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Saturday, March 16, 2013

अजेय मिश्र (गायक)


मूलतः सुपौल जिलान्तर्गत गिरिधरपट्टी केर रहनिहार अजेय मिश्र शास्त्रीय संगीत (ध्रुपद-धमार आ ख्याल) गायन केर क्षेत्र मे एकटा उदीयमान व्यक्तित्व छथि. 14 बरख धरि शास्त्रीय संगीतक विधिवत शिक्षा प्राप्त केलाक उपरान्त अपन परिपक्व गायकीक प्रभाव सं समस्त भारतवर्ष मे युवा शास्त्रीय संगीत गायकक रूप मे नीक ख्याति अर्जित केने छथि. अजेय मिश्र संग भेल हमर वार्तालापक किछु अंश :

सभ सं पहिने त' हम अपनेक सांगीतिक पृष्ठभूमि सं अवगत होमय चाहब.
हम नान्हिएटा सं सुगम संगीत गबैत छलहुँ. १३ बरखक अवस्था मे पिताजीक कहला पर हम ख्यालक शिक्षा लेब शुरू क' देलहुँ, आ तकरा बाद हम अपन रूचि सं ग्वालियर, किराना, बनारस, इंदौर आदि घराना सभ मे ख्याल सीखय लगलहुँ, तत्पश्चात डागर परम्परा सं ध्रुपद-धमारक तालीम लेब शुरू क' देलहुँ.
की ! अपनेक घर मे पहिनहि सं संगीतक परिवेश छल वा ई स्वनिर्णय छल जे संगीत कें हम अपन कैरियर बनाबी ?
ओना जओ देखल जाय त' हमरा घर मे संगीतक कोनो तेहन माहौल नहि छल, मुदा पिताजी शौकिया गबैत छलाह. संगीत मे कैरियर बनेबाक निर्णय हमर स्वयं केर छल.

एहि निर्णय पर अभिभावाकक प्रतिक्रिया सकारात्मक छलनि वा नकारात्मक?
पूर्ण सकारात्मक, कारण जे ओ सदिखन हमरा प्रोत्साहित करैत रहलाह.

अपनेंक झुकाव शास्त्रीय संगीत दिस कोना भेल आ ई प्रेरणा किनका सं भेटल?
छोटे टा सं रेडियो सुनबाक बड्ड सौख रहय. रेडियो पर शास्त्रीय संगीतक महान गायक पं. भीमसेन जोशी जी केर गायकी सं हम बड्ड प्रभावित रही आ हुनके गायकी सं हम प्रेरित भ' निर्णय लेलहुँ जे हम शास्त्रीय संगीतक विधिवत शिक्षा लेब.

शास्त्रीय संगीत मे बहुत बेसी धैर्य केर आवश्यकता होइछ, जखन कि एहि आर्थिक युग मे नवयुवकक झुकाव पाश्चात्य संगीत दिस बेसी देखल जाइत अछि. एहि मादें अपनेक की कहब अछि ?
नीक गप्प कहल अपने, शास्त्रीय संगीत मे बहुत बेसी धैर्यक आवश्यकता होइछ. जखन कि लोक मे धैर्यक बेसी अभाव देखल जाइत अछि. आइ-काल्हि लोक अपन घरक दालि-रोटी खेबा सं बेसी बर्गर आ सैंडविच  खायब बेसी पसंद करैत छथि कियैक त' ई बनले बनल सुलभ रूप सं प्राप्त भ' जाइत अछि मुदा स्वास्थ्य केर दृष्टिकोण सं देखल जाय त' जे आनंद दालि-रोटी मे ओ बर्गर आ  सैंडविच मे कत' पाबी. तहिना कम समय मे बेसी पाइ आ नाम कमेबाक लालसा सं नवयुवकक झुकाव पाश्चात्य संगीत दिस बेसी भ' रहल अछि.

एखन धरि कतेक मंच आ मुख्यतः कोन-कोन शहर मे अपन प्रस्तुति द' चुकलहुं अछि ? 
करीब चालीस टा सं बेसी मंच. जाहि मे मुख्यतः पटना, भोपाल, दिल्ली, हल्द्वानी, कोलकाता, मुंबई आदि-आदि शहर मे.

श्रोता कें धैर्य कतबा देख' मे अबैत अछि आ केहन प्रतिक्रया होइछ शास्त्रीय संगीतक प्रति ?
पुरान श्रोता मे त' धैर्य देखबा मे अबैत अछि मुदा नवतुरक श्रोता मे किछु कालक बाद कछ्मछी बुझना जाइत रहैत अछि.

गुरु शिष्य परम्परा मे गुरु लोकनि सं केहन सहयोग भेटल आ तहिना अपन शिष्य लोकनि सं केहेन अपेक्षा रखैत छी ?
ओना त' अपना मूंहे अपने बड़ाइ नीक गप्प नहि तथापि अपने पूछल त', हम अपन सभ गुरु लोकनिक तन-मन-धन सं सेवा करैत रहलहुँ अछि तकरे प्रतिफल थिक जे हुनका लोकनिक आशीर्वादे  किछु ज्ञानार्जन क' पओलहुँ. हम अपन शिष्य लोकनि सं सेहो आशा करैत छी जे ओहो लोकनि समर्पित भाव सं संगीत सीखथि.

हिन्दी जगतक संगीत क्षेत्र मे स्थापित छीहे मुदा जओ अपन मातृभाषा मैथिली हेतु अवसर भेटय त' अपने केहन योगदान देमय चाहब ?
सभ सं पहिने त' मैथिली हमर मातृभाषा थिक आ एहि भाषाक मधुरता त' विश्वविदित अछि , तैं एहि मे योगदान कें  हम अपन सौभाग्य बुझब. बहुत दुःख होइत अछि जखन मैथिली मे अश्लील गीत सुनबा में अबैत अछि. महाकवि विद्यापति जीक रचना हम अंतरात्मा सं पसीन करै छी आ अपेक्षा रहैत अछि जे साफ़ आ सुन्दर मैथिली गीत कें ल' ओकरा शास्त्रीय संगीत आधार पर अधिकतम योगदान दी.  

एहि भागदौड़ सन व्यस्त जिनगी मे परिवारक वास्ते समय निकालब कतेक मोसकिल बुझना जाइत अछि ?
हँ! कने कठिनाइ त' बुझाइ छै मुदा बेसी नै कियैक त' हमरा बुझने कोनो व्यक्ति अपन कैरियरक संग-संग अपन परिवारक जिम्मेवारी कें सेहो ओतबे महत्त्व देइत अछि जतेक कैरियर कें. ओहुना हमरा लोकनिक वास्ते उठब-बैसब, खायब-पीयब परिवार-समाज सभ संगीते केर एकटा अंग अछि तैं इहो सब ओही मे संभव भ' जाइछ.

नवयुवकक वास्ते अपनेक सन्देश ?
हुनका लोकनिक वास्ते सन्देश ई जे अपन संस्कृति, अपन संगीत केर गरिमा बरक़रार रखैत ओकर महत्त्व बूझथि आ सदिखन सन्मार्ग दिस अग्रसर होइथ .

अजेय जी, अपने अपन एतेक बहुमूल्य समय मे सं हमरा लेल जे किछु देल ताहि लेल अपनेक आभारी रहैत स्वर्णिम भविष्यक कामना करैत छी.
जी! बहुत बहुत धन्यवाद.

ज्योति झा (रंगकर्मी)



प्रमिला झा नाट्यवृत्ति सं सम्मानित चर्चित महिला रंगकर्मी ज्योति झा मूलतः दड़िभंगा जिलान्तर्गत कायस्थ कबइ केर निवासी छथि. मैथिली रंगमंच पर नियमित उपस्थिति आ अभिनय प्रतिभा सं प्रेक्षक सं ल' मीडिया धरी बेस चर्चित भेलीह. हिनका संग भेल हमर वार्तालापक किछु अंश :


अपने मैथिली रंगमंच सं कतेक दिन सं जुडल छी आ कोना जुडलहुं?
जओ देखल जाय त' मंच पर हमर सक्रियता यएह पछिला २-३ बरख मे भेल अछि. हम त' एक निजी स्कूल मे शिक्षिका छलहुँ आ घर-गृहस्थी मे लागल रहैत छलहुँ. अहीं सभक बीच केर एक परिचित कहलाह जे 'मैलोरंग' नव आ प्रतिभावान महिला रंगकर्मी कें अवसर देइत छैक. हम अपन पति (आनंद कुमार झा)क संग मैलोरंग रिपोर्टरीक कार्यालय गेलहुं. तखन हुनका लोकनिक तैयारी चलैत छलनि पटना मे होमयवला'जल डमरू बाजै' केर. तैं ऑडिशन मे आओरो सखी बहिनिया सभ आयल रहथि. ऑडिशन मे हमर चयन करैत पहिल मंच देलनि पटना मे. नाटकक समाप्तिक बाद सहयोगी कलाकार सभक प्रोत्साहन आ ओतय उपस्थित प्रख्यात महिला रंगकर्मी प्रेमलता मिश्र 'प्रेम' ततेक उत्साहित केलीह जे हम ठानि लेलहुं जे मंच पर सक्रिय रूप सं जुडल रहब.

अपने अभिनयक प्रशिक्षण कतय नेने छी?
हम अभिनय कें कतहु कोनो प्रशिक्षण नहि लेने छी. नान्हिएटा सं हम कोनो व्यक्तिक आवाज आ क्रियाकलाप केर नक़ल  ' घरक लोक कें खूब हंसबैत छलहुँ. परिवार मे छोट छलहुँ तैं एतेक छूट छल. हम खूब मस्ती करी आ एहिना अभिनय कराय लगलहुं.

अपने कें कलाक अन्यो विधा मे रुचि अछि वा अभिनये मे?
अभिरूचि त'  गाबय मे बेसी छल, खास क' मिथिलाक पारंपरिक गीत. मुदा आब अभिनय मे बेसी धेआन देइत छियैक आ आब हमर प्राथमिकता यएह अछि.

एकरा पाछां कोनो आओर उद्देश्य?
रंगकर्म मे पुरुखक तुलना मे महिलाक संख्या बहुत कम अछि. गायन क्षेत्र मे तइयो स्थिति नीक छैक. रंगकर्म मे महिला केर बेस खगता छैक आ यएह खगता हमरा मंच पर अभिनय लेल बाध्य केलक. एक तरहें देखल जाय त' यएह बाध्यता हमरा अपन अभिनय प्रतिभा कें सभक सोझा अनबा मे सहायक भेल आ आइ एतेक सम्मान भेटि रहल अछि.

महिला रंगकर्मी केर खगता कें देखैत अपने केहन डेग बढ़बय चाहब?
अपना भरि बहुतो नव-नव महिला कें रंगकर्म दिस अनबाक प्रयास करैत छी. मुदा हमरा जनैत ककरो जबरदस्ती उद्देश्यक पूर्ति संभव नहि अछि. आवश्यकता अछि जे महिला लोकनि स्वयं आगां आबथि आ मंचक माध्यमे अपन प्रतिभा समाज कें समक्ष राखथि.

जखन समाजक बात केलहुं त' कहू जे महिला कलाकारक प्रति समाजक मानसिकता केहन अछि?
हमर मोनक बात अहां पूछि देलहुं. जतय धरि समाजक मानसिकता केर बात छैक त' हमरा अनुभव भेल अछि जे शहर मे महिला कलाकारक प्रति आब कोनो विरोधाभास देखबा मे नहि अबैत अछि. मुदा ग्रामीण क्षेत्र मे एखनो मानसिकता नकारात्मके अछि. हम अपने बात कही त' हम गाम सं दूर दिल्ली मे रंगमंच सं जुडल छी आ एहि मध्यमे बाहरो जाइत छी. मुदा गाम जीन एहन-एहन कटाक्ष सुनबा मे अबइए जे कहय जोगर नै.  

एहि कटाक्ष सं अहां कतेक प्रभावित होइत छी आ केहन लगैत अछि?
हम एहि कटाक्ष सभ सं कहियो प्रभावित नहि भेलहुं. उल्टे ई बुझू ने जे हमरा अओर बेसी बल भेटैए ई जानि जे हम जओ हिनका लोकनिक नजरि मे बनल छी त' ने कटाक्ष आ आलोचना. हमरा आगान बढ़य मे प्रशंसक लोकनि त' थपडी बजा उत्साहित करिते छथि मुदा कटाक्ष केनिहारक विशेष कृपा. रहल बात हमर त' हम मंच पर अभिनय, काज-उद्यम, गीतनाद, आ समाजक बेटी-पुतहु रूपें सभ कर्तव्यक निर्वाह करैत छी. हमर प्रतिक्रिया सदिखन सकारात्मक रहैत अछि.  

अभिनय क्षेत्र मे अयबाक लेल किनका सं प्रेरणा भेटल?
निःसंदेह अपन बाबूजी (भोगेन्द्र झा) सं. बाबूजी ग्रामीण स्तर पर अनुभवी आ साम्नित अभिनेता रूपें विख्यात छलाह. हुनक हाव-भाव आ संवाद प्रस्तुति हमरा नेनहि प्रभावित करैत छल. ओना हम गामक मंच पर कहियो रुचि नहि देखाओल, नहि त' उचित मार्गदर्शन अवश्य भेटैत.

अपनेक एहि यात्रा मे पतिक केहन सहयोग भेटैत अछि?
एहि यात्रा मे पतिदेवक भरपूर सहयोग भेटैछ. जखन कि कलाक कोनो विधा सं ओ प्रत्यक्ष रूपें नहि जुडल छथि. तथापि हमर रुचि कें देखैत आगा बढ़ब' मे हुनक पैघ योगदान छनि. हमरा सम्बन्ध मे कतेको लोकक कहब छनि जे स्त्रिगण कें बेसी छूट नहि देबाक चाही. मुदा ओ एहि सभ बात पर बिनु कान देने आ कुतर्क कें खंडित करैत सदा हमर मनोबल बढबैत छथि.

स्कूल मे नियमित उपस्थिति, घर-गृहस्थीक संगे रंगमंच वास्ते समय निकालब...एहि सभ दायित्व केर निर्वाह एतेक कुशलता सं करै छी. से कोना? 
एहि विषय मे हम त' यएह कहब जे हम ततेक भागमंत छी जे हमरा सभतरि स्नेह आ सहयोग भेटैए तैं असोकर्य नहि होइत अछि. हं, शुरू मे समय संग तालमेल बैसबय मे कने मोसकिल होइत छल मुदा आब दिनचर्या मे आबि गेल अछि. तें सभ सामान्ये.

महिला पर केन्द्रित कोनो एहन नाटक जाहि सं अहां बेस प्रभावित भेल होइ?
राजकमल चौधरी लिखित 'ललका पाग' बैद्यनाथ मिश्र 'यात्री' रचित 'विलाप' (नाट्य रूपांतरण महेंद्र मलंगिया) आ महेंद्र मलंगिया लिखित नाटक 'ओ खाली मुंह देखै छै' आदि किछु नाटक जाहि मे क्रमशः ई देखाओल गेल अछि जे नारी अपन स्वामीक प्रति कतेक समर्पित रहैत अछि, विधाता द्वारा सताओल बाल-विधवा कें वृद्धावस्था धरि जतेक पीड़ा सहन करय पडैत छैक आ दहेजक कारण सं बेटी बापक कप्पार पर केहन भार भ' जाइत छैक. महिला केर एहन दुर्दश मंच पर देखि भावुक भ' जाइत छी.

अभिनय मे रुचि रखनिहारि नवयुवती लोकनि वास्ते की कहय चाहब?
नवयुवती लोकनि सं यएह आह्वान जे अपन प्रतिभा कें उजागर करथि आ समर्पित भाव सं आबथि. सहयोग केनिहार केर कमी नहि छैक, कमी छैक त' सहयोग लेनिहार केर. मिथिलाक बेटी छी तैं अपन माटि-पानि आ संस्कार केर मर्यादा राखैत अपन संस्कृतिक उन्नयनार्थ इमानदारी सं योगदान करू. महिलाक योगदान सं शिक्षा आ संस्कृति  दुनू केर विकास हेतैक.

अपने एतेक बहुमूल्य समय देल ताहि हेतु धन्यवाद ओ सफलताक कामना.
मनीषजी, अपनेक आभारी छी ओ अहांक उज्ज्वल भविष्यक कामना माँ जानकी सं करैत छी.

उचित नाम 'ओरिजनल काम'


मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्लीक तत्त्वावधान मे मैथिली नाटकक अग्रणी संस्था मैलोरंग (मैथिली लोक रंग) द्वारा आयोजित नाटक "ओरिजनल काम"केर मंचन शनिदिन १३ अक्टूबर २०१२ कें  सफलतापूर्वक सम्पन्न भेल. मैथिलीक सुप्रसिद्ध नाट्यकार महेन्द्र मलंगिया लिखित आ प्रकाश झा निर्देशित ई नाटक मुख्यतः ग्रामीण परिवेश पर आधारित छल जकर भाखा ठेंठ मैथिलीक संग संग हिन्दी आ अंगरेजीक मिश्रण जेना कि एकटा सामान्य आ कम पढ़ल लिखल समाज मे प्रयुक्त होइत अछि आ एहि नाटकक माध्यमे ओरिजनल काम स' अभिप्राय छै सबस' बेसी महत्त्वपूर्ण काज अर्थात कोन समय पर कोन काज केर प्राथमिकता देल जाय. हास्य व्यंग्य स' परिपूर्ण एहि नाटकक एक-एक संवाद, एक-एक दृश्य आ एक-एक क्षण सुरताल ग्राउंडक मुक्ताकाश दर्शक दीर्घा मे उपस्थित समस्त नाटक प्रेमी के बेर-बेर थपड़ी बजब' लेल बाध्य करैत छल.

मैलोरंग रंगमंडलक अनुभवी आ माँजल कलाकार लोकनिक मंचोपस्थिति मुख्य आकर्षण छल जाहि मे मैथिली फिल्म आ मंच के बहुचर्चित कलाकार मुकेश झा, अनिल मिश्रा, ज्योति झा, सोनिया झा, राजीव मिश्रा, संतोष कुमार, प्रवीण कश्यप, अमरजीत राय, रॉकस्टार झा, दीपक ठाकुर, राधाकान्त, अमित अकेला, नीरा झा आदि कलाकार सभ अपन प्रभावी अभिनय स' दर्शक पर अमिट छाप छोड़' में सफल रहलाह.


फेर मुंह दूसि गेल उद्घोषक : नाटक प्रारंभ हेबा स' पूर्व अकादमी द्वारा नियोजित उदघोषक द्वारा मंच संचालन मे अनेकानेक भूमिका पर प्रकाश देबाक दरम्यान कतहु मैथिली भाखाक प्रयोग नहि भेल. किछु दर्शक एहि बात पर असन्तुष्टि व्यक्त करैत ठाढ़ भ' ' जखन विरोध केलनि त' संचालक महोदय निरुत्तर होइत तत्काल मंच छोडि अपन स्थान ध' लेलाह आ हुनक कहब छलनि हम एहि प्रकारक विवाद मे पड़ब उचित नहि बुझैत छी. एहि स' दू टा बात त' साफ़ अछि या त' मैथिलीक मात्र नामक उपयोग कैल जा रहल अछि भोजपुरी कें आँगाँ बढब' लेल वा नहि त' मैथिली भाषाक महत्त्व स' अवगत करब' मे अकादमी मे उपस्थित हमर मैथिली केर प्रतिनिधित्त्व केनिहार सदस्य लोकनि असमर्थ छथि नहि जानि कोन एहन बाध्यता छनि. 

मलंगिया नाट्य महोत्सव-2012



भारतक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मैथिली कला आ संस्कृति के झंडा गाड़बा' में मैथिली लोक रंग (मैलोरंग) केर योगदान सतत अविस्मरणीय रहत। ज्ञात हो कि मैथिलीक  महान नाटककार श्री महेंद्र मलंगिया लिखित पाँच गोट नाटकक प्रस्तुति पाँच भिन्न-भिन्न रंगकर्मी संस्था द्वारा करेबाक वास्ते मैलोरंग दृढसंकल्पित छल एहि आयोजन के नाम राखल गेल मलंगिया नाट्य महोत्सव आ एहि में स्थानीय रंगमंडल मैलोरंग आ मिथिलांगन समेत सहरसा स' पंचकोसी, जनकपुर (नेपाल) स' मिथिला नाट्य कला परिषद (मिनाप) आ कोलकाता स' मिथिला विकास परिषद के सहभागिता निश्चितरूपे एहि विशाल महोत्सव के सफल बनेबा में अभूतपूर्व योगदान देलक। अर्थोपार्जन में व्यस्त रहैत दिल्ली सन व्यस्त शहर में जहिना रंगकर्मी लोकनि समय समय पर एहेन आयोजन करैत छथि त' ई बुझू जे भाषा आ नाटक प्रेमी दर्शकक सिनेह के सेहो नजरअंदाज़ नहि कैल जा सकैत अछि। किछु एहने सन अनुभव एहि महोत्सव में सेहो देखबा में आयल।

26 दिसम्बर क' एहि महोत्सवक शुभारम्भ विशिष्ठ अतिथि पद्म विभूषण निरंजन गोस्वामी जीक करकमल स' मलंगिया जी कें प्रदान कैल गेल  "ज्योतिरीश्वर सम्मान" स' प्रारंभ भेल।  एहि महोत्‍सवक शुरुआत महेंद्र मलंगिया, देवशंकर नवीन, विद्यानंद ठाकुर, मोहन भारद्वाज आ पंचानन मिश्र दीप प्रज्वलन क' केलथि। एहि अवसर पर महेंद्र मलंगिया लिखित नाटकक संग्रह  "महेंद्र मलंगियाक सात नाटक" किताबक लोकार्पण सेहो भेल। एहि किताब के 'मैलोरंग प्रकाशन' प्रकाशित केलक अछि जकरा सम्पादित केलनि अछि मैलोरंगक निदेशक प्रकाश झा। ई पुस्‍तक छात्रोपयोगी हेबाक कारणे विभिन्न विश्विद्यालय मे पठेबाक विचार सेहो कयल गेल। उपर्युक्त सम्मान के बाद प्रारंभ भेल महोत्सवक पहिल नाटक पंचकोसी कोसी,सहरसाक प्रस्तुति।

पहिल दिन-अलख जगओलक 'गाम नै सुतैइयै'
मलंगिया नाट्य महोत्सवक सफल आयोजन हेतु आयोजन समिति (मैलोरंगक) कार्यकर्ता लोकनि सुचारू रूप सं कार्यक्रमक संचालन हेतु अपस्यांत देखबा मे अयलाह. दिल्लीक शीतलहरीक बिनु कोनो परवाह केने आ यत्र-तत्र बाट जाम कें फनैत मैथिली भाषा आ संस्कृति प्रेमी अर्थात दिल्ली मे रहनिहार नाटक प्रेमीक महीनो पूर्वक नियार आइ सार्थक होइत देखबा मे आयल। प्रेक्षकक उपस्थिति सं प्रेक्षागृह मे बजैत थोपड़ी भाषानुरागी मैथिलक पहिचान करब' मे कतहु नहि चूकल। विधिवत उदघाटन समारोहक पश्चात आजुक नाटक 'गाम नै सुतैइयै' केर संग श्री गणेश भेल।

एहि नाटकक मंचन केर जिम्मा लेने छलाह 'पंचकोसी (सहरसा)' रंगमंडल केर रंगकर्मी लोकनि जकर निर्देशन केने छलाह युवा निर्देशक उत्पल झा। मात्र जिम्मेटा नहि अपितु एकरा समस्त कलाकार लोकनि अपन-अपन चरित्र कें बेस इमानदारीपूर्वक निर्वाह करैत जे प्रस्तुति देलनि ओ कहबा जोग नहि बल्कि देखबा जोग छल। एहि नाटकक कथा गामक किछु असामाजिक तत्त्व के धेआन में रखैत लिखल गेल अछि जाहि मे ई प्रतीत होइत छल जे राजनीतिज्ञ व्यक्ति लोकनि कोन रूपे गामक बेरोजगार युवकक प्रयोग अपन नीजी स्वार्थ सिद्धि के वास्ते करैत छथि। चोरी-डकैती,हत्या, बलात्कार में लिप्त युवकक संग एहि मे पुलिस आ बाहुबलीक सेहो भूमिका होइत अछि। नाटक "गाम नहि सुतैइए" शब्द के सार्थकता त' तखन देखबा में अबैत अछि जखन कि सगरो गामक लोक युवक लोकनिक एहि क्रियाकलाप सब स' अशान्त रहैत अछि आ एहि कुकृत्य सभक विचार-विमर्श के अड्डा गामक चाहक दोकान अछि। निर्देशक उत्पल झा प्रायः बहुतो भाषा मे माने करीब तीसटा बेसी नाटकक निर्देशन क' चुकल छथि आ जखन हुनक अनुभव केर सम्बन्ध मे पूछल गेल त' कहलनि जे हम प्रायः अंग्रेजी, हिन्दी, असमिया आदि भाषा मे निर्देशन केलहुं अछि मुदा जे आनंद अप्पन मैथिली मे भेटैत अछि ओ आन भाषा मे कत' पाबी।

एहि नाटक कें सफल बनेबा मे जाहि कलाकार लोकनिक अमूल्य योगदान अछि हुनक नाम अछिअमित कुमार, मो.शहंशाह, मिथुन कुमार, श्याम किशोर कामत, नितिन कुमार पोद्दार, विकास भारती, मनीष कुमार पाठक, सोनू कुमार, अभय कुमार मनोज, संतोष कुमार मिश्र, श्वेता कुमारी, ऋषभ कुमार, सुबोध कुमार पोद्दार, आदित्य आनंद, अजय कुमार, राम कुमार, रूपम श्री आ खुशबू कुमारी। मंच संचालनक जिम्मा सम्हारने छलाह स्वयं मैलोरंगक निदेशक प्रकाश झा। देवशंकर 'नवीन' जी आजुक नाटकक निर्देशक उत्पल झा कें मैलोरंगक प्रतीक चिन्ह आ पुष्पगुच्छ दए सम्मानित केलनि आ सहयोगी कलाकार लोकनि के प्रशस्ति प्रमाण पत्र देल गेल।  प्रथम दिनक आयोजन निश्चित रूपे सफल रहल। पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक दोसर दिन माने 27 दिसंबर 2012 केर सांझ 6 बजे सं श्रीराम सेंटर, मण्डी हाउस, नव दिल्ली मे स्थानीय संस्था मिथिलांगन द्वारा संजय चौधरी केर निर्देशन मे महेंद्र  मलंगिया लिखित नाटक 'छुतहा घैल' केर मंचन केर घोषणा।

दोसर दिन-धोलक मोनक मैल 'छुतहा घैल'
मलंगिया नाट्य महोत्सवक दोसर दिन माने 27 दिसंबर 2012 केर सांझ 6:30 बजे सं श्रीराम सेंटर, मण्डी हाउस, नव दिल्ली मे  नाटक 'छुतहा घैल' केर मंचन सफलतापूर्वक संपन्न भेल। स्त्री विमर्श पर आधारित एहि नाटकक माध्यमें ई जनाओल गेल अछि जे समाज मे स्त्रीक अहम भूमिका रहितो ओ मात्र भोगक वस्तु बनल अछि। नाटकक मुख्य पात्र मे मिथिलाक लोककथा मे अतुल्य बुद्धिक बखारी कहबै बला गोनू झा कें राखि हुनक बुद्धिमताक प्रमाण देइत महेन्द्र मलंगिया ई साबित केलनि अछि जे स्त्री अपन अधिकार लेबा सं' सेहो वंचित छथि, तैं गोनू झा हुनका सोझ बाट सं भुतला क' ओहि बाट पर ल' गेलनि जत' स्त्रीक अपन वास्तविक अधिकारक आभास भेलनि आ संगहि ई मूल मंत्र सेहो देलथिन जे नारी अपन मर्यादाक निर्वाह करैत अड़ब, लड़ब आ मरब सन बाट पर जं चलय त' ओकरो स्वतंत्र श्वास लेबाक अधिकार छैक। अभिनेता लोकनिक बीचक सटीक वार्तालाप एहि बात कें प्रमाणित करैत छल जे कलाकार लोकनि कतेक समर्पित भ' पूर्वाभ्यास केने छलाह आ संजय चौधरीक निर्देशन कतेक प्रभावी छल। उक्त विषय पर आधारित एहि नाटकक मंचीय प्रस्तुति करैत जे कार्य मिथिलांगन केलक अछि ताहि लेल समस्त मिथिलांगनक रंगकर्मी लोकनि सराहना, प्रशंसा आ बधाइ केर पात्र छथि। प्रेक्षागृह अंत धरि खचाखच भरल रहल।

नाटकक एक-एक दृश्य, एक-एक समाद ततेक रोचक छल जे उपस्थित दर्शक लोकनि कें बेर-बेर थोपड़ी बजब' लेल बाध्य करैत छल। नाटकक बीच -बीच मे नट (भास्कर झा) आ नटी (कल्पना मिश्रा) द्वारा हास्य, व्यंग्य आ करुण वाद-संवाद नाटकक रोचकता मे आओर बेसी तालमेल बनौलक. नाटक बहुत नीक लिखल छल जाहि मे किछु आधुनिक तकनीकक समावेश यथा-मोबाइल, लैपटॉप आदिक प्रयोग नाटकक मौलिक उपकरण प्रतीत होइत छल आ संवाद में दिल्ली में दामिनीक संग भेल सामूहिक बलात्कार पर घटित घटना के सेहो जोड़ैत जेना कि-नारी भोगी के लेल मौसक लोथड़ा,जोगीक लेल पापक खान,कवि के लेल फूलक पंखुड़ी आ स्वामिक लेल वन्शवृद्धिक मशीन आ ताहू स' मोन नै भरै त'................बस में ल' जा क' सामूहिक बलात्कार क' लिय'......... नटी द्वारा प्रस्तुत ई संवाद त' जेना दर्शक के एक क्षण के लेल सन्न क' देलक।

एहि नाटक कें सफल बनेबा मे अपन अभूतपूर्व योगदान देलनि अछि मैथिली मंच आ फिल्मक जानल-मानल वरिष्ठ अभिनेता शुभ नारायण झा, भास्कर झा, कल्पना मिश्रा, राजेश कर्ण, मुकेश दत्त, आशुतोष प्रतिहस्त, अनिल दास, विजय कर्ण, सुबोध साहा, रोहित झा, सायरा अली, संजीव बिट्टू, गोविन्द राय, पूजा श्री, अंजली झा, केशव झा, मास्टर अनुज कर्ण, भव्य दास, चैतन्य मल्लिक, आयुष, मृत्युंजय, अखिल विनय आदि। पार्श्व संगीत-सुन्दरम आ स्वर-सुन्दरम एवं रूपम मिश्रक छलनि।

पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक तेसर दिन माने 28 दिसंबर 2012 केर सांझ 6:30 बजे सं श्रीराम सेंटर, मण्डी हाउस, नव दिल्ली मे संस्था मिथिला नाट्यकला परिषद, जनकपुर द्वारा रमेश रंजन केर निर्देशन मे महेंद्र मलंगिया लिखित नाटक 'ओकरा अंगनाक बारहमासा ' केर मंचन केर घोषणा आ एहि अवसर पर विशिष्ट अतिथिक रूप मे नेपालक वर्तमान राष्ट्रपति महामहिम डॉ. राम वरण यादवक  उपस्थितिक सूचना।

तेसर दिन-नाटक हिट, हिट मैथिली भाषा, 'ओकरा आंगनक बारहमासा'
मैलोरंग द्वारा आयोजित पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक तेसर दिन माने 28 दिसंबर 2012 केर सांझ 6:30 बजे सं श्रीराम सेंटर, मण्डी हाउस, नव दिल्ली मे संस्था मिथिला नाट्यकला परिषद, जनकपुर (नेपाल) द्वारा रमेश रंजन केर निर्देशन मे महेंद्र मलंगिया लिखित नाटक 'ओकरा आँगनक बारहमासा' केर सफलतापूर्वक मंचन कयल गेल आ एहि अवसर पर विशिष्ट अतिथिक रूप मे नेपालक वर्तमान राष्ट्रपति महामहिम डॉ. राम वरण यादव अपन उपस्थिती द' कलाकार लोकनिक उत्साहवर्धन केलनि। मैथिलीक सुपरिचित साहित्यकार देव शंकर 'नवीन' मंच संचालित करैत राष्ट्रपति जीक स्वागत केलनि आ हुनक मंच पर पदार्पण केर उपरान्त सर्वप्रथम गोसाओनिक गीत 'जय-जय भैरवि' मैथिलीक सुप्रसिद्ध गीतगाइन रश्मी रानीक स्वर मे कर्णप्रिय वातावरण बनौलक। राष्ट्रपति अपन अभिभाषण कें ठेंठ मैथिली मे निरंतरता देइत मिथिलाक संस्कृति आ कलाक बखान कर' मे कतहु कोनो कोताही नहि केलाह संगहि ओहि दिनक स्मरण सेहो केलनि जाहि दिन मे अपने जनकपुर मे एक चिकित्सक छलाह आ मलंगिया शिक्षकक संग-संग एक प्रख्यात नाटककार सेहो। राष्ट्रपतिक यथोचित सम्मान केर उपरान्त नाटक अपन नियत समय स' प्रारंभ भेल।

नाटकक नामहि सं कथा स्पष्ट अछि 'ओकरा आँगनक बारहमासा', ककरा आँगनक बारहमासा? ओहि दलितक आँगनक बारहमासा जकरा बारहो मास (अगहन स' ' ' कातिक धरि) आर्थिक विपन्नता अपन कुचक्र मे ओझरा के नहि त' जीब' देमय चाहय छै आ ने मरबा लेल बाट छोड़ै छै। ताहि पर सं गामक धनाढ्य मालिक सभक कर्जा आ सुइद, असाध्य बीमारी, बेरोजगारी आदि तिल-तिल क' मरबा लेल बाध्य क' देइत छैक। नाटकक मुख्य पात्र मल्लर (राम नारायण ठाकुर) जे घरक मुखिया आ अपने दम्मा सन गंभीर बीमारीक शिकार सेहो रहैत अछि, अर्थाभाव आ इलाज़क अभाव मे अपन प्राण तजि देइत अछि, मरबा कालक अंतिम इच्छा जतौने छल एक मुट्ठी भात आ कने छौंकल दालि खेबाक जे खेना कतेको मास भ' गेल रहैक, नै पूरा भेलैक। मरलाक उपरान्तो जमीन,लकड़ी आ कफ़नक अभाव मे ओकरा मुंह मे आगि मात्रक बाती लगा क' नहरि में भंसिया देल गेलैक। नाटककार मलंगिया कें एहि लेखन मे सामाजिक असमानता स्पष्ट रूप स' देखल जा सकैत अछि जे केयो खाइत-खाइत अपस्यांत रहइए आ ककरो मरला उपरान्त कफ़नो नसीब नहि होइत छैक। नाटकक एक-एक क्षण एतेक मार्मिक आ सत्य प्रतीत होइत छल जे समस्त प्रेक्षक लोकनिक आँखि नोरायल सन लगैत छल।

मैथिली भाषाक कला आ संस्कृतिक अस्मिता कें बरक़रार रखबा मे मिथिला नाट्य कला परिषद, जनकपुरक योगदान सतत अविस्मरणीय रहत आ एहि सुन्दर सन प्रस्तुति मे रमेश रंजन केर निर्देशन मे जे कलाकार लोकनि अपन समर्पित मंचोपस्थिती देलनि अछि हुनक नाम अछि- राम नारायण ठाकुर, रवीन्द्र झा, प्रियंका झा, अनिल चन्द्र झा, मदन ठाकुर, विष्णु कान्त मिश्र, परमेश झा, आलोक मिश्रा, धीरज ठाकुर, स्वप्ना श्रेष्ठ, मुकेश ठाकुर, संदीप साह, अनीता रानी मंडल, मुकेश झा, सोनू कर्ण आदि. पार्श्व संगीत-सुनील मल्लिक, रमेश मल्लिक, प्रवेश मल्लिक आ सुमधुर स्वर-सुनील मल्लिक आ नेहा प्रियदर्शनीक छल जे मैथिली लोकगीत मे चर्चित बारहमासाक सस्वर नाटकक दृश्यक संग तालमेल बैसओबैत बेस प्रभावी रहल। रंगकर्म के क्षेत्र में महिला रंगकर्मीक सक्रियताक लेल वर्ष 2012 में मिथिला नाट्यकला परिषद् क सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री अनिता रानी मंडल कें हुनक अभूतपूर्व योगदान के लेल मैलोरंग द्वारा रंगकर्मी प्रमिला झा सम्मान स' सम्मानित कैल गेल। एहि सम्मानक प्रायोजक छल हिपसेड ( एच आई पी सी इ डी) ।महोत्सवक चारिम दिन माने 29 दिसंबर 2012 केर संध्या 6:30 बजे संस्था मिथिला विकास परिषद, कोलकाता द्वारा अशोक झा केर निर्देशन मे नाटक 'जुआयल कनकनी' केर मंचन केर घोषणा।

चारिम दिन-मंचित आ प्रशंसित भेल 'जुआयल कनकनी'
मैलोरंग द्वारा आयोजित पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक चारिम दिन माने 29 दिसंबर 2012 केर संध्या 6:30 बजे संस्था मिथिला विकास परिषद, कोलकाता द्वारा अशोक झा केर निर्देशन मे नाटक 'जुआएल कनकनी' केर मंचन सफलतापूर्वक संपन्न भेल। नाटक प्रारंभ हेबा स' पूर्व मंच संचालित करैत मैलोरंग केर निदेशक प्रकाश झा दिल्ली मे भेल सामूहिक बलात्कार मे संलग्न आरोपी राक्षस लोकनिक कुकृत्य कें घोर भर्त्सना केलनि आ एहि विकृतताक शिकार दामिनीक प्रति शोक संवेदना व्यक्त करैत उपस्थित प्रेक्षक आ रंगकर्मी लोकनि दू मिनटक मौन रखलनि। दिल्लीक एहि घटनाक कारणे यातायात मे बाधा स्वाभाविक छल तदुपरान्तो भाषा प्रेमी लोकनिक उपस्थित संतोषपूर्ण रहल।

मिथिला विकास परिषद, कोलकाता केर भाषा प्रेम आ समर्पणताक अंदाज़ अही बात स' लगाओल जा सकैत अछि जे एहेन जुआएल कनकनी बला शीतलहर मे अपन करीब डेढ़ दर्ज़न कलाकारक संग एहि महोत्सव कें सफल बनेबा आ सहभागिता देबा लेल कोलकाता स' दिल्ली धरिक यात्रा तय केलनि। नाटक अपन पूर्ण तैयारीक संग निर्धारित समय स' प्रारंभ भेल आ समाप्त होमय काल धरि दर्शक कें अपना मे समेटि क' राख' मे सक्षम रहल। मलंगिया जीक कलम समाजक ओहि केंद्र बिंदु धरि पहुंचल अछि जाहि ठाम धनक लालच मे कोनो व्यक्ति कोन हद धरि नीच भ' सकैत अछि ताहि ह्रासित नैतिकता कें संवादक माध्यमें जाहि रूप मे नाटक मे रखलनि अछि ओ निश्चित रूपे सराहनीय आ अदम्य साहसक द्योतक अछि।

नाटकक कथाक मुख्य सार ई जे नैतिक रूप सं भ्रष्ट एक परिवार जाहि मे एक भाइ अपन जेठ भाइ कें जहर खुआ क' सर्पदंशक अफवाह पसारि ओकरा मृत्युक मुंह मे धकेलि देइत छैक आ ओकर विधवा संग कुकृत्य क' ओकरा समाजक नज़रि मे नीच बना देइत छै। विधवा कतेको बेर आत्महत्या करबाक प्रयास करैत अछि मुदा फूल सन बेटाक मुंह ताकि विचार त्यागि देइत अछि आ ओहि दिनक प्रतीक्षा मे लागि जाइत अछि जखन बेटा नमहर भ' ' एहि अत्याचारक प्रतिशोध लेतैक। बेटा जखन वयस्क होइ छै त' समाज ओकरा आंगां माइयक एहि कुकृत्यक चर्चा करैत छै जाहि स' मर्माहत भ' ' ओ माय स' घृणा कर' लगैत छै, मुदा जखन बेटा एहि सबस' आक्रोशित भ' ' कनियाँ आ छोट भाइअक संग घर छोड़ि देबाक निर्णय लैत अछि त' माय दुखी भ' ' जाहि बात कें बरखो सं मोन मे दबौने छल आइ उजागर नै करैत त' शायद बेटो हाथ स' 'ल जइतै। बेटा विचलित मोन स' सब बात कें सुनैत तत्क्षण ओहि पित्तीक ह्त्या करैत अछि जे नहि कि मात्र ओहि घरक वास्ते अपितु सम्पूर्ण मानव समाजक लेल कलंक छल। नाटकक कथाक आधार पर जुआएल कनकनी स' अभिप्राय एक विधवाक संचित वेदना अछि जे अंत-अंत धरि असह्य भ' जाइत अछि।

मिथिला विकास परिषदक एहि नाटक कें सफल करबा मे जे कलाकार बीड़ा उठओने छलाह ताहि मे अग्रणी छलाह एहि नाटकक निर्देशक अशोक झा (मुख्य नायक जीबू केर भूमिका मे), नारायण ठाकुर, राघवेन्द्र झा, वन्दना झा, बेला झा, अशोक झा 'भोली',  कुमारी अंजना इस्सर आदि. पार्श्व संगीत-शान्ति सरकार, गायन-अपराजिता, अशोक झा 'भोली' आ गोपीकांत झा 'मुन्ना', प्रकाश-समर बनर्जी आ सह-निर्देशन-शैल झा।मैलोरंग दिस सं आजुक अतिथि अखिल भारतीय मिथिला संघ केर महासचिव विजय चन्द्र झा निर्देशक अशोक झा कें पुष्पगुच्छ, प्रशस्ति पत्र आ प्रतीक चिन्ह द' सम्मानित केलनि। अशोक झा दू शब्दक संबोधन मे मैलोरंग आ मलंगिया जीक प्रशंसा करैत कहलनि जे मैलोरंग मैथिली भाषा आ संस्कृति कें बचा राख' मे पूरजोर मेहनति क' रहल अछि आ मलंगिया हमरा लोकनिक जुगक मीलक पाथर (Milestone) छथि। एहि सुअवसर पर मैथिली साहित्यकार, रंगकर्मी आ आलोचक कमल मोहन चुन्नू सेहो उपस्थित छलाह जे कि मलंगिया जीक रचनात्मक शैली आ तकर उद्देश्य स' उपस्थित दर्शक कें  अवगत करौलनि।एहि महोत्सवक पाँचम आ अंतिम नाटक ओरिजनल काम केर मंचन 30 दिसंबर 2012' पूर्वनियोजित स्थान पर 6:30 बजे संध्या स' करबाक जिम्मा स्वयं मैलोरंगक रंगकर्मी लेने छलाह जे कि प्रकाश झाक निर्देशन मे हेबाकक घोषणा।

पाँचम (अंतिम) दिन-महोत्सव मे 'मैलोरंग''ओरिजनल काम'
मैलोरंग द्वारा आयोजित पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक चारिम दिन माने 30 दिसंबर 2012 केर संध्या 6:30 बजे संस्था मैथिली लोक रंग (मैलोरंग ) द्वारा आयोजित पंचदिवसीय मलंगिया नाट्य महोत्सवक पाँचम आ अंतिम नाटक 'ओरिजनल काम' केर सफलतापूर्वक संपादन भेल। मंच संचालक ऋषि कुमार झा नाटक प्रारंभ हेबा सं पूर्व आजुक पाहुन जे पी सिंह कें मंच पर आमंत्रित क' हुनका मैलोरंगक वरिष्ठ रंगकर्मी पवन कान्त झाक हाथे पुष्पगुच्छ आ प्रतीक चिन्ह सं सम्मानित करौलनि आ तत्पश्चात पाहुनक करकमल सं मैथिली रंगमंच, टीवी सीरियल आ फिल्म मे स्थापित अभिनेता आ युवा रंगकर्मी नीलेश दीपक कें 'रंगकर्मी श्रीकान्त मंडल सम्मान-2012' सं सम्मानित करौलनि। सम्मान प्राप्तिक क्रम मे नीलेश दीपक अपन अभिनय शुरुआत करबाक श्रेय मलंगियाजी कें देइत कहलनि जे धन्य छी हमरा लोकनि जे मलंगियाजी सन नाटककार कें लिखल नाटक मे अभिनय करबाक अवसर प्राप्त होइत अछि।

मैलोरंग द्वारा पूर्व नियोजित नाटक अपन पूर्वनिर्धारित समय सं प्रारंभ भेल। दर्शकक उपस्थिति सं प्रेक्षागृह खचाखच भरल छल आ नाटक संपन्न हेबा काल धरि चुँइ शब्द नै कियो बाजल, बाजल त' मात्र थोपड़ी पर थोपड़ी आ लागल त' मात्र ठहक्का पर ठहक्का। ठेंठ देहाती टोन मे मैथिली, हिन्दी आ अंग्रेजी संवादक समावेश बेस रोचक रहल जे कखनो हँसबा पर आ छनहि मे कनबा पर सेहो विवश करैत छल। ई नाटक गामक ओहि परिवारक समस्या पर आधारित छैक जत' ज्ञानक अभाव मे घरक मुखिया छोड़ि कियो ई निर्धारित नहि क' पबैत अछि जे कोन काज केर प्राथमिकता कखन देल जाय वा कोन काजक नहि अर्थात ओरिजनल काम कोन छैक आ कोन समय पर कोन काज अत्यावश्यक। मलंगिया जीक नाटकक विशिष्टता ई छनि जे ग्रामीण परिवेशक ओहि विषय वस्तु कें सभक सोझा आनि रखै छथि जे कतबहु दिनक बाद मंचित होइत देखब तहियो वर्तमाने परिस्थितिक आभास कराओत। एहने सन किछु आभास ओरिजनल काम केर सन्दर्भ मे सेहो कहल जाय, जुग कतबहु आधुनिक भ' गेल हो मुदा ई गूढ़ गप्प एखनो धरि देखबा मे अबैत अछि से मात्र ग्रामीणे परिवेश मे नहि अपितु शहरी वातावरण मे सेहो दृष्टिगोचर होइत अछि।

उक्त विषय पर मंचित एहि नाटकक निर्देशक छलाह प्रकाश झा, मुख्य नायकक भूमिका मे मुकेश झा (कम्पनी), नायिका ज्योति झा (स्त्री), अनिल मिश्रा (सफीक), प्रवीण कश्यप (उचितलाल), अमरजी राय (जीवलाल), अमित अकेला (शिवलाल), राधाकान्त (खूबलाल), राजीव मिश्रा (चन्द्रकान्त), दीपक ठाकुर (भगता), सोनिया झा (दारोगा) आ रॉकस्टार झा (गुरु)। भगैत आ रीदम-रमेश मल्लिक, ध्वनि संयोजन-राजीव मिश्रा, गायन-रॉकस्टार झा, अमरजी राय, अमित अकेला। उपरोक्त सभ कलाकार अपन अपन चरित्र कें पूर्ण इमानदारीक संग प्रस्तुत केलनि जकर सभस' पैघ प्रमाण छल जे दर्शक दीर्घा दिस स' अनवरत थोपड़ीक गड़गड़ाहटि। नाटक संपन्न भेलाक उपरान्त मैलोरंग दिस सं अभिनेता मुकेश झा आ ऋषि कुमार झा एहि आयोजन कें सफल बनेबा मे महीनो सं लागल कार्यकर्ता आ दूर-दूर स' आयल संस्था जे एहि महोत्सव मे भाग नेने छलाह हुनका लोकनिक आभार व्यक्त करैत समस्त दर्शक आ मीडियाकर्मीक सेहो आभार व्यक्त केलनि।