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Saturday, November 18, 2017

द्वितीय मलंगिया महोत्सव-२०१७

मैथिली केर बहुचर्चित नाटककार महेन्द्र मलंगिया पर केन्द्रित दू-दिवसीय मलंगिया महोत्सवक आयोजन क्रमशः ११ एवं १२ नवम्बर,२०१७ क' मेघदूत परिसर,रविन्द्र भवन,मंडी हाउसमे सफलतापूर्वक संपन्न भेल. मलंगिया फाउंडेशन,दिल्ली द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मैथिली साहित्य एवं सांस्कृतिक उत्सव मे भारत समेत नेपालक प्रसिद्ध रंगकर्मी ओ साहित्यकार लोकनिक सहभागिता रहल. दू दिना ई महोत्सव कुल आठ सत्र मे विभाजित छल.

११ नवम्बर,२०१७ क' पहिल सत्र मे मिथिलाक लोक साहित्य एवं लोक संस्कृतिविषय पर संगोष्ठी केर आयोजन कएल गेल जाहिमे पूर्वांचल विश्वविद्यालय,काठमांडू,नेपाल केर पूर्व उप-कुलपति डॉ. रामावतार यादव एवं प्रसिद्ध मानवशास्त्री ओ ब्रेनकोठी संस्था केर अध्यक्ष डॉ. कैलाश कुमार मिश्र अपन महत्त्वपूर्ण वक्तव्य देलनि. पहिल सत्रक एहि संगोष्ठी केर अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शेफालिका वर्मा एवं समन्वयन केलनि जे.एन.यू केर प्रोफेसर डॉ. देवशंकर नवीन.

दोसर सत्र मे नेपाल-भारत सांस्कृतिक सम्बन्ध आ मलंगियाविषय पर संगोष्ठी मे काठमाण्डू,नेपाल सँ आयल वरिष्ठ साहित्यकार,गीतकार एवं रेडियो संचारकर्मी धीरेन्द्र प्रेमर्षि, शिक्षा निदेशालय,दिल्ली सरकार मे कार्यरत डॉ. अजय कुमार झा, जनकपुर,नेपाल सँ वरिष्ठ रंगकर्मी,संगीतकार एवं गायक सुनील मल्लिक एवं सूचना मंत्रालय,भारत सरकारक योजना पत्रिका केर संपादक रितेश पाठक अपन महत्त्वपूर्ण वक्तव्य देलनि. दोसर सत्रक संगोष्ठीक अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गंगेश गुँजन एवं समन्वयन केलनि वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक अतुल कुमार ठाकुर.

तेसर सत्र मे बारहमासा,दिल्ली केर प्रस्तुति एवं महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक देह पर कोठी खसा दियकेर मंचन कएल गेल, निर्देशन केलनि मुकेश झा.

पहिल दिनक चारिम आ अंतिम सत्र मे मलंगिया फाउन्डेशन,दिल्ली केर प्रस्तुति एवं महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक ओ खाली मुँह देखै छैकेर मंचन कएल गेल, निर्देशन केलनि मलंगिया फाउंडेशन केर अध्यक्ष ऋषि कुमार झा मलंगिया’.

महोत्सवक दोसर आ अंतिम दिन १२ नवम्बर क' पहिल सत्र मे महेन्द्र मलंगियाक नाट्यभाषाविषय पर संगोष्ठी केर मुख्य वक्ता छलाह पटना सँ आयल रजिस्ट्रार गोपेश चौधरी, सहरसा सँ वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक किसलय कृष्ण एवं दिल्ली सँ युवा कवि लेखक डॉ. अरुणाभ सौरभ. पहिल सत्रक एहि संगोष्ठीक अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. वीरेन्द्र मल्लिक एवं समन्वयन केलनि वरिष्ठ रंगकर्मी काश्यप कमल.

दोसर सत्र मे महेन्द्र मलंगिया नाटकक निर्देशन क्षेत्रविषय पर संगोष्ठी के मुख्य वक्ता छलाह दिल्ली सँ वरिष्ठ अध्येतावृत्ति एवं मैलोरंग संस्था के निदेशक डॉ. प्रकाश चन्द्र झा एवं पटना सँ आयल वरिष्ठ रंगकर्मी किशोर केशव. दोसर सत्रक एहि संगोष्ठीक अध्यक्षता संगीत नाटक अकादमी के उप-सचिव सुमन कुमार एवं समन्वयन केलनि फोर्ड फाउंडेशन सँ फेलोशिप रंगकर्मी अभिषेक देव नारायण.

तेसर सत्र मे अछिन्जल,मधुबनी केर प्रस्तुति एवं महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक हाय रे हमर घरवालीकेर मंचन कएल गेल, निर्देशन केलनि अभिषेक देव नारायण.

चारिम आ अंतिम सत्र मे भंगिमा,पटना केर प्रस्तुति एवं महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक काठक लोककेर मंचन कएल गेल, निर्देशन केलनि कुमार गगन.

नाटक एवं संगोष्ठी केर विभिन्न सत्रक मंच सञ्चालन केलनि कुमकुम झा, किशोर केशव,मुकेश झा, ऋषि मलंगिया एवं मनीष झा बौआभाइ’. प्रसिद्ध गायक सुनील मल्लिक द्वारा गाओल विद्यापति रचित गीत "बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे" केर संग महोत्सवक विधिवत समापन भेल।


संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार एवं बीपी कोइराला फाउंडेशन,भारत नेपाल प्रतिष्ठान केर सौजन्य सँ आयोजित एहि महोत्सवक सहयोगी संस्थाक रूप मे मलंगिया आर्ट्स,संगीत नाटक अकादमी,दिल्ली एवं अछिन्जल,मधुबनी केर महत्त्वपूर्ण योगदान रहल.

Sunday, November 05, 2017

अछिञ्जल : विलुप्त होइत लोककलाकें पुनर्स्थापित करबाक एक पवित्र संकल्प

वर्तमान मे लोककला एवं संस्कृतिक प्रति चिंता ओ चिंतन सबेसी एहि पर क्रियान्वयन केर आवश्यकता छैक. ग्रामीण परिवेश जतई बाँचि सकैत अछि ठीक ओत्तहि एकर विपरीत बाहरी अपसांस्कृतिक बसात सपरिवेश दिनानुदिन दूषित भरहल अछि. सोशल नेटवर्कक माध्यम सविकृत होइत संस्कृतिकें सहजहि अकानल जा सकैत अछि. मनोरंजन कें रूपमे अधिकाधिक गाममे कोनो पूजा वा अवसर विशेष पर एखन ऑर्केस्ट्रा (भोजपुरी,हिन्दी गीत पर अश्लील नाच प्रदर्शन)साधनकें प्राथमिकताक संग स्वीकार्यता भेटि रहल छै, जे सांस्कृतिक कैंसर कें रूपमे तीव्रता सअपन विस्तार करहल अछि. ओ समय छल जहिया ऑर्केस्ट्राक मंच सबेसी-स’-बेसी गायक द्वारा गीत गाबिकसुनाओल जाइत छल, मुदा एखन जाहि प्रकारक रंग रूपकें ऑर्केस्ट्रा कहिकप्रचारित कएल जा रहल अछि ताहि स्थितिकें कहियो थियेटर कें रूप मे जानल जाइत छल. थियेटरक एहि दुष्प्रभाव सवंचित रखबा लेल साकांक्ष अभिभावक अपन धिया-पुताकें दूर रखबाक प्रयास करैत छलाह. थियेटरक अस्सल परिचय तहिया भेटल जहिया दिल्लीमे संगीत नाटक अकादमी (एन.एस.डी.) केर विभिन्न कार्यक्रम मे अबरजात बढ़ल.

लोककला एवं संस्कृति संरक्षण हेतु बहरबैया लोक किछु बेसिए साकांक्ष देखल जाइ छथि. कला एवं संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा लोककला संरक्षण हेतु विभिन्न योजनान्तर्गत एकर बढ़ाबा देल जाइत रहल अछि. सामाजिक-संस्कृतिक संस्था अछिञ्जलएवं मधुबनी जिलाक नीलमणि सांस्कृतिक परिषद मुक्ताकाश मंच, महादेव मठ, भटसिमरिकेर संयुक्त प्रयास ओ भारत सरकारक संस्कृति मंत्रालयक सहयोग सभटसिमरि,मधुबनी   मे तीन दिनक  राष्ट्रीय लोक उत्सवक आयोजन 27-29 मार्च 2017 धरि कएल गेल . एहि उत्सव मे छ: टा राज्यक 27 टा प्रस्तुति दल, लगभग 360 कलाकार, देश भरिक 52 टा लोककलाक प्रस्तुति भेल. तीन दिनक अहि आयोजन मे लगभग 48 घंटाक प्रस्तुति भेल. एहि ऐतिहासिक आयोजनमे समाजक विभिन्न महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्वक उपस्थिति रहल. प्रथम दिवसीय कार्यक्रमक प्रारम्भ हेबा सपूर्व बिहार सरकार मे पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत द्वारा एकर विधिवत उद्घाटन कएल गेल. मुख्य अतिथिक रूप मे मैथिलीक सुप्रसिद्ध नाटककार एवं लोककला मर्मज्ञ महेन्द्र मलंगियाक संग विशिष्ट अतिथिक रूपमे बिहार सरकारक पूर्व मंत्री रामलखन राम रमण केर गरिमामय उपस्थिति रहल.

पहिल दिन २७ सितम्बर,२०१७ (बुधदिन) कार्यक्रमक विधिवत उद्घाटनक पश्चात निम्न कार्यक्रमक प्रस्तुति भेल :
o वेद मंत्रोच्चारण
o आवाहन संगीत-रसनचौकी वादन, अछिञ्जल, मधुबनी
o पारम्परिक गीत नाद, गोबिन्द मिश्रा एवं समूह, मधुबनी
o छऊ नृत्य, झारखंड 
o डाक बचन, अजित झा एवं समूह, दिल्ली
o महाबली, लेखक सह निर्देशक -नरेंद्र बहादुर सिंह, अंगराग, मध्य प्रदेश
o कबीरा गायन, अरुण सागर, सदगुरु आरोग्य निदान संस्थान, बरहारा,मधुबनी    
o मैथिली लोक व विद्यापति संगीत, विजय मिश्रा एवं समूह, दिल्ली
o सलहेस नाच, जय कुमार यादव एवं समूह, बाबूबरही,मधुबनी 

दोसर दिन २८ सितम्बर,२०१७ (वृहस्पतिदिन) निम्न कार्यक्रमक प्रस्तुति भेल :
o रसनचौकी वादन, महेन्द्र पासवान एवं समूह,मधुबनी
o कबीरपंथी गायन, पुण्यदेव पासवान एवं समूह, रतिकर, राजनगर,मधुबनी 
o सलहेस गाथा गायन, रामनारायण राम, मधुबनी
o विद्यापति संगीत परम्परा, राधा मोहन मिश्रा एवं समूह, मधुबनी
o जादू का खेल, जादूगर विनोद, हाजीपुर 
o ललका पाग मैथिली एकल नाट्य प्रस्तुति, ज्योति झा, जय जोहार फाउण्डेशन, पश्चिम बंगाल
तेसर आ अंतिम दिन २९ सितम्बर,२०१७ (शुक्रदिन) निम्न कार्यक्रमक प्रस्तुति कएल भेल :

o मैथिली एकल अभिनय भोट”, काश्यप कमल, भटसिमरि,मधुबनी
o हिन्दी नाटक महाभारत एक्सटेंशन, निर्देशक-इंद्रभूषण रमण,इप्टा, मधुबनी  
o लोक नृत्य जट जटिन, झिझिया, डोमकछ नृत्य संरचना-प्रभात कुमार,मधुबनी   
o लोक नाट्य चन्दनुआ, इंद्रवती नाट्य समिति, सीधी, मध्य प्रदेश

दोसर दिन २८ सितम्बर,२०१७ (वृहस्पतिदिन) रुद्रपुर,मधुबनी मे सेहो समानांतर उत्सवक रूपमे निम्न कार्यक्रमक प्रस्तुति भेल :
o रसनचौकी वादन, महेन्द्र पासवान एवं समूह,मधुबनी
o कबीरपंथी गायन, पुण्यदेव पासवान एवं समूह, रतिकर, राजनगर,मधुबनी 
o सलहेस गाथा गायन, रामनारायण राम, मधुबनी
o विद्यापति संगीत परम्परा, राधा मोहन मिश्रा एवं समूह, मधुबनी
o जादू का खेल, जादूगर विनोद, हाजीपुर 
o ललका पाग मैथिली एकल नाट्य प्रस्तुति, ज्योति झा, जय जोहार फाउण्डेशन, पश्चिम बंगाल
o मैथिली एकल अभिनय भोट”, काश्यप कमल, भटसिमरि,मधुबनी
o हिन्दी नाटक महाभारत एक्सटेंशन, निर्देशक-इंद्रभूषण रमण,इप्टा, मधुबनी  
o लोक नृत्य जट जटिन, झिझिया, डोमकछ नृत्य संरचना-प्रभात कुमार,मधुबनी   
o लोक नाट्य चन्दनुआ, इंद्रवती नाट्य समिति, सीधी, मध्य प्रदेश

उपरोक्त त्रिदिवसीय उत्सवक सफलताक सभसपहिल श्रेय जाइत अछि ओहि स्थानीय समाजकें जे वर्तमानमे गाम-गाम प्रदूषित होइत वातावरणक मध्य एहि प्रकारक आयोजनकें स्वीकार्यता प्रदान केलनि. इतिहास साक्ष्य रहल अछि जे समाजक किछु छद्म तत्त्व द्वारा राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाक सिद्धि हेतु समाजमे वैमनस्यता ओ फूटक जड़िमे हिन्दू-मुस्लिम, बाभन-सोल्हकन, दलित-सवर्ण आदिक बीया बौग कसमय-समय पर ओकरा विभिन्न साम्प्रदायिक ओ प्रान्तीय रंग दैत पटौनीकें काज करैत अछि. कार्यक्रमक रूप रेखा पर जध्यान देल जाए तदेखल जा सकैत अछि जे सभ वर्गक अभिरुचिक ध्यान रखैत विभिन्न प्रस्तुति आयोजित कएल गेल छल.

o कारुख महाराय, ललित दास एवं समूह, खजौली,मधुबनी 
o महाराय/ओढनी गायन, बौकू मलिक,मधुबनी  
o मिथिरंग तरंग, मैथिल नारीक उमंग, निर्देशन-अभिषेक देवनारायण, नीलमणि सांस्कृतिक परिषद, भटसिमरि,मधुबनी  
o लोक नृत्य झिझिया, लोक कला कुम्भ, मधुबनी
o लोक नृत्य डांडिया, विक्रांत कुमार, मधुबनी 
o कबीरा गायन, कबीर सेवा संस्थान, भटसिमरि, मधुबनी  
o आल्हा गाथा गायन, राम नारायण यादव,मधुबनी 
o मैथिली लोक गीत, सोनी झा एवं समूह, दिल्ली  
o नाटक एकलव्य, निर्देशक-नीरज कुन्देर, इंद्रवती नाट्य समिति, सीधी, मध्य प्रदेश
o आधुनिक मैथिली लोक गीत, लाल मिश्रा, दरभंगा
o बिदेसिया  लोक नाट्य, प्रस्तुति भिखारी ठाकुर रंगमण्डल प्रशिक्षण एवं शोध केन्द्र, आरा

समाजक एकहक व्यक्तिकें जहिया ई आत्मबोध भजेतैक जे हमर की कर्तव्य आ अधिकार अछि, विकृतता तसमूल नष्ट हेब्बे करतै संगहि भाषा ओ संस्कृति सेहो यथोचित उर्ध्वमुखी होइत रहतैक.
   
एहि कार्यक्रमक रूप रेखा आ क्रियान्वयन मे उक्त दुहू संस्था एवं समूहक जे योगदान अछि ओ निश्चितरूप सस्तुत्य अछि आ ई कहबामे कनेको असोकर्ज नहि होइछ जे जलोककला प्रस्तुतिक जे विभिन्न रूप (वेरायटी) अछि ताहि पर लोक अभिरुचिक अनुसारे जसंस्कृतिकर्मी लोकनि गंभीर भकाज करथि तएक अंतिम उमेद एखनौं बाँचल अछि अन्यथा निकट भविष्यमे अन्यान्य भाषा जेंका विलुप्त हेबा सकेओ रोकि नहि सकत. समाजक जे वर्तमान मानसिक स्थिति अछि ओहिमे कोनो संस्कृतिकर्मी हेतु ई बड्ड पैघ चुनौती अछि आ एहने सन चुनौतीकें स्वीकारैत एहि तरहक कार्यक्रमक परिकल्पना हेतु रंगकर्मी काश्यप कमल, अभिषेक देवनारायण,बजरंग मंडल,डॉ. भारती मेहता,नबोनाथ झा,यदुवीर यादव,अजीत झा एवं हिनक समूहक एकहक सदस्य साधुवादक पात्र छथि.


प्रकाशित मिथिला मिरर/अंक- दिसम्बर-२०१७