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Wednesday, June 20, 2018

गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानसक सुन्दरकाण्डकें अर्चना भगवान जी मिश्र द्वारा मैथिली भाषा मे रूपांतरण

मैथिली साहित्यक विभिन्न विधा मे मौलिक लेखनक संग-संग समय-समय पर नव-नव प्रयोग सेहो होइत आबि रहल अछि. एहि बेर एहने सन किछु प्रयोग केलनि अछि मैथिली गीत आ फिल्म लेखनमे हस्तक्षेप रखनिहार, पेशा सँ इंजीनियर, मधुबनी जिलान्तर्गत ननौर ग्रामवासी श्री भगवान जी मिश्र एवं पेशा सँ गणित शिक्षिका आ हुनक सहधर्मिणी श्रीमती अर्चना प्रियदर्शिनी जिनक संयुक्त प्रयास सँ गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानसक सुन्दरकाण्डकें मैथिली भाषा मे रूपांतरण एवं पोथी रूपमे प्रकाशित ‘सरल मैथिली सुन्दरकाण्ड’ केर विमोचन दीपक फाउंडेशनक वार्षिकोत्सव समारोह-२०१८ केर अवसर पर भारत सरकारक पूर्व शिक्षामंत्री एवं प्रखर राजनीतिज्ञ श्री मुरली मनोहर जोशी जीक करकमल सँ दिल्लीक मावलंकर सभागार मे भेल छल.

सभागार मे उपस्थित दर्शक लोकनिक मध्य भेंटस्वरूप ‘सरल मैथिली सुन्दरकाण्ड’ आ संग मे एकर ऑडियो सीडी जेकि सुपरिचित गायक श्री दिलीप दरभंगिया केर स्वर ओ संगीत मे निर्मित अछि निःशुल्क वितरित कएल गेल. उक्त पोथी आ सीडीक एक प्रति हमरहु प्राप्त भेल. पोथिक आवरण पृष्ठ आ भीतरी पन्नाक उत्तम गुणवत्ता बेस आकर्षित करैत अछि आ दीर्घसमय धरि ई पोथी यथास्वरूप सुरक्षित राखल जा सकैछ. दीपक फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित पहिल संस्करणक एहि पोथिक संपादन केने छथि श्री दीपक झा आ संपादन सहयोग श्री कमल मोहन ठाकुर.

साधारणतया हमरा लोकनि सेहो जखन सुन्दरकाण्ड पाठ करैत छी त’ भाव बुझितो कएक ठाम शब्दक अर्थ बुझबा लेल जिज्ञासु होइत छी. रूपांतरणकर्ताक दू शब्द मे लेखकद्वय द्वारा पाठकक सोझा एहि पोथिक संदर्भमे योजना, क्रियान्वन आ प्रकाशनक उद्देश्य सम्बन्धमे जे अनुभव आ उद्गारकें राखल गेल अछि से सहजहि अकानल जा सकैछ. लेखकीय मंतव्यक आधार पर हिनक मानब छनि मैथिलीमे सरल शब्दक उपयोग करैत लिखबाक मूल उद्देश्य जे आध्यात्मिकताक पालन करैत मानवताक उत्थान हेतु मिथिलाक जन-जन धरि अपन मातृभाषामे एकर प्रचार-प्रसार होय.

लेखकीय प्रयास आ गुणवत्ताक बाद आबी पोथिक पाठकीय पक्ष पर. मैथिली भाषाक प्रति नव पीढ़ीमे आबि रहल उदासीनता जतय चिंताजनक स्थिति उत्पन्न करैत अछि ओत्तहि वर्तमान पीढ़ीक साहित्य सृजनमे सक्रियता आ मातृभाषा प्रति अनुराग सुरक्षित भविष्य हेतु सेहो ततबे सकारात्मक परिवेश बनबैत आश्वस्त करैत अछि. अपना जनैत प्रत्येक सृजनधर्मी लोकनि किछु ने किछु नव सन करबाक प्रयत्न मे छथि जाहि सँ भाषा विस्तारमे अपेक्षित सहयोग भेटैत रहौक. जन-जनकें कंठ मे बसल सुन्दरकाण्डकें मैथिली रूपांतरण करबाक पाँछा हिनको लोकनिक इएह उद्देश्य निहित छनि. वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे देखल जाय त’ उक्त पोथी भाषा संरक्षण आ संवर्धन मे एक योगदानक रूपमे अपन उपस्थिति दर्ज करबैत अछि जे कि सरल,सहज आ सर्वबोधगम्यताक संग पाठकक सोझा प्रस्तुत अछि.

८४ पृष्ठक पोथिक अवलोकन केला उत्तर एहिमे अधिकांश ठाम शब्दानुवाद भेटैत अछि मुदा किछु अंशक भावानुवाद सेहो देखना जाइछ. वर्तनी शुद्धताक मामिलामे बहुत बेसी गंभीरता देखना जाइछ तथापि एक बेर पुनर्संशोधित हएब एहि पोथिक अंतिम प्रकाशन पूर्व आवश्यक छल. टंकण आ मुद्रण केर मामिला मे बेस संतोषजनक काज भेल अछि.

रूपांतरण मे अनेको ठाम क्लिष्ठ शब्दकें सहज बनाएब अचंभित करैत अछि. ई लोकनि किछु शब्दक शोध तत्परतापूर्वक कतेको स्रोत सँ केने छथि तकर दृष्टांत निम्न पाँति सँ देखल जा सकैछ :

मूल : ‘ढ़ोल गँवार शुद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी’

अनुवाद : ‘ढ़ोल गँवार शुद्र पशु नारी, प्रेम सँ बुझबै के अधिकारी’

‘ताड़ना’ शब्दक अर्थ आम प्रचलन मे ‘पिटबा’ सँ लगाओल जाइत अछि आ से प्रसंगवश मोन पड़ैत अछि मैथिली साहित्य महासभा,दिल्ली द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘मिथिलाक नारी, नहि छथि बेचारी’ केर मंच सँ श्रीमती करुणा झा तुलसीदासक प्रति क्षोभ व्यक्त करैत कहने रहथि जे इएह पाँति ज’ कोनो स्त्री द्वारा लिखल जाइत त’ से होइत ‘ढ़ोल गँवार पुरुष और घोड़ा, जितना पीटो उतना थोड़ा’. हिनक आक्षेप आम प्रचलनक आधार पर छलनि नहि कि मनगढ़ंत वा कोनो पूर्वाग्रह भावक आधार पर.

एहि पोथिक लेखक लोकनि एहि ठाम ताड़ना शब्दक अर्थ ‘बुझाएब’ सँ स्पष्ट करै छथि, एकर मतलब विभिन्न शब्दकोश वा आन-आन संदर्भ सँ मदति लैत एकर प्रयोग केने छथि. कहबाक अभिप्राय जे तुलसीदासक विराट सोचक संदर्भमे गहन अध्ययनक पश्चात एहि ठाम उपरोक्त शब्दक विकल्प रूपमे प्रयोग करबाक पाँछा हिनका लोकनिक शोध सोझा अबैत अछि. अपना जनैत रूपांतरणमे ठाम-ठाम बेस साकांक्ष हेबाक प्रयत्न केने छथि. शब्द चयनक क्रममे कतहु सटीक मुदा कतहु रूपांतरण मे हूसल सेहो छथि. तुकबन्दी हेतु मात्रामे छूट लैत किछु पाँतिकें सहज रूपे प्रस्तुत करब सेहो नीक लगैछ.

तुकबन्दी मे मात्राक ध्यान सावधानीपूर्वक लेलनि अछि मुदा कएक ठाम शब्द लेबामे मैथिली शब्दक विकल्प रहितो मूल शब्दक प्रयोग एकरत्ती अखरैत सन लगैछ, यथा कच्छप केर स्थान पर काछु लेल जा सकैत छल आ एहेन-एहेन कतेको शब्द जे पाठ करबा काल बेर-बेर सोझा अबैत अछि. लेखकक मंतव्य छनि सरल शब्द प्रयोगक प्राथमिकता, तें एहि गप्प दिस ध्यानाकर्षण कराएब उचित सन बुझना गेल. जेनाकि एकर ऑडियो सेहो निकलल अछि त’ संभव अछि जे गेयधर्मिताक पालन हेतु मीटर मे नै आएब बाध्यता सेहो एक तर्क भ’ सकैत अछि. आर बहुत रास नीक-बेजाए तथ्य जे पाठ करबाक क्रममे सोझा आएल जकर किछु जिम्मा अपने लोकनिक सेहो जे ई विलक्षण पोथी मंगाबी,पाठ करी आ लेखकद्वयकें यथोचित प्रतिक्रिया सँ अवगत करबियनि जे अगिला संस्करण धरि आर बेसी निखरिक’ सोझा आबय.

सरल मैथिली रूपांतरित सुन्दरकाण्डक सद्प्रयास देखि कहल जा सकैछ जे स्थायी रूप सँ शहरी परिवेश मे रहितो एहि दम्पतिकें अपन भाषा आ संस्कारक प्रति जे चेतना आ कृतज्ञताक बोध छनि से हिनका लोकनिकें विशेष बनबैत छनि. ई कहबा मे कनेको असोकर्ज नहि जे हिनका लोकनिक ई प्रयास सराहनीय अछि.

पोथिक मोल यथासाध्य नियमित पाठ आ पोथी प्राप्ति हेतु दीपक फाउंडेशन वा लेखक सँ सम्पर्क कएल जा सकैछ.

संकटमोचन हनुमान जीक कृपा दृष्टि सँ हिनका लोकनिक यशोगानक चर्च होइत रहनि ताहि आशा अपेक्षाक संग एक सिनेही पाठक दिससँ हार्दिक मंगलकामना !

Thursday, June 14, 2018

मिथिला रंग महोत्सव-२०१८ मे ज्योतिरीश्वर रंगशीर्ष ओ श्रीकान्त मंडल सम्मान

१० जून २०१८ (रविदिन) कमैथिली लोक रंग (मैलोरंग) द्वारा दीनदयाल उपाध्याय मार्ग दिल्ली स्थित राजेन्द्र भवन मे एक दिवसीय मिथिला रंग महोत्सवक आयोजन कुल चारि सत्र मे संपन्न भेल . पहिल सत्रक प्रारम्भ मैलोरंगक निदेशक डॉ. प्रकाश झाक स्वागत संभाषण आ रंग संगीत नामक कार्यक्रम सँ भेल. रंग संगीतक प्रस्तुति मे मुख्य गायन छल राजीव रंजन झा केर जाहिमे कोरसक रूपमे रंगकर्मी मुकेश झा, ज्योति, सोनी, मनीषा, विवेक,नितीश,अपर्णा,सुदीप,मनीष,अक्षय रंजन,अंकित,विकास,प्रशान्त,प्रसून नारायण,स्वाभिमान आदि लोकनिक महत्त्वपूर्ण भूमिका छल. एकर निर्देशन केलनि दीपक ठाकुर. संगीत मे मजगूत पकड़ रखनिहार दीपक ठाकुर मूलतः सीतामढ़ी जिलाक सुरसंड गामक निवासी छथि, इंदिरा गाँधी मुक्त विश्वविद्यालय सँ नाट्यकला मे एम.ए. संगहि गीत एवं नाटक प्रभाग, भारत सरकार सँ अनुबंधित संस्था नगीना आर्ट्स कें संस्थापक छथि. रंग संगीत मे मैलोरंग द्वारा पूर्वमे मंचित नाटक मणिमंजरी,धूर्तसमागम,काठक लोक,आबि मानि जाउ,चान चकोर,जल डमरू बाजय आदि नाटक मध्य प्रयोग भेल मुख्य-मुख्य गीतक प्रस्तुति भेल. २० मिनट धरि चलल रंग संगीत अपन उत्तम प्रस्तुति सँ लोककें मुग्ध करैत अंत धरि बान्हि रखबामे सफल रहल.

दोसर सत्र सम्मान ओ पुरस्कारक छल. ध्यातव्य अछि जे मैलोरंग द्वारा रंगकर्मक क्षेत्र मे विशिष्ट योगदान देनिहार व्यक्तित्वकें वर्ष २०१० सँ नियमित रूप सँ ज्योतिरीश्वर रंगशीर्ष सम्मान एवं वर्ष २०११ सँ रंगकर्मक क्षेत्र मे सक्रिय ओ समर्पित एक युवा रंगकर्मीक चयनक आधार पर श्रीकांत मंडल सम्मान सँ सम्मानित कएल जाइत अछि. उक्त दुन्नू सम्मान हेतु ५,१००/- केर राशि, पुष्पगुच्छ आ स्मृति चिन्ह प्रदान कएल जाइत अछि. वर्ष-२०१८ केर ज्योतिरीश्वर रंगशीर्ष सम्मान सँ सम्मानित लालगंज,मधुबनीक निवासी मन्त्रेश्वर झा सेवानिवृत आइ.ए.एस. अधिकारी छथि, वरिष्ठ नाटककार,रंगचिन्तक, अरिपन नामक संस्थाक संस्थापक अध्यक्ष, पोथी कतेक डारि परहेतु साहित्य अकादेमी सम्मान सँ सम्मानित आ नाटक,एकांकी,कविता संग्रह,व्यंग्य आदि विधा पर मैथिलीक संग-संग हिन्दी आ अंग्रेजी मे सेहो समान हस्तक्षेप रखै छथि. रंगकर्मी लोकनिक जीवन संघर्ष सँ प्रभावित मन्त्रेश्वर झाक उदारवादी स्वभाव तखन सार्वजनिक रूपे सोझा आएल जखन ओ मैलोरंगक रंगकर्मी लोकनिक प्रोत्साहन हेतु ५१,०००/- राशिक चेक मैलोरंग निदेशक डॉ. प्रकाश झाकें तत्क्षण हस्तगत केलनि.

दोसर सम्मान कोलकाता मे मैथिली रंगमंच स्थापित केनिहार श्रीकान्त मंडलक नाम सँ श्रीकान्त मंडल सम्मान-२०१८ मोकरमपुर,मधुबनी निवासी रविभूषण मुकुल कें देल गेल. इप्टा,मधुबनी सँ रंगकर्मक शुरुआत केनिहार अनेको नाटकमे अभिनय-निर्देशन केलनि आ वर्तमान मे बाल रंगमंच सँ जुड़ल निर्देशक आ प्रशिक्षक छथि आ किलकारी, पटना सँ आबद्ध छथि. हिनक प्रशिक्षित बाल कलाकार ज़ी टीवी केर प्रसिद्ध रिएलिटी शो इंडियाज बेस्ट ड्रामेबाज’, हिन्दी फ़िल्म माँझी दमाउन्टेन मैन’ , ‘कपिल शर्मा शोआदि कें बाद वर्तमानमे ऋतिक रोशन अभिनीत फ़िल्म सुपर-३०संस्थापक आनन्द कुमार पर बनि रहल फ़िल्ममे १५ गोट प्रशिक्षित बाल कलाकार कें लशूटिंग करहलाह अछि. सम्मान आ पुरस्कार वितरण सत्रक आमंत्रित अतिथि छलाह एन.एस.डी. केर पूर्व निदेशक डॉ. देवेन्द्र राज अंकुर, आईटीबीपी महानिदेशालय केर महानिदेशक राकेश कुमार मिश्र आ मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकारक उपाध्यक्ष नीरज पाठक. मंच सञ्चालन केलनि प्रो. देवशंकर नवीन.

मैलोरंगक सक्षमता आब एहि बातक द्योतक अछि जे वैश्विक रंगमंचक सोझा मैथिली मे नित नवीन प्रयोग सँ दर्शक कें अचंभित करैत रहल अछि. एहि प्रयोगक उपयोग करैत एहि बेर नेशनल माइम इंस्टिट्यूट सँ मूक अभिनय मे प्रशिक्षित विवेक कुमार साह जेकि मूलतः तेहवारा, मुजफ्फरपुरक निवासी छथि द्वारा रचित,निर्देशित आ अभिनीत मूकाभिनय खाली झोड़ा१२ मिनट धरि दर्शककें आकर्षित करबामे बेस सफल रहल. विशेष प्रतिभाक धनी विवेक नाट्यकर्म मे गहन प्रशिक्षण हेतु मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय मे सेहो चयनित भेलाह अछि.

महोत्सवक अंतिम आ महत्त्वपूर्ण सत्र छल जानकी परिणय (कथा संकीर्तन)’. जानकी परिणय प्रसिद्ध व्यास स्व. राममिलन ठाकुर केर पावन स्मृति मे राखल गेल छल जेकि व्यास जी द्वारा दिल्ली मे किछु वर्ष पूर्व दस दिनक प्रवास मे रहि मैलोरंगक कलाकार लोकनिकें प्रशिक्षित कएल गेल छल आ ताहि महत्त्वपूर्ण उपलब्धिक प्रति मैलोरंग द्वारा कृतज्ञता ज्ञापनक ई एक सुअवसर छल. ज्ञात हो कि वर्ष २०१६ मे भारत रंग महोत्सव मे मैलोरंगक पहिल प्रवेश लोक कला प्रस्तुतिक रूपमे जानकी परिणय सँ भेल छल. कथा संकीर्तनक परिकल्पक,गायक आ निर्देशक छलाह राजीव रंजन झा. गायन, निर्देशन आ अभिनय मे निपुण एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार सँ मैथिली लोकगीत वास्ते स्कॉलरशिप प्राप्त राजीव मूलतः बरगाँव,सहरसाक निवासी छथि. वर्तमान मे मैलोरंगक अधिकाधिक नाटकक संगीत आ गायनक जिम्मा दीपक ठाकुर वा राजीव रंजन झा नीक जेंका सम्हारैत रहलाह अछि तैं हिनका लोकनि सँ दर्शकक अपेक्षा बढ़ब स्वाभाविक, मुदा एहि बेर जेनाकि प्रथम आ अंतिम सत्र संगीत आधारित छल आ मुख्य गायनक स्वर राजीव रंजनक छलनि ताहि हिसाबे बीच-बीच मे असंतुलित गायन शैलीमे किछु सुधारक गुँजाइश स्पष्ट देखल गेल .  कथा संकीर्तन मे हिनक मुख्य स्वर आ कोरस उपर्युक्त रंग संगीत समूहक कलाकार लोकनिक छल. प्रोफेशनल कोरियोग्राफर आ रंग अभिनेता रमण कुमार एहि बेर सखी (नटुआ) कें रूप मे प्रस्तुत भेलाह. रमण विभिन्न नाटक मे अभिनेता वा सूत्रधारक रूपमे देखल जाइत रहलाह अछि मुदा हिनक एहि नटुआ रूपक बेस प्रशंसा होइत रहल आ हिनक सखीक रूपमे ज्योति, मनीषा, अपर्णा, सोनी आदिक सेहो नीक योगदान रहल. जानकी परिणय मे रामक स्वरुप मे संजीव कुमार, सीताक स्वरुप मे मनीष कुमार आ लक्ष्मणक स्वरुप मे आदित्य राज प्रस्तुत भेलथि. ४० मिनटक कथा संकीर्तन मे गायन समूह ऊर्जा निरंतर बना रखलनि आ संगहि दर्शककें मनोरंजन करैत रहबामे सफल रहलाह.

आयोजन मध्य एक विशेष आकर्षण छल जे मन्त्रेश्वर झा केर आजुक दिन वैवाहिक वर्षगाँठ आ एहि उपलक्ष्यमे कलाकार द्वारा हिनका दुन्नू बेकतीकें मंच पर बजा राम-जानकी परिणयक संग-संग हिनको लोकनिक जयमाल करओलनि. आश्चर्यचकित करयबला एहि विलक्षण उपहार सँ दुन्नू गोटे बेस भावुक होइत कलाकार लोकनिक प्रति आभार व्यक्त केलनि.

मिथिला रंग महोत्सवक परिकल्पक डॉ. प्रकाश झा, संयोजक दीपक ठाकुर, आयोजन प्रमुख मैलोरंग चीफ मुकेश झा, प्रचार-प्रसार हेतु उत्कृष्ट ब्रोशर डिजाइनिंग एवं प्रोजेक्टर संचालनमे दक्ष संजीव कुमार बिट्टूआ सहयोगी संस्थाक रूपमे बारहमासा, ग्रामज्योति, पूरा परफॉर्मिंग आर्ट्स, रंगकोसी, कलरव्हील, संजीवनी, जयजोहार, मलंगिया फाउंडेशन, नगीना आर्ट्स, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, मैथिली भोजपुरी अकादेमी दिल्ली सरकार एवं कला,संस्कृति एवं भाषा विभाग दिल्ली सरकारक भूमिका सेहो सराहनीय रहल.

मैलोरंग संस्था आ संस्था द्वारा वर्ष २०१८ मे आयोजित एक दिवसीय महोत्सवक सफलताक कारण नवसंधान, तकनीकी रूप सँ गंभीर, कुशल नेतृत्व, समुचित मार्गदर्शन, रंगकर्मी लोकनिक उत्साह, लगन, समर्पण, अनुशासन आ ताहू सभ सँ पैघ बात जे नियमित प्रेक्षकक विश्वास सँ मैथिली रंगजगतक एहि प्रतिष्ठित संस्थाकें समुचित सहयोग आ समर्थन भेटैत रहल अछि. मैलोरंग आ मैलोरंगक प्रत्येक सदस्यकें हार्दिक बधाइ ओ उत्तरोत्तर उन्नतिक शुभकामना ! 

Sunday, June 10, 2018

स्वरचित कविता संग्रहक पोथी 'नीक-बेजाए' पर भेटल प्रतिक्रया

 फेसबुकक माध्यम स’ हमर प्रकाशित पोथी “नीक-बेजाए” के संदर्भमे जे समीक्षा आ प्रतिक्रिया भेटल से समेटक’ एत’ एक्के ठाम प्रस्तुत क’ रहल छी. अपनेंक प्रतिक्रिया आ समीक्षा हमर बलबुद्धिकें पुष्ट रखबामे सहयोग करैइयै.एहि उपकृत नेह हेतु अपनें लोकनिक सहृदय आभार.  

(पाठकक सहूलियतकें धेआनमे रखैत अंग्रेजी बला अंशकें लिप्यांतर क’ देवनागरीमे क’ देल गेल अछि)
 
27 जनवरी, 2015/हम स्वयं पोस्ट केने रही:
प्रकाशक "विद्यापति मैथिल युवा मंच" केर आभार व्यक्त करबा लेल हम निःशब्द छी संगहि आह्लादित छी ई सम्मान पाबि.
५६ पन्नामे प्रकाशित २५ गोट कविता संग्रहक ई पोथी "नीक-बेजाए" बसंत पंचमी आ संस्था द्वारा आयोजित सरस्वती पूजा महोत्सव (२५ जनवरी २०१५) केर शुभ पावन अवसर पर माननीय श्री एस. एन. झा (रिटायर्ड आइ.ए.एस.,रजिस्ट्रार,आइ.जी.डी.टी.यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन)डॉ. सतीश चन्द्र झा (प्रोफ़ेसर,सनातन धर्म कॉलेज)डॉ. नारायण जी झा (बाबूजीहमर मार्गदर्शक/पथप्रदर्शक)श्री एस.एन.मिश्रा (हमर पहिल रचना के स्थान दिऔनिहार) ,श्री मणिन्द्र कुमार झा (सी.ए.रचनाकर्म वास्ते सदिखन प्रोत्साहित केनिहार)श्री संजय कुमार झा (गायकरचनाकर्ममे निरंतरता हेतु प्रेरित केनिहार),पंडित हृदय नारायण झा (सदति दीर्घायु आ स्नेह सिंचित शुभकामना देनिहार) आदि द्वारा विमोचित ई पोथी अबिलम्ब अहाँ लोकनिक हाथमे सेहो उपलब्ध हएत. छिटपुट प्रकाशित रचनाक संग्रह हमर पहिल प्रकाशित पोथी अपनें लोकनि सहर्ष स्वीकारब ताहि आशाक संग............अपनेक सिनेह आ आशिर्वचनक आकांक्षी :
मनीष झा बौआभाइ
प्रतिक्रिया :
मणिन्द्र कुमार झा : माँ सरस्वती अपन कृपा सदिखन अहिना बनौने रहथि अपना सब पर
मोहनपुर दुर्गा पूजा : जय माँ सरस्वती
मणिन्द्र कुमार झा : नीक शुरुआत अछि
सुनील पवन अशेष शुभकमाना !!
संजय कुमार झा ढेरों शुभकामना
गोपी झा : बहुत सुन्दर बुक अछि
विभय कुमार झा : बहुत सुन्दर
कुन्दन पाण्डेय : जय मिथिला जय मैथिली
मनीष झा : बहुत खु:शी के बात भाई
रंजीत झा : मेनी कॉन्ग्रेचुलेशंस टू यू मनीष भाइ एंड आइ डू बिलीव दैट वी विल सी लॉट मोर लाइक दिस फ्रॉम यू इन फ्यूचर.......जय मिथिला
मनोज पाण्डेय : बहुत बहुत बधाई.....
संदीप शांडिल्य : अद्भुत आ गौरान्वित करय बला क्षण। जय मिथिला जय मैथिल
आर.के.मिश्रा : कवि मनीष झा “बौआभाइ” जी के ऐ कविता संग्रह प्रकाश मे लाब’ लेल नमन
अजय कुमार : ग्रेट..कीप इट गोइंग..
मुकेश झा : वाह देख क’ मोन खुश भ’ गेल,एकटा प्रति के अपेक्षा अछि .............बधाई मनीष बाबू
दयाकान्त मिश्र : बहुत बहुत बधाई मनीष जी
अमृता झा : बहुत बधाई मनीष जी
राजीव कुमार झा : बौआभाइ अहाँके धन्यवाद, आशा अछि अहिना हमरा सभ के मनोरंजन करबैत रहब January 28 at 9:30pm ·
संजीव झा : बहुत नीक अछि अहाँके किताब. संजीव कुमार झा,बाबूबरही
मणिन्द्र कुमार झा : कॉन्ग्रेचुलेशन मनीष जी
मणिन्द्र कुमार झा : वीएमवाइएम केर मेम्बर आ सभ मित्रगण स’आग्रह अछि ई बुक नीक-बेजाए अवश्य पढू आ एहि बुक के अपन बुक शेल्फी मे जगह प्रदान करू शोभा बढ़ायत
बद्रीनाथ मिश्र : कॉन्ग्रेचुलेशन मनीष जी अपनेंक लिखल पुस्तक के अध्ययन केलौं मोन गदगद भ’ गेल
22 फरवरी, 2015/संजय झा”नागदह”कें फेसबुक देबालस : · 
चिरंजिवी मनीष झा "बौआ भाई " के द्वारा लिखल "नीक - बजाय " (मैथिली कविता संग्रह) पुस्तक काल्हि मैथिली साहित्य महासभा स्थापना समारोह में भेंट स्वरुप भेटल . संगहि एकटा स्मारिका (सरस्वती पूजा महोत्सव -२०१५) विद्यापति मैथिल युवा मंच (पंजी) सेहओ भेटल जाहि में हमरो द्वारा लिखल "मिथिला में पोखरिक इतिहास " के स्थान भेटल अछि. चिरंचिवी "बौआ भाई " के सस्नेह आशीर्वाद जे हुनक कृति सेहो चिरंजीव होइन्ह एहि हेतु अनेकानेक शुभकामना. संगहि आगामी स्मारिका लेल सेहो आग्रह केलाह . हमर पूर्ण प्रयास रहत जे हम किछु लिख जरूर पठाबी एहि लेल हमहुँ अपन अग्रज आ बुजुर्ग साहित्यकार लोकनि सँ आशीर्वादक आकांछी छी -सहर्ष धन्यवाद
प्रतिक्रिया :
विभय कुमार झा : बौआभाई बहुमुखी प्रतिभाके धनी छैथ
विभय कुमार झा :  आशीर्वाद
February 22 at 2:51pm
विमल जी मिश्र : बौउवा भाए ! अपनो नीक छथिकिताबो नीक अछि ! बेजाय किछु नहि । जय हो
February 22 at 3:56pm
संजय झा : ओना बेजाए हटा देबाक चाहियनि  
February 22  at 3:56pm
शेफालिका वर्मा : बहुत नीक पोथी..मनीष झा “बौआभाइ....कौआ कुचरय अँगना मे आ पाहुन ठाढ़ दलान पर...सब कविता अपन अलग रंग रूप नेने..
February 25  at 1:27pm
शेफालिका वर्मा : माँ मैथिलीक भंडार सतत श्रृंगारमय रहत..आब ई विश्वास भ’ गेल....
February 25  at 1:45pm
11 मार्च, 2015/किशुन भारद्वाजक फेसबुक देबालस’ : · 
हमर अजीज मित्र मनीष झा “बौआभाइ” केर लिखल बहुतो गीत सुनलौं जे बजार में उपलब्ध अछि मुदा १ बेर फेर स’ बौआभाइ मैथिली कविता संग्रह “नीक-बेजाए” ल’ उपस्थित छथि.एहि पुस्तिका में बौआभाइ केर जीवनी स’ ल’ क’ अनेको प्रकारक पद्य साहित्य संलग्न अछि हम चित्र के माध्यम स’ हुनक लिखल “नीक-बेजाए” के संक्षिप्त सारांश प्रस्तुत क’ रहल छी, पुस्तिका “नीक-बेजाए” पढ़ला के बाद मोन हरखित भ’ जाएत. सब मैथिल प्रेमी भाइ बन्धु स’ आग्रह जे १ बेर अवस्से पढ़ी.
जय मिथिला.जय मैथिली.
प्रतिक्रिया :
रंजीत झा : मैथिली साहित्य के प्रोत्साहन जरुर भेटक चाही
पवन नारायण : बौआभाइ हमर लाजवाब छथि किछु करबामे बिलकुल सही और बड्ड नीक छथि
मनोरंजन मिश्र : कॉन्ग्रेचुलेशन
27 मार्च, 2015/आदित्य भूषण मिश्रक फेसबुक देबालस’ : 
मनीष झा बौआ भाई अपनहि हमर डेरा पर आबि हमरा अपन पोथी भेंट कयलनि. ई हिनक पहिल प्रकाशित पोथी थीक. एहिठाम इहो कहब आवश्यक जे कहलो उत्तर प्रेमवश एकर मूल्य सेहो स्वीकार नहि केलनि। ई कहब आवश्यक एही लेल लागल जे मैथिली साहित्यकार के निशुल्क पोथी बटबाक आदति जेकाँ भ जाइत छन्हि से उचित नही. खैरपचीस गोट कविता छैक. भिन्न-भिन्न विषय पर लिखल कविता में विभिन्न रस भेटत.
ओना त मैथिली गीत सुननिहार आब हिनकर नाम सं अपरिचित नहि होयताह मुदा ई कहब आवश्यक जे मृदुभाषी बौआ भाई बहुत मिलनसार व्यक्तित्वक धनी छथि. ई एहिना लिखति रहथु से कामना.
प्रतिक्रिया :
राहुल झा : हमरो शुभकामना 
मनीष झा बौआभाइ मित्रडेरा पर जा पोथी भेंट करब अहाँक प्रेम छल.....मोल नञि स्वीकारबाक कारण अपनें स्पष्ट क'ए देल आ रहल बात व्यक्तित्वक तअपनें सन मृदुभाषी आ सृजनकारी व्यक्तित्वक ई प्रभाव अछि जे हुनका मिलनसार बनै परतनि । हृदयसँआभार व्यक्त करै छी ।
30 मइ2015/गुँजन श्रीक फेसबुक देबालस’ :
'पाहून ठाढ़ दलान पर'
आई जखन की बेसी कवि छंद आ लय सइतर अपन कविता मे गढ़ैत छथि ओहि समय मे बौआभाई के 'नीक-बेजाएमें संकलित कविता सब अपन गेयधर्मिता के गुण के कारण बेस प्रभावित करैत अछि। पढ़वा काल बेस मनलग्गू लगैत अछि संग्रह। 25 गोट कविता पढ़वा मे समय चाहे जे लगय मुदा ई संग्रह विवश करैत छैक एक्कहि बेर में आद्योपांत पढ़वा हेतु। लेल।
'सरगमबोहनि करैत संग्रह 'बसंत'क बाद आचरण पर अबैत अछि। आचरण शीर्षक में बौआभाई जीवन के सारगर्भित आ सम्यक बनेबाक लुतुक लगबैत छथि जे ठीके अनुकरणीय लगैत अछि। ठीक तुरत बाद मिथिलाक पताका फहरबैत मिथिलाक मान-मर्यादाक गुणगान बेस सहज आ ह्रदयस्पर्शी शब्दक माध्यम सकरैत छथि। एही कविताक अंत में शुभेक्षा प्रेषित करैत सब के संगोर करैत आगू बढ़वाक कामना नीक लगैत छैक। समाजक प्रेरणामायमाय-बाप के बखराआबो चेतशीर्षक कविता में सूक्ष्म मानवीय संवेदना छलकैत अछि जे 'भाईके सह्रदय हेबाक सहजे प्रमाण देत अछि। अंग्रेजीक एकटा नमहर कवि एलिन गिन्सबर्ग कहैत छथिन जे कविता ओकरे नीक भसकैत अछि जे की अपने नीक व्यक्तित्वक मालिक हो। ई बात सहजहिं बौआभाई पर लागु होइत अछि। कुमार भैंसुरअफरल पेट,चाही हमरा ढौआ,मधुरगर टोनक्रमशः निजी जीवनक अनुभव आ दहेज सझमारल स्थितिक गप्प चोटगर रुपे सोझाँ अनैत अछि। संग्रह में जे हमरा सब सबेसी नीक लगैत अछि कविता ओ थिक "पाहून ठाढ़ दलान पर"। बेजोड़ लगैत अछि ई आ बेर-बेर पढ़वा लेल बाध्य करैत अछि। भेल एहन अवतार छलदुन्नु बापुत,नीक-बेजाए,अप्पन-आन,नेताजीकें हाल,केदैन पुछैयै,सत्ताकें शिकारकविताक सब में व्यंगात्मक शैली में कुव्यवस्था पर सोझेसोझ प्रहार करैत छथि। हम ऋणी छि आ पढ़खातिर में अप्पन ककहरा गुरुजन आ पिताक प्रति आभार व्यक्त करब कविक आभारी ह्रदय के परिचायक लगैत अछि। आई जखन की नेन्ना सब एक्को साल नहीं मोन रखैत छथि अप्पना गुरुजन के ताहि समय में अप्पन आदिगुरु सबहक प्रति आभारी रहब बेस नीक लगैत छैक। छी मानव अलबत्ते हमसमयक अश्रुपातश्रधांजलिक बाटे कखन संग्रह शेष भजाइत अछि बुझेबे नहीं करैत अछि। एकटा नीक आ सत्यानुभव आधारित संग्रह लिखिबाक लेल 'बौआभाईके बहुत बहुत धन्यवाद् आ शुभकामना।
एकटा बात जे हमरा बुझमें नहीं अबैत अछि जे कवि अप्पन परिचय में विवाहक कुंडली कियैक ददैत छथिन आ एही कुंडली-सम्प्रेषण के शिकार बौआभाई के संग्रह सेहो भेल छनि।
औखन ऐतबहि।
प्रतिक्रिया :
रुपेश त्योंथ : मनीष झा “बौआभाइ” केर नीक-बेजाए...गुंजनश्रीकें नीक आ बेजाए दुनू एक्के संग लगलनि. समीक्षा पढू आ फेर मोन भजाए तपोथी मंगाकपढू.
चंचल मिश्र :  पाहून अयला लेला मिठाईविदाई मैं लय गेला ढ़ेर पाई। 
मनीष झा “बौआभाइ : प्रिय गुंजन भाइजाहि उद्गारक संग हमर ई अदना आ हल्लुक सन-सन रचनाक संग्रहीत पोथी नीक-बेजाए” केर अपनें सहृदय स्वीकारल ओ समीक्षात्मक तथ्य आ तर्क स’ स्पष्ट भ’ रहल अछि कारण व्यस्ततम समयमे स’ एतबा समय निकालि एक-एक टा कविताक शीर्षकक नाओं केर उल्लेख करैत तदनुरूप अपन भावनात्मक मोइस स’ एहि मुखपोथी पर सार्वजनिक रूपे सोझा राखब अपनेक गूढ़ अध्ययन आ विशेष प्रतिभाक द्योतक अछि आह्लादित त’ छीहे आ आभारीओ ताहि स’ कम नैं !
अहाँके कवि-परिचयक जे अंश अखरल तकर अन्देशा हमरा अपनों छल मुदा ई गप्प अहाँ छोड़ि आइ धरि केओ नैं कहला वा नैं लिखला तैं अपनेकें पुनः साधुवाद ! देखाओंसक त्रुटि कही वा हमर अप्पन तर्क कही वा एकरा सार्वजनिक रूपे हमर अपरिपक्वता मानल जाए......खैरजे ! से ! आगाँ स’ एहिमे सुधारात्मक प्रयास सेहो हएत ततबा आश्वस्त करै छी.
एक नीक मित्र आ शुभचिंतकक दृष्टिकोणे अपनेंक लिखल एक-एक आखर हमरा नीक लागल मने बेजाए अंश सेहो नीक लागल कारण एहि सभस’ ज्ञानबोध होइ छै जेकि ककरो स’ ’ सकै छै ताहिमे अहाँ हमर हृदय जीतल. एक बेर पुनः धन्यवाद ! साधुवाद ! आभार ! मंगलकामना !

कल्पना झा :
★★★ अनुभूति ★★★

किछु पाँति नीक बेजाय सँ ....

चंचल मन छी समटि कें रखने
तँञ बुझा रहल छी अति गम्भीर
मूँह अछैते बौक बनल छी
बिनु गुज्जी कें कान बहीर
हमर व्यथा के आबि क पूछत
जे हम कियेक भेलहुँ निःशब्द.........

अद्भुत !!!!!
आभार मनीष झा " बौआभाई "
सरिपों बड्ड विशेषक रचल ,
मैथिली कविता संग्रह
" नीक -बेजाय
कखन हमर नैना भुटका सभ सियान भए गेलाह आ माँ मैथिली के
अलंकृत करय लगलाह सरिपों भाने नहि भेल ।


दिलीप कुमार झा 'नीक -बजायकवि छथि मनीष झा 'बौआ भाई25 गोट कविता एहि पोथी मे संग्रहित अछि।मानिषजी पहिलेससँ गीत लिख रहलाह अछि।हिनक ई पहिल संग्रह अछि।ई कहि सकैत छी ,हिनक मैथिली कविता मे प्रवेश भेल अछि।मैथिली केँ हिनका सँ बहुत उम्मीद छैक,साहित्य मे आ भाषा आंदोलन मे सेहो।कविता मे अनावश्यक तुकबंदी सँ बचथि से आग्रह।पहिल संग्रह मे खाँटी शब्दक प्रयोग प्रभावित केलक अछि। लिखैत रहु मानिषजी ।
October 21, 2017


अक्षय आनन्द सन्नी : नीकक यात्रामे बेजाए कतए
आश बहुत अछि बाँचल एखनहु
मैथिल मिथिला पूत सॅऽ
गरिमा नहि धूमिल होयत कहियो
एहि शांति किरण केर दूत सॅऽ
ठीकेजाधरि अहां सन सुच्चा मैथिल नीक-बेजाएक बहन्ने अपन मनोभाव मातृभाषामे परसति रहताह ताधरि अपन संस्कार-संस्कृतिक गरिमा मटियामेट नै हेतैक से आसे नै पूर्ण विश्वास अछि.
एहि बेरूक दिल्ली यात्राक पहिने दिन मैथिल कवि आ आत्मीय भाइ मनीष झा बौआभाइ सपरिवार सभेंटघांटक सुखदगर संयोग भेटल छल. ताहि क्रममे हुनक कविता संग्रह "नीक-बेजाए" सहित मोटरी भरि साहित्यिक सनेश सेहो भेटल छल. गाम अबितहिं सभ सपहिने नीक-बेजाए सअवगत भेलौ. नीकक एहि यात्रामे बेजाए तकतौ नै भेटल. मुदाएकटा रूचिगर कविता संग्रह अद्योपांत पढ़ि जरूर गेलौ. आब कहैमे कनियो असोकर्य नै जे सभ सुआदक लयबद्ध कविताक ई संग्रह मोन-मोहि लेलक. हमरा जनैत एहि पोथीमे जतबहि सहजता सबौआभाइ हास्य परोसने छथि ओतबहि नीक सओ गंभीर बात सभ राखैमे सेहो सफल भेला अछि. एकठ्ठे कही तएकदम कम दामक एहि पोथीकें एकबेर अवश्य धांगल जा सकैए.