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Thursday, February 13, 2014

प्रेम सागर (गायक)

स्वर्ग सँ' सुन्दर मिथिला धाम, मंडन अयाची राजा जनकके  गाम" ई गीत ततेक बेसी लोकप्रिय भेल जे मिथिलाके कण-कणमे प्रवाहित भ' गेल। बहुत अल्प समयमे बहुत तेजीसं' सगरो चर्चित भेल एहि मैथिली एलबम केर नाम छल- मिथिलामे रफ़ीजाहिमें अपन सुमधुर स्वर देने छलाह गायक प्रेम सागर । मूलत: मधुबनी जिलान्तर्गत खजौली प्रखण्ड केर मकुनमा गामक निवासी प्रेम सागर जी अनेको एलबम आ फ़िल्म में संगीत, गायन आ गीत लेखन के माध्यममे मिथिला के जन जनमे व्याप्त भ' गेलाह । दिल्ली मे हुनका संग भेल हमर भेंटवार्ताके किछु अंश :


नमस्कार प्रेम सागर जी ! अपनेक बहुत बहुत स्वागत अछि !
जी ! बहुत बहुत धन्यवाद !

प्रेम सागर जी, जखन कोनो व्यक्ति प्रसिद्ध भ' जाइत छैक त' ओकरा संबंधमे आम आदमी ओकर परिवारिक पृष्ठभूमि स' सेहो अवगत होमय चाहैत छैक। तैं किछु अपन परिवारिक पृष्ठभूमि के संदर्भ मे किछु कहल जाउ !
ई तबहुत नीक बात छै। एहन प्रश्नसं हमरो खुशी होइत अछि । हमर पिताजी स्व.जयवीर झा मैट्रिक पास छलाह आ गृहस्थ छलाह । हमर मां कैंसर के रोग सं ग्रसित भजखन हमर उमेर 12-13 बरखक छल तहने तजि गेली। जेठ भैया आनन्द झा बिहार लोक सेवा आयोग परीक्षा मे उतीर्ण कवर्तमानमे सेल्स टैक्स कमिश्नर छैथ आ हम तमाझिल छी आ हमरा सं छोट चतुरानन्द झा एखन टाटा (टिस्को) मे इंजीनियर छैथ ।

एकटा बात कहू जे, जहन अपनेक पिताजी गृहस्थ रहथि तकि ओहि समयमे शिक्षामे बेसी खर्च नहि रहय, कारण जे आजुक  किसान सभके एहन दयनीय स्थितिमे एहन उच्च शिक्षा हेतु प्रबंध करबामे बहुत परॆशानी होयत छैक !
एकदम सत्य कहल ! महगाई सभ दिन एक्के रंग रहल । ओहू समयमे लोकके उच्च शिक्षा पर समयानुसार बेसी खर्च रहैक । हमरा लोकनिक प्रारंभिक शिक्षा चलिते रहय ताहि क्रम मे हमर पिताजी मुजफ़्फ़रपुरमे एकटा छोट छिन ठिकेदारी शुरु केलाह आ धीरे धीरे हमरा लोकनिके ओतहि लजा क  शिक्षा दिस अग्रसर केलाह । पढलिखमे हम तीन भाइ होशगर रही आ माय नइं रहथि तैं हमर पिताजीक संग संग हमर बड़का भैया कें सेहो जिम्मेदारीके एहसास होमय लगलनि। तैं ओ ट्यूशन पढबलगलथिन आ हमरा लोकनिक देखरेख केर संग संग पिताजीकें सेहो मदति करलगलथिन । हालांकि हमहूं सब जेना जेना पैघ होइत गेलौं तेना तेना अपन जिम्मेदारी बुझैत ट्यूशन आदि सअपन खर्च निकाललगलहुं ।

अपनेक शैक्षणिक योग्यता की अछि आ तत्पश्चात संगीतमे कोन शिक्षा कतसं' लेने छी ?
हमर शैक्षिक योग्यता बी.कॉम. (ऑनर्स) अछि। सत्य गप्प ई छै जे हमरा पढै मे मोन कम आ गीत -संगीतमे बेसी लागय । हमर भैयाके आर बाँकी सभ सदस्यके मोन रहन्हि जे हम चार्टर्ड एकाउन्टेन्टके पढाइ करी, मुदा हमरा अन्तरात्मासं गायक बनबाक इच्छा प्रबल छल। ओना हमर हाई स्कूल धरि शिक्षा छल डी. एन. हाइ स्कूल, मुजफ़्फ़रपुर आ आरडीएस कॉलेज, मुजफ़्फ़रपुरसं । जहा तक बात रहलइ संगीतक तहम ई जरुर कहब जे संगीतक शिक्षा नहिं तकोनो गुरुसं लेने छी आ नैं कोनो शिक्षण संस्थानसं आ नें हमरा लग एहि ससंबंधित कोनो डिग्री/ डिप्लोमा आदिअछि । बस हम ऊपर बला (ईश्वर)कें मुंह तकलियै ओ हमरा पर दया केलनि, मने शत-प्रतिशत ईश्वरीय देन आ तकरा बाद अपन प्रयासमात्र कहि सकैत छी।

जहन अपनेक परिवारमे संगीतक प्रति एतेक बेसी लगाव किनको में नहिं रहलनि तेहन सन स्थितिमे अपनेंके गायक बनबाक प्रेरणा कतभेटल ?
देखियौ ! ई सब अपन अपन सौख आ स्वभाव पर निर्भर करैत छैक । हमरा नान्हियेटा सं एहि सबहक प्रति प्रेम ग्रामीण स्तर पर होमय बला कार्यक्रम सबसं'जागल । हमरा सबहक समयमे रामलीलाके बड्ड महत्व रहैक । ताहूमे हम बोरा ओछा क  सबसं आगू मे जा कबैसियै । सीत-बसंतके नाचमे जे गबैया सब गीत गबै (जहां डाल डाल पर) तकरा कान पाथि कसुनियै आ मोनेमोन कहियै जे भगवान एकरा सबके कतेक सुन्नर ठोंठ देने छथिन । जहन हम छठामे पढैत रही तस्कूलमे शनि दिन कबालसभा लगैत रहैक जाहिमे चतरा आ महेशबाड़ाके दूटा लड़का सुगम संगीतमे शारदा सिन्हाके विवाह गीत पहुनमा राघोटेर दै आ वास्तवमे बड्ड सुन्नर गबै ओ सब, हम कहियै- हे भगवान ! हमरो ठोंठ जौं देतौं तहमहूं  अहिना गबितौं ! एक दिन इसकूलमे एकटा कोनमें कोनो गीत गुनगुनाइत रही कि मास्टर सहैब (सुगम संगीतक) उदगार महतो बाबू सुनि लेला आ बालसभामे गबबलगला। बादमे सब पीठ ठोकै । मन तप्रफ़ुल्लित भगेल तहिये सं गायक बनैके सपना देखय लगलौं ।

जेना कि अपनें समस्त मैथिलकें जनमानसमे मिथिलाक रफ़ी नामसं विख्यात छी। कारण जे गीतक सब धुन मो रफ़ीक हिन्दी गीतक तर्ज पर मैथिली शब्दक समावेश पर आधारित छल। तकी हम जानि सकै छी जे अपनें रफ़ी साहेब सकोन रुपे प्रभावित रही ?
जहन हम छोट रही आ गीत संगीतक प्रति रुचि बढलागल तेहने समयमे हमर मां तजि गेली। दुनियाके सबसं पैघ सुख मां-बाबूजी होयत छथि। जहन हम ओहि सुखसं वंचित भगेल रही ठीक तेहने समयमे रफ़ीके गीत सुख के सब साथी”, “ राही मनवा दुख की चिन्ताआदि गीत सब हमर वास्तविक जीवनसं मिलल लागल आ रफ़ी साहेब केर स्वरसं प्रभावित होमय लगलहुं।  अपन कैरियर बनेबा लेल रफ़ीक हिन्दी गीत  सब रट  लगलौं आ स्टेज सब पर गाबलगलौं।

अपन संगीत कैरियर कोना शुरु केलौं आ एहिमे केहन संघर्ष सबसं गुजरपड़ल?
स्कूल, कॉलेज सबमे गबैत गबैत गामक नाटक आ पूजा सभक उपलक्ष्यमे स्टेज शो करैत रही आ संगे बीकॉमके पढाई करैत रही । बीकॉम पास केलाक बाद भैया सं विचार- विमर्श केलौं । भैया बुझेला जे एहि सबमे कैरियर सुनिश्चित नहिं छै, अहां सी. ए. करु । मुदा हम जिद पर अड़ि गेलौं । अन्तमे भैया देला दू हजार टाका जे लहम चलि गेलौं कलकत्ता । ओतय हमर लंगोटिया गैरेजमे काज करैत छल। ओकरे लग डेरा खसा देलियै । ई बात छैक 1987के ।ओतहु ट्यूशन पढा पहिने अपन खर्चा-पानीके व्यवस्था केलौं। अही सबहक बीच जानकारी भेटल जे ब्लैक डायमंडनामक आर्केस्ट्रामे रफ़ीके गीत गाबय बला गायक चाही। हम पहुंचलहुं तहमर चयन भगेल। एहि ठाम हम छ: महिना मात्र गीत गौलहुं आ तकरा बाद 1988मे चल गेलहुं बम्बई। बम्बईमे छोट छीन होटल आ बीयरबार सबमे रफ़ी साहबके गीत गाबय लगलहुं।

संघर्षके जतधरि बात छै तसंघर्ष छोट सपैघ सभ व्यक्तिके करपड़ैत छैक। कारण जे ओ अपन व्यक्तिगत प्रतिभा पर निर्भर करैत छैक । हम संघर्ष कम अपन रोजी-रोटी के जोगारमें बेसी रहैत छलौं कारण जे हम ततेक बेसी स्वतंत्र विचारधाराके व्यक्ति छी जे नौकरी करब पसीन नहिं अछि। तहन त  शारिरिक चंचलताके सक्रिय राखब आवश्यक छै ।

अपने प्रारंभहि समंच आ बीयर बार आदिमे गबैत रहलौं अछि तअनायास कैसेट एलबमके धुन कोना सवार भगेल ?
सत्य गप्प त' ई अछि जे जहन हमरा खूब मंच भेटय लागल त  हमर मनोबल सेहो बढय लागल आ जौं हमर पछिला रेकार्ड देखल जाय तहम हिन्दी फ़िल्म जगतमे स्थापित भसकैत छलौं वा ई कही जे एख़न धरि लागल रहितौं । हम पन्द्रह साल धरि अर्थोपार्जन तकेलौं मुदा आत्म-संतुष्टि नहिं भेटल । ई सोचि जे हम जाहि भूमि सएतेक ऋण लआयल छी ओकरा लेल की केलौं आ तकर प्रायश्चित करबा लेल मिथिला मैथिली सजुड़बा लेल प्रतिबद्ध भगेलौं आ एक गोट कैसेट निर्माण लेल प्रयास करलगलौं। ओहि अथक प्रयासक परिणाम बरख 1999में मिथिला में रफ़ी नाम ससभक सोझा आयल।

नि:सन्देह आ निर्विवाद रुप सई कहल जा सकैछ जे देश- विदेश सर्वत्र पसरल मैथिली भाषी लोकनिक मध्य अपनेक ई एलबम सर्वाधिक लोकप्रिय भेल आ बड्ड प्रशंसा भेटल , तथापि किछु संगीतकर्मी लोकनिक मंतव्यछलनि जे ई पुर्ण रुपसपैरोडी (रफ़ी) गीतक संकलन अछि । तैं एकरा किछु एफ़. एम. आदि पर सेहो प्रसारित नहिं कैल गेल। अपनेकें की कहब अछि एहि विषय पर ?
आइ अहां जाहि विषय पर ई प्रशन कैल ओ प्रश्न हमरा सोझा ओहि समय में आबि गेल छल आ सहज रुपे एकर एक्कहि टा उत्तर देब जे नाचय ने आबय तआंगने टेढ” ! मने जे काज अहांक वशमे नहिं ओ दोसर सेहो नहिं करय आ अहू सबेसीफरिछा कई बुझू जे पैरोडी गायब सभससंभव नहिं अछि । हमर एक तथाकथित मित्र जे कि एफ़एम संचालक सह गायक, गीतकार आ चर्चित साहित्यकार सेहो छथि ओ छाती ठोकि ककहै छथि जे हम पैरोडी के विरोध करैत छी मुदा हिन्दी गीतक उदाहरण दैत हुनक गाओल गीतके हम पैरोडी साबित कदेने छियनि। मिथिलांचलके बेसी सबेसी लोकप्रिय गायक आइ जौं चर्चित छथि तहुनक चर्चित गीत जरुर पायरोडिये छनि एकर बाद किछुए गायक नवधुनक सृजनक संग परिचित छथि।

मंच, एलबम केर क्षेत्रमे सफ़लतापूर्वक योगदान देलाक बादो मैथिली फ़िल्ममे अपनेक जुड़ाव वा योगदान कोन रुपे चलि रहल अछि? किछु अनुभव सअवगत कराबी ।
मुम्बई सं आबि जहन मंच, एलबम आदिक क्रममे मिथिला क्षेत्रमे सक्रिय रहय लगलौं तमैथिली फ़िल्म केर निर्माता निर्देशक लोकनि सम्पर्कमें एलाह आ आग्रह केलनि जे अपनें अपन स्वर केर संग-संग गीत आ संगीत रुपें सेहो सहयोग कैल जाउ । प्रस्ताव हमरा नीक लागल , हम स्वीकॄति देलियनि आ मित्र रवि राज, अजय यशके निर्माण आ मनोज झा निर्देशित फ़िल्म गरीबक बेटीमे बतौर गायक, संगीतकार आ गीतकारक रुपमे अपन सहयोग दैत कर्तव्यक निर्वहन केलौं। तकरा बाद  फ़ेर कतेको फ़िल्म जेना मायक कर्ज”, ‘हमर अप्पन गाम अप्पन लोकआ कतेको निर्माणाधीन फ़िल्ममें सेहो लागल छी।एहि फ़िल्म निर्माण क्षेत्रमे जुरला सएक अनुभव हमर व्यक्तिगत जीवन वास्ते सेहो उपलब्धि अछि जेनाकि उदित नारायण, कुमार शानू, अल्का यागनिक, मो अजीज, अनुराधा पौडवाल, रेखा राव, दीपा नारायण, आदिके अपन संगीत निर्देशनमे गबेबाक सौभाग्य प्राप्त भेल अछि।

अपनेकं मुंहे एक फ़िल्मक नाम सुनि किछु जिज्ञासा जागल जे हम्मर अप्पन गाम अप्पन लोकनामक फ़िल्म कतेको दिन सचर्चामे अछि मुदा एखन धरि प्रदर्शित नहिं भेल। एकर की कारण भ'  सकैईयै ?
प्रदर्शन नहिं हेबाक कारण किछु खास नहिं तहन तएतबा निश्चित छैक जे ई सब निर्माताक ऊपर निर्भर करैत अछि। जौं निर्माता चाहथि तई आजुक तिथिमे प्रदर्शित भ  सकैत अछि। ओना जकहबै जे कोनो आन्तरिक कलह छैक सेहो गप्प सहम सहमत नहिं छी। मुदा ई बात जरुर छैक जे निर्माता फ़िल्मक निर्माणमे भेललागत केर एवजमे किछु बेसीक अपेक्षा रखैत हेताह वा नहिं त' फ़िल्मक प्रदर्शन वास्ते सोचैत हेताह।

अपनेक गीतक चयनमे कोन गीत सब सबेसी प्रभावित करैत अछि ?
हमरा साफ़ सुथरा आ अपन संस्कृति सं जुड़ल गीत नीक लगैत अछि आ जाहि समयमे हमर मिथिला मे रफ़ीनामक एलबम चर्चित भेल छल, ताहि समयमे हमर बेसी गीतकार लोकनि ससम्पर्क नहिं छल। तैं सबटा गीतो अपने कलम सलिखने छी आ अहांके एकटा आर जानकारी दी जे गीतकार परमानन्द मकुनमाहमहीं छी कारण परमानन्द हमर घरक नाम आ पुकारक नाम अछि आ हमर गाम मकुनमा अछि । तकहक अभिप्राय ई जे जौं गीत लिखतो छलौं तअपन मन मोताबिक आ कहियो अप्रिय शब्दक प्रयोग नहिं केलौं । बीचमे एकटा एलबम निकालहुं “ “बहु गै बहु। लोक कहय लागल एहन नाम कियै यौ? दोसर नाम नहिं भेटल ! आब कहू जे कनियां कें अपना अहि ठाम ठेंठ भाषामे सर्वजातीय संबोधन छै बहु। तखन एहन आलोचना के की अभिप्राय ? आ हम त   मात्र नामे टा एहन रखलौं, बांकी नव आगंतुक कलाकार लोकनिक किरदानी देखिते छी । मैथिलीक बजार भोजपुरी जेकां होइ, तै लेल आब अश्लील गीत सब सेहो परसलगलनि अछि।

अपनेकें तआब संगीत विद्याके करीब करीब सभ क्षेत्रक अनुभव अछि, मने गीतकारी, संगीत निर्देशन आ गायकी तसहजहि । एहि अनुभवके हमरा संगतुरिया लोकनिक संग कोना बांटब ?
हम तकहब जे जौं गायक छी , गीतकार छी, वा संगीतकार छी अहां लोकनि अपन अपन क्षेत्रमे लगनशील रहू आ निरन्तर प्रयासरत रहू। कारण, मिथिला- मैथिलीके क्रान्ति एतेक जोर पकड़ने अछि जे सबहक भविष्य उज्ज्वल छै आ कैरियर निश्चित छै। आवश्यकता छै धैर्य आ मेहनतिकें । हम विशेष  एकटा आर गप्प कहब जे हमरा लोकनिके जे संस्कृति भेटल अछि, ओकरा तोड़ि-मरोड़ि कनिंघेस जुनि करु आओकरा मौलिकताक संग प्रस्तुत करु आ प्रस्तुत होउ ।

हमरा संग वार्ता हेतु अपन बहुमूल्य समय देल ताहि लेल मैथिली सिनेमा डॉट कॉम सहित हम आभारी रहब ।
कोनो आभार व्यक्त करबाक आवश्यकता नहिं। कारण हमहूं अही माइटक बेटा छी। अहूं अही मिथिलाक सपूत छी, तैं भाइ-भैयारीमे कोनो अभार नहिं आ हम पैघ भाइ छी तैं अहांके माथा ठोकि आशीर्वाद दै छी जे अपन शब्द आ कलमक धार समिथिला माटिकें सिंचित करैत दीर्घायु रहू !