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Thursday, July 20, 2017

मैलोरंगक मंचन जट-जटिन ओ ललका पाग


१९ जुलाइ २०१७ कमैथिलो लोक रंग (मैलोरंग),दिल्ली द्वारा क्रमशः दू गोट नाटक जट-जटिनललका पागक सफलतापूर्वक नाट्य मंचन भेल. मैलोरंग पहिल बेर युवा निर्देशक रमण कुमार ओ ज्योति झाकें निर्देशनक जिम्मा दैत ई नव प्रयोग केने छल जे सफल रहल. सफलताक प्रत्यक्षदर्शी मंडी हाउस दिल्लीक श्रीराम सेंटरमे कामकाजी दिन (वर्किंग डे) होइतो प्रेक्षक सभरल प्रेक्षागृह थोपड़ीक निरंतर गरगारहैट सस्वयं प्रमाणित करैत रहल.

जट-जटिन/रमण कुमार
जट-जटिन मिथिलाक लोक परम्परा आधारित एक एहेन मान्यता अछि जाहिमे बर्खा नहि हेबा सन विकराल परिस्थितिमे अन्न-पानि बिना हाक्रोश करैत स्थानीय समाजक किछु वर्ग विशेषक महिला द्वारा जट-जटिन खेलाएल जाइछ. एहि क्रममे इन्द्रदेवक आह्वान, जट-जटिनक प्रेम ओ बेंग मारबाक प्रसंग आदिक प्रस्तुति होइछ. 

ऋतुराज कर्ण लिखित नाटक प्रारम्भ भेल बालक्रीड़ाक संग जकर नायक जटाधर (जट-राज नारायण साह) ओ नायिका जितिया (जटिन-निशा झा) जे संगहि खेलैत-कूदैत,टोना-मानी करैत रूसबा ओ बौंसबाक प्रक्रम निमाहैत बच्चा ससियान भजाइछ. दुन्नूक मनमे प्रेमांकुरित होइत समय एला पर पल्लवित ओ पुष्पित भजाइछ. मान-प्रतिष्ठाक दंभ रखनिहार जटाधरक पिता ठाकुर (जमींदार-रमण कुमार) अपन बेटी (रानी-सृष्टि कुमारी)क प्रेम-प्रसंग पर अंकुश लगबैत ओकर प्राण तक हरि लैत अछि आ ठाकुरक एहेन कठोर निर्णय ससमूचा समाज भयभीत रहैछ. एहेन मे जटाधर (ऋतुराज) अपन प्रेमक बात गुप्त राखि जितिया (प्रियदर्शिनी पूजा) सविवाह ककोनो आन गाममे जा बैस जाइछ. एम्हर गाममे अकाल पड़ि जाइछ, लोक सभ सभटा टोना-टापर कथाकि जाइछ मुदा स्थिति आर विकराले होइत जा रहल अछि. गाममे एक ज्योतिषीक (संजीव कुमार बिट्टू) आगमन होइछ जे अन्य भाषी रहैत छथि मुदा अनुवादक (मनोज पाण्डे) स्थानीय लोक धरि मैथिलीमे संप्रेषित करैत छथि. ज्योतिषीक कहब छलनि जे एहि गाममे कोनो एहेन कुकर्म भेल अछि जकर प्रकोप अछि. जितिया सजबरदस्ती विवाहक इच्छुक मुदा असफल युवक बबन (दीप आनंद) अही अवसरक खोजमे छल आ जटाधरक आन जातिक जितियाक संग विवाह करबकें कुकर्म कहि समाजक ध्यानाकर्षण कएल. छल सठाकुर द्वारा बबनकें पठा ओकरा दुन्नू बेकतीकें बजबाय आ अंतमे अपन फुसियाही स्वाभिमानक रक्षार्थ जटाधरक हत्या करबा देल जाइत छैक. जितियाक पति वियोग ओ विलाप तत्क्षण हृदयविदारक परिस्थिति उत्पन्न कदैछ आ समाजक आडम्बरी लोकक प्रति एक दीर्घ ओ अनुत्तरित प्रश्न ठाढ़ कजाइत अछि. प्रियदर्शिनी पूजा (जितिया)क अभिनय प्रेक्षागृहमे बैसल एकहक प्रेक्षककें भावुक हेबा लेल बाध्य कदेने छल.

नाटकक मूल प्रसंग सहटि कने मंच दिस चली, ज्योतिष शास्त्रक ज्ञान रखनिहार ज्ञाताकें ज्योतिषी जीकहल जाइछ मुदा प्रत्येक  पात्र द्वारा ज्योतिष जीकहि संबोधित करबकें भविष्यमे सुधारल जा सकैछ. प्रसंगकें रोचक बनेबा लेल ज्योतिषी जी द्वारा सांकेतिक (अन्य) भाषाक प्रयोग आ तदनुसार ओकर अनुवाद कप्रस्तुत करबाक जे शैली छल से अद्भुत छल आ एहि चरित्रमे दुन्नू अभिनेता (संजीव बिट्टू आ मनोज पाण्डे) बेस प्रशंसा हथोड़िकजेबामे सफल रहलाह. ठाकुरक भूमिकामे स्वयं रमण कुमार वस्त्र,मेकअप,भाव-भंगिमाक दृष्टिकोण सउपयुक्त छलाह मुदा सम्वाद अदायगीमे एहि खन मोन पड़ैत रहलाह एक छल राजाक मुकेश झा ओ अमलीक अमरजी राय. नाटकक मंचन पूर्ण सफल रहल आ नव-निर्देशक रमण कुमार बधाइ केर पात्र छथि.

एहि नाटकमे जे सभ महत्त्वपूर्ण भूमिकामे छलाह/छलीह ताहिमे उपरोक्त पात्रक संग  पाँच गोट लुच्चा प्रवृतिक लड़का सभमे निखिल राज,पुष्कर शर्मा,मनीष गुप्ता,रोशन यादव आ मणिशंकर गुप्ता, तहिना स्त्रीक भूमिकामे ज्योति झा आ सुधा झा, ग्रामीण शिव स्वरुप,ऋषि राज आ सोनू पिलानिया, नोकर प्रभात रंजन ओ बटोहिक भूमिकामे राजीव रंजन झा आ नितीश कुमार झा सेहो अपन-अपन चरित्रक हिसाबे फिट भेलाह. मंच,प्रकाश,ध्वनि,वस्त्र आदि सेहो व्यवस्थित छल मुदा एहि नाटकक पार्श्व गायन ओ संगीत किछु निराश केलक. मंच पर कलाकार लोकनिक गाएब स्पष्ट सूनल गेल जेकि गायनक मौलिक रूपकें प्रस्तुत करैत छल, मुदा जखन जट-जटिन शब्द लोकक कानमे पड़ैत अछि तपहिल कल्पना ओहि गीतक सुन्दरते पर जाइत अछि घ्यूरा फड़लौ गे जटिनियाँ, झुमनी फड़लौ गे  आ ताहि गीतक संग जउपयुक्त वाद्ययंत्रक प्रयोग नहि हो तकने झुझुआन लागब स्वाभाविक. मैलोरंग सई अपेक्षा करब उचित अछि कारण राजीव रंजन आ दीपक ठाकुर संगीत पर बेस मेहनैत करैत रहलाह अछि आ कसकैत छथि. बेजाए कहब अनुचित हएत कारण अपन जीवनोपार्जनमे व्यस्त रहैत एकटा नाटककें तैयार कप्रस्तुत करबामे कत्तेक परेशानी होइत छैक से बूझल जा सकैत अछि मुदा प्रेक्षक कतहु नें कतहु शुभचिंतक होइ छथि तहुनक अपेक्षा स्वाभाविक अछि .

ललका पाग/ज्योति झा
स्व. राजकमल चौधरी रचित ललका पागक कथा/नाट्य मंचन स्त्री-विमर्श पर आधारित अछि. स्व. राजकमल चौधरीक लेखन प्रतिभा समैथिली ओ हिन्दी (दुन्नू भाषी) समाज कृतज्ञ अछि. हिनक लेखनक केन्द्रमे सिसकैत,हिचकैत ओ शोषित नारीक दुर्दशाकें सहजहि अकानल जा सकैत अछि. ललका पाग कथाक नायिका तीरू (प्रियदर्शिनी पूजा) सेहो एहने सन एक मैथिल नारी छथि जिनका स्वभावमे लड़िकअधिकार लेब नहि अपितु सिसकैत-कुहरैत अपन अधिकार सवंचित रहबकें नारी धर्म बुझैत छथि. मात्र चौदह बर्खक उमेरमे सासुर आएल तीरू अपन बालमन पर काबू नहि राखि पेली आ सासुकें गामक पोखरिमे नहेबाक इच्छा व्यक्त कय देलनि. हुनक एहि निर्विकार मनक चंचलता सगरो गाम काने-कान पसरि गेल आ बात हुनक स्वामी राधाकान्त (जितेन्द्र कुमार जीतू”) धरि पहुँच गेल. एहि छोट सन बात पर राधाकान्त हुनक तिरस्कार करब शुरू कय देलनि आ कलकत्ता कॉलेजक महिला संगी कामाख्या (निशा झा)क रूप ओ गुणक स्मरण कहुनका संग परिणय हेतु निश्चय कलेलनि. तीरू ओहि गप्पक लेल तिरस्कृत आ अवहेलित भेली जे गप ओ मात्र बाजिकइच्छा व्यक्त केने छली नहि कि ओ पोखरिमे नहाए गेल छलीह. किछु दिनक बात राधाकान्त गाम अबैत छथि आ अपन दोसर विवाहक निर्णय सुनबै छथि तीरूकें. तीरूकें तएक क्षण लेल बज्रपात भेलनि मुदा अंतर्वेदनाकें कंठ मोंकि स्वीकृति दय देलनि. विवाहक दिन तय भेल राधाकान्त आइ बहुत प्रसन्न छलाह आ इंतजाम पातीमे व्यस्त छलाह आ हुनक एहि इंतजाम-पातीमे संग दरहल छलीह तीरू. कलकत्ता ससंगी सभ आएल छलथिन राधाकान्तकें मूँह पर एक अलग उत्साह. साँझ भेलै राधाकान्त सजि-धजि विदा भेला आ तीरू दिस बिनु तकनहि चल गेला दरबज्जा दिस. तीरू समाद पठौलनि आँगन अबै वास्ते. राधाकान्त आँगन जा जखन तीरूक घर दिस गेला ततीरू पेटी उधेसने किछु ताकि रहल छलीह आ अन्ततः ओ वस्तु भेटि गेलनि. ओ अनुपम वस्तु छल ललका पाग. ललका पाग देखितहि एक क्षणक वास्ते राधाकान्त स्तब्ध भगेला आ क्षुब्ध रहि गेला तीरूक निःश्छ्लता पर. बकार बन्न भगेलनि राधाकान्तकें आ बीच अँगनामे बैसि पश्चातापक कुहेस फटैत तेना दहोबहो नोर बहबलगलनि जेना तीन बर्खक बच्चा होथि. उक्त कथा/नाटक पुरुष वर्ग पर कतेको प्रश्न ठाढ़ करैत अछि आ कमोबेश स्थिति एखनो पूर्ववत अछि.

नाटकक आरम्भ सूत्रधार (संतोष कुमार आ निशा झा) सहोइत अछि. संतोष कुमार रंगमंचक एक एहेन हस्ताक्षर छथि जिनका मंच पर पदार्पण करिते प्रेक्षकक मूँह पर हँसी आ हुनक पात्र संबंधी जिज्ञासा बढ़ि जाइत छनि. निशा झाक अभिनय आ हुनक मैथिली बजबाक टोन भविष्यक नीक सम्भावना दिस इंगित करहल अछि. नटुआ नाच लमंच पर प्रस्तुत होइत रमण कुमार आ संजीव बिट्टूकें गतिविधि देखि प्रेक्षक लोकनिकें गुदगुदी हएब स्वाभाविक छल. राधाकान्तक पात्रमे जीतू केर पूर्वक नाटक जल डमरू बाजेधूर्तसमागममे देखल अभिनयक हिसाब सएहि बेर किछु हल्लुक सन अभिनय लागल ओना एहिमे कोनो संदेह नहि जे ओ नीक कलाकार छथि आ आगाँ फेरो तहिना भेटता से आश्वस्त छी. तीरूक माइअक भूमिका कम मुदा तइयो अपन प्रभाव बनौने रहली ज्योति झा. चननपुरवालीक भूमिकामे सुधा झाक अभिनय ओ किसनीमायक भूमिकामे सृष्टि आनंद सेहो फिट छलीह. मुंशी पटोरीलालक भूमिकामे मनोज पाण्डे सेहो उपयुक्त छलाह. तीरूक भाइअक भूमिकामे बहुत कम्मे कालक वास्ते मुदा आन नाटकक संबंधमे एतबा जरूर कहल जा सकैत अछि जे देखिते दिनमे अपन अभिनयमे नितीश सेहो निखरल जा रहल छथि. रामसागर आ ज्योतिषीक भूमिकामे सोझा आएल संजीव कुमारमे आर सुन्दर अभिनयक गुँजाइश छनि. एहि नाटकक पार्श्वमे संगीत ओ गायन बेस आकर्षक छल ताहिमे राजीव रंजन पूरा इमानदारी सप्रस्तुत भेलाह. अमरजी राय केर वस्त्र विन्यास सहजहि आकर्षित करैछ आ श्याम सहनीक प्रकाश परिकल्पना सभ दिने सनीक रहल अछि.

मंच सञ्चालन केलनि मैलोरंगक निदेशक प्रकाश झा. आजुक निर्देशक ज्योति झाकें पुष्पगुच्छ दय सम्मानित केलनि जेएनयू केर प्रोफेसर डॉ. देवशंकर नवीन आ रमण कुमारकें मैलोरंग रेपर्टरी प्रमुख मुकेश झा.

धन्यवाद ज्ञापनमे रमण कुमार दर्शक आ मैलोरंगक प्रति अपन उद्गार व्यक्त केलनि ओत्तहि ज्योति झा एहेन सुअवसर हेतु दर्शक,रेपर्टरी,वरिष्ठ रंगकर्मीक संग-संग प्रकाश झाक प्रति सेहो अपन कृतज्ञता प्रकट केलनि.

उपरोक्त दुन्नू नाटक देखला उत्तर प्रेक्षागृह ससोशल नेटवर्क धरि लोकक मूँह सवाह निकलब नाटकक सफलताकें सद्यः प्रमाण अछि. संभवतः बहुत गूढ़ विषय दिस हमर ध्यान केन्द्रित नहि भपाएल होएअ से संभव अछि आ स्व-विवेक सलिखल ई रिपोर्ट सूचनार्थ अपनें धरि पहुंचाएब अपन कर्त्तव्य बुझै छी. जयतु मैथिली.