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Tuesday, October 30, 2018

मैथिली फ़िल्म 'प्रेमक बसात'क प्रदर्शन ०२ नवम्बर,२०१८ सँ


मैथिली फीचर फिल्म 'प्रेमक बसात' केर निर्माण टीम द्वारा जतबा श्रम करक चाही से पूर्ण इमानदारीक संग केलनि अछि। एतबा प्रोमोशन आ जन-जागरूकताक बावजूदो जँ हमरा लोकनि एक मैथिल दर्शक बनि समर्थन नहि क' पाएब त' फेर मैथिली फिल्म उद्योग आ रोजगार कोना स्थापित भ' सकत। फिल्मक निर्माण आ तकर प्रदर्शन होइत रहला सँ वैश्विक स्तर पर स्थानीय कला-संस्कृति आ भाषाक प्रति लोकक आकर्षण बढ़ैत छैक आ तदनुरूप विस्तार पबैत छैक।

प्रदर्शनक उपरान्त फिल्मक गुणवत्ता पर प्रतिक्रिया सेहो आएब आवश्यक अछि ताकि आर दोसर कोनो फिल्म पूर्ण तकनीकी आ व्यवसायिकता संग निर्मित भ सोझा अबैत रहए आ सुधारक गुंजाइश बनल रहैक।

जँ एकटा दर्शक मात्र बनला सँ हमर कला-संस्कृति आ भाषा संरक्षित आ संवर्द्धित होइत रहए त सहयोग करबा मे कोनो हर्ज नहि।

फिल्मक प्रोमोशन हेतु लेखक सह निर्देशक रूपक शरर, निर्माता वेदांत झा, अभिनेता पीयूष कर्ण, अभिनेत्री रैना बनर्जी ,सह-अभिनेता राजेन्द्र कर्ण आदि केँ जमीनी स्तर पर गाम सँ ल' ' शहर धरिक मेहनति जे सामाजिक सञ्जालक माध्यम सँ सोझा आएल अछि से निःसंदेह हिनका लोकनिक विश्वासक प्रति आश्वस्त करैत अछि।

हिनका लोकनिक एहि विश्वासमे संबलता प्रदान करबा लेल भारत आ नेपालक मैथिल दर्शकगण २ नवम्बर,२०१८ क' पहुँचू अपन निकटस्थ सिनेमा हॉल आ लिय' आनंद एहि चिर प्रतीक्षित फ़िल्मक जकर नाम अछि 'प्रेमक बसात'

दिल्ली वा दिल्ली एनसीआर मे प्रदर्शन हेतु प्रतीक्षारत एक दर्शक फिल्मक अपार सफलताक अगाते शुभकामना प्रेषित करै छी!

Tuesday, October 23, 2018

ग्रामीण रंगमंच पर कथा ‘सुबहा’ आ 'मुक्ति प्रसंग' केर मंचन एकल अभिनय

मधुबनी जिलाक रामनगर (परजुआरि) गाम मे चारिदिवसीय नाट्य मंचनक पहिल राति १५ अक्टूबर,२०१८ क' दू गोट मंचन क्रमशः 'सुबहा' जे कि ऋषि वशिष्ठ द्वारा लिखित-निर्देशित एवं प्रभाती कमलिनी द्वारा अभिनीत कथा मंचन छल आ दोसर सुप्रसिद्ध लेखक राजकमल चौधरी लिखित कविता 'मुक्ति प्रसंग' आधारित काव्य मंचन छल जाहि मे निर्देशन आ अभिनेताक रूप मे प्रस्तुत भेलाह किसलय कृष्ण।


'सुबहा' एक गोट मुसलमान पात्रकेँ केन्द्र मे राखि लिखल गेल कथा अछि। अज्ञात चोर द्वारा गामक मन्दिर सँ मूर्ति चोरि कएल गेल मुदा ग्रामीण द्वारा अनावश्यक तर्कक आधार पर ताहि अपराधक सजा पटिया बेचि गुजर केनिहार फूलहसन नामक एक निर्दोष व्यक्ति केँ आरोपित कय ओकरा जेल पठबा देल गेल। जेल सँ बहरेलाक बाद समाज द्वारा उपेक्षित फूलहसन केँ एकमात्र विश्वास छल ओहि अबोध बालिका नरेनी पर जकरा ओ अपन निर्दोष हेबाक सबूत देमय चाहैत छल से नरेनी जखन ओकरा गला मे लिपटि जाइत छै, फूलहसन केँ विश्वास भ' जाइत छैक जे जगदम्बा स्वरुप नरेनी ओकरा माफ़ क' देलकै। फूलहसन केर आस्था मे लेखक जाहि तरहे अल्लाह आ ईश्वरक प्रति समानता देखै छथि से निश्चित रूप सँ जाति-धर्म सँ ऊपर उठि मानवता केँ चिन्हित करैत अछि।

कथा जहिना अपन विशिष्टता संग छाप छोड़बा मे सफल भेल अछि तहिना प्रभाती कमलिनी केर अभिनय। एकल अभिनय मे एकटा पैघ चुनौती होइत अछि जे मंच आ प्रॉपर्टीक पूर्ण उपयोग केना करी कारण एक्कहि अभिनेता केँ विभिन्न चरित्र आ चरित्रक अनुरूप कॉस्ट्यूम संग क्षणहि मे सोझा आएब बड्ड दुष्कर काज अछि आ ताहिमे प्रभाती केर आत्मविश्वास देखबा जोग छल। लेखक,निर्देशक ऋषि वशिष्ठ संग अभिनयक माध्यम सँ प्रभाती निस्सन उपस्थिति दर्ज करौलनि। सभसँ बड़का बात जे ग्रामीण रंगमंच पर जतय महिला उपस्थिति नगण्य अछि तेहेन सन चिन्ताजनक स्थिति मे ऋषि वशिष्ठ सन पिता प्रशंसाक हक़दार छथि जे अपन सुपुत्री केँ रंगमंच हेतु तैयार क' रहलाह अछि।

दोसर मंचन छल राजकमल चौधरी लिखित 'मुक्ति प्रसंग'क आ एहि बेर फ़िल्म समीक्षक/निर्देशक/उद्घोषक किसलय कृष्ण देखल गेलाह एक अभिनेताक रूप मे। राजकमल चौधरी द्वारा अन्तिम समय मे लिखल गेल पटनाक राजेन्द्र सर्जिकल वार्ड सँ मृत्यु आधारित एहि कविताक मंचन करब अपनाआप मे एक चुनौती अछि जकरा स्वीकारब सहज नहि मुदा से साहस केलनि किसलय कृष्ण। जँ अभिनय मे नियमितताक संग उपस्थित होथि त' नीक संभावना देखना जाइछ। शहरी मंच जतय समुचित संसाधन उपलब्ध रहैछ तेहेन ठाम एकर मंचन एक बेर देखलाक बाद अभिनय सम्बन्धी किछु कहब उचित हएत।

ग्रामीण रंगमंच पर प्रकाश,ध्वनि आदिक समुचित व्यवस्था करब एखनो कठिनाह काज अछि। तमाम मार्गदर्शन केर बावजूदो साउंड आ लाइट ऑपरेटर अपन अज्ञानता देखा गेल जकर नोकसान सोझे कलाकारक मनोबल पर पड़ैछ। दुन्नू मंचन मे एकल अभिनय छल आ दुन्नू कलाकार अपना भरि सीमित संसाधनक संग तालमेल बैसेबाक चेष्टा करैत उम्दा प्रस्तुति देलनि।

सम्मानक सम्मानमे (रामनगर,परजुआरि,मधुबनी)


दुर्गापूजा मे गाम जा सकब वा नै सन द्वन्द मे पड़ल अन्ततः पहुँच जाइ छी गाम आ अपन गाम सँ पहिने पहुँचै छी रामनगर (परजुआरि)। गामक नाम सुनने मात्र रही से जेना पहिल-पहिल जेबाक अवसर भेटल ओ कोनो कुटुमैती मे नोत-हकार पूरय नै बल्कि ग्रामीण रंगमंच केँ पुनर्स्थापित करबाक संकल्प ल' ठाढ़ ग्रामीण, ओहि गामक संस्कृतिकर्मी आ लगातार चारिदिवसीय नाट्य मंचनक पहिल रातुक मंचनक साक्ष्य बनबा लेल।

निर्धारित समय सँ प्रारम्भ होइत कार्यक्रमक पहिल सत्र उद्घाटन सत्र सँ होइत अछि। मैथिलीक सुप्रसिद्ध नाटककार श्री महेन्द्र मलंगिया, ख्यातिप्राप्त लेखक श्री रामलोचन ठाकुर, युवा लेखक/प्रकाशक अजित आजाद मंचस्थ होइ छथि आ सञ्चालनक क्रममे डॉ. कमल मोहन चुन्नू द्वारा बेर-बेर मंच पर मनीष झा बौआभाइ केँ एबाक उद्घोषणा कएल जा रहल छल। हिनका लोकनिक संग मंच पर आसीन होयब कठाइन सन लगैत छल आ इशारा सँ मना केलाक बावजूदो चुन्नू जीक आग्रह आ धाख मंच धरि घीचि अनलक।

अतिथि सम्मानक क्रममे गामक प्रतिष्ठित व्यक्ति श्री घनश्याम ठाकुर द्वारा मिथिला पेंटिंग काढ़ल पाग, खादी केर आकर्षक गमछा आ विद्यापति नाट्य मंच,रामनगर केर स्मृति चिन्ह पाबि अपनाकेँ भाग्यशाली हेबाक अनुभूति होइत रहल। अतिथि वक्ता लोकनिक मध्य ग्रामीण रंगमंच पर अपन अल्पज्ञतानुरूप किछु अनुभव साझा करबाक अवसर सेहो हमरा किछु साहस देलक।

गाम-गाम ऑर्केस्ट्राक दूषित रूप अपन अस्तित्व पसारि लेने अछि। जँ किछु भाषायी अस्तित्व बाँचल अछि त' किछु मैथिली गायक लोकनिक प्रयास मात्र सँ अन्यथा मैथिली कार्यक्रमक कोनो तेहेन विकल्प बँचलो नहि छल। एहेन सन विकराल परिस्थिति मे रामनगर मे जँ मैथिली नाटकक प्रति समाज जागरूक होइत छथि त' स्वाभाविक रूप सँ दर्शकक प्रति श्रद्धा भाव जगैत अछि। एतेक चित्त-पित्त मारिक' शांतिपूर्वक बिना कोनो हो-हल्ला आ पिहकारी केँ उद्घाटन सत्र सँ ल' ' धन्यवाद ज्ञापन धरिक सहयोग कोनो गामक लोक वास्ते अनुकरणीय भ' सकैछ।

आदरणीय डॉ. कमल मोहन चुन्नू जी सन अभिभावकक अनुशासनमे गामक युवा तूर द्वारा आतिथ्य सत्कार आ ताहि क्रममे अनुज अभि आनन्द, रणधीर झा सहित गामक अन्य युवा लोकनिक जतबा प्रशंसा करी से कम हएत।

अही आयोजनक बहन्ने आदरणीय श्री महेन्द्र मलंगिया, श्री रामलोचन ठाकुर, डॉ. कमल मोहन चुन्नू, श्री किसलय कृष्ण, श्री अजित आजाद, श्री सतीश साजन, श्री ऋषि वशिष्ठ, श्री प्रणव नार्मदेय आदि केर सान्निध्यता सँ मोन प्रफुल्लित छल मुदा युवा साहित्यकार मित्र गुँजन श्रीक गाममे हुनकहि सँ भेँट नै हेबा सँ मोन एकरत्ती झूस सेहो छल। किछु लाचारी हमरो किछु लाचारी हुनकहु।

पाँचदिवसीय गामक यात्राक क्रममे सभसँ महत्त्वपूर्ण उपलब्धिक रूप मे एहि बेरुक ई कार्यक्रम रहल।

Monday, October 22, 2018

बाबा दंडोत बच्चा जय सियाराम : ऋषि वशिष्ठ


वर्तमान पीढ़ीक किछु महत्त्वपूर्ण कथाकार मे ऋषि वशिष्ठ जीक कथा लेखन बेस आकर्षित करैत रहल अछि। हिनक दू गोट पोथी जे एक सिटिंग मे बैसि पढ़ि जेबा लेल बाध्य केलक अछि ओ अछि कथा संग्रह 'गाम सँ जाइत रेलगाड़ी' आ तकरा बाद हिनक नव प्रकाशित नाटकक पोथी 'बाबा दंडोत बच्चा जय सियाराम'

हास्य प्रधान नाटक बाबा दंडोत बच्चा जय सियाराम पढ़ैत काल प्रसंगानुकूल बेसी ठाम मूँह दाबि क' हँसबा लेल बाध्य करैछ अन्यथा रेलगाड़ीक सहयात्री लोकनिकेँ ई बुझबा मे कनिको भाँगठ नहि हेतनि जे सोझा बैसल व्यक्ति असामान्य छथि आ से अन्ततः भइए गेल, कएक बेर अपनाकेँ ठहक्का लगेबा सँ नहि रोकि पाओल रही। एकर मंचनक कल्पना मात्र सँ गुदगुदी लागि रहल अछि। नाटकक विषय वर्तमान सँ ल' ' भविष्य धरि पूर्ण रूप सँ समकालीनता बोध कराओत एतबा आश्वस्त छी। अवसर भेटय त' एकर मंचन देखल जा सकैछ आ जँ पढ़बाक मोन होए तँ नवारम्भ प्रकाशन,मधुबनी सँ ८०/- टाका मे कीनि क' अवस्से पढ़ू। ढ़ौआ वसूल हेबाक गारंटी हम्मर।

संजोग एहेन जे हिनक उक्त दुन्नू पोथी गाम दिस जाइत-अबैत रेलगाड़ी जतराक क्रममे पढ़ल अछि। दुन्नू पोथी पढ़लाक बाद जे किछु समानता देखल जाइत अछि ताहि सँ हिनक लेखककीय गुणकेँ सहजहि अकानल जा सकैछ। स्थानीय समाज वा देश मे घटित कोनो नीक-बेजाए घटनाकेँ कथाक केन्द्र मे राखब, यथार्थबोधक परिवेशक निर्माण करब, सरल,सहज आ सर्वबोधगम्य भाषाक प्रयोग, संवाद मे गमैया टोन, शैली मे अनावश्यक आ विशेष पाण्डित्यक प्रयोग नहि करब हिनक मौलिक लेखनक गुण अछि।

उक्त पोथी प्रकाशन मे अनबा लेल लेखक श्री ऋषि वशिष्ठ जीकेँ साधुवाद संग आत्मीय शुभकामना!