स्वरमे गाओल गीत “आस पुरा दिय’ मौला” आ आदित्य नारायण केर गाओल गीत “अहाँ जे एलौं त” मैथिली फ़िल्ममे पहिल बेर प्रयोग कएल गेल अछि त’ एतबा गप आत्मविश्वासक संग कहल जा सकैछ जे सावनी मुद्गल केर स्वरमे “नयन अटकल अहींक नयनमे”, प्रवेश मल्लिक आ नेहा प्रियदर्शिनी केर स्वरमे “ललमुनियाँ के ताड़ी”, सुनील मल्लिकक स्वरमे “ई झूठक दुनियाँ” सेहो ओहि गीत सभसँ कतौ उन्नैस नै भेल अछि । निःसंदेह गीतकेँ कर्णप्रिय बनेबामे सरोज सुमन, प्रवेश मल्लिक आ एस कुमार केर संगीत संग सरल,सहज आ सुन्दर शब्दक प्रयोग करैत सारिका कुमार, अयोध्यानाथ चौधरी, शेखर अस्तित्व, प्रवेश मल्लिक आदिक गीत लेखन सेहो ततबे प्रशंसनीय अछि ।    

एकटा सामान्य दर्शकक रूपमे ई फिल्म बेस पसीन पड़ल । जे कोनो कमजोर पक्ष सोझा आएल अछि ताहि लेल आगाँ सुधारात्मक प्रयास कएल जा सकैछ मुदा फिल्म प्रभावित नै भेल अछि आ निर्माणक प्रसंशा मुक्त कंठसँ कएल जा सकैछ । समीक्षक लोकनिक विचार फराक भ’ सकैत छनि । मैथिली फिल्मक गुणवत्ता वा तुलनात्मक दृष्टिकोण आएब आवश्यक मुदा एखन से बेर नै आएल अछि कारण जा धरि संख्यात्मक वृद्धि नै हएत तुलना करब मोसकिल हएत । फिल्मक गुणवत्ता हेतु सभसँ आवश्यक आ महत्त्वपूर्ण अछि प्रोफेशनल कलाकारक चयन , तकनीकी टीम, संगीत, लेखन, निर्देशन आदि जेकि गानल-गूथल फिल्म मात्रमे देखल जा सकैछ अन्यथा यू-ट्यूब हिट करेबा लेल मारिते रास फिल्म उपलब्ध अछि जकर स्तरहीनता केर आधार पर मैथिली फिल्म उद्योग स्थापित करबाक सपना साकार हएब असम्भव अछि । ई फिल्म ओहि तमाम अवधारणा केँ खंडित करैत ताहि सभसँ कएक डेग आगाँ बढि प्रोफेशनल ढ़ंगसँ काज करबामे सफल भेल अछि आ मैथिली फिल्मक दशा-दिशा निर्धारण मे महत्त्वपूर्ण भूमिका निमाहत ततबा आश्वस्त छी ।

Wednesday, December 05, 2018

दिल्लीमे बहत प्रेमक बसात


मैथिली फिल्म 'प्रेमक बसात' केर प्रोमोशन आ प्रदर्शन हेतु फिल्मक लेखक सह निर्देशक श्री रूपक शरर किछु दिन सँ एखन दिल्ली प्रवास मे छथि। कोनो निर्देशक मे एहि प्रकारक जुनून विरले देखल जाइत अछि। भारत होअए वा नेपालीय मिथिला क्षेत्र, दुन्नू ठाम किछु हॉलक उपलब्धता अनुसार फिल्मक यथासंभव प्रदर्शन सेहो भेल। ई लोकनि एत्तेक जल्दी नहि त' हारि मानता आ ने हड़बड़ा क' नोकसानक कोनो रोदन करताह। तखन करताह की? करताह ओएह जे हमरा लोकनि देखि रहल छी आ से थिक हिनका लोकनिक सद्प्रयास। प्रयास की क' रहलाह अछि से सामाजिक सञ्जाल पर सभक सोझा अछि। महानगर मे बसल मैथिल लोकनि धरि फिल्म कोना पहुँचय एखन ताहि लेल मुम्बई आ दिल्ली मे सकारात्मक डेग बढ़ा चुकलाह अछि। रूपक भाइ, वेदांत भाइ आ फिल्मक समस्त टीम अहाँ लोकनिक समर्पणता सँ मैथिली फिल्मक भविष्य एक ने एक दिन अवश्य निर्धारित हेतैक, कारण मेहनति बेकार नै जाइत छैक। सम्भव छैक जे अहाँक मेहनतिक लाभ आगाँ जा क' दोसर लोककेँ भेटनि।

जे मूल बात कहबाक छल अबै छी ताहि पर मने फिल्म प्रदर्शन सम्बन्धी विषय पर। दिनांक ०८ आ ०९ दिसम्बर,२०१८ क' संध्या ०६:०० सँ ०९:०० बजे निम्नलिखित स्थान पर एकर प्रदर्शन हएब सुनिश्चित भेल अछि। जेनाकि दिल्लीमे ई पहिल प्रदर्शन अछि ताहि हिसाबे बेसी सँ बेसी दर्शककेँ एकत्रित हएब आवश्यक अछि। मुख्य उद्देश्य मैथिली फिल्म देखबा लेल लोककेँ जागरूक करबाक अछि। जागरूकताक क्रममे रूपक भाइ दिल्लीक विभिन्न क्षेत्र मे जा-जाक' जन-जन सँ जुड़बाक जे प्रयास क रहलाह अछि से कतौ ने कतौ एकटा सार्थक उमेद सन बुझना जा रहल अछि।

ओना दिल्ली मे एखन मैथिलीक विभिन्न कार्यक्रमक सीजन चरम परम अछि आ अहू दू दिन दिल्ली आ लगीचक किछु क्षेत्र मे विद्यापति स्मृति पर्व समारोहक आयोजन संग-संग दू-दिवसीय विशुद्ध साहित्यिक/सांस्कृतिक कार्यक्रम मलंगिया महोत्सव केर आयोजन सुनिश्चित अछि, तैं सम्भव अछि जे हम व्यक्तिगत स्तर पर शो देखबा सँ वंचित रहब। ओना निर्देशक साहेब गछलनि अछि जे ई दू दिन जँ नीक सहयोग/उपस्थिति रहल त' पुनः शीघ्रहि आर अधिक शो केर प्रदर्शन हएत कारण हमर लक्ष्य अछि जे प्रवासी मैथिल लोकनि उपलब्धताक एहि अवसरक लाभ उठाबथि ताकि हमरो लोकनि आगाँ फेर सँ सिनेमा बनेबाक साहस क' पाबी।

हमर मानब अछि जे बहुतो एहेन लोक छथि जिनका वास्ते उक्त आयोजन सँ बेसी महत्त्वपूर्ण सिनेमा देखब होइत अछि आ सम्भवतः बेसी गोटे सपरिवार कोनो हिन्दी-अंग्रेजी सिनेमा देखबा लेल जाइते रहैत छथि, खासक' हुनका लेल जे एहि बेर अपने सपरिवार निम्नलिखित स्थान आ समय पर पहुँची आ एकटा दर्शकक रूपमे अपन सम्पर्कक लोककेँ सेहो प्रेरित करी। फिल्म निर्माणक बाद दर्शकक रूपमे हमरा लोकनिक सेहो किछु जिम्मेवारी बनैत अछि तकर निर्वहन करी आ तदनुकूल सहयोग करी।

सिनेमा-प्रेमक बसात
राजा राममोहन रॉय मेमोरियल हॉल
(गंधर्व महाविद्यालय केर ठीक सोझा)
विष्णु दिगम्बर मार्ग, आई टी ओ (मेट्रो गेट संख्या-२)

नोट : अग्रिम बुकिंग करेबा लेल अपने लोकनि अभि आनन्द/विपिन झा सँ 8447883467 वा 7532871208 पर संपर्क सेहो क' सकैत छी वा सहूलियतक अनुसार काउंटर पर लेल जा सकैत अछि।