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Sunday, September 30, 2018

साहित्य अकादेमी, दिल्ली द्वारा आयोजित कार्यक्रम अखिल भारतीय मैथिली काव्योत्सव

२५ सितम्बर,२०१८ क' साहित्य अकादेमी, दिल्ली द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'अखिल भारतीय मैथिली काव्योत्सव' अनेकानेक दृष्टिकोण सँ महत्त्वपूर्ण रहल।
भारतक विभिन्न क्षेत्र (दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, दिल्ली, राँची, कोलकाता, हैदराबाद सहित आन-आन ठाम) सँ जुटल साहित्यकार लोकनि विभिन्न सत्र केँ एक महत्त्वपूर्ण सत्र बनेबा मे सफल योगदान देलनि।

पहिल सत्र उद्घाटन सत्रक रहल जाहिमे अकादेमी केर सचिव श्रीनिवास राव स्वागत भाषण केलनि, मैथिली भाषा परामर्श मंडल केर वर्तमान संयोजक प्रेम मोहन मिश्रक आरंभिक वक्तव्य, गंगेश गुँजन जीक प्रमुख आतिथ्य आ उदयनारायण सिंह नचिकेता जीक अध्यक्षीय संबोधन बेस प्रभावी रहल आ विशेष कार्याधिकारी देवेन्द्र कुमार देवेश जीक धन्यवाद ज्ञापनक संग एहि सत्रक समापन भेल ।

दोसर सत्र मैथिली कविताक वर्तमान परिदृश्य पर केन्द्रित छल जकर अध्यक्षता केलनि भीमनाथ झा आ क्रमशः आलेख पाठ केलनि अमलेन्दु शेखर पाठक, तारानन्द वियोगी आ रमेश। सारगर्भित आ विस्तृत शोधक आधार पर पढ़ल गेल तीनू आलेख वर्तमान कविताक आँकलनक दृष्टिकोण सँ महत्त्वपूर्ण रहल। अध्यक्षीय संबोधन मे डॉ. भीमनाथ झा वर्तमान युवा लेखनक प्रति आश्वस्त देखना गेला आ रचनात्मक स्तर पर कविकेँ एक स्वतंत्र पहचान बनेबा लेल भाषा चयन हेतु किछु समुचित सलाह सेहो देलनि।

तेसर आ चारिम सत्र क्रमशः काव्य पाठक सत्र छल। तेसर सत्रक अध्यक्षता केलीह डॉ. शेफालिका वर्मा। काव्य पाठ हेतु उपस्थित कविगण मे चन्दन कुमार झा, सदरे आलम गौहर, रमण कुमार सिंह, विद्यानन्द झा, कुमार मनीष अरविन्द आ सुरेन्द्र नाथ अपन काव्य धारा सँ उपस्थित साहित्यसुधी लोकनिक संग तारतम्य बैसेबामे सफल रहलाह।

अन्तिम आ चारिम सत्र सेहो काव्य गोष्ठीक छल जकर अध्यक्षता केलनि बुद्धिनाथ मिश्र आ उपस्थित कविगण मे मनोज शाण्डिल्य, उमेश पासवान, अरुणाभ सौरभ, पंकज पराशर, विभूति आनन्द आ सियाराम झा सरस। गीत आ कविता प्रस्तुति मे जतबे वरिष्ठ कवि लोकनिक अनुभव सोझा आओल ततबे दृष्टि संपन्न युवा लेखन मे चन्दन कुमार झा, उमेश पासवान, अरुणाभ सौरभ ,पंकज पराशर आ मनोज शाण्डिल्य वर्तमान काव्य लेखनकेँ सार्थकता प्रदान करैत अभिभावक आ श्रोताकेँ मैथिली लेखनक प्रति पूर्ण आश्वस्त केलनि।

अन्तिम दू सत्रमे अमलेन्दु शेखर पाठकक सञ्चालन सेहो बेस प्रसंशनीय रहल कारण कवि आ कविताकेँ सन्दर्भ सँ जोड़ैत परिष्कृत शब्दक प्रयोग, उच्चारण मे सुस्पष्टता, कविक पूर्ण जानकारी आदि सोझा रखैत जाहि तरहे प्रस्तुत केलनि से वास्तवमे एक विलक्षण प्रतिभा सँ परिचय करबैछ।
दिल्लीमे संख्यात्मक दृष्टिकोण सँ साहित्यिक कार्यक्रम खूब होइत रहल अछि मुदा ई कहबा मे कनेको असोकर्ज नहि जे एहेन सार्थक आ स्तरीय आयोजन गनले-गूथल होइछ। कामकाजी दिवस रहितो सभागारमे बैसबाक स्थान सँ बेसी दर्शककेँ उपस्थिति सेहो कार्यक्रमक सफलता केँ साक्ष्य रहल।

साहित्य अकादेमी केर उक्त आयोजनोपरान्त मैथिली-भोजपुरी अकादेमी,दिल्ली आ मैलोरंग दिल्ली केर संयुक्त तत्त्वावधान मे ओही सभागार मे एक विशेष कार्यक्रम मैथिली गीत-संगीतक वर्तमान स्थिति पर केंद्रित गोष्ठी केर आयोजन कएल गेल। डॉ. देवशंकर नवीन केर अध्यक्षता मे एहि गोष्ठीक मुख्य वक्ताक रूप मे आमंत्रित छलाह काठमाण्डू नेपाल सँ आएल प्रसिद्ध कला-साहित्य-संस्कृतिकर्मी धीरेन्द्र प्रेमर्षि। अमता आ पंचगछिया घराना सहित आन-आन घराना केर विस्तृत शोधक संग नव सँ पुरान पीढ़ीक संगीतसेवी आ एहि पार सँ ओहि पार धरिक मिथिलाक वर्तमान सांगीतिक परिवेश केँ समुचित ढंग सँ सोझा रखलनि। सियाराम झा सरस केर लिखल गीत आ प्रवेश मल्लिकक संगीत निर्देशन मे मैलोरंग गान केर सेहो लोकार्पण भेल। मैथिली-भोजपुरी अकादेमी केर वर्तमान उपाध्यक्ष नीरज पाठक मैथिली गीत-संगीत मे बढ़ैत विकृतता पर साकांक्ष होइत अकादेमी दिससँ सरस जीक नेतृत्व मे पचीस गोट संग्रहीत गीतक एलबम बनेबाक आश्वासन देलनि।


देवशंकर नवीन जीक अध्यक्षीय उद्बोधन, प्रकाश झाक संचालन आ मुकेश झाक धन्यवाद ज्ञापनक संग ई गोष्ठी सफलतापूर्वक सम्पन्न भेल ।

Wednesday, September 26, 2018

मैथिली गीतक रंग - संजीव कश्यपक संग


दिनांक १६ सितम्बर,२०१८ क' नई दिल्ली स्थित राजेंद्र भवन मे मैथिली भोजपुरी अकादमी,दिल्ली द्वारा आयोजित 'मैथिली गीतक रंग - संजीव कश्यपक संग' आयोजित भेल। उक्त आयोजनमे उपस्थित जनसमूह द्वारा सामूहिक गान 'जय जय भैरवि' आ अतिथि लोकनिक करकमल सँ दीप प्रज्ज्वलन उपरान्त मिथिला-मैथिली मे सक्रिय किछु मंचस्थ अभियानी लोकनि अपन विचार सँ सेहो अवगत करौलनि। वक्तव्य सत्रक सञ्चालन केलनि किसलय कृष्ण। स्पष्टवादी विचारधाराक पालन केनिहार किसलय कृष्ण कला,साहित्य आ संस्कृतिमे पसरैत विकृतता पर साकांक्ष रहि ओकर त्वरित प्रतिक्रिया देबामे परहेज नै रखै छथि आ से एहि मंच सँ सेहो देखल गेल।

मैथिली गीत-संगीत विषय पर परिचर्चाक क्रममे डॉ. शेफालिका वर्मा गाम सँ दूर रहबाक दर्दक संगहि मिथिलाक विभिन्न जिला आ गामक लोककेँ मंच पर एक संग जमाजूटकें सेहो एक उपलब्धि मानै छथि। डॉ. प्रकाश झा 'राग' 'भास' सँ संबंधित आवश्यक जानकारी दैत विद्यापति पर्व समारोहक आयोजनमे संगीत मे 'अमता घराना,दरभंगा' सन अभूतपूर्व योगदान देनिहारकेँ कतौ याद नै कएल जेबाक बात सँ चिन्ता व्यक्त केलनि। किसलय जी एहिमे 'पंचगछिया घराना,सहरसा' केर उल्लेख करैत एकरा सेहो विस्तार देबाक आवश्यकता पर जोर देलनि।

मिथिला सेवा संघ, जैतपुर द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होमय बला विद्यापति पर्व स्मृति समारोहक अध्यक्ष बलराम मिश्र स्पष्ट केलनि जे ई समारोह हमरा लोकनिकेँ एकत्रित हेबाक बहाना अछि जाहिमे हम सभ मीलिक' विद्यापति केँ स्मरण करैत छी। सभसँ निवेदन केलनि जे कार्यक्रम मे किछु ऊँच-नीच होइ छै तकर सार्वजनिक आलोचना नै हेबाक चाही आ प्रयासक सराहना सेहो हेबाक चाही। किसलय जी अपन विचार देलनि जँ १००% नहि त' कमसँ कम ४०% मात्रो मंच विद्यापति केँ समर्पित नहि अछि त' एकत्र हेबाक बहाना कोनो अन्य नाम सँ सेहो आयोजन कय सेहो कएल जा सकैछ नै कि विद्यापतिक नाम सँ। बलराम जी सेहो सहमत भेला आ आगामी आयोजन मे एहि बात पर विशेष ध्यान राखल जेबाक आश्वासन देलनि।

विमलकान्त झा द्वारा संस्कृतमे किछु श्लोकक उदाहरण दैत मिथिलाक भूगोलक चर्च शास्त्रमे कतेको ठाम उद्धृत हेबाक बात कहलनि। दू-तीन टा महत्त्वपूर्ण बिन्दु रखलनि जेना मैथिली भाषा केँ क्षेत्रीय वा जातीय आधार पर संकीर्णता सँ बाहर होमय देल जाय आ मैथिली भाषा सँ प्रसिद्ध भेनिहार कलाकारकेँ अपन भाषाक प्रति विमुख होइत अवस्था सँ असहमति रखैत क्षोभ व्यक्त केलनि।
कवियित्री कल्पना झा मैथिली संगीत मे पसरैत अश्लील परिवेशक प्रति जतबे रोष प्रकट केलनि ततबे वर्तमान मे मैथिलानीक प्रगति पर हर्षक अनुभूतिक गप्प सेहो साझा केलीह।

अंतिम वक्ताक रूप मे संजीव सिन्हा कहलनि जे पैरोडी गीत सँ हमरा लोकनिकेँ बचबाक चाही। मौलिक आ पारंपरिक धुन पर सार्थक काज हेबाक चाही आ एकर उदाहरण केँ रूपमे एलबम 'गीत घर घर के' सन गीतक लोकप्रियता बाजारीकरण पर केर चर्च केलनि। उचित विकासक लेल बच्चा सभकेँ गीत-संगीतक प्रशिक्षण भेटब पर सेहो जोर देलनि। अन्य गणमान्य अतिथिक रूपमे मैथिली भोजपुरी अकादमी केर उपाध्यक्ष नीरज पाठक, माँ शारदा रियलटेक केर एम.डी. पप्पू यादव, भारतीय मिथिला संघ,नोएडा केर राजीव ठाकुर, माँ शारदा रियलटेक केर निदेशक रजनीश शर्मा,विश्व मैथिल संघ बुराड़ी केर संस्थापक अध्यक्ष हेमन्त झा, समाजसेवी इंजीनियर शरत झा आदि। एहि अवसर पर मिथिला मैथिली मे सक्रिय किछु अभियानी लोकनिकेँ सेहो शॉल आ स्मृतिचिन्ह सँ सम्मानित कएल गेल।

संगीत सत्रक संचालन संयुक्त रूप सँ किसलय-जानबी केलनि। मूलतः सहरसा-मधेपुरा जिलाक सीमान्त गाम धबौली कहरा निवासी संजीव कश्यप (वर्तमानमे दिल्ली प्रवास) केर गायन पर केंद्रित कार्यक्रम मे अन्य कलाकारक रूप मे स्नेहा आ मोनी झा सेहो अपन प्रस्तुति देलनि। संजीव कश्यप द्वारा विद्यापति रचित 'तोंहे जुनि जाह विदेश', 'खगेंद्र रचित 'धन्य धन्य हे मिथिला' आ नवल जी रचित 'जतय आरि पर छमछम बाजय पायलिया केर बोल' गीत प्रस्तुतिक बाद मोनी झा द्वारा 'गणेश वन्दना' आ एक गोट 'लोकगीत' गाओल गेल। स्नेहा झा गाओल गीत 'गे माइ चन्द्रमुखी सन गौरी हमर छथि' 'आबि जाउ कटनी मे गाम हे यौ सजना'क प्रस्तुति सभसँ उत्तम रहल। स्नेहा संगीतक विधिवत शिक्षा ल' रहली अछि आ गायनक बारीकी सँ अपनाकेँ नीक जेँका जोड़ैत एहि कार्यक्रममे उपस्थित दर्शकक मध्य सभसँ बेसी प्रसंशित कलाकार रहली। प्रसिद्ध तबलावादक भोला वर्मा केर म्यूजिकल ग्रुप प्रत्येक कलाकारक संग बेहतरीन तालमेल बैसेबामे सफल रहल।

संचालकक विशेष आग्रह पर दर्शक दीर्घा मे उपस्थित गायक सुनील भोला द्वारा रविन्द्र जी रचित गीत 'आइ लगइयै वैदेही केर नैहर बड़ झुझुआन सन' बिना कोनो म्यूजिकल सपोर्ट केँ जे प्रभाव छोड़लक से हुनक दक्ष गायकी केँ प्रत्यक्षतः चिन्हित करैत छल।

मंच संचालनक क्रममे किसलय जी द्वारा बेर-बेर प्रसिद्ध साहित्यकार आ मंच संचालक मायानन्द मिश्रक चर्च सँ ई बात स्पष्ट प्रतीत होइत रहल जे सांस्कृतिक परिवेश बनेबामे मंच सञ्चालनक वर्तमान स्थिति संतोषजनक नहि अछि। रविन्द्र नाथ ठाकुरक गीत,खगेंद्र जीक गीत,धीरेन्द्र प्रेमर्षिक गीत,नवल जीक गीत,सरस जीक गीत जाहिमे मनोरंजनक संग-संग शुचिता सेहो रहैछ आ तकरा प्रति नव लोकमे सेहो किछु कर्त्तव्यबोध हएब आवश्यक।

हमरे अहाँ समाजमे विद्यमान किछु कुपोषित मानसिकताक व्यक्तिक कारणे सम्पूर्ण पुरुष जाति पर प्रश्न उठैत रहल अछि आ से एहि कार्यक्रमक बहन्ने तकर उल्लेख करब सेहो ततबे प्रासंगिक भ' जाइछ। मंच सञ्चालनमे महिला सहभागिता विरले भेटैछ। खासक' पुरुष-महिलाक जोड़ीमे एकटा धीरू-रूपाकेँ छोड़ि देल जाए त' नहिए जेँका। सौभाग्य मिथिला नामक टीवी चैनल द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम 'मिथिला केँ आँगन सँ' मे रश्मि-विकाशक युगल संचालन सेहो एकर भूमिका निर्वहन केलक मुदा सेहो कार्यक्रम विशेष मात्र लेल छल। नियमित सञ्चालन मे बहुत दिनक बाद किसलय-जानबी एहिमे सक्रियता बनौने छथि। प्रस्तुति नीक वा अधलाह फराक विषय भ' सकैछ, मुदा घोघक ओहार आ समाजक कुत्सित मान-मर्यादा सँ बहरा जँ एकटा नारी पुरुखक जोगदान मे समान हस्तक्षेप रखै छथि त' ताहि प्रयासक सराहना हेबाक चाही नै कि दर्शक दीर्घा सँ पिहकारी वा अनावश्यक टिप्पणी। जखन नारीक स्वाभिमान आहत होइत अछि त' ओकर रूप केहेन होइछ से जानबी झा केर त्वरित प्रतिक्रिया सँ ओहेन किछु व्यक्ति लेल आगाँ सावधान हेबाक सूचक छल।

उक्त कार्यक्रमक सह-प्रायोजक माँ शारदा रियलटेक आ रामबाबू सिंह केर संयोजन मे विनय ठाकुर, विमल जी मिश्र,अनुज अलभ्य आदिक मेहनैत सँ कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न भेल।

Sunday, September 16, 2018

मैथिली साहित्य महासभा द्वारा आयोजित मैसाम युवा पुरस्कार-२०१८ आ दलित विमर्श केन्द्रित एकल व्याख्यान

०९ सितम्बर,२०१८ कराष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्लीक पंजीकृत संस्था मैथिली साहित्य महासभाद्वारा विद्यापति स्मृति व्याख्यानमालाक चारिम एकल व्याख्यान आ मैसाम युवा सम्मान २०१८ कॉन्स्टिट्यूशन क्लब,दिल्लीमे संपन्न भेल । कार्यक्रमक शुभारम्भ उपस्थित गणमान्य अतिथि लोकनि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन आ गोसाओंनिक गीत जय-जय भैरविक संग प्रारम्भ भेल । स्वागत भाषणक क्रममे ‌संस्थाक अध्यक्ष अमरनाथ झा मैसामक उद्देश्य आ स्थापना सँ लएखन धरिक क्रियाकलाप सँ अवगत करौलनि । ज्ञात हो कि मैथिली साहित्य संरक्षण आ संवर्धन हेतु दृढ़संकल्पित संस्था मैसाम द्वारा एक वर्ष मे तीन गोट मुख्य कार्यक्रम जाहिमे प्रतिवर्ष २१ फरवरी कअंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (मैसामक स्थापना दिवस सेहो), १४ फरवरी (प्रेमोत्सव/बसंतोत्सव) कमैथिली कवि सम्मेलन आ अगस्त वा सितम्बर मासमे विद्यापति स्मृति व्याख्यानमालाक आयोजन कएल जाइत रहल अछि । मैथिली साहित्य संवर्धन हेतु अमूल्य योगदान देमय बला कोनो प्रसिद्ध व्यक्तित्त्व द्वारा कोनो खास विषय पर केन्द्रित एकल व्याख्यानक क्रममे २०१४ मे स्थापित एहि संस्थाक व्याख्यानमाला २०१५ सँ प्रारम्भ भेल आ क्रमशः डॉ. उषाकिरण खान, श्री महेन्द्र मलंगिया, डॉ.उदय नारायण सिंह नचिकेता केर बाद एहि बेरुक मने चारिम विद्यापति स्मृति एकल व्याख्यानकर्ताक रूपमे आमंत्रित छलाह प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.महेन्द्र नारायण राम ।

युवा लेखनकें प्रोत्साहन हेतु ४० बर्ख सँ कम उमेरक युवाकें हुनक प्रकाशित कृति (विभिन्न विधा) हेतु आमंत्रित कएल जाइत छनि आ निर्णायक मंडल द्वारा ओकर अन्तिम मूल्यांकन केला उत्तर संस्था द्वारा चयनित लेखकक नाम केर सार्वजनिक घोषणा कएल जाइत अछि आ एहि आयोजन मे पुरस्कृत कएल जाइत अछि । पुरस्कार चयनमे निष्पक्षता आ पारदर्शिताक उद्देश्य सँ संस्था द्वारा निर्धारित तीन गोट ज्यूरी मेम्बर मे एक दोसर कें ज्ञात नै रहैत छनि जे बाँकी दू गोट ज्यूरी के छथि आ तीनू निर्णायक द्वारा प्राप्त पोथिक गुणवत्ता आ औसत रेटिंगक आधार पर सर्वाधिक अंक बला पोथीक चयन होइत अछि आ ओहि लेखककें ई पुरस्कार एहि आयोजनमे प्रदान कएल जाइत अछि । एहि बेर कुल १० गोट पोथी क्रमशः नीर भरल नयन (कथा संग्रह,अखिलेश कुमार झा), ककबा करैए प्रेम (कविता संग्रह,निशाकर), विसर्ग होइत स्वर (कविता संग्रह,प्रणव नार्मदेय), सुखल मन तरसल आँखि (कविता संग्रह, मुन्नी कामत), पह (कथा संग्रह,अभिलाषा), समयक धाह पर (कविता संग्रह,मैथिल प्रशान्त), परती परहक फूल (कविता संग्रह,कामिनी), पूर्वागमन (कविता संग्रह,स्वाती शाकम्भरी), ओकरो कहियो पाँखि हेतै (कथा संग्रह,शुभेन्दु शेखर) आ गस्सा (कथा संग्रह,सोनू कुमार झा) संस्थाकें प्राप्त भेल छल ।

वर्ष २०१६ सँ नियमित आ क्रमशः ई पुरस्कार प्राप्त केलनि अछि २०१६ मे मधुबनीक चन्दन कुमार झा (गामक सिमान पर,कविता संग्रह), २०१७ मे दरभंगाक कामिनी चौधरी (खण्ड-खण्ड मे बँटैत स्त्री) आ एहि बेरुक मने २०१८ मे मैसाम युवा पुरस्कार सँ पुरस्कृत भेलीह अछि सहरसाक स्वाती शाकम्भरी (पूर्वागमन,कविता संग्रह) । पुरस्कारक रूपमे संस्था द्वारा २५०००/- टाकाक चेक आ प्रशस्ति-पत्र प्रदान कएल जाइत अछि । एहि बेरुक निर्णायक समिति मे डॉ. शेफालिका वर्मा, कुमकुम झा आ निवेदिता मिश्रा झा छलीह । डॉ. शेफालिका वर्मा अन्यत्र व्यस्तताक कारणे आयोजन स्थल पर अनुपस्थित रहथि मुदा कुमकुम झा आ निवेदिता मिश्रा एहि पोथिक चयन मे स्त्री विमर्शक सबल पक्ष कें आधार मानि चयन हेतु अंतिम निर्णय लेलनि ।   

संस्था द्वारा अतिथि सम्मान मे पर्यावरण संरक्षणक विशेष ध्यान रखैत तुलसीक गाछ लगाओल गमला आ अपन मूर्धन्य साहित्यकारक प्रति कृतज्ञ भाव रखैत एहि बेर ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्मकेर फ्रेमिंग फोटो स्मृति-चिन्ह सँ सम्मानित कएल गेल । एहि अवसर पर विनीत उत्पल द्वारा संपादित विगत वर्ष उदय नारायण सिंह नचिकेता द्वारा देल गेल व्याख्यानक विस्तृत आलेख सम्बन्धी एक गोट पुस्तिकाक विमोचन आ वितरण सेहो कएल गेल । डॉ. विभा कुमारी आ कंत शरण संयुक्त रूप सँ मंच सञ्चालन केलनि । आयोजन सहयोगी केर रूपमे दीपक फाउन्डेशन केर संस्थापक दीपक झा द्वारा समाज मे सक्रिय लेखक साहित्यकार आ समाजसेवी लोकनिक अभूतपूर्व जोगदानक बल पर भाषा आ संस्कृति सरंक्षणक प्रति उद्गारपूर्ण वक्तव्य देल गेल ।

उक्त आयोजनक मुख्य सहयोगी मैथिली-भोजपुरी अकादमी,दिल्ली केर प्रतिनिधि डॉ. चन्दन कुमार झा अपन वक्तव्यक क्रममे ई बात स्पष्ट केलनि जे २१म सदी केर साहित्य लेखनमे जे सभसँ पैघ विमर्श अछि ओ थिक स्त्री आ दलित । मैथिली साहित्यमे दलित विमर्शक पर कहियो खुलिकबात नै भेल अछि तकर कारण जे जाहि जाति विशेष लोकनिक समाज पर वर्चस्व रहल अछि ओ दलित विमर्शकें शिष्ट साहित्यमे राखब उपयुक्त नहि बुझलनि । मैथिली लोक साहित्य आ दलित विमर्शनामक केन्द्रित विषय पर मुख्य व्याख्यानकर्ता डॉ. महेन्द्र नारायण राम अपन वक्तव्यक प्रारम्भहि मे चन्दन कुमार झाक बात सँ सहमति रखैत ई स्पष्ट कदेलनि जे साहित्य मे राजनीति आ जातिक कोनो गुँजाइश नहि । हिनक व्याख्यान तीन भागमे विभक्त छल १. दलित, २. लोक साहित्य आ ३. विमर्श । तीनू बिन्दु पर विस्तृत उल्लेख केलनि । दलितशब्दक उत्पत्ति कें आठ दशक पूर्वक देन मानैत छथि जेकि वर्ग विशेष द्वारा उपेक्षित आ शोषित समुदाय केर वास्ते प्रयोग कएल जाइत रहल अछि, जकरा प्रति समाजमे असमानता कें भावना रहल छैक । सगर विश्वमे भारत एहेन पहिल देश अछि जतय एहि प्रकारक वर्गीय भेदभाव अछि । दलित कें सभ दिन सँ अस्पृश्य मानल जाइत रहल अछि । समाजक किछु आवश्यक काज आ ताहि सँ अपन पेशा चलेनिहार वर्ग कें हिन्दू धर्म व्यवस्था मे सभसँ नीचा पायदान पर राखल गेल । संविधान मे दलित शब्द अंकित नहियो रहैत राजनीति वर्गक लोक द्वारा घोषणा पत्रमे एकर चर्च कएल जाइत रहल अछि । मैथिली साहित्यमे प्रचलित लोककथा, लोकनृत्य,लोकगायन आदिक माध्यमे दलित संदर्भ सोझा अबैत रहल । किछु जाति विशेष द्वारा वीरपुरुष लोकनिक गाथा गायनक श्रुतीय परम्परा जेना पीढ़ी-दर-पीढ़ी बढ़ैत गेल तेना-तेना साहित्यमे सेहो समावेश होइत गेल । सभ जातिक अपन-अपन इष्ट आ आराध्य देवी-देवता होइ छथि जे कोनो कार्य प्रारम्भ हेबा सँ पूर्व हुनक आह्वान करै छथि । वर्तमान समाजमे ई पूजा-पाठ सौहार्द्रपूर्ण सम्बन्ध बनेबामे उत्तम भूमिका निमाहि रहल अछि आ एकर सभसँ उत्तम प्रमाण अछि सभ जातिक देवी-देवताक पूजा-पाठमे सभ वर्गकक लोकक सहभागिता । एहि अवसर पर उपस्थित सुधीजनक मध्य व्याख्यानक विषय विस्तृत शोध आ संकलनक आधार पर हिनक लिखित सद्यः प्रकाशित पोथी मैथिली लोक साहित्य आ दलित विमर्शसेहो वितरित कएल गेल जाहि ठाम सँ विभिन्न तथ्यक जानकारी भेटैत अछि आ बहुतो एहेन तथ्य सोझा अबैत अछि जकरा प्रति समाज एखनो अनभिज्ञ अछि । डॉ. महेन्द्र नारायण राम केर भाषा शैली, संबोधन, संप्रेषणक संग-संग प्रेरक आ सकारात्मक विचार आयोजनकें सफल बनेबामे बेस महत्त्वपूर्ण भूमिकाक निर्वहन कएल ।

एहि कार्यक्रमक अध्यक्षता केलनि भारतीय प्रशासनिक सेवा सँ सेवानिवृत सह प्रसिद्ध लेखक मन्त्रेश्वर झा । दलित समाजक उत्थान नै हेबाक एकटा कारण ओहि समाजमे पहिल तशिक्षाक अभाव मानै छथि जेकि आब वर्तमान मे संतोषजनक स्थिति मे अछि । दलित शब्दक सम्बन्ध मे कहलनि जे भीमराव अम्बदेकर सेहो एकरा उपेक्षित आ शोषित वर्गक समाज मानै छलाह नै कि दलित आ एहि शब्दक संविधान मे सेहो कतहु उल्लेख नहि कएल गेल छल । ई शब्द राजनीतिज्ञ लोकनिक देन थिकनि जे विस्तार लैत गेल । मैथिली साहित्यमे दलित विमर्श नगण्य सन कहल जा सकैत अछि आ तकर मूल कारण रचनाकार लोकनि ओहि यथार्थ सँ वंचित रहलाह आ जे किछु लिखल गेल से अनुभूतिक आधार पर ताहि क्रममे कांचीनाथ झा किरणक अवदान आ मणिपद्मक लोरिकायन केर संदर्भक चर्च केलनि । महेन्द्र नारायण रामक विलक्षण शोध आ हुनक सूक्ष्म दृष्टिकोणक सेहो भूरि-भूरि प्रसंशा केलनि ।

संस्थाक उपाध्यक्ष श्रीचंद कामत द्वारा आंतरिक समूहक एकहक सदस्यक सहयोग आ सामंजस्यक प्रति सकारात्मक विश्लेषण करैत उपस्थित जनसमूह कें एहि प्रकारक समर्थन आ उत्साहवर्धन हेतु कार्यक्रमक अंतमे धन्यवाद ज्ञापित कएल गेल ।

Sunday, September 09, 2018

अछिञ्जल आ मैथिली-भोजपुरी अकादमी केर संयुक्त तत्त्वावधान मे संपन्न धरोहर श्रृंखला-२


०२ सितम्बर,२०१८ कहिन्दी भवन दिल्लीमे अछिञ्जलमैथिली-भोजपुरी अकादमीकेर संयुक्त तत्त्वावधान मे धरोहर श्रृंखला-२ केर आयोजन कएल गेल. एक दिवसीय उक्त कार्यक्रम कुल तीन सत्र मे विभाजित छल. पहिल सत्रक विषय छल मिथिलाक अमूर्त संस्कृति : पञ्जि प्रबन्ध (उतेढ़ पोथी)जाहिमे मुख्य वक्ताक रूपमे पंजीकार विश्वमोहन चन्द्र मिश्र, भैरव लाल दास, महेन्द्र मलंगिया, महेन्द्र नारायण राम, संजीव झा, ऋषि वशिष्ठ आ अभिषेक देव नारायण छलाह . दू गोट आर वक्ता आमंत्रित रहथि सविता झा खान आ गजेन्द्र ठाकुर मुदा किछु कार्यवश ई लोकनि सेमिनार मे भाग लेबा सवंचित रहलाह. एहि सत्रक सञ्चालन करैत प्रसिद्ध रंगकर्मी कश्यप कमल जनौलनि जे प्रारम्भ सआइ धरि कला एवं संस्कृति राज्याश्रित रहल छैक आ सएह काज वर्तमान मे विभिन्न सरकारक संस्कृति विभाग द्वारा कएल जा रहल अछि. सरकारी तंत्रक दुरूपयोग करैत किछु लोक द्वारा एकरा अपसांस्कृतिक मद मे लगाओल अछि तैं एहेन प्रकारक जनचेतना बला कार्यक्रम आयोजित कध्यानाकर्षण करब सेहो आवश्यक सन बुझना जाइछ.

पहिल वक्ता संजीव झा पंजी व्यवस्थाक विभिन्न महत्त्वपूर्ण पक्ष सअवगत करेबाक क्रममे राजा हरिसिंह देवक काल मे १३२६ ई. सपंजी व्यवस्था, आधुनिक वैवाहिक मेट्रीमोनियल्स केर परिकल्पनाक सूत्रधार मिथिला कें मानैत एकर वैज्ञानिक पक्ष पर सेहो प्रकाश देलनि. एकर सामाजिक आ पारम्परिक इतिहासक विस्तृत जानकारी दैत पंजी व्यवस्था कें मैथिलक मूल पहचानक रूपमे इंगित केलनि .

दोसर वक्ता ऋषि वशिष्ठ द्वारा अपन विवाहक समय मे भेल सिद्धांतक आधार पर मोन मे उपजल जिज्ञासा केर आधार पर शोध आ प्राप्त जानकारीक अनुभव साझा केलनि. हिनक मानब छनि जे भलेही ई हरिसिंह देव केर समय अर्थात चौदहम शताब्दी सपंजीबद्ध भेल होय मुदा एकर प्रादुर्भाव सातम शताब्दी मे कुमारिल भट्टक समय मे भगेल छल जे हुनक तंत्रवार्तिक नामक ग्रन्थ सप्राप्त होइत अछि. पंजी व्यवस्था प्रारम्भक सम्बन्ध मे एक विस्तृत घटना सुनौलनि जे शतघारा गामक भिखना चांड़ द्वारा पंडिताइन संग अनाचारक सम्बन्ध मे मिथ्या प्रचार कदेल गेल आ ताहि सप्रभावित स्थानीय समाज द्वार हुनक अग्निपरीक्षा लेल गेल. अग्निपरीक्षा (पीपड़क पात स’) मे असफल भेला पर समाजक संदेह सत्य साबित भेल मुदा पंडिताइन एहि मिथ्या प्रचारक बात विद्यापतिक पितामही जे कि परमविदुषी छलीह लग रखलनि ओ पुनः एक बेर ओही प्रक्रिया समंत्र बदलि अग्निपरीक्षा करौलिह आ ओहि आधार पर परिचेता लोकनि सपुछला उत्तर निष्कर्ष ई निकलल जे हुनक विवाह छठम ठामक स्वजन मे भेल छनि तें ओ ताहि आधार पर चांडालगामिनी भेलीह. समाज द्वारा हुनक स्वामी बहिष्कृत कदेल गेलाह आ भविष्य मे स्वजन संग विवाह सनक घटना रोकबा लेल राजा हरिसिंह देव द्वारा पंजी व्यवस्था प्रारम्भ कएल गेल. ई व्यवस्था प्रायः सर्वजातीय छल मुदा कालान्तर अबैत ब्राह्मण आ कायस्थ छोड़ि आन वर्ग सपंजी व्यवस्था विलुप्त होइत चल गेल.

तेसर वक्ता अभिषेक देवनारायण पंजी व्यवस्था पर मिथिला सअंतर्राष्ट्रीय स्तरक विभिन्न तथ्यगत आधार पर वृहत् शोध प्रस्तुत केलनि जाहिमे मे वैज्ञानिक पक्ष, चिकित्सकीय पक्ष, दर्शन पक्ष आदिक जानकारी प्रस्तुत केलनि. प्रायः अन्यान्य देश मे लिपिबद्ध दस्तावेजक रूप मे अमेरिका आ भारतक राष्ट्रीय अभिलेखागार मे एकर संग्रह सम्बन्ध जानकारी सेहो देलनि. चीन द्वारा कंफ्यूसियस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन मे ओतुक्का २५०० वर्षक जीनोग्राम संरक्षित हेबाक जानकारी सहित वर्तमान पीढ़ीमे पलायन आ ओतुक्का स्थानीय समाजमे विवाह करबा सन प्रवृतिक प्रति एकर वैज्ञानिक पक्षक आधार पर जागरूक करबाक बात सेहो केलनि जाहि सएकर दुष्प्रभाव सबाँचल जा सकैछ.

चारिम वक्ता डॉ. महेन्द्र नारायण राम द्वारा ऋषि वशिष्ठक भिखना बला प्रसंग मे किछु संशोधन करैत स्वजन मे विवाह सम्बन्धक दुष्प्रभाव कें जनबैत कहलनि समान जीन सउत्पन्न सन्तान मानसिक वा शारीरिक रूप सअस्वस्थ होइछ आ पंजी प्रथाक आधार पर एकर निराकरण होइत अछि तैं ई बेसी आवश्यक अछि. ब्राह्मण आ कायस्थ समाज सहित ब्राह्मणेत्तर समाजक पंजी व्यवस्था पर सेहो वृहत शोधक साक्ष्य प्रस्तुत केलनि जाहिमे ओकर वर्गीकरण, विचार आदिक सोल्लेख व्याख्या केलनि आ ई स्पष्ट केलनि जे भलेही कालान्तर मे ब्राह्मणेत्तर समाज मे लिखित पंजी व्यवस्था विलुप्त भगेल तथापि एखनहु सात पुस्तक ध्यान राखल जाइत आ ओकर मर्यादा पूर्वक पालन कएल जाइत अछि. ई एकटा आर रोचक जानकारी देलनि जे मधुबनीक वर्तमान जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक एहेन प्रत्येक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज आ मिथिलाक पारम्परिक वस्तुक संरक्षण हेतु सौराठसभाक नजदीक एक गोट संग्राहलय निर्माण केर जिम्मा लेलनि अछि.

पाँचम वक्ता डॉ. भैरव लाल दास पंजी व्यवस्थाकें रक्त सम्बन्ध मे शुचिता मूल उद्देश्य मानै छथि आ पंजी व्यवस्थाक अनुपालन सअनाधिकार विवाह सबाँचल जा सकैछ जेकि नै मात्र सामाजिक स्तर पर अपितु वैज्ञानिक तर्क आ चिकित्सकीय आधार पर सेहो निषेध अछि. मिथिला सबौद्ध धर्मक प्रभाव समाप्त होइत पुनः सनातन धर्मक स्थापना सएहि मे शुचिता आएब प्रारम्भ भेल. १८२२ मे मेंडल साहब अनुवांशिकीय सिद्धान्तक प्रतिपादन कचुकल छलाह. युवा पिढ़ीमे एकरा प्रति उदासीनताक एक मूल कारण पारदर्शिताक अभाव सेहो अछि. पहिने पंजीकार लोकनि लोकजात्रा करैत छलाह आ अवसर विशेष पर ओहि गामक पंजी अद्यतन करैत छलाह आब सेहो व्यवस्था विलुप्त सन भगेल छैक. ब्राह्मण समाजमे पंजीक आधार पर वर्गीकरण आ श्रेणी वितरण व्यवस्थाकें राजनीति सप्रेरित मानै छथि आ हिनक विस्तृत शोध एक बात स्पष्ट करैत अछि जे समाजमे अपन प्रभुत्त्व स्थापित करबाक राजनीतिक कारणे विभेदीकरण कएल गेल आ एहने सन  खिस्सा बंगाल मे सेहो प्रचलित अछि. पंजीबद्ध सूचिक आधार पर मूल-गोत्र केर व्यवस्था मात्र एकटा सत्य अछि जकरा आधार मानि स्वजन आ अस्वजन केर निर्धारण करैत तदनुसार वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित होए. भैरव लाल दास मात्र पंजीक वर्तमान आ संभावित समस्ये टा नहि पर अपितु एकर निराकरण पर सेहो जोर देलनि. पलायनक कारणे कतेक लोक अज्ञानतावश पंजी व्यवस्था कें प्राथमिकता सेहो नै दै छथिन जखनकि वैवाहिक सम्बन्ध हेतु ई अत्यावश्यक अछि. युवा पीढ़ी एकरा डिजिटाइजेशन कसुरक्षित राखि सकै छथि आ जिनका जत्तहि सअपन कुल-मूलक जानकारी छनि ओत्तहि सई संकलन शुरु करथि आ सभ जातिक लोक करथि जाहि सएकटा समय अबैत-अबैत पुनः चिंताजनक स्थिति सहमरा लोकनि छुटकारा पाबि सकै छी. सरकारक विभिन्न योजना मे बहुतो एहेन दस्तावेज संग्रह कएल जाइत अछि यथा आधार कार्ड आदि जकरा माध्यम सप्राप्त आंकड़ाक आधार पर सेहो किछु काज कएल जा सकैछ.

छठम वक्ता पंजीकार विश्वमोहन चन्द्र मिश्र पंजी व्यवस्थाक महत्त्व पर प्रकाश दैत कहलनि जे पंजी बचेबाक अधिकार समस्त मिथिलावासिक अछि. विवाहक समय सिद्धांत लिखेबा काल मातृक आ पैतृक पक्ष मिला ३२ कुलक विचार होइछ. वर्तमान पीढ़ीक तएहेन चिंताजनक स्थिति छैक जे सिद्धांत लिखेबा काल जपितामह वा मातामहक नाओं पूछल जाइछ तओकरा फरिछा कबाबा आ नाना कहय पड़ैत छैक एहना सन स्थितिमे पंजी प्रबन्ध सन विषय लेल जागरूक करब आवश्यक अछि. धर्मशास्त्र जेंका पंजीक पढ़ाइ सेहो १० बर्खक पाठ्यक्रम सहोइत छल. आब तजिनका किनको पुस्तैनी गुण आ ज्ञान छनि ओएह टा एकर संरक्षण मे लागल छथि. पंजीकार एहि बात पर विशेष बल दैत कहलखिन जे पंजी विषयक पढ़ाइ विभिन्न विश्वविद्यालय मे होए आ संगहि मिथिलाक्षरक सेहो.

अंतिम वक्ता आ एहि सत्रक अध्यक्ष महेन्द्र मलंगिया भिखना चाँड़ बला प्रसंगकें मनगढ़ंत मानैत १३म शताब्दी मे हरिसिंह देवक समयक पंजी प्रथाक शुरुआतक खंडन करैत ओ एकरा १७म शताब्दी मे नेहरा मे भेल विश्वचक्र कें एकर आधार स्तम्भ मानैत छथि आ कहै छथि जे ओहिमे १४०० मीमांसक लोकनिक सहभागिता भेल रहनि जाहिमे किछु गोटे पूर्ण मंत्रोच्चारण करथि आ किछु गोटे मात्र स्वाहा कहि काज चलबथि आ ताहि सप्रभावित भनिर्णय लेल गेल जे बीजी पुरुषक नामक संग्रह होए आ पंजी प्रथा बीजी पुरुष संग्रह केर रूपमे प्रारम्भ भेल. ब्राह्मण मध्य जातीय स्तरक विभेद कें ओ तिरस्कार करैत एकरा राजनीतिक मनसाक रूपमे देखैत छथि. पंजीकार लोकनिक भूमिकाकें प्रसंशा करैत हुनका लोकनि सआग्रह करै छथि जे ई श्रेष्ठ, मध्य, निम्न आदिक वर्गीकरण हटाय पंजीकरण कें सुव्यवस्थित ढ़ंग सएकरा आगाँ बढबैत रहथि जाहि ससामाजिक समरसता बनल रहैक. पंजी व्यवस्थाक आधार पर विवाह आ ओहि सउत्पन्न संतान मे आधा मातृक पक्षक आ आधा पितृ पक्षक गुण अबैछ आ विकसित समाजक वास्ते ई एक आवश्यक तत्त्व अछि. पहिल सत्रक वक्तव्य समापनोपरांत नवारम्भ सप्रकाशित धीरेन्द्र कुमार झा धीरेन्द्र लिखित मैथिली कविता संग्रहक पोथी काल-ध्वनिकेर सेहो विमोचन कएल गेल.

दोसर सत्र मे पत्रकारिता आ संस्कृतिविषय पर केन्द्रित गपसप कार्यक्रमक आयोजन छल जाहिमे भारतक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री,लेखक आ पत्रकार प्रेमशंकर झा संग मानवशास्त्री डॉ. कैलाश कुमार मिश्र सोझासोझी बहुत रास प्रश्न रखलनि. प्रेमशंकर झाक व्यक्तिगत आ पारिवारिक जीवन सपरिचय करबैत कैलाश कुमार मिश्र द्वारा मिथिला सरहल अप्रत्याशित पलायन आ रोजगारक दुर्दशा पर एक पत्रकारक आ एक सफल अर्थशास्त्रीक दृष्टिकोण सउपस्थित जनसमूहकें अवगत करौलनि. चीनी आ जूट मिल सन महत्त्वाकांक्षी परियोजना पर ध्यानाकृष्ट केलनि जतय सलाखो लोककें रोजगार भेटि सकैछ,जकरा आधार पर नव पलायन पर रोक लागि सकैछ आ मैथिल समाज स्थिर भकिछु विकल्प ताकि सकैछ. प्रेमशंकर झा द्वारा राजनैतिक उदासीनता पर चिंता व्यक्त करैत एकरा गैर-राजनीतिक माध्यम सपुनर्प्रयास हेतु किछु शिष्टमंडल कें तैयार कएकर क्रियान्वन हेतु सलाह देलनि आ समुचित सहयोग भेटबाक आश्वासन पर एकर प्रतिनिधित्व हेतु सहर्ष स्वीकारलनि. उद्यम-रोजगार स्थापित करबाक संगे कला-संस्कृति हेतु सेहो आश्वस्त देखना गेला आ रंगकर्म कें बढ़ाबा देबा लेल साल मे कम सकम बारह गोट आयोजन हेतु अपन योगदान देबा लेल सेहो सार्वजनिक मंच सगछ्लनि. गपसप कार्यक्रम मे मंचस्थ महेन्द्र मलंगिया जी गामक जातीय समस्या कें एकटा बाधक सेहो बतौलनि. मैथिली भोजपुरी,अकादमीक उपाध्यक्ष नीरज पाठक अकादमीक विभिन्न आगामी कार्ययोजना केर सन्दर्भ मे जानकारी देलनि.

तेसर आ अंतिम सत्र मे तीन गोट विभिन्न कलाक प्रस्तुति भेल जाहिमे पहिल प्रस्तुति छल सुबहाआ एहिमे एकल अभिनय केलीह प्रभाती कमलिनी. प्रसिद्ध युवा कथाकार ऋषि वशिष्ठ लिखित एहि कथाक केन्द्र मे एक मुसलमान पात्र फूलहसन अछि जे रोजी-रोटी चलेबा लेल अपन आ लगीचक गाममे पटिया बेचि गुजर करैत अछि. गामक बेटी-पुतोहु सछोट-छोट बच्चा सभक प्रिय अछि फूलहसन मुदा अज्ञात चोर द्वारा मंदिर मे भेल चोरि बला घटना सअनावश्यक रूपे इमानदार फूलहसन पर संदेह कजे समाज द्वारा दण्डित कएल गेल अछि से हृदय द्रवित करै बला स्थिति उत्पन्न करैछ. जहल सवापसी एला बाद पुनः गाँव सगुजरैत फूलहसन कें जखन एक बचिया नारायणी जकरा ओ बड्ड मानैत रहै कोरा चढ़ि गेलै, फूलहसन कें भरोस भगेलै आ ओकर भोक्कासी पारि कानब आ कहब भगवती हमरा निरपराध कबूल कर लेलकैकेहनो व्यक्तिकें हृदय द्रवित कदैछ. दस सपन्द्रह मिनटक मंचनक एहि अवधि मे प्रभातीक भाव-भंगिमा,उच्चारण,परिधान,मंचक उपयोग आ आत्मविश्वास देखबा जोगर छल. एकर निर्देशन सेहो केने छलाह स्वयं लेखक ऋषि वशिष्ठ आ प्रस्तुति सहयोग छल अछिञ्जलकेर.

दोसर प्रस्तुति छल मलंगिया फाउंडेशन केर मैथिली नाटक नसबंदी’. नाट्य लेखन छल महेन्द्र मलंगिया जीक. निर्देशन केलनि अमर जी राय. अभिनय छल संतोष कुमार, प्रज्ञा झा आ मनीष राज केर. नसबंदी कथा आधारित अछि एक एहेन युवा पर जे अपन परिवारक रक्षा वास्ते सरकारी योजना के तहत नसबंदी करा किछु धन अर्जित करैत अछि. दू गोट संतानक मृत्युक पश्चात अपन पत्नीक जान बचेबा लेल एहि योजनाक लाभ लैत अछि मुदा पत्नी आब नैहर जा दोसर घर बसेबाक तैयारी मे लागि गेल अछि. बहुत बुझेलाक बादो जहन एकरा संग रहबा लेल तैयार नै होइछ ई रेल मे कटिकआत्महत्या कलैत अछि. नाट्य मंचन मे अमर जी राय केर मजबूत निर्देशकीय पक्ष सोझा आएल. मैथिली मंचक चर्चित अभिनेता संतोष कुमार संग प्रज्ञा झा आ मनीष राज सेहो चरित्र संग न्याय केलनि. मंच व्यवस्था,प्रकाश परिकल्पना,साज-सज्जा,मेकअप आदि सेहो उपयुक्त आ नाटकक मंचन सफल रहल.

आजुक कार्यक्रमक तेसर आ अंतिम प्रस्तुति छल वीर कुँवर सिंह पर आधारित कुँवर गाथा’. सांगीतिक नाटक कुँवर गाथा, वीर कुँवर सिंहक शौर्य गाथा थिक जे भोजपुरी क्षेत्र मे प्रचलित अछि. भाषा सहोदरी भोजपुरीक मान रखैत एकरा मैथिली मे अनुवाद केलनि अजित झा आ प्रस्तुति सहयोग छल मर्यादा केर. संगीत आ गायन अजित झा. वाद्य-वादन मे विजय मिश्र,अजय आदिक सहयोग. निर्देशन संतोष झा केलनि.

अछिञ्जलमैथिली-भोजपुरी अकादमीकेर संयुक्त तत्त्वावधान मे विभिन्न विषय पर विभिन्न सत्रक एहि एकदिवसीय आयोजनक सहभागी संस्था केर रूपमे मैथिल यूथ परिषद,रंगरेज मिथिला आदिक सहयोग सआयोजन सफलतापूर्वक संपन्न भेल.